‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 16 अप्रैल। बसना फोरलेन सडक़ निर्माण में क्षतिग्रस्त शासकीय मिडिल स्कूल भगतदेवरी का अहाता समेत कमरा के एवज में 16 लाख से अधिक राशि बीईओ पिथौरा को मिली थी। वर्तमान में सम्पूर्ण राशि खर्च हो चुकी है और सात साल बाद भी अहाता सहित कमरा निर्माण पूर्ण नहींं हुआ है। मुआवजे के बाद भी भवन जर्जर है।
आरोप तो यह भी है कि राशि आई लेकिन ना स्टीमेट रिपोर्ट बना, न निर्माण कार्य का मूल्याकंन किया गया। आरोप है कि किसी जनप्रतिनिधि के मौखिक सिफारिश से यह राशि बीईओ ने सरपंच को दे दी और सरपंच व सचिव दोनों में से किसी ने भी जनपद पंचायत व जिला पंचायत को राशि के सम्बंध में कोई जानकारी नहीं दी। अंत: इस मामले की उच्च स्तरीय शिकायत की गई। इसके बाद कमलेश ठाकुर बीईओ पिथौरा व अन्य के विरूद्ध कार्रवाई के लिए अनुशंसा करके संभागीय संयुक्त संचालक ने छत्तीसगढ़ शासन स्कूल शिक्षा विभाग मंत्रालय को सम्पूर्ण जांच प्रतिवेदन भेज दिया है।
मालूम हो कि आरटीआई कार्यकर्ता विनोद कुमार दास ने छत्तीसगढ़ शासन के मुख्य सचिव अमिताभ जैन, स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव सिद्वार्थ कोमल परदेशी और संभागीय संयुक्त संचालक राकेश पांडेय को एक लिखित शिकायत में 27 अगस्त 2024 को साक्ष्य सहित जांच की मांग की थी। जिसमें अजीत सिंह जाट सहायक संचालक और रमेश कुमार देवागंन वरिष्ठ लेखा परीक्षक को 13 सितम्बर 2024 को जांचकर्ता अधिकारी नियुक्त किया गया। इन दोनों जांचकर्ता अधिकारियों ने जांच में शिकायत सहीं पाया। जांच करके रिपोर्ट सौंप दिया गया।
इस मामले में अनुविभागीय अधिकारी पिथौरा को छह अगस्त 2018 को बीईओ पिथौरा ने शपथपत्र प्रस्तुत किया है। जिसमें बीइओ ने उक्त राशि को अपने भारतीय स्टेट बैंक के खाते में देने की मांग की। जिस कारण से मुआवजा राशि बीईओ पिथौरा को सात अगस्त 2018 को मिली। इस पर बीईओ कमलेश ठाकुर ने बकायदा इकरारनामा किया है कि मुआवजा राशि का बजट व खर्च की जानकारी न्यायालय अनुविभागीय अधिकारी पिथौरा और जिला शिक्षा अधिकारी महासमुन्द को दूंगा।
संभागीय संयुक्त संचालक राकेश पांडेय का कहना है कि बीईओ ने सरपंच भगतदेवरी को 16 लाख, 61 हजार 163 रुपए एक जुलाई 2020 को प्रदाय कर दिया था। इसकी जानकारी बीइओ ने उच्च कार्यालय में नहीं दी। बताना जरूरी है कि इस निर्माण कार्य में ग्राम पंचायत न तो कार्य एजेंसी है। न संबंधित विभाग शिकायत मिलने के बाद जांच की गई। जिसमें बीईओ पिथौरा दोषी पाए गए हैं । उनके विरुद्ध कार्रवाई इस कार्यालय से नहीं कर सकते हैं। इसलिए जांच प्रतिवेदन को शासन स्तर में प्रस्तुत कर दिया गया है।
महासमुंद के जिला शिक्षा अधिकारी एमआर सावंत का कहना है कि मुख्यालय स्तर पर प्रक्रिया पूरी की गई है। वरिष्ठ अधिकारी जैसे आदेश करेंगे वैसे कार्रवाई होगी। यह आर्थिक अपराध प्रकरण है, पैसे रिकवर या एफ आईआर करना है, यह निर्णय उच्च अधिकारियों का है।