दुर्ग

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दुर्ग, 28 जून। भगवान श्रीजगन्नाथ की दिव्य रथयात्रा के अवसर पर पूर्व मंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता अरुण वोरा ने दुर्ग में आयोजित दो प्रमुख रथयात्रा कार्यक्रमों में श्रद्धापूर्वक भाग लिया। पहला आयोजन रामजानकी मंदिर, आमदी धर्मशाला परिसर में हुआ, जबकि दूसरा टेमरपारा स्थित ऐतिहासिक किला मंदिर में संपन्न हुआ।
दोनों स्थलों पर श्रद्धा और भक्ति से ओतप्रोत वातावरण के बीच अरुण वोरा ने न केवल रथयात्रा में भाग लिया, बल्कि परंपरागत ‘छेरा पहरा’ (झाड़ू सेवा) भी की। रथयात्रा की परंपरा अनुसार उन्होंने ‘छेरा पहरा’ (झाड़ू सेवा) में भी भाग लिया, जिसे भगवान जगन्नाथ के चरणों में सर्वोच्च सेवा का प्रतीक माना जाता है। झाड़ू लगाकर उन्होंने यह संदेश दिया कि सेवा का कोई पद नहीं होता, केवल समर्पण होता है।
इस अवसर पर वोरा ने कहा जहाँ भगवान स्वयं रथ पर सवार होकर भक्तों के बीच आते हैं, वहाँ भूमि को झाड़ू लगाना सौभाग्य से कम नहीं। यह परंपरा हमें सिखाती है कि भक्ति का मार्ग राजपथ नहीं सेवा की पगडंडी है। जहाँ पद, प्रतिष्ठा नहीं सिर्फ समर्पण बोलता है। रथयात्रा न केवल आस्था का पर्व है, बल्कि यह हमें सेवा, समरसता और संस्कृति से जोड़ती है। हर साल की तरह इस बार भी दुर्ग में भव्य और भक्तिमय रथयात्रा का आयोजन हुआ। अरुण वोरा ने रथयात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ से दुर्ग शहर के सभी नागरिकों के जीवन में सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य और शांति की कामना भी की।