सामान्य ज्ञान
विजय लक्ष्मी पंडित, भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु की बहन थीं। भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में विजय लक्ष्मी पंडित ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
विजय लक्ष्मी पंडित का जन्म 18 अगस्त 1900 को हुआ था। उनकी शिक्षा-दीक्षा मुख्य रूप से घर में ही हुई। गांधीजी से प्रभावित होकर विजयलक्ष्मी पण्डित भी जंग-ए-आज़ादी में कूद पड़ीं। वह हर आन्दोलन में आगे रहतीं, जेल जातीं, रिहा होतीं, और फिर आंदोलन में जुट जातीं।
1936 और 1946 में वह उत्तर प्रदेश विधान सभा के लिए चुनी गयीं और मंत्री बनायी गयीं। मंत्री स्तर का दर्जा पाने वाली भारत की वह प्रथम महिला थीं। 1932, 1941 और 1942 में सविनय अवज्ञा आंदोलन में भाग लेने के लिए उन्हें जेल की सज़ा हुई। आज़ादी के बाद भी उन्होंने देश सेवा जारी रखी। सन् 1945 में संयुक्त राष्ट्र संघ के सैन फ्रांसिस्को सम्मेलन में विजयलक्ष्मी पण्डित ने भारत का प्रतिनिधित्व भी किया। संयुक्त राष्ट्र की अध्यक्ष बनने वाली वह विश्व की पहली महिला थीं। वे राज्यपाल और राजदूत जैसे कई महत्वपूर्ण पदों पर रहीं। वे 1964 से 1968 तक अपने भाई के पूर्व निर्वाचन क्षेत्र फूलपूर से लोक सभा के लिए चुनी गई थीं । उन्होंने 1962 से 1964 तक महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में अपने सेवाएं दीं। 1966 में इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री बनने के बाद वे उनकी कठोर आलोचक थीं। बाद में उन्होंने सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया और दिल्ली को छोडक़र देहरादून में रहने लगी थीं।
उनका विवाह 1921 में रंजीत सीताराम पंडित से हुआ, जो काठियावाड़ के एक सफल बैरिस्टर और शास्त्रीय विद्वान थे। जिन्होंने कल्हण के महाकाव्य राजतरंगिणी का संस्कृत से अंग्रेजी में अनुवाद किया 14 जनवरी 1944 को लखनऊ जेल में रंजीत सीताराम पंडित की मृत्यु हो गई। वहीं विजय लक्ष्मी पंडित का निधन 1 दिसंबर 1990 को हुआ था।
विजयलक्ष्मी पंडित की बेटी नयनतारा सहगल एक प्रसिद्ध उपन्यासकार है । उनकी बेटी गीता सहगल भी एक लेखिका और पत्रकार हैं। उन्होंने अपनी डाक्यूमेट्री फिल्म के लिए कई पुरस्कार भी जीते हैं। वे जानी-मानी मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं।


