सामान्य ज्ञान
28 अगस्त 1896 को रघुपति सहाय उर्फ फिराक गोरखपुरी का जन्म गोरखपुर में हुआ। वह भारत के एक जाने माने शायर, लेखक और आलोचक रहे हैं। महात्मा गांधी के साथ असहयोग आंदोलन में शामिल होने के लिए उन्होंने प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा दे दिया। उर्दू में शायरी करने वाले फिराक गोरखपुरी ने इलाहबाद यूनिवर्सिटी में इंग्लिश लेक्चरर के तौर पर काम शुरू किया। 1960 में उन्हें साहित्य अकादमी, 1968 में पद्म भूषण और 1969 में किताब गुल ए नगमा के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार से नवाजा गया।
अरबी, फारसी और अंग्रेजी भाषा में उनकी अच्छी पकड़ थी। उन्होंने एक उपन्यास साधु और कुटिया और कई कहानियां भी लिखी हैं। उर्दू, हिंदी और अंग्रेजी भाषा में दस गद्य कृतियां भी प्रकाशित हुई हैं। फिराक गोरखपुरी ने उर्दू में गजल, नज्म और रुबाइयां लिखी हैं, वहीं हिन्दी और इंग्लिश में भी उन्होंने लिखा है। साहित्य और संस्कृति से जुड़े विषयों पर उन्होंने इंग्लिश में चार किताबें लिखी हैं।


