विष्णु नागर

मंदिर ही भारत को जगत गुरु बनाने की असली कुंजी
26-Jul-2020 5:23 PM
मंदिर ही भारत को जगत गुरु बनाने की असली कुंजी

विष्णु नगर 

वैसे तो भगवान श्री राम की किरपा से सभी कुछ बहुत ठीक है।बस यहाँ मंदिरों की कमी अब बहुत खलने लगी है। भव्य मंदिर तो पूरे देश में एक भी नहीं और भगवान श्री राम का तो अखंड भारत में भी नहीं।अयोध्या तक में भव्य तो छोड़ो,टपरिया वाला मंदिर भी नहीं है।ऐसे में अतीव प्रसन्नता की बात है कि अब माननीय प्रधानमंत्री 32 सेकंड के अत्यंत शुभ अभिजीत मुहूर्त में उसकी आधारशिला रखने जा रहे हैंं ,जो अगले आम चुनाव से ठीक पहले तैयार हो जाएगा और मोदी जी द्वारा एक नायाब तोहफे के रूप में राष्ट्र को समर्पित कर दिया जाएगा।ताली।भगवान श्रीराम की जय।मोदी जिंदाबाद।

यह सही है कि इस देश में सरकारी स्कूल भी बहुत हैं,कालेज तो खैर बहुत हैं ही।शिक्षा का आलम यह है कि वहाँ से हर छात्र मोदीजी की तरह योग्य होकर बाहर आ रहा है। अस्पताल तो प्रधानमंत्री ने एक से एक, बढ़िया से बढ़िया गाँव -गाँव में खुलवा दिए हैं। जनता अब बीमार पड़ना सीख चुकी है,ताकि विश्वस्तरीय चिकित्सा सेवा को सफल बनाने में अपना विनम्र योगदान देकर भारत की कीर्ति चहुंओर फैला सके।खेतों में बारह महीने फसलें लहराने लगी हैं। किसान काट- काट कर परेशान भी हैं और खुशहाल भी।फसलों का न्यूनतम क्या अधिकतम मूल्य उन्हें मिल रहा है।कारखानों के मजदूर कमा- कमा कर मोटे और शक्तिशाली हो रहे हैं। इतना अधिक उत्पादन हो रहा है कि चीन-अमेरिका और यूरोप के देश भी हीनभावना से ग्रस्त हो गए हैं।सब तरफ इंडिया का यानी मोदी जी का डंका बज रहा है बल्कि बजानेवाले इतने अधिक हैं कि डंकों का अभाव हो गया है।भारत ने आश्वासन दिया है कि अंबानी-अडाणी प्राइवेट लिमिटेड जल्दी ही डंकों के अभाव की आपूर्ति कर देगी।एक भी प्राणी को डंके के अभाव में मरने नहीं दिया जाएगा।पशु-पक्षी भी माँग करेंगे तो उन्हें भी प्राथमिकता के आधार पर आपूर्ति की जाएगी।एक ही शर्त है कि पेमेंट आनलाइन हो।

इस बीच चीन ने ' मेड इन चाइना ' डंकों की आपूर्ति करने का प्रयास किया था मगर पूरी दुनिया ने इन्हें रिजेक्ट कर दिया।सबने कहा कि जो बात ' न्यू इंडिया ' के मोदी ब्रांड डंके मेंं है, वह शी ब्रांड चीनी डंके में कहाँ! चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग सिर पकड़ कर बैठे गा रहे हैं कि क्या से क्या हो गया बेवफा.. और उन्हें कोई दिलासा दे नहींं रहा।मोदीजी ने ही मानवीयता के नाते उन्हें फोन पर कहा, अब मत करना कभी हमारी जमीन पर कब्जा करने की बदत्तमीजी!करोगे तो घुस के मारूँगा समझे लल्लू! ।फौरन पाँच सेकंड में हमारी जमीन खाली कर दो।नो चूँँ -चाँ।आराम से बैठोगे तो तुम्हारे डंकों पर 'मेड इन इंडिया' की मोहर लगवाकर दुनिया भर में सप्लाई करवा दूँगा।मंजूर हो तो बात करो।उसका नाम मगर मोदी डंका रखना पड़ेगा,वरना तुम जानते हो मुझे।

उधर शी जिनपिंग का इतना बुरा हाल है,इधर भारत सॉरी ' न्यू इंडिया ' में सब तरफ समृद्धि का आलम है।भूख- बीमारी की तो अब याद भी नहीं आती।कोरोना तो लंगोट छोड़कर भाग चुका हैै। मोदीजी ने पिछले छह साल में इतना अधिक कर दिया है कि लोग कह रहे हैं,मोदी जी अब और प्रगति नहीं।अब तो आप एक ठो राममंदिर अयोध्या में बनवा दो और आप बनवाओगे तो भव्य से कम तो बनवा ही नहीं सकतेे! अब देखो चीन की मदद से आपने नर्मदा किनारे, गुजरात में सरदार पटेल की कितनी शानदार और भव्य मूर्ति बनवाई है।इतनी भव्य कि इस कोरोना काल में भी विदेशी पर्यटक भारत सरकार से विशेष अनुमति लेकर स्पेशल फ्लाइट से उसे देखने के लिए टूटे पड़ रहे हैं।एकदूसरे के सिर पर पाँव रख कर पटेल साहब की मूर्ति देखने का आनंद ले रहे हैं।कह रहे हैं कि कोरोना-फोरोना से क्या डरना, अगर जीवन सार्थक करना है तो सरदार पटेल की प्रतिमा देखना जरूरी है। इसके बाद जान भी चली जाए तो वांदा नहीं।रोज दो- चार विदेशी इस भगदड़ में मृत्यु को प्राप्त होकर स्वर्ग का सुख भोगने के लिए धरा से प्रयाण कर रहे हैं मगर किसी को कोई शिकायत नहीं। इस कारण सभी भारतीयों को तो छोड़ो,गुजरातियों तक का वहाँ नंबर नहीं आ रहा है मगर नो प्राब्लम।डालर अतिथि देवो भव।

इधर आप भव्य संसद भवन भी बनवा रहे हो।आपके होते हुए कंगाली भी भव्यता के आड़े नहीं आ सकती।आपकी प्रतिज्ञा है कि इधर संसदीय व्यवस्था को मटियामेट करूँगा,उधर संसद भवन को भव्य बनवाऊँगा। क्या दूरदृष्टि है, क्या पक्का इरादा है! ब्रहमा, विष्णु, महेश सब आपकी अभ्यर्थना कर रहे हैं। पृथ्वी नामक ग्रह पर भारत नामक देश का नाम आपने इतना उज्जवल कर दिया है कि उसकी रोशनी से देवताओं की आँखों चुँधिया रही हैं।उनके अँधे होने का संकट पैदा हो गया है।कृपा करो हे मोदी देव की प्रार्थना वे कर रहे हैं।

तो ऐसे मोदी- राज में एक नहीं,दस करोड़ मंदिर भारत में बनेंगे। एक से एक भव्य और दिव्य। मंदिर ही भारत को जगत गुरु बनाने की असली कुंजी होगी। भारत पहले जगतगुरु था ही इसलिए कि भारत की हर गली,हर कूचे में एक मंदिर हुआ करता था। वह तो विदेशी आक्रांताओं ने सारे ध्वस्त कर दिए और देश में मंदिरों का ऐसा भयंकर अकाल पड़ गया कि लोगों को खेती और उद्योग धंधों में परिश्रम करने को विवश होना पड़ा।अब अयोध्या से नये विश्व गुरू काल का उद्भव हो रहा है। भविष्य में सब वर्णाश्रम धर्म के अनुसार मंदिर की सेवा करेंगे और इस तथा उस जीवन को अर्थवत्ता प्रदान करेंगे।
फिर से तालियाँ।

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