बेमेतरा

खबर का असर, आलमारियों के ताले तोडक़र शुरू करवाया चार माह से बंद जिला अस्पताल का आईसीयू
30-Oct-2022 2:47 PM
खबर का असर, आलमारियों के ताले तोडक़र शुरू करवाया चार माह से बंद जिला अस्पताल का आईसीयू

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 30 अक्टूबर।
आखिरकार जिला अस्पाताल का आईसीयू फिर से शुरू हो गया। ‘छत्तीसगढ़’ ने खबर प्रकाशित कर अस्पताल में फैली अनियमितताओं के बारे में बताया था, जिसके बाद शनिवार को लाखों के आईसीयू यूनिट को राजस्व विभाग व स्वास्थ्य विभाग की टीम की मौजूदगी में दोबारा से खोला गया। एमसीएच यूनिट की बंद अलामारी व कमरा खुलवाया गया। पंचनामा की प्रकिया राजपत्रित अधिकारी ने पूरी की। खबर प्रकाशित होने के बाद प्रशासन हरकत में आया और कलेक्टर ने मामला संज्ञान में लिया।

नवपदस्थ सीएस ने बताया कि कमरा व आईसीयू यूनिट बंद होने से कामकाज प्रभावित हो रहा था। जानकारी सक्षम अधिकारी को भेजी गई। जिला अस्पताल को सुविधा संपन्न बनाने के लिए 80 लाख की लागत से हाईटेक आईसीयू स्थापित किया गया था। जिसे चार महीने से बंद कर रखा गया था। तहसीलदार रोशन साहू ने बताया कि कलेक्टर व एसडीएम के निर्देश पर ताला खोला गया।

वेतन भी नहीं दे पाए
रिकॉर्ड रूम में ताला जड़ा होने के कारण विभागीय कार्य महीनों तक प्रभावित रहे। यहा तक की वेतन भुगतान के लिए कलेक्टर के निर्देश पर नया दस्तावेज तैयार करवाना पड़ा। इस कार्यवाही के बाद अब इस समस्या ने भी निजात मिली।

हो रही थी समस्या
सीएस डॉ. एसआर चुरेन्द्र ने बताया कि जिला अस्पताल में पदस्थ होने के बाद आईसीयू व अन्य कक्ष के बंद रहने से कामकाज का संचालन प्रभावित हो रहा था। एमसीएच भवन में सिकलसेल मरीजों के लिए ओपीडी संचालित करने के लिए बनाए गए कक्ष की अलमारी भी बंद थी। जिसे खुलवाया गया। इसी तरह नर्सिक सिस्टर रूम को भी दोबारा चालू किया।

खर्च हुए 80 लाख
यूनिट स्थापना में 20 लाख रुपए खर्च किया गया। यूनिट के लिए बेड, इक्यूपमेंट समेत अन्य सामग्री की खरीदी पर करीब 60 लाख रुपए खर्च किए गए हैं। सिविल वर्क की जिम्मेदारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय से ग्रामीण यांत्रिकी विभाग को दी गई थी। जहां इन यूनिट की स्थापना के लिए वातानुकूलित कमरों को तैयार करने पर करीब 20 लाख रुपए खर्च हुए हैं।

इस पूरे मामले पर कलेक्टर जितेन्द्र कुमार शुक्ला ने कहा कि जिला अस्पताल की समस्याओं को दूर करने की कोशिश की है ताकि ब्यवस्थाए बनाई जा सके और मरीजों को यहां बेहतर इलाज मिल सके। विभागीय कमियां दूर करने की जतन किया जा रहा है।
 


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