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‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नवापारा-राजिम, 21 फरवरी। श्री राजिम भक्तिन माता समिति युवा प्रकोष्ठ के तत्वावधान में राजिम माघी पुन्नी मेला में चल रहे माता राजिम निशुल्क भोग भंडारा में श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ रही है। रविवार का भंडारा नगर साहू संघ राजिम के 10 वरिष्ठ समाजसेवी के अंशदान, श्रमदान, अन्न दान और उनके सहयोग से संपन्न हुआ। जिसमें प्रमुख रूप से डॉ महेंद्र साहू, भोले साहू, श्याम साहू, भवानीशंकर साहू, रामकुमार साहू, विष्णु साहू, राजू साहू, चोवाराम साहू, महेश कुमार साहू, सोमप्रकाश साहू, श्रीमती रामबाई साहू शामिल है।
इस अवसर पर सर्वप्रथम भंडारा स्थल मे भक्त माता राजिम एवं तेल घानी के मूर्ति के समक्ष विधिवत पूजा अर्चना एवं भोजन प्रसादी अर्पित कर भंडारे की शुरुआत। पश्चात मुख्य अतिथि प्रोफेसर घनाराम साहू एवं मंदिर समिति के अध्यक्ष डॉ. महेंद्र साहू के हाथों भोजन प्रसादी परोसगारी कर शुरूआत की गई।
मौके पर प्रदेश पदाधिकारीगण लाला साहू, ईश्वरी साहू, लोकनाथ साहू, युवा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष राजू साहू, मीडिया प्रभारी डॉ लीलाराम साहू, जिला पंचायत सदस्य रोहित साहू, किशोर साहू, मिंजुन साहू, कुंजबिहारी साहू, खेमराज साहू, रूपलाल साहू, कुंदन साहू के अलावा फूलचंद महाविद्यालय नवापारा राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवक आदि ने अपना सहयोग प्रदान किया।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 21 फरवरी। माघी पुन्नी मेला के पांचवे दिन की रविवार को भारी भीड़ रही। मेला में इस बार सडक़ों की चौड़ाई बढ़ा दी गई है। आस्था धर्म एवं आध्यात्म का संगम धरा में श्रद्धालुगणों का सुबह से ही आना जाना शुरू हो गया था। रविवार छुट्टी का दिन होने के कारण आस्था का सैलाब उमड़ गई थी। मीना बाजार क्षेत्र में खचाखच भीड़ देखने को मिली। दुकानों में सामानों की बिक्री खूब हुई। आकाश, ब्रेक डांस, टोराटोरा, डिजनी लैण्ड, क्राफ्ट बाजार, मौत का कुंआ सहित पूरे मेला मैदान दुकाने सजी हुई है। जिस पर मेलार्थी जरूरत के सामनों को खरीद कियए तथा खाद्य पदार्थ वाले स्टॉल में स्वादिश्टि व्यंजनों का आनंद भी ले रहे थे। कहना होगा कि मेला मैदान में अलग-अलग गलियां हैं और इस तरह से 3 किलोमीटर का फासला यहीं से तय करना पड़ रहा है। यहां से सीधे चलते हुए संगम में लंबे चौड़े वर्गाकार क्षेत्रफल में फेले मेला का स्वरूप आज अपने पूरे सबाब पर था।
मंदिरों में रही भीड़
राजिम के प्रमुख मंदिर भगवान श्रीराजीव लोचन, श्रीकुलेश्वरनाथ महादेव, लोमष ऋषि आश्रम, पवन दीवान आश्रम, सोमेश्वरनाथ महादेव, मांमा भांचा मंदिर, भूतेश्वनाथ महादेव मंदिर, राजिम भक्तिन माता मंदिर, साक्षी गोपाल, बाबा गरीबनाथ, लक्ष्मीनारायण मंदिर, दत्तात्रेय मंदिर, मां महामाया मंदिर, तुलजा भवानी मंदिर, गुरूघासीदास मंदिर आदि में दर्शन पूजन एवं अनुष्ठान करने के लिए लोग पहुंचते रहे और अपने मन की मुरादे श्रद्धालुओं ने प्रकट की।
ओखरा खरीदने बारी का इंतजार किया
राजिम मेला के प्रमुख मिठाई ओखरा खरीदने के लिए लोगों ने अपने बारी का इंतजार करते रहे। यहां उड़ीसा से ओखरा लेकर व्यापारी पहुंचे हुए है। इनके अलावा देवभोग व अन्य क्षेत्रों से भी आये हुए है। भीड़ बढऩे के साथ ही खरीददारी भी जमकर हुई। आज रविवार को उनके लिए भी संडे फनडे रहा।
संगम नदी में स्नान किया
की सुविधा दी जाती है। सखी वन स्टॉफ सेंटर का मुख्य उद्देश्य घर व बाहर किसी भी रूप में पीडित व संकटग्रस्त महिला को एक ही छत के नीचे सभी प्रकार की सहायता उपलब्ध कराना है। जरूरतमंद महिलाओं को समय पर उचित चिकित्सा प्रदान करना है। विधिक, मनोवैज्ञानिक, मनोचिकित्सक, परामर्श और सुविधा देना और महिलाओ को मजबूत बनाना है। आज भी जानकारी के आभाव मे दूर-दराज आदिवासी ग्रामीण और अशिक्षित क्षेत्र में अधिकांश महिलाएं अपने अधिकारों के लिए लड़ नहीं पाती और उन्हे शोषण का शिकार होना पड़ता है। आगे जानकारी देते हुए बताया कि महिलाओं से सम्बंधित किसी भी प्रकार कि समस्या व समाधान के लिए महिला हेल्प लाईन टोल फ्री नम्बर 181 डायल करे।
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राजिम, 21 फरवरी। माघी पुन्नी मेला के पांचवे दिन राजीव युवा मितान क्लब, राष्ट्रीय स्तर के खिलाडिय़ों का सम्मान एवं हिताग्रहियों को स्वरोजगार हेतु ऋण वितरण कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के आसंदी से प्रदेश के तकनीकि शिक्षा, रोजगार उच्च शिक्षा, खेल और युवा कल्याण मंत्री उमेश पटेल स्कूल एवं कॉलेज के हजारों युवाओं के बीच उद्बोधन करते हुए कहा कि राजिम मेला की भव्यता अब देखते ही बन रही है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ की संस्कृति को बढ़ाने का काम किया है। त्यौहारों में छुट्टी के अलावा परंपरा को उच्च शिखर पर स्थान दिलाया है। उन्होंने राजीव युवा मितान कला पर फोकस करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने बजट में 50 करोड़ रूपये का प्रावधान किया है।
प्रत्येक कला को प्रत्येक 3 माह में 25 हजार रूपये के मान से एक साल में रचनात्मक गतिविधियों के संचालन के लिए 1 लाख रूपये दिये जायेंगे। उन्होंने योजनाओं की जानकारी देते हुए आगे कहा कि स्कूल और कॉलेजों में फाईनेंसियल का एक सब्जेक्ट होना चाहिए। वर्तमान में फाईनेंसियल ट्रांजेक्शन में धोख-धड़ी हो रही है। हम लोग मोबाईल में एकाउंट बना रहे है, इसी से ही ट्रांजेक्शन कर रहे है। कई लोग इसका गलत उपयोग भी कर रहे है जिसके कारण लोग ठगी का शिकार हो रहे है। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि जॉब की स्थिति कमजोर हुई है। यह न सिर्फ छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे देश की स्थिति है। अब छत्तीसगढ़ सरकार ने एक मिशन की स्थापना की है। जिले कलेक्टर स्कील डेवलपमेंट पर ज्यादा ध्यान दें जिससे युवाओं को रोजगार मिले। उन्होंने बेरोजगारों से कहा कि फिक्र करने की बात नहीं है, समय थोड़ा आगे-पीछे होता है आपको कई अच्छी-अच्छी नौकरियां मिलेगी, बस आप अपने मेहनत को निरंतर जारी रखें।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विधायक धनेन्द्र साहू ने कहा कि राजिम धर्म और संस्कृति का मिलन होता है यहां के दिव्य एवं अलौकिक मंदिर मंत्रमुग्ध कर देते है। राजिम मंदिरों की नगरी है, मध्य भारत का यह प्रमुख तीर्थ स्थल रहा है। अब हमें नकली कुंभ से मुक्ति मिल गई है। युवाओं को रचनात्मक दिशा देने के लिए राजीव युवा मितान क्लब का गठन हमारी सरकार की सोच ने अस्तित्व में लाया है। अब गांव की तरक्की को कोई रोक नहीं सकता। फिंगेश्वर के जनपद अध्यक्ष पुष्पा जगन्नाथ साहू ने कहा कि मंत्री उमेश पटेल युवाओं का आईडल है इनकी सोच हमेशा किस तरह से युवाओं को आगे बढ़ाये ताकि छत्तीसगढ़ का विकास निरंतर होता रहे।
ग्राम स्वराज की परिकल्पना मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पूरा कर रही है। नगर पालिका परिषद नवापारा के धनराज मध्यानी ने कहा कि सरकार की सोच के कारण ही नया छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के साथ ही राजिम मेला के स्वरूप को विस्तार दिया गया। धनेन्द्र साहू उस समय संस्कृति मंत्री बने और राजिम मेला पूरी दुनिया में विख्यात हो गया। छत्तीसगढ़ की संस्कृति लोगों को जोडऩे की है न कि हुक्काबार खोलने की। इस मौके पर विभिन्न योजनाओं के हितग्राहियों को चेक वितरण किया गया। जिनमें जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र गरियाबंद के द्वारा मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के मार्जिन मनी अनुदान वितरण उमेन्द्र नागेश, प्रियांद ध्रुव, पिन्टु गुप्ता इस तरह से कुल 10 लोगों को 3 लाख 98 हजार 1 सौ रूपये का चेक दिया गया।
छत्तीसगढ़ खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा 3 लोगों को प्रोत्साहन राशि ढाई लाख रूपया, जिला अंत्यावसायी सहकारी विकास समिति गरियाबंद एवं विभिन्न बैंको के सहयोग से स्वरोजगार हेतु लोन का वितरण भी किया गया। राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व करने वाले जिले के चयनित खिलाडिय़ों को मंत्री उमेश पटेल ने सम्मानित किया। चेक पाकर हितग्राहियों के चेहरे खिल उठे और राजिम मेला से रोजगार के एक नये सपने लेकर अपने गंतव्य को चले गये। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्जवलन के साथ हुआ।
इस मौके पर प्रमुख रूप से जिला कलेक्टर नम्रता कलेक्टर, जिला सीईओ रोक्तिमा यादव, जिला खेल अधिकारी के अलावा भावसिंह साहू, ताराचंद मेघवानी, रामकुमार गोस्वामी, अशोक श्रीवास्तव, डॉ. आनंद मतावले, गिरीश राजानी, मनीष दुबे, पदमा दुबे, मुन्ना कर्रे, प्रीति पांडे, विष्णु जांगड़े, योगेश साहू, टीकेश साहू, हेमराज साहू सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 21 फरवरी। माथे पर तिलक पूरे शरीर पर भभूत, हाथ में भाला, गले में बड़ी-बड़ी माला, चेहरे पर चमक, ओजस्वी, तेजदमक ऐसा प्रतापी व रौद्र जैसा लगने वाला स्वरूप सामने देखकर मन में विस्मय मिश्रित भय सी अनुभूति होती है, लेकिन ऐसा स्वरूप धारण करने वाले नागा बाबा जगत के कल्याणकारी तथा घोर तपस्वी होते है। जब-जब धर्म के समक्ष संकट खड़ा हुआ, साधु-संत महात्माओं के साथ नागा साधु धर्म की रक्षा के लिए उठ खड़े हुए। इतिहास गवाह है कि हमारे नागा साधुओं ने देश में अपने शस्त्र व शास्त्रों से हिन्दु धर्म की रक्षा की है। कहा जाता है कि हमारे महात्माओं ने नागा साधुओं को धर्म की रक्षा के लिए मुख्य रूप से तैनात किया है।
नागा धर्म का आचरण व पालन करने वाले जब भी किसी जीव-प्राणी को दुखी देखते है, तो अपने सारे सुख उसे प्रदान कर देते है। आम जन को दुखी नहीं रहने देते है। नागा साधुओं के महात्मा व प्रताप की कथा कुंभ से भी जुड़ी हुई है।
एक समय अत्याचारी राजाओं ने कुंभ पर कब्जा कर लिया था और वे कुंभ के दौरान कई दिनों तक कुंभ क्षेत्र में कब्जा कर लेते थे। आम जनता को कुंभ में पवित्र स्नान करने का अवसर नहीं मिलता था। दुखी लोगों ने नागा साधुओं तक यह बात पहुंचाई तो उन्होंनेे शस्त्र उठाकर अत्याचारी राजाओं के खिलाफ युद्ध का जयघोष कर दिया और राजाओं के शाही स्नान को साधुओं के शाही स्नान की परंपरा शुरू की।
कुंभ में सबसे पहले नागा साधु शाही स्नान करते हैं। तत्पश्चात् श्रद्धालुगण पुण्य स्नान करते हैं। छत्तीसगढ़ के राजिम शहर में आयोजित राजिम माघी पुन्नी मेला में नागा साधुओं का आगमन हुआ है। जिससे यहां श्रद्धा भक्ति की भावना चार गुनी हो गयी।
कहा जाता है कि नागा साधु दुनिया में देश और राज्य की विभाजन रेखा को नहीं मानते। यह विभाजन तो मनुष्य के द्वारा किया गया है। मनुष्यों ने अपने-अपने तरीके से दुनिया का विभाजन कर लिया। नागा साधुओं के लिए पूरा आकाश अपना तम्बू है और पृथ्वी उनकी फर्स है। ऐसी विचार धाराओं के फलस्वरूप नागा साधु एक जगह स्थिर नहीं रहते। वे धर्म की रक्षा के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान विचरण करते रहते है। यह अस्थिरता उनके मन दिमाग को सदैव जागृत रखती है और वे धर्म की रक्षा के प्रति हमेशा सजग व समर्पित रहते है। बताया जाता है कि भारत देश में नागा साधुओं की संख्या 5 लाख से अधिक है। आदि शंकराचार्य के द्वारा भारत देश के उत्तर, दक्षिण, पूरब, पश्चिम चारों दिशाओं में स्थापित मठों से आगे बढक़र नागा साधु देश भर में फैलते गये। ऐसा महसूस होता है नागा साधु दीन दुनिया से बेखबर, अपने में ही मशगूल रहने वाले अक्खड़ स्वभाव के हठी बाबा होते है। परन्तु वास्तविकता इसके काफी विपरीत है। नागा साधु अत्यंत तपस्वी, विद्वान व सदाचारी होते है।
जिस तरह से भगवान भोलेनाथ ने जहर का प्याला खुद पी लिया और दूसरों को नुकसान से बचाया, इसी तरह से नागा साधुओं ने भी संसारिक भोग का त्याग कर दिया, लेकिन संसार के लोगों को पीड़ा-दुखों से मुक्ति दिलाने हेतु वे कृत संकल्पित है। राक्षस प्रवृत्ति के तत्व जब-जब धर्म के नुकसान पहुॅचाने की कोशिश करते है तब-तब उन्होंने अपना रौद्र रूप दिखाया है। शेष समय वे तप करतें है, धर्म की माला जपते है। जब धर्म का अहित होता है वे माला गले में धारण करते है और हाथ में भाला उठा लेते है। नागा साधुओं ने अश्लीलता, लोलुप्ता, लेश मात्र भी नहीं होती।
वे तो इस संसारिक दुनिया की सभ्यता के प्रतीक है। कई लोग ऐसे भी है जो जानबुझ कर नागा साधुओं के बारे में तरह-तरह केे दुस्प्रचार फैलाते है ताकि धर्म को नुकसान पहुॅचाया जा सके। भारत देश की एकता के लिए जगत गुरू आदि शंकराचार्य ने पूरे देश का भ्रमण किया इसके साथ ही पंचदेव को स्थापित किया। नागा साधु भी पूरे देश का भ्रमण किया इसके साथ नागा साधु भी पूरे देश में फैलते गये। मान्यता है कि नागा साधु चार प्रकार के होते है। पहला राज-राजेश्वरी, दूसरा बर्फानी, तीसरा खूनी व चौथा खिचडिय़ा।
हरिद्वार में जो दीक्षा लेते है वे बर्फानी नागा साधु होते है। उत्तराखण्ड में स्थित हरिद्वार बर्फिला क्ष़ेत्र है इसलिए यहॉ दीक्षा लेने वाले नागा साधु शांत स्वभाव के माने जाते है। इलाहाबाद का नागा राज-राजेश्वरी प्रकृति का होता है मतलब राजा की तरह होता है। उज्जैन के नागा साधु अपेक्षाकृत गर्म प्रकृति के होते है। इसलिए यहॉ के नागा साधुओं को खूनी नागा साधु का नाम दिया गया है।
आम मान्यता है कि नागा साधुओं का स्वभाव उग्र प्रवृत्ति का होता है परन्तु यह वास्तविकता है कि जो असल नागा साधु होते है। वे किंचित मात्र भी शराब और मांस का सेवन नहीं करते। काम को अपने नियंत्रण में रखते है। यह भी मान्यता है कि काम को नियंत्रण में रखने के कारण नागा साधुओं में उग्रता बढ़ती है। इसलिए प्रांरभ से उन्हें गांजाओं व भांग के सेवन का छूट है। कुछ राज्यों में तो शासन अपने तौर पर नागा साधुओं को ये चीजें उपलब्ध कराते है। वास्तव में नागा साधुओं को धर्म की रक्षा के लिए सेना का जिम्मा दिया गया है। वे धर्माचार्यों की सेना की तरह काम करते है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 21 फरवरी। डौंडीलोहारा के लोक सिरजन लोककला मंच के मेघेन्द्र जयसवाल राजिम माघी पुन्नी मेला के मुक्ताकाशी मंच में शानदार प्रस्तुति देने के बाद मीडिया सेन्टर में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि कला की साधना एक या दो दिन में नहीं होती है, इसके लिए लम्बा वक्त देना पड़ता है। सफलता का कोई शार्टकट रास्ता नहीं है। इस दरमियान मुश्किल दौर से भी गुजरना पड़ता है। जीवन में कब कौन सा मोड़ आ जाये किसी को ज्ञात नहीं है। इस संस्था को खड़ा करने मे खूब मेहनत करना पड़ा और आज देश भर के प्रतिष्ठापूर्ण करीब 80 मंचों में लगातार तीन सालों से प्रस्तुति देते आ रहें है।
जयसवाल ने आगे बताया कि छत्तीसगढ़ के अलावा मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा जैसे राज्यों में प्रस्तुति देने का सौभाग्य मिला है। इन्होंने मोर मन के मीत छत्तीसगढ़ी फिल्म में प्रोड्यूसर के रूप मे काम किया है। इनके साथ सह कलाकार विष्णु कोठारी मीत ने डार्लिग प्यार झूकता नहीं, बेनाम बादशाह फिल्म में आवार्डेड है। टीम मे कुल 35 सदस्य है। इनके प्रत्येक कलाकार आज भी प्रतिदिन अभ्यास में ज्यादा ध्यान देते है। तभी तो राजिम के इस मंच मे मौलिकता छनकर बाहर आ गई थी। इनके अमर गीत हाय वो तै नाचे बर आबे न... लोगों के जूब़ा है।
जयसवाल ने बताया कि कोरोना काल में चुपचाप नहीं बैठे थे, हालाकि मंचीय प्रस्तुति नहीं दे पाये, लेकिन प्रेक्टिस लगातार चलता रहा। एक कलाकार के लिए कला ही अर्थ का मुख्य साधन होता है। इसी पीड़ा को लघु कथा के रूप में अंतस के पीरा के रूप में प्रस्तुत किये है। छश्रीसगढ़ कला एवं संस्कृति के क्षेत्र मे अत्यंत समृद्ध है इसे सिरजाकर रखने की जिम्मेदारी प्रत्येक छश्रीसगढिय़ों की है। आगे बढऩे के लिए मेरे आदर्श लक्ष्मण मस्तुरिया, खुमान साव है उनसे मुझे प्रेरणा मिली है। जिसके बदौलत आज मैं इस मुकाम पर हूँ। उन्होंने बताया कि कला का वरदान मुझें मेरे नाना से मिला।
मेरे माता-पिता इस क्षेत्र से कोसो दूर थे। पहली प्रस्तुति डौंडीलोहारा के मंच में ही किया। राजिम माघी पुन्नी मेला के मंच मे प्रस्तुति देकर अत्यंत प्रसन्न थे। कलाकारों के लिए प्रदेश सरकार के द्वारा पुन्नी मेला मे सम्मान किया जा रहा है, उसका उन्होने खूब तारिफ भी किया। उनके साथ मे उपस्थित लोक गायिका भावना सेन ने गीत गा कर महौल बना दिया।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नवापारा-राजिम, 21 फरवरी । शादीशुदा महिला को आत्महत्या के लिए प्रेरित करने वाले आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी ओमप्रकाश उर्फ बुटानी साहू पिता स्वर्गीय विश्राम साहू (27) गोबरा नवापारा के वार्ड क्रमांक 11 किसानपारा का रहने वाला है। आरोपी ने 13 नवंबर 2021 को वार्ड की ही श्रीमती चेमिन पति पदुम सोनकर (उम्र 19 वर्ष) को अपने प्रेमजाल में फंसाकर भगा ले गया था।
चेमिन को कुछ दिन बाहर रखकर उसके बाद उसे अपने घर ले आया और पत्नी के रूप में रखने लगा। इस दौरान आरोपी ने चेमिन के साथ लगातार शारीरिक संबंध भी बनाया। इधर चेमिन के आरोपी के घर मौजूद रहने की जानकारी मिलने पर चेमिन के पति पदुम और उसका भाई धनेंद्र दोनों आरोपी के घर गए और चेमिन को समझा-बुझाकर वापस पदुम के घर ले आए, जिसके बाद से चेमिन अपने पति पदुम के साथ राजीखुशी रहने लगी, लेकिन आरोपी ओमप्रकाश लगातार चेमिन को अपने साथ शादी करने का दबाव देता रहता था, जिससे तंग आकर चेमिन ने आखिरकार 19 दिसंबर 2021 की दोपहर निंदानाशक जहर का सेवन कर लिया।
जिसे तत्काल गोबरा नवापारा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के लिए भर्ती करवाया गया, जहां से उसकी हालत को देखते हुए मेकाहारा रायपुर रिफर कर दिया गया था। 9 जनवरी 2022 को चेमिन की मृत्यु हो गई। इसके बाद मामले में गोबरा नवापारा पुलिस द्वारा विवेचना प्रारंभ की गई।
इस दौरान तमाम साक्ष्यों के उपरांत यह बात प्रमाणित हुई कि आरोपी ओमप्रकाश द्वारा शादी के लिए लगातार दबाव देने से तंग आकर चेमिन ने आत्मघाती कदम उठाया था। इसके बाद 19 फरवरी की रात को आरोपी के विरुद्ध आईपीसी की धारा 306 का अपराध दर्ज कर लिया गया और 20 फरवरी की सुबह गिरफ्तार कर लिया गया।
आरोपी की जुडिशल रिमांड लेने उसे न्यायालय रायपुर के समक्ष पेश किया जा रहा है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 20 फरवरी। पवित्र महानदी, सोंढूर, पैरी के त्रिवेणी संगम के राजीव लोचन मंदिर परिसर में आज अद्भुत नजारा देखने को मिला, जब पूरा मेला क्षेत्र विशाल विवाह मंडप में बदल गया था। अवसर था मुख्यमंत्री कन्या सामुहिक विवाह का। इस आयोजन में यहां 113 जोड़ों का सामूहिक विवाह सम्पन्न हुआ। राजिम माघी पुन्नी मेला के अवसर पर यह ऐतिहासिक पल था कि जिले गरीब 113 बेटियों के हाथ हजारों लोगों की गवाही में पीले हुए। भगवान श्रीराजीव लोचन और श्रीकुलेश्वर नाथ की पावन धरा में बेटियों को महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेडिय़ा, खाद्य मंत्री एवं जिले के प्रभारी मंत्री अमरजीत भगत, महासमुंद लोकसभा के सासंद चुन्नीलाल साहू, अभनपुर विधायक धनेंद्र साहू, धरसीवां विधायक श्रीमती अनिता योगेन्द्र शर्मा, जिला पंचायत अध्यक्ष स्मृति नीरज ठाकुर, स्थानीय जनप्रतिनिधि और अधिकारी-कर्मचारियों का आशीर्वाद मिला।
इस अवसर पर महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अनिला भेडिय़ा ने वर-वधु को आशीष और शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह एक शुभ अवसर है कि आज राजिम के पवित्र धरा पर सामुहिक विवाह सम्पन्न हुआ, जिसमें हजारों लोगों ने बधाई दिया है। उन्होंने कहा कि आज शुभ अवसर है जहां बेटियों को आशीर्वाद मिल रहा है। उन्होंने कहा कि परिवार की जिम्मेदारी बेटियों पर होती है। वे परिवार और समाज को जोड़ कर रखती है।
बेटियां शासन की योजना का लाभ उठाकर सक्षम बने। 3 प्रतिशत ब्याज की दर पर महिला कोष और सक्षम योजना से ऋण लेकर व्यवसाय प्रारम्भ कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने बेटियों के लिए ब्याज की दर को 6 प्रतिशत से कम कर मात्र 3 प्रतिशत कर दिया। उनके प्रति मंत्री श्रीमती भेडिय़ां ने आभार प्रकट किया। मंत्री ने नवदम्पति को सफल और स्वस्थ जीवन के लिए शुभकामनाएं दी।
शासकीय योजनाओं का लाभ उठाकर सक्षम बनें-अमरजीत
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रभारी मंत्री अमरजीत भगत ने कहा कि कोई भी परिवार अपने आप को कमजोर न समझे, सरकार हमेशा उनके साथ है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ के स्वाभिमान और सम्मान के लिए कार्य कर रहे हैं। कर्ज माफी सहित समर्थन मूल्य, मुख्यमंत्री कन्या सामूहिक विवाह योजना का जिक्र कर कहा कि सरकार हर वर्ग का ध्यान रख रही है। उन्होंने सरकार के तरफ से सभी नवदम्पति को बधाई और शुभकामनाएं दी। विधायक धनेंद्र साहू ने कहा कि हमारे प्रदेश के संवेदनशील मुखिया भूपेश बघेल द्वारा बेटियों की शादी के लिए दी जाने वाली सहायता राशि 15 हजार से बढ़ाकर 25 हजार रूपये कर दिया है। यह एक संवेदनशील निर्णय है।
उन्होंने सभी बेटियों को आशीर्वाद दिया। इस सामुहिक विवाह के अनुकरणीय पहल के लिए मंत्री श्रीमती भेडिय़ा ने कलेक्टर एवं स्थानीय प्रशासन को भी बधाई दी। इस अवसर पर नवापारा नगर पालिका अध्यक्ष धनराज मध्यानी, राजिम नपं. अध्यक्ष रेखा राजू सोनकर, जनपद अध्यक्ष फिंगेश्वर पुष्पा साहू, जिला पंचायत सदस्य लक्ष्मी साहू, भावसिंह साहू, पदमा दुबे, विकास तिवारी, कलेक्टर नम्रता गांधी, पुलिस अधीक्षक जेआर ठाकुर, जिला पंचायत सीईओ रोक्तिमा यादव एवं महिला बाल विकास के अधिकारी जगरानी एक्का तथा वर-वधु के परिवार व आगंतुक भी मौजूद थे।
गायत्री परिवार के वैदिक मंत्रोच्चार और रीति रिवाज से विवाह सम्पन्न हुआ। इसके पूर्व वधु एवं वर पक्ष से अधिकारी-कर्मचारी बाराती और घराती बने। वर पक्ष को बाजे-गाजे के साथ स्वागत कर बारात निकाली गई। वहीं वधु पक्ष ने फूल बरसाकर स्वागत किया। पूरा मेला स्थल विवाहमय नजर आ रहा था। इस सामुहिक विवाह में देवभोग से पहुंचे कन्या गीता, मालवी प्रधान, फिंगेश्वर के बैशाखिन तारक, कामिनी बंजारे, महेन्द्री छुरा के कुमारी दामिनी, डुमेश्वरी ने इस आयोजन के लिए शासन-प्रशासन का आभार प्रकट किया है। उन्होंने कहा कि यह शादी हमारे जीवन के लिए यादगार क्षण है।
महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेडिय़ा एवं खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने भगवान श्री राजीव लोचन व श्री कुलेश्वरनाथ महादेव के दर्शन कर प्रदेश की सुख समृद्धि की कामना की। वहीं श्रीकुलेश्वरनाथ महादेव मंदिर के पास बने डोम में स्थानीय लोक कलाकारों को भी अपनी कला प्रस्तुत करने का अवसर दिया जा रहा है। इस दौरान श्रीकुलेश्वरनाथ महादेव मंदिर के पास बने डोम में धमतरी जिला के ग्राम शुक्लाभाठा से पहुंची कलाकार श्रीमती गंगाबाई मानिकपुरी के पंडवानी प्रस्तुति का आनंद लिया। श्रीमती मानिकपुरी ने पंडवानी की पारंपरिक कला का प्रस्तुति करते हुए मंत्रियों को प्रभावित किया। उनके प्रस्तुति से मंत्री द्वय द्वारा पांच-पांच हजार रूपए का नगद सम्मान राशि श्रीमती मानिकपुरी को प्रदान किया। इस अवसर पर विधायक अनिता-योगेन्द्र शर्मा, जिला पंचायत अध्यक्ष स्मृति नीरज, जिला पंचायत सदस्य लक्ष्मी साहू, विकास तिवारी ठाकुर एवं स्थानीय जनप्रतिनिधि मौजूद थे।
महानदी मैया की आरती का दिख रहा आकर्षक नजारा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 20 फरवरी। माघी पुन्नी मेला में संगम घाट पर प्रतिदिन होने वाले महानदी मैया की आरती में बड़ी संख्या में श्रध्दालुगण जुट रहे है, स्थानीय पंडितों के द्वारा आरती किया जा रहा है। शनिवार को राज्य गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष महंत डॉ रामसुंदर दास महाआरती में शामिल होकर प्रदेश वासियों की सुख समृद्धि की कामना की। इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती स्मृति नीरज ठाकुर, राजिम नगर पंचायत अध्यक्ष रेखा-राजू सोनकर, जिला पंचायत सदस्य मधुबाला रात्रे, गरियाबंद कलेक्टर नम्रता गांधी एवं विकास तिवारी सहित स्थानीय जनप्रतिनिधि शामिल हुए।
मान्यता के अनुसार अगर कोई व्यक्ति मंत्र नहीं जानता, पूजा की विधि उन्हे मालूम न हो फिर भी वह आरती कर लेता है, तो भगवान उनकी पूजा को पूर्णरुप से स्वीकार कर लेते है। आरती हिन्दु धर्म की पूजा परम्परा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। कार्यों की सफलता के लिए या फिर अनुष्ठान में किसी प्रकार की कमी रह जाय तो उन्हे पूर्ण करने के लिए आरती किया जाता है। साल भर में छत्तीसगढ़ शासन के प्रयास से माघी पुन्नी मेला से महाशिवरात्रि तक लगातार 15 दिनों तक आरती में सम्मिलित होने का लोगों को सुअवसर मिल रहा है। संचालक संतोष शर्मा कुंभज ने बताया की वैदिक मंत्रों के उच्चारण के साथ ही आरती के भजन प्रस्तुत किये जा रहे है।
आरती में किसी प्रकार से जाति, धर्म आदि नहीं देखा जाता बल्कि सभी लोग श्रध्दा से आरती कर रहें है। हम अपने जीवन में अपने घरों में आरती करते रहते है परन्तु त्रिवेणी मैया की आरती का सौभाग्य जीवन को धन्य बना रही है। बताना होगा की आरती से पहले श्री राजीवलोचन भजन संध्या ग्रुप के द्वारा धार्मिक भजनें प्रस्तुत किया जा रहा है। जिसमें श्रध्दालुगण ताली बजाकर भजनों का रसास्वादन कर रहे है। संमिति के संरक्षक पंडित अर्जुन नयन तिवारी, महाआरती संयोजक अशोक श्रीवास्तव एवं विकास तिवारी ने बताया की महानदी की आरती से छत्तीसगढ़ की माटी धन्य हो गई है।
मॉं गंगा हम सबके जीवन में रचा बसा हुआ है। उनके कृपा से ही सुख समृध्दि फैली हुई है। आरती का यह आलौकिक दृश्य देखने ना सिर्फ स्थानीय लोग बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ से आना-जाना लगा हुआ है।
महाआरती के आचार्यगण पंडित विजय शर्मा, कन्हैया तिवारी, संतोष मिश्रा, ऋषि तिवारी, संस्कार मिश्रा, आदित्य मिश्रा इस कार्य में निरंतर अपनी सहभागिता बनाये हुए है। जिला कलेक्टर नम्रता गॉंधी, पुलिस अधीक्षक जेआर ठाकुर, जिला पंचायत के सीईओ रोक्तिमा यादव, अपर कलेक्टर जे.आर. चौरसिया, एसडीएम अविनाश भोई, मुख्य नगर पालिका अधिकारी चंदन मानकर, पुजारी श्रवणसिंह ठाकुर, नगर पंचायत अध्यक्ष रेखा सोनकर, पद्मा दुबे, प्रीति पाण्डे, मनीषा शर्मा, टंकू सोनकर, पुष्पा गोस्वामी का निरंतर सहयोग मिल रहा है।
तुलाराम ने प्रस्तुत की धार्मिक भजन
श्री राजीवलोचन भजन संध्या ग्रुप के कलाकार महानदी मैया की महाआरती पर लगातार भजनों का आगाज कर रहे है। श्रोतागण इन्हे बहूत ही पसंद कर रहे है। ग्रुप के संचालक तुलाराम साहू के साथ ही भूपेन्द्र सोनकर, गायिका एश्वर्या साहू, रामकुमार देवांगन, ओजस्वदास, की प्रस्तुति के श्रध्दालुगण कायल हो गये है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 20 फरवरी। भगवान राजीव लोचन मंदिर के प्रवेश द्वार से लगा हुआ साक्षी गोपाल का मंदिर दो खंभों में टीका हुआ है। विग्रह बढ़ते क्रम है, सबसे ऊपर में साक्षी गोपाल भगवान विराजमान है। मोरपंख लगाए हुए मुख की शोभा श्रद्धालुओं को खासा प्रभावित कर रही है। बताते है कि ईश्वर से याचना करने पर उनके साक्षी, साक्षी गोपाल ही रहते है। पुजारी अविनाश राजपूत ने बताया कि साक्षी गोपाल का मंदिर उडी़सा के जगन्नाथ मंदिर में है उसके बाद राजिम के श्रीराजीव लोचन मंदिर में स्थापित है। विग्रह अत्यंत मनमोहनी है। श्रद्धालुगण देवदर्शन पश्चात् मनोकामना को दोहराने के लिए यहां जरूर पहुंचते है।
आमतौर पर देखा जाता है कि देव गर्भगृह में एक या फिर दो देव ही रहते है परंतु यहां छ: देव जिनमें साक्षी गोपाल के अलावा विष्णुजी, बालाजी, राहू, केतु एवं शनिदेव प्रतिष्ठित है। सामने खंभे पर भैरवबाबा के साथ ही ऊपरी छोर पर बालि-सुग्रीव को युद्ध करते हुए दिखाया गया है। पूरे छत्तीसगढ़ में साक्षी गोपाल का यह मंदिर अत्यंत अनोखा है। जानकारी के अनुसार 8वीं शताब्दी में भगवान श्रीराजीव लोचन का मंदिर बनाया गया, तब समूह के अंतर्गत इस मंदिर को आकार दिया गया।
अत: यह श्रीराजीव लोचन मंदिर के समकालिन बनाया गया है। बताना जरूरी है भगवान श्रीराजीव लोचन मंदिर के चारों कोण में वराह अवतार, बद्री अवतार, वामन अवतार एवं नृसिंह अवतार के चारों धाम स्थापित है जिनके मध्य में साक्षी गोपाल का मंदिर है। मंदिर चतुर्भुजाकार है, खंभों के सहारे ललाटबिम्ब शोभा पा रहे है। यहां देशभर से लोग प्रतिदिन दर्शन पूजन के लिए पहुंचते है। मेला के तीसरे दिन भी श्रद्धालु दर्शन पूजन करते रहे। इस संबंध में महेन्द्र सिंह ठाकुर ने बताया कि सुबह-शाम दो बार पूजन के बाद भोग प्रसादी चढ़ाया जाता है। मंदिर ट्रस्ट के सहव्यवस्थापक सुनील शर्मा ने कहा कि भक्तगण यहां दर्शन करने के बाद प्रसन्न हो जाते है जो उनके चेहरे से स्पष्ट रूप से झलकती है।
बाजा से जंगल, चिडिय़ा, झरना, नदी, हाथी, चीता, शेर, खरगोश की हुबहु निकालते हैं आवाज
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 20 फरवरी। छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध लोक कलाकार रिखी क्षत्री किसी परिचय के मोहताज नहीं है, उनके रग-रग में छत्तीसगढ़ की लोक कला और संस्कृति रची बसी है। कार्यक्रम प्रस्तुति के बाद मीडिया सेंटर पहुंचे लोक रागिनी लोक कला मंच भिलाई के रिखी क्षत्री ने चर्चा में बताया कि 26 सदस्यों को लेकर प्रारंभ में कार्यक्रम की प्रस्तुति देते और सीखने का क्रम जारी किये।
वर्तमान में कुल 38 कलाकार है। 40 वर्षो से कला की साधना कर रहे है। पूर्वजों को दी हुई धरोहर वाद्ययंत्र लुप्त होने के कगार में है, जिसे सहेजना है। पुरातन गीत और वाद्ययंत्रों को बचाकर रखना, उन्हें स्थापित करना और आने वाली पीढ़ी के लिए संरक्षित रखना हमारी लोक कलामंच का उद्देश्य है। 1999 से लोक रागिनी कलामंच का जो सफर चालू हुआ, वो हमेशा आगे ही बढ़ता रहा। वैसे तो 15 वर्ष दूसरे के सानिध्य में रह कर कार्य किया। लुप्त हो रहे वाद्ययंत्रों की जानकारी देते हुए बताया कि 175 वाद्ययंत्र अभी मेरे पास संरक्षित है, जिसमें 20 से 25 विलुप्त हो गये है।
जिनकी जानकारी बहुत कम लोगों को है। खीरकीची, दंडारी, ठहरी, ओलकोजा, चरहे, टेहडोर और कुटेला वाद्ययंत्र है। 43 वर्षो तक वाद्ययंत्रों के बारे में सर्च करके अलग-अलग स्थानों में भटकने के बाद बहुत बड़ी उपलब्धि मुझे मिली है। छत्तीसगढ़ के वाद्ययंत्र के बारे में संपूर्ण जानकारी पर मेरे द्वारा पुस्तक लिखा गया है, जिसमें उसके पूरे इतिहास को बताया गया है। इस पुस्तक को 8 भागों में बांटा गया है सभी के बारे में विस्तार से बताया गया है। हम नये कलाकारों को तैयार करने के लिए प्रशिक्षण देते है जिसमें हमारे द्वारा संग्रहालय में संरक्षित वाद्ययंत्रों की जानकारी बारीकी से दी जाती है।
आगे विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि वे वाद्ययंत्र में इस प्रकार डूब चुके है कि बाजा से जंगल, चिडिय़ा, झरना, नदी और बहुत सारे आवाज को हुबहु निकालते है। इस प्रकार के विचार कहां से आया पर कहते है इस क्षेत्र में बचपन से रूचि थी। बड़ा होने पर केन्द्र सरकार से प्रोजेक्ट मिला, जिसमें आदिवासी छत्तीसगढ़ी संगीत को बजाने का, टोटल कलेक्शन करने का कार्य मिला। अपनी शिक्षा के बारे में बताया कि लोक संगीत में एमए खैरागढ़ से किया है। अब तक दिल्ली में 2 प्रधानमंत्री के द्वारा स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया है। कहा कि संस्कृति को सहेजने में अपना जीवन बीता दिया। शासन से एक यही मांग है कि इस सहेजे हुए 175 प्रकार के वाद्ययंत्रों को भावी पीढ़ी को हस्तांतरित करने के लिए संग्रहालय बनवा दें। जिसमें हमारे पूर्वजों द्वारा दी गई धरोहर को सहेज कर रख सकें।
हम सम्मान की भूखे नहीं है, बस शासन से यही मांग है इसे गंभीरतापूर्वक विचार इस मांग को जल्द-जल्द पूरा करें। युवाओं को संदेश देते हुए कहे कि अगर प्रदूषण समस्या है तो फिर से पेड़़ लगा सकते लेकिन लोक संगीत खत्म हुआ तो उसे कोई जिंदा नहीं कर सकते हमारी पहचान ही खत्म हो जायेगी।
छत्तीसगढ़ की माटी से प्रेम करें उसकी संस्कृति, सभ्यता और इतिहास को जाने, समझे और मेहनत करने में कभी पीछे न हटे। इसकी महत्ता को पूरे विश्व पटल पर फैलाए। छत्तीसगढ़ शासन का कार्य बहुत ही प्रसंशनीय है। इस प्रकार का आयोजन होने से कलाकारों को मंच मिलता है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 20 फरवरी। छत्तीसगढ़ी दाई की भाखा है इसे बोलने एवं सुनने से अपनापन का बोध होता है। सबसे ज्यादा मिठास इसमे भरी हुई है। बचपन से अभी तक हजारो मंचो मे छत्ताीसगढ़ी में प्रस्तुति देना मेरे लिए गौरव की बात रही है। पंडवानी की परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए प्रदेश सरकार स्कूलो में पढ़ाई के लिए अलग से कक्षा चलाएं। इससे बच्चो की झुकाव धर्म के साथ-साथ ग्रंथो की ओर बढ़ेगी।
उक्त बातें राजिम माघी पुन्नी मेला में प्रस्तुति देने पहुची प्रसिद्ध पंडवानी गायिका ऋतु वर्मा ने पत्रकारो से चर्चा के दौरान व्यक्त किया। उन्होने आगे बताया कि 6 वर्ष की उम्र में पंडवानी की प्रस्तुति देना शुरू कर दी थी। 10 साल की उम्र में अगस्त 1989 को पहेली बार विदेश में प्रस्तुति दी। जापान की यह प्रस्तुति ने ऋतु वर्मा की प्रतिभा को उभारने का काम किया। ऋतु वर्मा ऐसी प्रतिभा सम्पन्न बाल कलाकार थी, जिन्होने शानदार प्रस्तुति देकर भारत का नाम विदेश में प्रसिद्ध कर वहां घुटनो के बल बैठकर और एक हाथ में तमुरा लेकर पूरे आत्मविश्वास के साथ महाभारत के प्रसंग पर बेबाक प्रस्तुति के रूप में पहचानी गई। अभी तक पन्द्रह हजार से भी अधिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर चुकी है। उन्होने बताया कि गुरू स्व. बंसल नायक एवं स्व. गुलाब दास मानिकपुरी है।
वह महाभारत के कथा को बता देते थे और मुझे उसे दुहराने के लिए एक घंटा का समय देते थे। इस अंतराल मे मैं बार बार बोलकर कण्ठस्थ करती। महाभारत के 18 पर्व पूरी तरह से याद है। अभी तक स्कूल के बरामदे में कदम नही रखी है अर्थात उनकी पढ़ाई बिलकुल शुन्य है। फिर भी वह महौल मिलने से हिन्दी फटाफट बोल लेती है। अंग्रेजी के काम चलाउ शब्द के मिनिंग वह जानती है। 17 देशों में इन्होने पंडवानी की प्रस्तुति दी है। चार बार ब्रिटेन के लंदन के अलावा फ्रांस, अमेरिका, रूस, अर्जेनटाइना, इण्डोनेशिया आदि देशों में भारत का मान बढ़ाया है। इन्हें बिस्मील्ला खां अवार्ड, कला श्री सम्मान, मानसिंह सम्मान, भुईया सम्मान आदि आवार्डेेड प्राप्त है।
एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने बताया कि मुकाम तय करने के लिए मेहनत ईमानदारी के साथ हो तो सफलता जरूर मिलती है। पंडवानी सीखने के लिए मैं रात और दिन कोई भी समय बस कहीं भी बैठ कर प्रस्तुत करती रही, नतीजा बेदमती शैली में निपुर्णता का वरदान मिला। उन्होने बताया कि राजिम मे कई बार प्रस्तुति दी है। 2017 में भी कार्यक्रम दिया था, परन्तु अब छश्रीसगढ़ शासन के द्वारा अच्छी सुविधा दी जा रही है। जिसका मैं खुले मन से प्रशंसा करती हूँ। मुझे प्रसिद्धी नई दिल्ली संगीत नाटक अकादमी में मिली। वहां कार्यक्रम दे कर जापान जाने का अवसर मिला। नये कलाकारों को संदेश देते हुए कहा कि छश्रीसगढ़ की परम्परा को जीवित रखें। आने वाले पीढ़ी इसे सहेज कर रखें। जबतक स्वांस है तब तक पंडवानी करती रहूँगी और इसे बढ़ाने का प्रयास करूंगी।
राजिम, 20 फरवरी। राजिम माघी पुन्नी मेला में रविवार को नागा संत सन्यासियों ने अपने ईष्ट दत्तात्रेय भगवान का पूजा-आरती कर अपनी धर्मध्वजा की स्थापना की। धर्म ध्वजारोहण कार्यक्रम में सुबह से ही इस अनुष्ठान को लेकर नागाओं ने गजब का उत्साह था। श्रद्धालुओं का हुजुम बेरिकेट के बाहर इनके जोशीले आयोजन को देखने श्रद्धा पूर्वक जुटे थे। नागा साधुओं द्वारा आवश्यक पूजन-अनुष्ठान के बाद यज्ञ हवन भी किया गया। हर-हर महादेव की जयगोष से पूरा स्थल गूंज उठा।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 20 फरवरी । छत्तीसगढ़ के प्रयाग राज धर्म नगरी राजिम की पहचान भगवान श्री राजीव लोचन मंदिर प्राचीन भारतीय सभ्यता का जीता जागता प्रमाण है, इसकी भव्यता देखते ही बनती है। छत्तीसगढ़ के प्रयाग के रूप में प्रख्यात राजिम की ख्याती राजीव लोचन मंदिर व यहां विराजे भगवान विष्णु के साथ जुड़ी है। वहीं नदी के दूसरी ओर श्रीकुलेश्वर महादेव का मंदिर इस प्राचीन नगरी को अदभुत बनाती है।
राजिम का राजीव लोचन मंदिर आठवीं शताब्दी का है। इसके जन्मदिन के अवसर पर प्रतिवर्ष माघ पूर्णिमा से महाशिवरात्रि तक मेला आयोजित किया जाता है। भले ही मेले का स्वरूप बदला हो लेकिन इसकी पौराणिक मान्यता युगों-युगों तक बरकरार रहेगी।
धर्म नगरी राजिम का प्राचीन नाम कमलक्षेत्र है। ऐसी मान्यता है कि सृष्टि के आरम्भ में भगवान विष्णु के नाभि से निकला कमल यहीं पर स्थित था और ब्रह्मा जी ने यहीं से सृष्टि की रचना की थी। इसीलिए इसका नाम कमलक्षेत्र पड़ा।
राजिम में महानदी, पैरी नदी तथा सोंढुर नदी का संगम होने के कारण यह स्थान छत्तीसगढ़ का त्रिवेणी संगम कहलाता है। संगम के मध्य में कुलेश्वर महादेव का विशाल मंदिर स्थित है। कहा जाता है कि वनवास काल में श्री राम ने इस स्थान पर अपने कुलदेवता महादेव की पूजा की थी।
ड्रोन कैमरे में दिखी नगर की भव्यता
राजिम नगरी की भव्यता को ड्रोन कैमरे की नजर से देखने का प्रयास किया गया। इस दौरान धर्म नगरी की भव्यता देखते ही बनती है। आसमान की ऊंचाई से श्रीराजीव लोचन मंदिर से लेकर महानदी व पूरा नगर एक खास स्वरूप में नजर आया।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 19 फरवरी। राजिम माघी पुन्नी मेला के मुख्यमंच को इस वर्ष विशेष रूप से तैयार किया गया है। इसकी भव्य सुंदरता देखते ही बनती है। मंच सज्जा करते प्रभारी विभाग के कर्मचारियों से चर्चा करने पर बताया कि मुख्य सांस्कृतिक मंच को कलाकारों के कार्यक्रम के अनुरूप इसमें एल.ई.डी. लगाया गया है और मंच को गोल्डन फ्रेम से मंदिर का आकार दिया गया है। जिसमें एलईडी के ऊपर भगवान शिव पार्वती, श्री राजीव लोचन और गंगा मैया के छायाचित्र को फ्रेम अंदर स्थापित कर लाईटों से सुसज्जित किया गया है तथा स्वागत द्वार में बाँस से बनी जालीदार चटाई के बीचों बीच टोकरी में गेंदा फूल से बना स्वास्तिक बहुत ही आकर्षक दिखाई दे रहा है।
मंच के दायीं ओर भगवान श्री राजीव लोचन की प्रतिमा को भी गोल्डन फ्रेम के मंदिर में विराजीत किया गया है। मंच को विभिन्न प्रकार के रंगीन लाईटों से भी सजाया गया है। मंच के आऊटर को भी गेंदा फूल के झालरों से सजाया गया है तथा मंच के सामने भाग में छोटे-छोटे गमलों से सजे पौधे बहुत ही सुन्दर दिखाई दे रहे है और नीचें लगे रंग-बिरंगे मुलायम कॉरपेट मंच की शोभा बढ़ा रहे है।
मंच पर लगे एलईडी में कार्यक्रमों प्रदर्शित किया जा रहा है, जिससे दर्शक दीर्घा में बैठे मेलार्थियों को स्पष्ट रूप से मंच पर होने वाले कार्यक्रम दिखाई पड़ते है। मंच के दायीं ओर भी प्रोजेक्टर के माध्यम से पर्दे पर फोकस किया जा रहा है, रंग-बिरंगे डिस्को लाईट लोगों का मनमोह रहा है। जिससे वे कार्यक्रमों को देखकर उनका भरपूर आनंद उठा रहे है।
इस बार दर्शकदीर्घा को भी अलग-अलग ब्लाकों में बाँटा गया है। जिससे दर्शकों को कार्यक्रमों का आनंद उठाने में किसी प्रकार की समस्या नहीं हो रही है। किसी भी कलाकार के लिए सबसे प्रमुख आधार सांस्कृतिक मंच होता है, जिसकी साज सज्जा, सुन्दरता और बनावट कलाकारों के उत्साह को दुगुना करती है और उन्हें अपने कला को अच्छे ढंग से प्रदर्शित करने में सहयोग प्रदान करती है और जनमानस को अपनी ओर सहज ही आकर्षित कर लेती है।
कार्य इस बार माघी पुन्नी मेला में बहुत ही विचार मंथन के बाद कुछ अलग करने की सोंचे और मुख्य सांस्कृतिक मंच के साथ ही स्थानीय सांस्कृतिक मंच को शानदार सजावट किया गया है। जिसकी प्रशंसा दर्शक और कार्यक्रम देने आये छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध कलाकार कर रहे है। रात्रि के समय सबसे अधिक भीड़ महोत्सव स्थल में होती है। लोगों का कहना है की इस बार मंच बहुत ही शानदार बना है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 19 फरवरी। छत्तीसगढ की प्रसिद्ध त्रिवेणी संगम राजिम मेला का दृष्य अत्यंत सुहावना हो गया है। राजिम पुल से लेकर बेलाही घाट पुल एवं चौबेबांधा पुल तक लाइटों की रोशनी से जगमग दिख रहा है। आने वाले श्रद्धालुओं को तकलीफ न हो इस बात ध्यान रखते हुए मेला प्रशासन ने सडक़ो पर लाइट लगाकर व्यस्थित कर दिया है।
दूसरी ओर नदी की रेत पर तकरीबन पांच किलोमीटर की दूरी तक अस्थाई शहर बसा हुआ है। प्रयाग नगरी के प्रथम दर्शन मामा-भांचा मंदिर से लेकर सीधे कुलेश्वरनाथ महादेव एवं लोमष ऋषि आश्रम के पिछला भाग से होते हुए नेहरू घाट नवापारा से अटल घाट राजिम तक अस्थाई रेत की सडक़ें बनाई गई है।
वाहनों के लिए पत्थर बिछाकर आवागमन को व्यस्थित किया गया है इस बार सडक़ो की चौड़ाई 12 की जगह 15 फीट कर दी गई है इससे श्रध्दालुओ को घुमने में कोई दिक्कत नहीं हो रही है। प्रदेश शासन की सोच एवं जिम्मेदार अधिकारियों की मेहनत स्पष्ट रूप से दिखायी दे रही है। मेला इस वर्ष पुरानी जगह लगा हुआ है। प्रतिदिन हजारो श्रध्दालु दर्शन भ्रमण के उपस्थित हो रहे है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 19 फरवरी। माघी पुन्नी मेला में छत्तीसगढ़ के विभिन्न स्थानों से आये प्रसिद्ध कलाकारों द्वारा मनमोहक प्रस्तुति दी जा रही है। छत्तीसगढ़ी लोककला और संस्कृति को कर्मा, ददरिया, सुवा, पंडवानी और भरथरी के माध्यम से पारंपरिक वेशभूषा और नृत्य गीत के माध्यम से छत्तीसगढ़ की महिमा का बखान कर रहे है जिसकी प्रसिद्धि दूर-दूर तक फैल रही हैं। शाम होते ही मुख्य मंच पर सांस्कृतिक आयोजन का लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं पूरे महोत्सव स्थल में दर्शकों की खचाखच भीड़ जुटी रहती है। एक से बढक़र एक कार्यक्रम को देख दर्शक भाव विभोर हो झूम उठते है।
मुख्य मंच पर द्वितीय दिवस नवापारा-राजिम के लोक प्रयाग कला मंच के कलाकारों ने धूम मचाई। सरस्वती वंदना के माध्यम से छत्तीसगढ़ महतारी और आकर्षक दुर्गा झांकी की बेहतरीन प्रस्तुति दी गई। लोक प्रयाग मंच राजिम के संचालक राजेश साहू ने साक्षात्कार के दौरान बताया कि है लोकमंच की स्थापना 26 नवंबर 2020 में मात्र सात सदस्यों के साथ किया गया था, वर्तमान में हमारी टीम में कुल 35 सदस्य है। इस क्षेत्र में आने का उद्देश्य बताते हुए कहा कि बचपन से ही नृत्य गीत से जुड़ाव था।
कुछ उत्साही युवा मंच बनाने का प्रस्ताव लेकर आये। उस पर विचार कर एक ही शर्त था कि खुद का संगीत हो दूसरे मंच का नकल न हो, तब जाकर यह मंच बना। शुरुवाती समय बहुत संघर्ष भरा रहा, पहले जगह की कमी थी, किराये से लेकर सभी कलाकारों का निरंतर अभ्यास लगन मेहनत और कुछ करने की ललक से आज इस मुकाम तक पहुँचे। उन्होंने बताया कि पहला शो हरिहर स्कूल में खुद मंच तैयार कर किया और प्रस्तुति दिए। शिवरात्रि के समय धमतरी जिले में बहुत बड़े समारोह का निमंत्रण आया।
वहाँ कार्यक्रम देने के बाद हमने कभी पीछे मुडक़र नही देखा, लगातार कार्य कर रहे है। अब तक छत्तीसगढ़ के कई स्थानों में लगभग 58 प्रोग्राम दिए है। इसके अलावा अन्य राज्य महाराष्ट्र, दमोह में भी हमने छत्तीसगढ़ की महक बिखेरी है। राजेश साहू ने आगे बताया अन्य मंच और हमारी टीम में कुछ अंतर है। गीत स्व रचित है। राजकीय गीत में विभिन्न राज्य की संस्कृति को दर्शया है, जिसमे प्रमुख है पंथी, पंडवानी, राउत, नाचा प्रमुख है। नये कलाकारों को संदेश देते कहा कि कार्यक्रम ऐसा हो जिसमें किसी जाति, धर्म, संस्कृति आहत न हो।
हमारी टीम का उद्देश्य विलुप्त हो रही संस्कृति को एक मंच पर दिखाना है। उन्हें पुनर्जीवित कर स्थापित करना है। माघी पुन्नी मेला में कार्यक्रम देना एक सपना था। इस मंच पर पहली बार आकर हमें बहुत ही सुखद अनुभूति हुई। दर्शकों का भरपूर प्यार और स्नेह मिला। बहुत ही अच्छी व्यवस्था है, सब कार्यक्रम व्यवस्थित है। पहले से बहुत परिवर्तन हुआ है। कलाकारों को प्रोत्साहित करने का कार्य छत्तीसगढ़ शासन कर रही, जिसके लिए वे धन्यवाद के पात्र हैं।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 19 फरवरी। राजिम माघी पुन्नी मेला के सांस्कृतिक मंच क्रमांक 2 पर फाग गीतों की रंग उड़ रही थी। यह ऐसा पक्का रंग था, जो कोई भी सुने रंगते गये। हम बात कर रहें है बेमेतरा के रामेश्वर देवांगन के फाग गीतों की। उन्होंने पारंपरिक लोकगीतों के धुन पर नगाड़े की थाप में गीतों की बौछार कर दी।
गरियाबंद के प्रेम यादव के आदिवासी नृत्य में 16 से 20 साल की बालिकाओं ने काम्बीनेशन बनातेेेेेेेेेेेेे हुए एक चाल पर एक साथ मिलाकर नृत्य का आगाज किया, तो लोग देखते ही रह गये और इस तरह से राजिम मेला में आदिवासी संस्कृति मंच पर उतर आयी। खट्टी पांडुका के पुनाबाई बंसोड़ ने पंडवानी की प्रस्तुति देकर भावविभोर कर दिया।
सुरसाबांधा के रूपेन्द्र साहू ने जस झांकी की शानदार प्रस्तुति दी। चौबेबांधा के लक्ष्मीनारायण मानस मंडली के दीपक श्रीवास ने धार्मिक भजन प्रस्तुत कर श्रोताओं का ताली बजाने के लिए मजबूर कर दिया।
व्याख्याकार संतोष कुमार सोनकर ने सुंदरकांड प्रसंग पर कहा कि रामायण जीवन जीने की कला सीखाती है। उन्होंने तुलसी पौधे के महत्व को प्रतिपादित करते हुए कहा कि इसमें ब्रम्हा, विष्णु एवं महेष का वास होता है, इनके रहने से सकारात्मक ऊर्जा फैलती है जब तक पौधा हरा-भरा रहता है। अच्छे विचार का परिवार के सदस्यों में समावेश होता है। उन्होंने आगे कहा कि संगति अच्छे लोगों से होने चाहिए। जैसे माहौल देंगे वैसे हमारे आने वाली पीढ़ी पल्लवित होगा इसलिए छोटे बच्चों के सामने कभी भी गलत वाचन न करें। अच्छे शब्दों के उच्चारण जीवन का ऊचाईयां प्रदान करती है। कार्यक्रम देने वाले सभी सदस्यों को मंच से ही सम्मानित किया गया।
मौके पर अंचल के प्रसिद्ध रामायणी रेखराम साहू सहित अनेक लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन मनोज सेन एवं दुर्गेश तिवारी ने किया। कार्यक्रम के संयोजक पुरूषोत्तम चंद्राकर ने बताया कि 19 फरवरी दिन शनिवार को रामायण सावन ध्रुव झितरी डुमर छुरा, सतनाम मंगल भजन चंद्रिका बंजारे पितईबंद, आदिवासी नृत्य गिरवर धु्रव कोसमबुड़ा, पंडवानी गंगाबाई मानिकपुरी शुक्लाभाठा, सुआ नृत्य पुनाबाई ध्रुव, चंपारण की प्रस्तुति होगी। कार्यक्रम सुबह 11 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक चलेगा।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 19 फरवरी। राजिम माघी पुन्नी मेला के मुख्य मंच के समीप बने डोम में जिला परिवहन कार्यालय जिला गरियाबंद, लोक सेवा केन्द्र एवं महिला सशक्तिकरण शिविर का आयोजन गरियाबंद पुलिस अधीक्षक जेआर ठाकुर के मार्गदर्शन में किया गया।
जिसमें थाना प्रभारी वेदमती दरियो ने महिला हिंसा निवारण के बारे में महिलाओं को महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए बताया कि महिला हिंसा निवारण कार्यालय गरियाबंद में स्थित है। अभिव्यक्ति ऐप, मुस्कान ऐप, गर्जना और उड़ान ऐप्स के द्वारा महिलाओं को सशक्त बनाने का कार्य पुलिस प्रशासन द्वारा लगातार किया जा रहा है। वर्तमान परिवेश में महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखकर उन्हें जागरूक होना और बचाव के विभिन्न तरीके जानना जरूरी है। टीआई दरियो ने लाईव डेमो के माध्यम से बताया गया कि अकेले सुनसान राह में चलते हुए अगर कोई शरारतीतत्व छेडख़ानी करें तो डरने के बजाये पूरे आत्मविश्वास के साथ उसका मुकाबला करें एवं तत्काल शिकायत करें।
अपराधी के नाजुक अंगों जैसे आंख, नाक, कान पर वार करके हम बचाव कर सकते है। यदि कोई आपके पीछे से हाथ को पकड़े तो झुककर उसके हाथ को मोड़ दे जिससे उसकी पकड़ छुट जायेगी।
आप किसी से लिफ्ट मांगकर मोटर गाड़ी में जा रहे है और आपके मना करने पर भी वह गलत नियत से गाड़ी नहीं रोकता है तो चुन्नी, स्कार्फ या आंचल को उसके गर्दन में फंसाना, जिससे उसे दुर्घटना का डर हो जायेगा और वह अपने मंसुबे में कामयाब नहीं हो पायेगा। आपके पास सुरक्षा के कोई वस्तु नहीं है, तो हथियार के रूप में चुड़ी, हेयरपिन का इस्तेमाल कर सकते हैं, अपने बचाव के लिए आप ये हथकंडा अपना सकते है।़
अभिभावक अपनी छोटी बच्ची को स्कूल भेजते है तो उसे जागरूक बनाये और गुड टच बेड टच के बारे में बताए। किसी भी बच्चियों के साथ दुर्वव्यहार होने पर 1098 डॉयल कर पुलिस की सहायता ले सकते है।
गलत बातों का विरोध करें, उसे जवाब दें। साइबर फ्राड की जानकारी देते हुए लोगों को सतर्क किया गया कि फर्जी कॉल पर ध्यान न दें, अपना बैंक डिटेल, आधार नंबर, ओटीपी नंबर किसी के साथ शेयर न करें। रूपये का लालच देकर सीधे-साधे लोगों को कुछ कंपनी अपने झांसे में फंसाकर खूब सारा पैसा ऐंठ लेते है इससे हमें बचना चाहिए।
जिला परिवहन कार्यालय गरियाबंद द्वारा लगाये गये शिविर में यातायात के नियमों के बारे में बताया गया। जिला परिवहन अधिकारी मृत्युंजय पटेल ने जानकारी दिया कि इस शिविर का आयोजन प्रात: 10 से 5 बजे तक किया गया है। इसमें अधिक से अधिक संख्या में लोग लर्निंग लाईसेंस बनवाने आ पहुंचे थे, इसके लिए लगभग 300 लोग लर्ऩिंग लाईसेंस के लिए आवेदन किये है। इसी डोम में लोक सेवा केन्द्र गरियाबंद के शिविर का भी आयोजन किया गया था। जिसमें मेलार्थी अपना आधार नंबर अपडेट करा रहे थे। शिविरों में बड़ी संख्या में आम नागरिक उपस्थित थे।
मेहनत और लगन से कला की बारीकियों को समझें नए कलाकार
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 19 फरवरी। छत्तीसगढ़ी बोली भाषा और रहन-सहन आचार व्यवहार और वेशभूषा सहज ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। दूर-दूर तक इसकी ख्याति फैली है। वैसे में छत्तीसगढ़ की प्रयाग नगरी राजिम में प्रतिवर्ष होने वाले माघी पुन्नी मेला में सैकड़ों लोग आते है और सांस्कृतिक मंच पर हो रहे छत्तीसगढ़ की संस्कृति को देखकर बहुत ही खुश होते है।
सांस्कृतिक आयोजन में कलाकारों द्वारा विलुप्त हो रही कला को जिसमें कर्मा, सुआ, ददरिया, पंथी, पंडवानी, राउतनाचा, डंडा नृत्य, देवार नृत्य को संरक्षित रखने का कार्य छत्तीसगढ़ शासन कर रही है, जिससे आने वाली युवा पीढ़ी इसका अनुकरण कर सके। मीडिया से चर्चा के दौरान लोक मया मंच कुम्हारी के संचालक महेश कुमार वर्मा ने बताया कि मेरे द्वारा एक था गधा, लक्ष्मी वैष्णव, अपोलो हास्पीटल, मैं बिहार से चुनाव लडूंगा आदि का नाट्कीय रूपांतर किया गया।
लगभग 30-35 वर्षो से प्रस्तुतीकरण किया जा रहा है। आगे बताया कि छत्तीसगढ़ थियेटर में स्क्रिप्ट लेखन कार्य भी मैनें किया है। प्रसिद्ध जसगीत तोला बंदौ ओ दाई तोला बंदौ.... का लेखन वे स्वयं किये है। इसके टीम में कुल 25 सदस्य है। सर्वगुणों से संपन्न छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध कलाकार महेश वर्माजी आकाशवाणी रायपुर में उद्घोषक के रूप में भी कार्य किये है। श्रम साहित्य रत्न पुरूस्कार मध्यप्रदेश से सम्मानित हुए।
टीम के गायक राजेन्द्र साहू, गंगाराम साहू सीता वर्मा, रीता निषाद और साथ में 6 साल की बच्ची भी है। बहुत मार्मिक ढंग से चर्चा करते हुए बताया कि छत्तीसगढ़ की कला एवं संस्कृति से इतना जुड़ाव है कि लंग्स कैंसर से पीडि़त होने पर भी रूके नहीं पूरे देश में लगातार प्रोग्राम कर रहे है। लगभग 50 टेलीफिल्म के लेखक रह चुके है जिसमें अपराजिता, नैना, गोपीचंदा, लड्डू आदि है।
भोपाल के प्रमुख हिंदी थियेटर के डायरेक्टर अलखनंदन, दिनेश दीक्षित, एक.के.रैना के बैनर तले नाटककार के रूप में काम किये है। नये कलाकारों को संदेश देते हुए कहा कि वे पूरी मेहनत व लगन से कला को सीखें उनकी बारिकियों को समझे। पहले और अब के कला मंच में अंतर बताते हुए कहा कि पहले की कला जन कल्याण के लिए होता था, लेकिन अब की कला व्यवसाय बन चुका है।
आज महेश वर्मा किसी परिचय का मोहताज नहीं है, उन्हें उनके मंचन में अभिनय के कारण मंगलू भैय्या व कल्लू दादा के नाम से भी जाना जाता है। मुख्यमंच पर प्रस्तुति देकर हम गदगद हो गये, वैसे तो हर वर्ष यहां आते है। इस वर्ष मुख्यमंच बहुत ही आकर्षक लगा और यहां की व्यवस्था पहले से बहुत अच्छा लगा। मीडिया सेंटर के संचालक श्रीकांत साहू, रोशन साहू, युवराज साहू, योगेश साहू ने पुष्प एवं फोटोफ्रेम भेंट कर सम्मानित किया।
रिखी क्षत्रिय और रजनी रजक के कलाकारों ने दी मनमोहक प्रस्तुति
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 19 फरवरी । माघी पुन्नी मेला मुख्य मंच पर सांस्कृतिक बेला में छत्तीसगढ़ की बेटी कहे जाने वाली पंडवाणी गायिका ऋतु वर्मा ने महाभारत प्रसंग के अंतर्गत द्रोपति और कृष्ण भगवान के संवादों को अपने चिर-परिचित अंदाज में वर्णन किया। इस प्रसंग को सुन कर दर्शक भाव-विभोर हो गए। इस पंडवाणी गायन के शैली के लिए दर्शकों द्वारा तालियों से सम्मान किया गया।
इसी बीच मुख्य मंच पर स्थापित श्रीराजीव लोचन के प्रतिरूप की पूजा-अर्चना पं. परिषद के द्वारा किया गया। इसके बाद भिलाई से आई लोक कलाकार रजनी रजक द्वारा ढ़ोल-मारू लोकगाथा की प्रस्तुति दी। इसमें रजनी रजक द्वारा राजा ढोल और मारू रानी के जीवन के बारे में गीतों के माध्यम से दर्शकों को सुनाया। इन गीतों को भरथरी गीत कहते हैं।
ढोल-मारू के प्रेम प्रसंग की जीवांत भाव को महसूस कर दर्शक भाव विभोर हो गए। स्वरांजली, तुलसी चौरा के नन्हें कलाकार अविराज सिंह ने अपनी पहली गीत गांव अयोध्या जैसे लागत हे...की दी।
चोला माटी के हे राम..., चि_ी न संदेशा तुम कहां चले गए आदि गानों की प्रस्तुति कर इस दुनिया से विदा हुई मशहुर गायिका लता मंगेशकर संगीकार बप्पी लहरी और छत्तीसगढ़ के महान साहित्यकार दानेश्वर शर्मा के प्रति अपनी श्रद्धांजलि के स्वरूप गाया गया। मंच पर कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति छश्रीसगढ़ के प्रसिद्ध लोक रागनी रिखी क्षत्रिय ने दी। बस्तर देवता की उपासना कर गीतों की शुरूआत की।
झूपत आबे ओ दाई... ऐ कोकई कांटा ओ... ददरिया गीतों की प्रस्तुति दी। इसी के साथ लोक रागिनी के संचालक रिखी क्षत्री द्वारा कर्मा नृत्य रूनझून बाजे तोर पांव के पैरी... प्रस्तुत कर दर्शकों का मन मोह लिया। कलाकारों का सम्मान स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा स्मृति चिन्ह भेंटकर किया गया।
पुरस्कार वितरण समारोह
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नवापारा-राजिम, 19 फरवरी। सेठ फूलचंद अग्रवाल स्मृति महाविद्यालय रेड रिबन क्लब व राष्ट्रीय सेवा योजना के तत्वावधान में युवा सप्ताह के अन्तर्गत महाविद्यालय स्तर का आनलाईन द्वारा एचआईवी संक्रमण से बचाव तथा युवाओ का एड्स जागरूकता मे योगदान विषय अन्तर्गत भाषण, निबध, पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। जिसमें विजयी प्रतिभागियों का शुक्रवार को पुरूस्कार वितरण किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि चित्रोत्पला शिक्षण समिति के अध्यक्ष मनमोहन अग्रवाल, अध्यक्षता डॉ. पीबी हरिहरनो, विशेष अतिथि प्राचार्य डॉ. शोभा गावरी व उपप्राचार्य डॉ. मनोज मिश्रा, कार्यक्रम संयोजक डॉ. आरके रजक उपस्थित थे।
इस अवसर पर मनमोहन अग्रवाल ने कहा कि राष्ट्रीय सेवा योजना इस युग की देन है, जो समाज सेवा के क्षेत्र में सदैव नि:स्वार्थ भाव से तत्पर रहते हैै। युवा देश के निर्माता है, राष्ट्रीय सेवा योजना के युवाओं में स्कूलों व महाविद्यालयों में नेतृत्व क्षमता का प्रशिक्षण देते है। डॉ. हरिहरनों ने युवाओं का उत्साह वर्धन करते हुए कहा कि जब-जब देश सेवा, समाज सेवा की बात होती है तब तब एनसीसी व एनएसएस के स्वयं सेवकों को हमेशा याद किया जाता है। इनके द्वारा कोरोना काल में किए गए कार्यो को नहीं भुलाया जा सकता। डॉ. शोभा गावरी ने कहा कि आज अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पुरूषों की तुलना में से महिलाएं आगे है। समय आने पर अपने परिवारों को नजर अंदाज करते हुए सेवा के क्षेत्र में आगे आ रही है।
इतिहास गवाह है रानी लक्ष्मीबाई, मदर ट्रेरेसा, सुभद्रा कुमारी चौहान जैसे अनेक उदाहरण है। एड्स जागरूकता व युवा दिवस पर प्रथम व द्वितीय स्थान पर 35 विजेताओं को अतिथियों के द्वारा सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में डॉ. सीएल साहू, डॉ. श्यामा शंाडिल्य, डॉ. पूनम सिंग, डॉ. प्रेरणा सोनी, प्रो. लेखराम साहू, प्रो. नैना पहाडिय़ा, प्रो. लोमश साहू, प्रो. जे.एल. गायकवाड, प्रो. बबलू यादव सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित थे। अंत में धन्यवाद ज्ञापन प्रो. लेखराम साहू ने किया।
नवापारा-राजिम, 19 फरवरी । राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री जयसिंह अग्रवाल शुक्रवार शाम नवापारा के शीतलापारा निवासी ओमप्रकाश देवांगन के निवास पहुंचे। यहां मंत्री अग्रवाल ने देवांगन के पारिवार के सदस्यों से आत्मीयतापूर्वक चर्चा करते हुए जलपान भी किया।
मंत्री अग्रवाल ने देवांगन और उनकी पत्नी पिंकी को विवाह की बधाई देते हुए आशीर्वाद भी दिया। इस दौरान देवांगन के बड़े भाई ईश्वरी देवांगन, उनकी भाभी रानू देवांगन और माताजी उपस्थित थी। उल्लेखनीय है कि ओमप्रकाश देवांगन विधानसभा चुनाव के पूर्व मंत्री अग्रवाल के चुनाव संचालन दल में शामिल थे और चुनाव के बाद लगभग 2 सालों तक उनके स्टाफ में शामिल थे। पिछले वर्ष नवंबर माह में देवांगन के शादी के आशीर्वाद समारोह में मंत्री अग्रवाल अपरिहार्य कारणों से नहीं आ पाए थे, लेकिन राजिम दौरा होने की स्थिति में देवांगन के निवास आने का आश्वासन दिया था। जिसके बाद वे देवांगन के यहां पहुंचे।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 19 फरवरी। राजिम माघी पुन्नी मेला के तीसरे दिन राजस्व आपदा प्रबंधन विभाग एवं गृह विभाग के संयुक्त कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे राजस्व एवं आपदा प्रबंधन पुर्नवास वाणिज्य कर मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने कहा कि यहॉं के लोग बड़े सौभाग्यशाली है जहॉं राजीवलोचन का धाम है, प्रदेश सरकार ने माघी पुन्नी मेला के मूलस्वरुप को पुनर्जीवित किया है।
मेले में सरकार की विभिन्न योजनाओं की जानकारियॉं सरकारी स्टाल लगाकर दी जा रही है। यह सरकार सभी जाति एवं धर्म को साथ में लेकर सुविधायें प्रदान कर रही है। राजस्व मंत्री श्री अग्रवाल ने राजिम माघी पुन्नी मेला की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वर्तमान सरकार राज्य की संस्कृति और गरिमा के अनुरुप मेला का आयोजन कर रही है। लोगों को नागरिक सुविधाएॅं देने के साथ ही विकास कार्य किये जा रहे है। उन्होंने मंच पर राजस्व विभाग के हितग्राहियों को चेक वितरण भी किया। मंत्री श्री अग्रवाल ने भगवान श्री राजीव लोचन का दर्शन कर प्रदेश की खुशहाली की कामना की।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे अभनपुर विधायक धनेन्द्र साहू ने कहा कि त्रिवेणी संगम में तीन जिलों का संगम होता है। यह मेला भगवान श्रीराजीव लोचन की जयंती से प्रारंभ होकर भगवान शिव की जयंती तक 15 दिनों तक चलता है। छत्तीसगढ़ धर्म, आस्था एवं संस्कृति का केन्द्र है। मेले की गरिमा, संस्कृति को इस सरकार ने बरकरार रखा है। जनता के साथ जुड़ कर नागरिकों की सुविधाएॅं देने की जिम्मेदारी देने का कार्य बखूबी निभा रही है।
नवापारा पालिका अध्यक्ष धनराज मध्यानी ने मेले के बेहतर आयोजन को लेकर सुझाव दिया कि इसमें तीन जिलों का संगम होता है इसलिए तीनों जिलों के हितग्राहियों एवं कलाकरों को साथ लेकर बेहतर आयोजन को मूर्तरुप दिया जा सकता हैं।
इस अवसर पर हितग्राहियों को मंच से ही सहायता राशि एवं प्रशस्ति पत्र वितरण किया। राजस्व विभाग द्वारा नक्सल प्रभावित परिवार के सदस्यों को शासकीय सेवा हेतु नियुक्ति पत्र प्रदान किया गया। इसके अलावा कोरोना से मृत्यु हुए परिवारों के 11 हितग्राहियों को 5 लाख पचास हजार रुपये सहायता राशि का वितरण किया गया, साथ ही प्राकृतिक आपदा 6-4 एवं सडक दुर्घटना में मृत्यु होने पर 6 हितग्राहियों को 24 लाख रुपये का चेक वितरण, कमार भुजियां के 3 हितग्राही सहित 9 स्कूली बच्चों को जाति प्रमाण पत्र वितरण, 5 हितग्राहियों को 2 हजार 484 हेक्टेयर भूमि का सामुदायिक वन संसाधन अधिकार पत्र एवं 9 हितग्राहियों को भू अर्जन की 47 लाख 94 हजार रुपये राशि का वितरण गया
इसके पूर्व पुलिस विभाग द्वारा लोक सेवा केन्द्र की सेवाओं की जानकारी एवं ड्रायविंग लायसेंस की जानकारी, गुड टच एवं बेड टच की जानकारी, महिला अधिकार एवं अभिव्यक्ति एप के संबंध में जानकारी, ट्रेफिक नियम व क्वीज प्रतियोगिता, साईबर सुरक्षा एवं क्राईम के संबंध में प्रभावी तरीके से एवं लाइव डेमों के माध्यम से जानकारी दी गई ।
कार्यक्रम का शुभारंभ द्वीप प्रज्जवलित एवं राजगीत अरपा पैरी की धार गीत से किया गया। इस अवसर पर कलेक्टर नम्रता गॉंधी, रोक्तिमा यादव, भावसिंह साहू, विकास तिवारी, जीत सिंग, राजा चॉवला, रामा यादव, सौरभ शर्मा, संध्याराव भाण्डुलकर, रामरतन निषाद, चन्द्रहास साहू एवं अनुविभागीय अधिकारी, राजस्व एवं पुलिस अमला आदि मौजूद थे।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नवापारा-राजिम, 19 फरवरी । भाजपा ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं पूर्व सांसद चंदूलाल साहू ने उत्तर प्रदेश में भाजपा की पुन: सरकार बनाने का दावा किया है। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में छत्तीसगढ़ राज्य से 32 भाजपा नेताओं को चुनाव प्रचार करने का दायित्व दिया है। जिसमें अलग-अलग विधानसभा लखनऊ पश्चिम एवं सरोजनी नगर क्षेत्र में सौंपा गया है। श्री साहू चुनाव प्रचार के दौरान लगातार गाँव मोहल्ले वार्डों का दौरा कर जनता से फीडबैक ले रहे है।
वे भाजपा की योजनाओं तथा विकास कार्यों के आधार पर भाजपा को पुन: विजयश्री दिलाने मतदान करने की अपील कर रहे है। श्री साहू ने कहा कि भाजपा के लोक कल्याणकारी संकल्प पत्र में युवाओं को दो करोड़ कम्प्यूटर टेबलेट या स्मार्टफोन हर परिवार में कम से कम एक रोजगार या स्वरोजगार का अवसर देंगे।
इसके साथ ही अनेक लोक कल्याणकारी योजना को शामिल किया गया है। 1 करोड़ महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए 1 लाख रुपय तक का न्यूनतम दर पर लोन जैसे अनेक लोककल्याणकारी योजना शामिल है। जनता का रूझान भाजपा के प्रति सकारात्मक है।
भय भ्रष्टाचार, गुंडाराज का दमन करने वाली भाजपा सरकार उत्तरप्रदेश में पुन: स्थापित होगी। उत्तर प्रदेश की जनता विकास और जनकल्याणकारी योजनाओं के आधार पर भाजपा के निशान पर मुहर लगाएगी।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 19 फरवरी । माघी पुन्नी मेला राजिम में राजिम भक्तिन माता मंदिर समिति युवा प्रकोष्ठ द्वारा भंडारे का आयोजन साहू समाज के युवाओं द्वारा किया जा रहा है। भंडारे में भोजन प्रसादी लेने बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण शामिल हो रहे हैं।
भंडारे के तीसरे दिन की भोजन प्रसादी की व्यवस्था क्षेत्र के जिला पंचायत सदस्य चंद्रशेखर साहू द्वारा किया गया था। भोजन वितरण में मंदिर समिति के अध्यक्ष डॉ महेंद्र साहू, जिला पंचायत सदस्य द्वय चंन्द्रशेखर साहू, रोहित साहू, प्रदेश संयुक्त सचिव लाला साहू, मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी डॉ लीलाराम साहू, मंदिर समिति युवा प्रकोष्ट अध्यक्ष राजू साहू, डॉ. दिलीप साहू, जनपद सदस्य दीपक साहू, खोमन साहू, रामकुमार साहू, भोले साहू, भवानीशंकर साहू, रोशन साहू, मनीष साहू, हीरालाल साहू, प्रीतम साहू, नेपाल साहू सहित समाज के पदाधिकारियों ने सहयोग किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण भोजन प्रसाद ग्रहण किया।