सामान्य ज्ञान
थाईलैंड दक्षिण पूर्वी एशिया में स्थित एक देश है, जिसका प्राचीन भारतीय नाम श्यामदेश है। थाईलैंड की पूर्वी सीमा पर लाओस और कम्बोडिया, दक्षिणी सीमा पर मलेशिया और पश्चिमी सीमा पर म्यानमार है। थाईलैण्ड की राजधानी बैंकाक है। थाईलैंड में संवैधानिक राजशाही के साथ संसदीय लोकतंत्र है।
थाइलैंड में इस समय मॉर्शल लॉ लागू है। यहां की सेना ने देश में सरकार विरोधी प्रदर्शनों के कारण उपजे प्रशासनिक संकट में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए 20 मई 2014 को ‘मार्शल लॉ’ लगाने की घोषणा की। सत्ता के दुरुपयोग के मामले में थाईलैंड की संवैधानिक अदालत ने निवर्तमान प्रधानमंत्री एवं ‘फीयू थाई पार्टी’ की नेता यिंगलक शिनावात्रा और उनकी कैबिनेट के नौ मंत्रियों को उनके पद से 7 मई 2014 को बर्खास्त कर दिया, जिससे थाईलैंड में राजनीतिक संकट पैदा हो गया। थाईलैंड की संवैधानिक अदालत ने उन्हें अपने परिवार को फायदा पहुंचाने के लिए सत्ता का दुरुपयोग करने का दोषी पाया था।
विपरीत राजनीतिक परिस्थितियों में जब किसी देश की प्रशासनिक व्यवस्था को उस देश की सेना अपने हाथ में ले लेती है और तब जो नियम प्रभावी होते हैं उन्हें ‘मार्शल लॉ’ या सैनिक कानून कहा जाता है। इसके अंतर्गत बन्दी प्रत्यक्षीकरण याचिका जैसे अधिकार निलम्बित किए जाते हैं। प्राय: मार्शल लॉ के अंतर्गत न्याय के लिए सेना का एक अधिकरण (ट्रिब्यूनल) नियुक्त किया जाता है।
क्या है ध्यानाकर्षक संरक्षण विधेयक
ध्यानाकर्षक संरक्षण विधेयक, 2011 (व्हिसल ब्लोअर्स संरक्षण विधेयक 2011 ) अब एक अधिनियम का रूप ले चुका है। ध्यानाकर्षक संरक्षण विधेयक, 2011 को लोकसभा ने 11 दिसंबर 2011 को जबकि दो संशोधनों के साथ राज्य सभा ने 21 फरवरी 2014 को पारित किया था।
इस अधिनियम में मंत्रियों सहित सरकारी अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचार या अधिकारों के दुरूपयोग से संबंधित सूचना देने वाले व्यक्ति को संरक्षण देने के लिए नियमित व्यवस्था करने का प्रावधान है।
अधिनियम में सरकार को हुए नुकसान की जानकारी देने वाले व्यक्ति को पर्याप्त संरक्षण देने का भी प्रावधान है। यह अधिनियम जनता को मंत्रियों और लोकसेवकों द्वारा अधिकारों का जानबूझकर दुरुपयोग करने के बारे में या भ्रष्टाचार के बारे में जानकारी का खुलासा करने के लिए उत्साहित करने की प्रणाली प्रदान करता है। कोई व्यक्ति किसी सक्षम प्राधिकार के समक्ष भ्रष्टाचार के मामले में जनहित में जानकारी सार्वजनिक कर सकता है। शिकायत करने हेतु केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) सक्षम प्राधिकरण है। भारत सरकार अधिसूचना जारी करके भ्रष्टाचार के बारे में इस तरह की शिकायतें प्राप्त करने के लिए भी किसी को नियुक्त कर सकती है। इस कानून में झूठी या फर्जी शिकायतों के मामले में दो वर्ष तक की कैद और 30 हजार रूपए तक के जुर्माने का प्रावधान है। केंद्रीय सतर्कता आयोग को सशक्त करने के लिए यह विधेयक वर्ष 2004 में संघ सरकार द्वारा प्रस्तुत किया गया था।


