बेमेतरा

बेमेतरा सहित दुर्ग में शोक की लहर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 27 जून। हास्य विधा के अंतरराष्ट्रीय हिन्दी कवि डॉ. सुरेंद्र दुबे हमारे बीच नहीं रहे। उनके जाने के बाद हास्य की दुनिया लगभग थम-सी गई। लोगों को हर बात में अपनी कविताओं के माध्यम से हंसाने-गुदगुदाने वाले के अचानक दुनिया से विदा लेने के बाद साहित्य-जगत में मायूसी छा गई। उनके निधन पर साहित्य, पत्रकारिता व चिकित्सा जगत के साथ विभिन्न सामाजिक संगठनों ने अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की है।
कवि सुरेन्द दुबे के निधन पर उनके जन्मस्थली बेमेतरा शहर में शोक का माहौल व्याप्त है। स्व. दुबे के गंजपारा स्थित पैतृक निवास में लोग पहुंचे थे। वही परिवार के लोग आज सुबह से ही दुर्ग व रायपुर रवाना हो चुके थे। स्व. दुबे के पड़ोसी, बुजुर्ग साथी व नागरिकों ने शोक जताया है।
रामलीला में राम व शत्रुघ्न का करते थे अभिनय
1980-90 के दशक में बेमेतरा शहर में नुक्कड़ नाटक, लेखन, रामलीला व मंचीय कार्यक्रम के साथ कविता पाठ कर लोगों को अपनी कविता से रिझाने से लोकप्रियता की पहली सीढ़ी चढऩे वाले स्व. दुबे के पड़ोसी नरसिंग नदंवाना ने बताया कि रामलीला में राम व शत्रुहन का अभिनय करते थे। बेमेतरा जब भी आते अपने पैतृक निवास पर जरूर आते और अपने पुराने साथियों का नाम लेकर पुकारते थे। बड़ों को प्रणाम करते थे। उनकी कमी हमेशा खलती रहेगी।
बचपन से ही मंच के प्रति रहा लगाव
उनके बालसखा गंगाधर शर्मा ने बताया कि उनका बचपन से ही मंच के प्रति लगाव रहा है। पहले राम का पाठ करते थे। रामलीला में पाठ करते थे। बेमेतरा में नुक्कड़ नाटक को बढ़ावा देकर लोगों को जागरूक करते रहे। पहले बेमेतरा में कविता पाठ करना प्रारंभ किया, जो देश के प्रसिद्ध हास्य कवि बने।
गंजपारा निवासी श्रीनिवास द्विवेदी ने बताया उनके निधन से पूरे बेमेतरा में शोक का माहौल हैं। संजय तिवारी ने बताया डॉ. दुबे अपने पिता गर्जन सिंह दुबे के साथ रामलीला में आया करते थे, जो समय-समय पर अभिनय भी किया करते थे।
अब कविताओं से आएंगे याद
बेमेतरा के माटीपुत्र स्व. डॉ. दुबे अपने कविता पाठ के दौरान लगभग सभी मंच में छत्तीसगढिय़ों की जीवनशैली व बात व्यवहार को लेकर अपनी रचनाओं का वाचन करते रहे। इस बीच वे बेमेतरा की माता भद्रकाली, राम मंदिर, रामलीला, शहर का पुराना बस स्टैन्ड, कॉलेज, बाजार व पिकरी को अपनी कविताओं में स्थान जरूर देते थे। उनके निधन के बाद अब जीवंत कवितापाठ में बेमेतरा को ख्याति प्रदान करने वाले की कमी हमेशा रहेगी। जिला के कवि सम्मेलन के कर्ताधर्ता रहे हैं। वे लगभग सभी कविता पाठ में शिरकत करते रहे।
बेमेतरा में नुक्कड़-नाटक के जरिए लोगों को जागरूक करते रहे
साहित्यकार, उद्घोषक, रंगकर्मी दिनेश गौतम ने बताया कि डॉ. दुबे नुक्कड़ नाटक के अच्छे लेखक रहे। उनके लिखे नाटक गस्त जारी है। अविभाजित मध्यप्रदेश के समय ये लोकप्रिय नुक्कड़ नाटक रहा है। उनके लेखन से तैयार किए नुक्कड़ नाटक में स्वयं दिनेश गौतम, निर्मल ताम्रकार, रूद्र शर्मा, संजय दुबे, विष्णु सोनी सहित कई रंगकर्मियों ने अभिव्यक्त नाट मंच तैयार कर रचनाओं को जीया है। उनकी कमी बेमेतरा नाटय जगत में हमेशा रहेगी।