सामान्य ज्ञान
पूर्ण रूप से स्वदेशी कार -एंबेसडर का उत्पादन भारत में अब बंद कर दिया गया है। इस कार का निर्माण हिन्दुस्तान मोटर्स वर्ष 1942 से कर रहा था। देश में वर्ष 1942 में प्रथम स्वदेशी कार बनाने वाली यह कंपनी समय के साथ और ईंधन की बढ़ती कीमत के अनुसार अपने संयंत्र और कार के मॉडलों को उन्नत नहीं बना पाई। जिससे इसे आर्थिक रूप से काफी नुकसान हुआ है और अंतत: इसे संयंत्र में काम रोकना पड़ा है।
हिन्दुस्तान मोटर्स पश्चिम बंगाल के कोलकाता आधारित एक वाहन निर्माता कम्पनी है जो बिरला टेक्नीकल सर्विसेज का हिस्सा है। मारूति उद्योग के कार बाजार में उतरने से पहले यह देश का सबसे बड़ा कार निर्माता था। 1942 से एंबेसडर कार का निर्माण हिन्दुस्तान मोटर्स कर रहा है। हिन्दुस्तान मोटर्स के पार्टनर्स में जनरल मोटर्स और इसुजू मोटर्स शामिल थे। फिलहाल हिन्दुस्तान मोटर्स का मित्सुबीशी के साथ ज्वाइंट वेंचर है।
दशकों से ये कार देश की सत्ता और प्रशासन की पहचान रही है। एंबेसडर कार जब से अस्तित्व में आई तब से उसका डिज़ाइन लगभग वैसा ही रहा। 1950 के दशक के आखिर में पहली बार इस कार का निर्माण हुआ। पश्चिम बंगाल के उत्तरपाड़ा में स्थित कारखाने में 1957 से इस कार का उत्पादन किया जा रहा था। इसे ब्रिटेन की लंबे समय से बंद पड़ी मॉरीस ऑक्सफ़ोर्ड की तर्ज पर बनाया गया था। इस कार की पहचान आम तौर पर राजनेताओं और सरकारी अधिकारियों के रसूख से जुड़ी हुई हैछ। यही वज़ह है कि चरमपंथियों ने इस कार का इस्तेमाल 2001 में संसद पर किए हमले में किया था। लंबे समय तक भारत की सडक़ों की पहचान रही ये कार दिन प्रति दिन भारतीय बाज़ार में नए कारों के आने के कारण प्रतिस्पर्धा में दौड़ से बाहर होती जा रही थी। लेकिन ये कार टैक्सी ड्राइवरों, कुछ राजनेताओं और पर्यटकों के बीच अभी भी काफ़ी लोकप्रिय है।


