बेमेतरा

कोविड फंड से यूनिट की स्थापना, पर नहीं मिल रही सुविधा
आशीष मिश्रा
बेमेतरा, 28 अक्टूबर (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता )। प्रशासनिक अव्यवस्था व अधिकारियों की मनमानी का खामियाजा जिलावासियों को भुगतना पड़ रहा है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण 100 बिस्तर जिला अस्पताल में देखने को मिल रहा है । जहां करीब 4 माह से 80 लाख की लागत से बने 12 बेड आईसीयू व एचडी यूनिट पर ताला लटका हुआ है । इसके अलावा अस्पताल के कक्ष क्रमांक 34 रिकॉर्ड रूम में ताला लगा हुआ है, जिसमें बीटीआर रजिस्टर, सेवा पुस्तिका समेत अन्य जरूरी दस्तावेज रखे हुए हैं।
इस संबंध में बेमेतरा के कलेक्टर जितेन्द्र शुक्ला का कहना है कि आईसीयू यूनिट की उपयोगिता शुरू करने को लेकर सिविल सर्जन से रिपोर्ट मांगी गई है, जिसमें मेन पावर समेत अन्य जरूरतों के संबंध में जानकारी मांगी है । आवश्यकतानुसार डीएमएफ फंड से यूनिट संचालन शुरू करने के प्रयास किया जाएगा। शासन के आदेशानुसार सिविल सर्जन को पूरी क्षमता से दायित्वों के निर्वहन के निर्देश दिए गए हैं, जिसमें आवश्यक कार्रवाई कर रिकॉर्ड रूम का ताला तोडऩे कहा गया है।
वर्तमान सिविल सर्जन डॉ. संतराम चुरेन्द्र के अनुसार तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ. वंदना भेले की ओर से अब तक प्रभार नहीं सौंपा गया है। शासन के आदेश पर कवर्धा से स्थानांतरण के बाद बेमेतरा जिला अस्पताल में 7 अक्टूबर को ज्वाइनिंग ली थी । इस दौरान प्रभार देने के लिए पूर्व सिविल सर्जन डॉ. वंदना भेले से फोन पर संपर्क किया गया। जहां डॉ. भेले ने स्वास्थ्य ठीक नहीं होने का हवाला देकर कुछ दिनों बाद प्रभार देने की बात कही, बावजूद अब तक प्रभार नहीं सौंपा गया है।
कलेक्टर को स्पष्ट जवाब देने से बचते रहे अधिकारी
बीते महीने कलेक्टर ने जिला अस्पताल का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान कलेक्टर को 80 लाख की लागत से बने 12 आईसीयू व एचडी यूनिट में ताला लगा मिला। इस संबंध में अधिकारी कलेक्टर को स्पष्ट जवाब देने से बचते रहे।
ज्ञात हो कि इस यूनिट की स्थापना सीएमएचओ कार्यालय की ओर से एमरजेंसी रिस्पांस कोविड फंड से की गई है। जिसके हैंड ओवर को लेकर पेच फंसा हुआ है। नतीजतन लाखों रुपए की लागत से बने यूनिट की सेवाएं जिलावासियों को नहीं मिल पा रही है।
यूनिट हैंड ओवर को लेकर संबंधित विभागों में सामंजस्य का अभाव
जानकारी के अनुसार यूनिट के हैंड ओवर को लेकर ग्रामीण यांत्रिकी विभाग की ओर से सीएमएचओ कार्यालय को पत्र लिखा गया है। गौरतलब हो कि यूनिट स्थापना को लेकर जिला अस्पताल प्रबंधन व सीएमएचओ कार्यालय के मध्य खींचतान देखने को मिली थी। लेकिन अब नए सिविल सर्जन के कार्यभार संभालने के बाद यूनिट का उपयोग शुरू होने की उम्मीद जगी है।
यूनिट स्थापना पर कोविड फंड से 80 लाख रुपए खर्च
यूनिट स्थापना के लिए सिविल वर्क की जिम्मेदारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय से ग्रामीण यांत्रिकी विभाग को दी गई थी। जहां इन यूनिट की स्थापना के लिए वातानुकूलित कमरों को तैयार करने पर करीब 20 लाख रुपए खर्च हुए हैं। यूनिट के लिए बेड, एक्यूपमेंट समेत अन्य सामग्री की खरीदी पर करीब 60 लाख रुपए खर्च किए गए हैं।
रिकॉर्ड रूम में ताला लगे होने के कारण विभागीय कार्य प्रभावित
रिकॉर्ड रूम का लगा ताला लगा होने के कारण विभागीय कार्य प्रभावित हो रहे हैं। वेतन भुगतान को लेकर कलेक्टर के आदेश पर नया बीटीआर रजिस्टर तैयार किया गया है, वही रिकॉर्ड रूम में ताला लगे होने की सूचना कलेक्टर जितेन्द्र शुक्ला को दी गई है। जहां कलेक्टर की ओर से अधिकृत अधिकारी की मौजूदगी में पंचनामा कर रिकॉर्ड रूम का ताला तोड़ा जाएगा।
पूर्व सिविल सर्जन ने अब तक नहीं सौंपा कार्यभार
सिविल सर्जन ने बताया कि प्रभार सौंपने को लेकर डॉ. वंदना भेले से लगातार फोन पर संपर्क करने की कोशिश की गई, दूसरी बार 19 अक्टूबर को फोन पर बात हुई । जहां डॉ. भेले ने 20 तारीख को प्रभार सौंपने की बात कही थी ।
20 अक्टूबर को डॉ. भेले ने वर्तमान सिविल सर्जन को फोन किया, लेकिन उस समय सिविल सर्जन जिला प्रभारी मंत्री टीएस सिंहदेव अध्यक्षता में हो रही बैठक में मौजूद थे । बैठक खत्म होने के बाद सिविल सर्जन ने डॉ. भेले को प्रभार देने के लिए फोन किया, लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया।