बेमेतरा

त्राहिमाम... जमीन से 590 फीट गहराई में मिल रहा पानी
05-May-2025 5:15 PM
त्राहिमाम... जमीन से 590 फीट गहराई में मिल रहा पानी

जिला बना रेड जोन, वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं होने के कारण भूजल नहीं हो रहा रिचार्ज
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 5 मई।
भीषण गर्मी और अधिक जलदोहन की वजह से जिले का भूजल स्तर लगातार रसातल की ओर जा रहा है। जिला मुयालय में 500 फीट से लेकर 600 फीट खनन के बाद पानी नसीब हो रहा है। एक भू जल सर्वेक्षण के अनुसार जिले के चारों ब्लॉक बेमेतरा, साजा, बेरला एवं नवागढ़ सभी रेड जोन के दायरे में आ चुके हैं।, जिस तरह की स्थिति निर्मित हो रही है। उसे चिंताजनक बताया जा रहा है।

जिला मुख्यालय समेत पूरे जिले में बीते मार्च माह से भूजल स्तर गिरने की वजह से हजारों की संख्या में पॉवर पंप जवाब दे चुके हैं। अकेले बेमेतरा जिला मुयालय में नगर पालिका के द्वारा शहर में पेयजल सप्लाई के लिए लगाए गए 40 से अधिक पॉवर पंप जवाब दे चुके हैं। पूर्व में यह आंकड़ा 100 से पार हो चुका था, जिसके बाद रिबोर कराने के बाद ही आधे से अधिक पॉवर पंप का उपयोग किया जाना प्रारंभ हुआ है। सरकारी बोर के आलावा निजी पंप से भी पानी की जगह हवा निकाल रही है, जिससे लोगों की निर्भरता तालाब व शहर से बाहर होने लगी है।

तीन तालाबों के चारों ओर बसी बस्तियों में 590 फीट में आ रहा है पानी, संकट
जिला मुख्यालय के सबसे बड़े बांधा तालाब एवं पिकरी तालाब के चारों ओर यानी पिकरी मानपुर, किसान वार्ड एवं एनएच के किनारे भी काफी जलस्तर गिरा है। बीते दिनों पालिका द्वारा किसान भवन के पास बोर खनन कराया गया। मौके पर करीब 590 फीट खनन होने के बाद ही पानी नसीब हो पाया जबकि तालाब से लगा हुआ इलाका है। पार्षद पंचू साहू कहते हैं कि पहले इन चारों वार्ड में जलस्तर गिरने की समस्या नहीं रही है पर वर्तमान में पहली बार बोर खनन करने के बाद भी पानी नहीं आ रहा है। इन इलाकों में कई बोर का जलस्त्रोत सूख चुका है।

बेकार बह जाता है बारिश का पानी
जिला मुख्यालय में 100 से अधिक सरकारी भवन कार्यालय व अन्य निर्माण हैं। इसके अलावा चार अलग-अलग आवासीय कॉलोनी हैं। जिला अस्तपाल में 10 हजार फीट का निर्माण है। इसके अलावा तीन मंजिला कलेक्टोरेट है। दो कॉलेज, चार स्कूल हैं। नगर पालिका के 10 व्यावसायिक कॉप्लेक्स व कार्यालय हैं। इन कार्यालयों में से कुछ एक कार्यालयों में वाटर हारवेस्टिंग की व्यवस्था की गई।

बचे कार्यालयों में सोख पीट बनाया गया है पर इसकी सुध नहीं ली गई है, जिसकी पोल इस बार गिरते जलस्तर की स्थिति ने खोल कर रख दी है।
 उदाहरण बताना होगा कि जिला अस्पताल परिसर में करीब 10 हजार फीट की छत है, जहां पर कथित तौर पर वाटर हारवेस्टिंग किया गया पर इसी परिसर के अंदर इस सीजन चार बोर पंप का जलस्तर गिर चुका है। जबकि वाटर हारवेस्टिंग होने पर इस तरह की स्थिति निर्मित होने की आशंका नहीं है।

वाटर हार्वेस्टिंग समय की जरूरत है - अनुभव शुक्ला
बारिश के जल को संग्रहित नहीं किए जाने एवं सही तरीके से रिचार्ज नहीं होने के कारण भूजल स्तर गिरने की वजह बताते हुए वाटर हारवेस्टिंग कराने के पक्षधर अनुभव शुक्ला ने बताया कि वाटर हारवेस्टिंग छत के क्षेत्रफल के अनुसार बनाया जा सकता है। बहुत कम खर्च कर इसका निर्माण किया जा सकता है। 2000 फीट की छत से आसपास के 200 मीटर के क्षेत्र का वाटर रिचार्ज होता है।

 

 

नगर पालिका इस पर ध्यान केन्द्रित कर रही है - अध्यक्ष सिन्हा
 नगर पालिका अध्यक्ष विजय सिन्हा ने बताया कि नगर पालिका परिसद में वाटर हारवेस्टिंग को लेकर गंभीरता पूर्वक कदम उठाया जा रहा है। पालिका द्वारा सिस्टम लगाने पर जोर दिया जा रहा है। सिन्हा ने कहा कि जिस तरह की स्थिति इस बार बनी है। उसकी मुय वजह जल रिचार्ज नहीं होना है। बहरहाल पानी संकट से लोग परेशान हैं और लोग प्रतिदिन इससे जूझ रहे हैं।

चिल्फी में कई पुराने व सूख चुके बोर से आ रहा पानी
 ग्राम चिल्फी में वाटर हारवेस्टिंग से कई पुराने व सुख चुके बोर में पानी आने लगा है। इस गांव के लोगों ने इस दिशा में पहल की है, जिसका लाभ उन्हें मिलने लगा है।
जिला मुयालय में भी वाटर हारवेस्टिंग को अभियान बनाकर करने की जरूरत है, जिससे भविष्य में वर्तमान की तरह जलसंकट की स्थिति न आए। बहरहाल भूजल सर्वेक्षण के अनुसार जिले को डेंजर जोन में शामिल किए जाने के बाद भूजल स्तर को बढ़ाया जाना जरूरी हो गया है।


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