राजनांदगांव
नक्सलियों का विस्तार का ख्वाब सिमटा, हॉकफोर्स और पुलिस लडऩे में सक्षम
प्रदीप मेश्राम
राजनांदगांव, 4 नवंबर (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। मध्यप्रदेश के सर्वाधिक नक्सलग्रस्त बालाघाट रेंज में बस्तर की तर्ज पर नक्सल सफाए के साथ पुलिस सरकारी तंत्र के लिए उन्मुक्त माहौल बनाने में काफी आगे बढ़ रही है। विकास का पहिया तेजी से घूमने से इस रेंज में नक्सलियों की जड़ें हिल रही है। बालाघाट आईजी संजय सिंह मानते हैं कि नक्सलियों की नीतियां बेअसर हो गई है। नतीजतन युवा वर्ग उनके खोखले दावों को निरर्थक नजरिये से देख रहा है। ‘छत्तीसगढ़’ से एक खास मुलाकात में आईजी संजय सिंह ने बालाघाट में चल रहे नक्सल ऑपरेशन के विकास के अन्य विषयों पर खुलकर चर्चा की।
0 बालाघाट नक्सलियों का हमेशा से एक सुरक्षित ठिकाना रहा है। पुलिस नक्सलमुक्त बनाने के लिए क्या प्रयास कर रही है?
00 नक्सलियों ने यहां पर अपने ठिकाने को मजबूत बनाने के लिए काफी जोर लगाया, अब वक्त पुलिस का है। नक्सलियों के आतंक का हमारे जवान पूरी दमदारी के साथ न सिर्फ जवाब दे रहे हैं, बल्कि उनके अस्तित्व पर अब खतरा मंडरा रहा है। नक्सलमुक्त बालाघाट का अभियान जल्द ही मूर्तरूप लेगा।
0 बस्तर और बालाघाट की नक्सल समस्या में क्या फर्क है?
00 दोनों ही क्षेत्र की नक्सल समस्या में आमूलचूल अंतर है। बालाघाट में अब लोकल कैडर गिनती के रह गए हैं। बस्तर से ही नक्सली आयातित होकर बालाघाट में शिफ्ट हो रहे हैं। भौगोलिक रूप से समस्या में थोड़ा फर्क है, लेकिन नीति में कोई अंतर नहीं है।
0 बालाघाट में नक्सलियों की वर्तमान स्थिति कैसी है?
00 बालाघाट में नक्सली अब सीमित संख्या में है। कवर्धा-बालाघाट डिवीजन के अधीन दो एरिया कमेटी भोरमदेव और मलाजखंड दलम रह गए हैं। लगातार फोर्स नक्सलियों का जवाब दे रही है। अब नक्सलियों की ताकत पुलिस के सामने कूंद रह गई है।
0 पिछले दो-तीन साल में बालाघाट पुलिस ने अच्छी सफलताएं अर्जित की है, इसके पीछे क्या रणनीति रही?
00 नक्सलियों के खिलाफ पुलिस को जो भी सफलताएं मिली है, उसमें जवानों की अपनी मेहनत रही है। यही कारण है कि 2022 से 2024 के बीच 13 नक्सली मारे गए। जबकि सन् 2020 और 2021 को 4 नक्सलियों ने सरेंडर भी किया है। हमारा मानना है कि केंद्र और राज्य सरकार की संयुक्त नीति का फायदा हमें मिला है।
0 नक्सल अभियान के साथ बुनियादी संरचना को लेकर पुलिस की क्या भूमिका है?
00 लगातार नक्सल क्षेत्रों में पुलिस ने अपनी कोशिश से स्कूल, भवन, सडक़ें, अस्पताल व अन्य आवश्यक जरूरतों को लेकर प्रशासन का भरपूर साथ दिया है। पुलिस नक्सल क्षेत्रों में एक उन्मुक्त वातावरण बना रही है। जिससे नई पीढ़ी नक्सलियों के नकारात्मक सोंच से परे रहे। पुलिस की भूमिका अब भी प्रासंगिक है।
0 छत्तीसगढ़-मध्यप्रदेश पुलिस के बीच नक्सल समस्या से निपटने आपसी संबंध कैसे हैं?
00 छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश पुलिस हमेशा नक्सल समस्या को सीमावर्ती न मानकर राष्ट्रीय सुरक्षा से जोडक़र देखती है। दोनों राज्यों के बीच तालमेल काफी अच्छा है। हर तीन महीने के अंतराल इंटर स्टेट मीटिंग में एक-दूसरे के साथ समन्वय पर जोर दिया जाता है। नक्सली पहले राज्यों की सीमा का फायदा उठाकर पुलिस को चकमा देते थे। अब ऐसी स्थिति नहीं है।
0 नक्सल सफाए के लिए केंद्र ने एक मियाद तय की है, क्या यह संभव है कि सालों की समस्या चंद महीनों में खत्म हो जाएगी?
00 केंद्र ने महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ (एमएमसी) जोन में नक्सलियों के खात्मे के लिए मार्च 2026 तक का टॉस्क दिया है, जिस तरह से नक्सली मारे जा रहे हैं और भर्तियां समाप्त हो गई है, निश्चिततौर पर यह समस्या जल्द ही दूर हो जाएगी। पुलिस वैसे भी साधन-संपन्न हैं। जबकि नक्सली असला-बारूद की कमी से जूझ रहे हैं।
0 बालाघाट रेंज के मंडला और डिंडौंरी में नक्सलियों की भी हलचल सुनाई देती है, आप क्या कहेंगे?
00 मंडला में नक्सलियों की आमदरफ्त होती रही है, लेकिन डिंडौरी में नक्सली अपना ठिकाना बनाने में नाकाम रहे हैं। बालाघाट एक सर्वाधिक नक्सल जिला है, लेकिन यहां की परिस्थितियां भी नक्सलियों के खिलाफ हो गई है। एक वक्त था, जब कई स्थानीय लोगों ने नक्सल संगठन का दामन थामा था अब वह पुराने दौर की बात हो गई है। कुछ चुनिंदा पुराने कैडर ही नक्सली के तौर पर सक्रिय हैं।
0 नक्सलियों के विस्तार नीति की क्या स्थिति है? क्या उनकी नीति अब भी प्रभावशाली है?
00 नक्सलियों के एजेंडे में विस्तार ही उनका मकसद है, क्योंकि वह समझ चुके हैं कि बस्तर में उनकी स्थिति दिन-ब-दिन कमजोर हो रही है। नक्सली बालाघाट के रास्ते विस्तार करने का इरादा रखते हैं, लेकिन उनकी स्थिति अब चिंताजनक है।
0 आईजी के तौर पर आपका युवाओं के लिए क्या संदेश है?
00 मैं अपील करता हूं कि नक्सलियों के दोहरी नीति से प्रभावित न हो, शिक्षा-दीक्षा के रास्ते उज्जवल भविष्य की ओर कदम बढ़ाए। सरकार, पुलिस और प्रशासन युवाओं को आगे बढ़ाने में पूरी तरह मदद कर रही है। ऐसे में बरगलाने वाले नीतियों से दिग्भ्रमित न हो।