दुर्ग

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दुर्ग, 6 मई। पिछले 10 वर्षों से आजीविका मिशन के तहत कार्य कर रहे 20 कर्मचारियों को जीविका चलाना मुश्किल हो रहा है। राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के तहत वर्ष 2014 में इन कर्मचारियों की नियुक्ति की गई थी।
वर्ष 2022 के बाद इस मिशन को 6-6 माह का एक्सटेंशन दिया जाने लगा। सितंबर 2024 में इसे बंद करने का फरमान जारी किया गया। फिर इस मिशन का नाम बदलकर दीनदयाल जन आजीविका योजना रखा गया। यह योजना पुरानी गाइडलाइन के अनुसार ही संचालित हुई।
6 माह बाद यानी 31 मार्च 2025 को इस पर भी ग्रहण लग गया। इसके चलते अप्रैल माह में इस योजना की गतिविधि पूरी तरह ठप है। मिशन के कर्मचारी भी एक तरह से बेरोजगार हो गए। इन कर्मचारियों को योजना के एक्सटेंशन का इंतजार है।
नगर निगम दुर्ग स्थित डाटा सेंटर में आजीविका मिशन की गतिविधि संचालित हो रही है। मिशन के कर्मचारियों द्वारा निगम क्षेत्र अंतर्गत महिलाओं का समूह गठित कर उन्हें आजीविका के लिए प्रोत्साहित किया जाता था। पिछले 10 वर्षों के दौरान निगम क्षेत्र में 1500 समूह का गठन किया गया है।
प्रत्येक समूह में 11 महिलाएं शामिल थी। समय-समय पर इन समूह के महिलाओं को आजीविका तथा स्वरोजगार संबंधी प्रशिक्षण दिया जाता था। सूडा के माध्यम से प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित किया जाता था।
प्रशिक्षण में महिलाओं को मोमबत्ती बनाना, पापड़, अचार, बड़ी सहित अन्य घरेलू सामानों के निर्माण सिखाया जाता है। इससे समूह की महिलाओं को रोजगार मिलता था। यह उनकी जीविकोपार्जन में मददगार साबित होता है।