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भोपाल, 19 अगस्त । केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह रविवार को मध्य प्रदेश में भाजपा के 18 साल से ज्यादा के शासन का 'रिपोर्ट कार्ड' जारी करेंगे।
'रिपोर्ट कार्ड' पिछले दो दशकों में देखी गई प्रगति को उजागर करेगा, विपक्षी कांग्रेस ने सत्तारूढ़ पक्ष के खिलाफ आरोप पत्र जारी करके स्पष्ट रूप से एक मास्टर स्ट्रोक खेला है।
भाजपा का रिपोर्ट कार्ड 2003 में सरकार बनाने और आज तक (दिसंबर 2018 से मार्च 2020 को छोड़कर) सत्ता में रहने के बाद प्रगतिशील मध्य प्रदेश की कहानी बताएगा, जिसमें से 16 सालों से अधिक समय तक सरकार का नेतृत्व वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कर रहे हैं।
शाह की 20 अगस्त की भोपाल और ग्वालियर यात्रा के बारे में विस्तार से बताते हुए, राज्य भाजपा प्रमुख वी.डी. शर्मा ने कहा कि केंद्रीय मंत्री शाह भोपाल में राज्य में भाजपा शासन के 18 वर्षों से अधिक के गरीब कल्याण (गरीब वर्ग कल्याण) केंद्रित रिपोर्ट कार्ड पेश करेंगे। इसके बाद वह अटल बिहारी वाजपेयी सभागार में पार्टी की विस्तारित राज्य कार्यकारिणी/कार्य समिति की बैठक में भाग लेने के लिए ग्वालियर जाएंगे।
विशेष रूप से, ग्वालियर तीन शक्तिशाली भाजपा नेताओं केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया और राज्य के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का गृह जिला है। आगामी विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी की तैयारी का मार्गदर्शन करने के लिए 40 दिनों से भी कम समय में शाह की भाजपा शासित राज्य की यह चौथी यात्रा होगी।
इससे पहले, शाह ने 11 जुलाई और 25 जुलाई को भोपाल और 30 जुलाई को इंदौर का दौरा किया था। उनका ग्वालियर दौरा विशेष महत्व रखता है, क्योंकि माना जाता है कि भाजपा के आंतरिक सर्वेक्षणों ने 34 विधानसभा सीटों वाले मजबूत ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में पार्टी की संभावनाओं के लिए एक निराशाजनक तस्वीर पेश की है।
जैसा कि राज्य भाजपा इकाई ने पहले ही अपने रिपोर्ट कार्ड की तुलना पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार (1993-2003) के 10 साल के शासन से करना शुरू कर दिया है, संभावना है कि सत्तारूढ़ पक्ष इसे साबित करने के लिए तीन दशक पहले राज्य की स्थितियों को उजागर करेगा। मध्य प्रदेश के अपने ही 'स्वर्ण युग' के दावे से इनकार नहीं किया जा सकता।
अर्थव्यवस्था, शासन, सड़क, बिजली, गरीबी दर और भी बहुत कुछ जैसे विषयों को उजागर करने के लिए भाजपा के आईटी सेल का अभियान पिछले कुछ महीनों से सोशल मीडिया में पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के लिए "बंटाधार" टैग के साथ चल रहा है।
हालांकि, कमल नाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस ने एक मास्टर स्ट्रोक खेला और मध्य प्रदेश में सीएम चौहान के लगभग दो दशकों के शासन के खिलाफ एक तथाकथित आरोप पत्र जारी किया।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने विपक्ष के नेता (एलओपी) गोविंद सिंह के साथ शुक्रवार को "घोटाला" टाइटल से एक नया पोस्टर जारी किया।
अपने आरोपपत्र में कांग्रेस ने बीजेपी सरकार पर 15,000 करोड़ रुपये का पोषण आहार घोटाला, 12,000 करोड़ रुपये का मिड-डे मील घोटाला, 9,500 करोड़ रुपये का आंगनवाड़ी नल-जल घोटाला, 2,000 करोड़ रुपये का व्यापम घोटाला और 800 करोड़ रुपये का पटवारी भर्ती घोटाला का आरोप लगाया है।
कुल मिलाकर, कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में भाजपा के 18 साल के शासन के दौरान हुए 254 घोटालों की सूची जारी की। जिसमें 50,000 करोड़ रुपये का खनन घोटाला, 86,000 करोड़ रुपये का शराब घोटाला, 94,000 करोड़ रुपये का बिजली घोटाला और 100 करोड़ रुपये का महाकाल लोक घोटाला भी शामिल हैं।
सत्तारूढ़ भाजपा को घेरने के लिए पोस्टर "घोटाला" जारी करने के बाद, राज्य कांग्रेस प्रमुख कमल नाथ ने सीएम शिवराज सिंह चौहान को "ठग-राज" करार दिया और कहा कि अगले तीन महीनों में कुछ और घोटाले उजागर होंगे।
एमपी कांग्रेस प्रमुख कमल नाथ ने शनिवार को सीएम शिवराज पर ताजा हमला बोलते हुए कहा, ''कांग्रेस पार्टी ने शिवराज सरकार के 18 साल के घोटालों की सूची जनता के सामने रख दी है। मुझे उम्मीद है कि मुख्यमंत्री प्रत्येक घोटाले के लिए जनता से माफ़ी मांगेंगे और अपने सहित सभी आरोपियों को न्याय के कटघरे में लाएंगे।'' (आईएएनएस)।
नई दिल्ली, 18 अगस्त । सुप्रीम कोर्ट करोड़ों रुपये के चारा घोटाले के सिलसिले में राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद को झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा दी गई जमानत को चुनौती देने वाली सीबीआई की याचिका पर जल्द सुनवाई के लिए सहमत हो गया है।
शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर उपलब्ध विवरण के अनुसार, इस मामले पर 25 अगस्त को सुनवाई होने की संभावना है।
दिग्गज नेता को अप्रैल 2022 में झारखंड हाई कोर्ट ने जमानत दे दी थी। (आईएएनएस)।
हसन, (कर्नाटक) 18 अगस्त कर्नाटक में लगातार हो रहे हाथियों के हमलों से लोग परेशान है। इसी बीच शुक्रवार को राज्य के हसन जिले में एक जंगली हाथी ने महिला पर हमला बोल दिया। महिला को तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई।
मृतका की पहचान कविता (37) के रूप में हुई है। जो वडुरु गांव में अपने माता-पिता से मिलने आई थी। यह घटना तब हुई जब कविता अपने घर के पीछे खेत में गई थी। वहीं अचानक से आए हाथी ने उस पर हमला कर दिया।
परिवार के सदस्य तुरंत महिला को हासन जिला अस्पताल ले गए, लेकिन उसने दम तोड़ दिया।
वन विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे और उन्होंने जंगली हाथी का पता लगाने और उसे स्थानांतरित करने की योजना बनाई है।
इस बीच गांव के लोगों ने लगातार हाथियों के हमले पर चिंता व्यक्त की है। (आईएएनएस)।
नई दिल्ली, 18 अगस्त । दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के साप्ताहिक प्रकाशन, ऑर्गनाइजर और एक अन्य समाचार मंच, द कम्यून को 'भारतीय कैथोलिक चर्च सेक्स स्कैंडल: पादरी का ननों व हिंदू महिलाओं का शोषण पर्दाफाश ' शीर्षक से प्रकाशित अपमानजनक लेख हटाने का आदेश दिया है।
लेख में आरोप लगाया गया कि दिल्ली स्थित एक ईसाई अल्पसंख्यक स्कूल के प्रिंसिपल छात्रों, स्टाफ सदस्यों और अन्य लोगों के साथ यौन गतिविधियों में शामिल हैं।
न्यायमूर्ति ज्योति सिंह ने मामले की अध्यक्षता करते हुए दोनों प्रकाशनों को जून में प्रकाशित लेख को हटाने का निर्देश दिया।
अदालत ने माना कि लेख लापरवाही से और तथ्यात्मक सत्यापन के बिना प्रकाशित किए गए थे, इससे स्कूल के प्रिंसिपल की प्रतिष्ठा खराब हुई।
वादी ने तर्क दिया कि यह लेख उसकी प्रतिष्ठा और मिशनरियों की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ उसकी पदोन्नति में बाधा डालने के लिए है।
अदालत ने कहा कि दोनों प्लेटफार्मों के खिलाफ पुलिस शिकायत दर्ज की गई है और जांच लंबित है।
अदालत ने किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा की रक्षा के महत्व को देखा और संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रतिष्ठा के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में स्वीकार किया।
इसने रेखांकित किया कि अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत निहित भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा के अधिकार के विरुद्ध संतुलित किया जाना चाहिए, जो अपमानजनक सामग्री से प्रभावित हो सकता है।
इसके बाद अदालत ने ऑर्गनाइज़र और द कम्यून के ख़िलाफ़ एक पक्षीय विज्ञापन-अंतरिम निषेधाज्ञा जारी की, और उन्हें अपने प्लेटफ़ॉर्म से लेख हटाने का आदेश दिया। (आईएएनएस)।
जयपुर, 18 अगस्त जयपुर के एक होटल में दो नाबालिग लड़कियों को कथित रूप से बंधक बनाकर उनके साथ बलात्कार करने के मामले में पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार किया है, वहीं दो नाबालिग आरोपियों को हिरासत में लिया है। पुलिस ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
पुलिस ने बताया कि बंधक बनायी गई लड़कियों में से एक भाग कर किसी तरह सदर थाना पहुंचने में कामयाब रही, वहीं दूसरी लड़की को पुलिस ने मुक्त कराया। दोनों किशोरियों की उम्र 17 और 14 साल है।
पुलिस ने बताया कि मामले में मुख्य आरोपी मोनू उर्फ मोइन (19) को मंगलवार को गिरफ्तार कर लिया गया जबकि दो अन्य नाबालिग आरोपियों को बृहस्पतिवार को हिरासत में लिया गया। उसने बताया कि आरोप है कि दोनों नाबालिग आरोपियों ने भी एक पीड़िता के साथ बलात्कार किया है।
पुलिस के अनुसार, मोनू मदद करने के नाम पर कथित रूप से दोनों लड़कियों को होटल के कमरे में ले गया और उनके साथ बलात्कार किया।
कोतवाली क्षेत्र के सहायक पुलिस आयुक्त नरेन्द्र कुमार ने बताया कि 17 साल की पीड़िता ने सोमवार को अपने परिवार के साथ पहुंचकर तहरीर दी जिसके आधार पर सदर थाना पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर ली है। (भाषा)
इंफाल, 18 अगस्त जातीय हिंसा से प्रभावित मणिपुर में संघर्ष की ताजा घटना में शुक्रवार को उखरूल जिले के कुकी थोवाई गांव में भारी गोलीबारी के बाद तीन लोगों के क्षत-विक्षत शव मिले। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि ताजा हिंसा लिटान पुलिस थाना क्षेत्र अंतर्गत आने वाले एक गांव में हुई, जहां सुबह-सुबह गोलियों की आवाज सुनाई दी। अधिकारी ने बताया कि पुलिस ने आसपास के गांवों और जंगलों की गहन तलाशी ली और 24 वर्ष से 35 वर्ष की उम्र के तीन लोगों के शव पाए गये।
अधिकारियों के मुताबिक, तीनों शवों पर धारदार चाकू से हमले के निशान है तथा उनके हाथ-पैर भी कटे हुए हैं।
पूर्वोत्तर राज्य में बहुसंख्यक मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' आयोजित किये जाने के दौरान तीन मई को हिंसा भड़की थी। तब से राज्य में 160 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है।
मणिपुर की कुल आबादी में मेइती समुदाय के लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी नगा और कुकी समुदाय के लोगों की संख्या 40 प्रतिशत है और वे ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं। (भाषा)
नयी दिल्ली, 18 अगस्त प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को भाजपा के 'जिला पंचायत' सदस्यों से विभिन्न विकास पहलों को जन-आंदोलन बनाने के लिए काम करने का आग्रह किया और कहा कि 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने के लिए 'हर गांव, तहसील और जिले में विकास का दीपक जलाना है।'
गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों के स्थानीय निकाय सदस्यों की "क्षेत्रीय पंचायती राज परिषद" को वर्चुअल रूप से संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि 'सबका साथ, सबका विकास’ भाजपा के लिए केवल एक नारा नहीं है और उन्हें इसे हर पल आत्मसात करना चाहिए।
यह सम्मेलन दादर और नगर हवेली और दमन एवं दीव में आयोजित किया जा रहा है, जहां प्रधानमंत्री के संबोधन के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष जेपी नड्डा भी मौजूद थे।
पहले मुख्यमंत्री और फिर प्रधानमंत्री के रूप में अपने अनुभव का हवाला देते हुए मोदी ने कहा कि स्थानीय निकायों में विभिन्न पदों पर कार्यरत लोगों को प्राथमिकता के तौर पर अपने गांवों और जिलों के लिए कुछ काम करना चाहिए तथा लोगों का समर्थन प्राप्त करके इसे सफल बनाने के लिए हरसंभव प्रयास करना चाहिए।
मोदी ने कहा कि केंद्र में सत्ता में आने पर उन्होंने शौचालय बनाने और गरीबों के लिए बैंक खाते खोलने का फैसला किया।
प्रधानमंत्री ने जिला पंचायत सदस्यों से हर साल तीन परियोजनाओं को प्राथमिकता के तौर पर लेने के लिए बैठकें आयोजित करने का आग्रह किया। उन्होंने यह भी कहा कि स्थानीय निकायों के लिए कोष कई गुना बढ़ गया है और संसाधन कोई बाधा नहीं हैं।
मोदी ने परिसंपत्ति निर्माण के लिए मनरेगा बजट के एक हिस्से का उपयोग करने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, "पहले, अनुदान 70,000 करोड़ रुपये हुआ करता था, लेकिन अब यह तीन लाख करोड़ रुपये से अधिक है। हमने 30,000 से अधिक जिला पंचायत भवनों का निर्माण किया है।"
यह उल्लेख करते हुए कि स्थानीय निकायों के भाजपा सदस्य इसी तरह की कार्यशालाएं आयोजित करते रहे हैं, मोदी ने कहा कि पार्टी चुनाव जीतने के लिए ऐसा नहीं कर रही, बल्कि 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने की दिशा में काम कर रही है। (भाषा)
नयी दिल्ली, 18 अगस्त भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी. वाई. चंद्रचूड़ की अदालत को शुक्रवार को मामलों की ऑनलाइन सुनवाई के दौरान ऑडियो व्यवधान का सामना करना पड़ा। उच्चतम न्यायालय से जुड़े सूत्रों ने यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि उच्चतम न्यायालय की तकनीकी टीम ने समस्या बाद में सुलझा ली और गतिरोध दूर हो गया।
इस व्यवधान के कारण कई वकील, याचिकाकर्ता और पत्रकार प्रधान न्यायाधीश की अदालत के समक्ष पेश होने या न्यायिक कार्यवाही को देखने में असमर्थ रहे।
प्रत्यक्ष सुनवाई के अलावा शीर्ष अदालत ने वकीलों और अन्य को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से अदालत की कार्यवाही में हिस्सा लेने की अनुमति दी है। (भाषा)
गुजरात के गांधीनगर में पारंपरिक चिकित्सा पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की पहली शीर्ष बैठक हो रही है. संस्था इन पद्धतियों के पीछे प्रमाण खोजने की कोशिश कर रही है लेकिन उस पर छद्म विज्ञान को बढ़ावा देने के आरोप लग रहे हैं.
संगठन ने एक बयान में कहा कि "दुनियाभर के लाखों लोगों सबसे पहले" पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों का रुख करते हैं. उसने यह भी कहा कि गांधीनगर की बैठक में नीतिनिर्माता और इन पद्धतियों के जानकार साथ मिल कर इनकी तरफ "राजनीतिक प्रतिबद्धता और प्रमाण-आधारित कार्रवाई" करवाने की कोशिश करेंगे.
बैठक का उद्घाटन करते हुए संगठन के मुखिया तेदरोस अधनोम घेब्रेयेसूस ने कहा, "डब्ल्यूएचओ पारंपरिक चिकित्सा के सुरक्षित, किफायती और न्यायोचित इस्तेमाल के प्रमाण और जानकारी इकठ्ठा करने की कोशिश कर रहा है जिनसे नीतियां, मानक और नियम बनाये जा सकें."
छद्म विज्ञान को बढ़ावा?
उन्होंने पहले चेतावनी दी थी कि ये पद्धतियां स्वास्थ्य सेवाओं तक "पहुंच की समस्याओं" को कम कर सकती है लेकिन ये तभी काम की सिद्ध होंगी अगर इन्हें "उचित, प्रभावशाली और - सबसे ज्यादा जरूरी - ताजा वैज्ञानिक प्रमाण के आधार पर सुरक्षित रूप से इस्तेमाल किया जाएगा."
लेकिन संगठन को कई आलोचकों की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है जो उस पर छद्म विज्ञान को वैज्ञानिक प्रामाणिकता देने का आरोप लगा रहे हैं. ऐसा तब हुआ जब संगठन ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में पूछा कि क्या लोगों ने होम्योपैथी और नेचुरोपैथी जैसे इलाजों का इस्तेमाल किया है.
संगठन ने बाद में एक और पोस्ट में कहा कि उसने इन "चिंताओं" की तरफ ध्यान दिया है और माना कि "उसका संदेश और बेहतर तरीके से दिया जा सकता था."
गांधीनगर में हो रही दो दिवसीय बैठक शहर में हो रही जी20 देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों की बैठक के साथ साथ हो रही है. नोबेल विजेता और डब्ल्यूएचओ साइंस काउंसिल के अध्यक्ष हेरोल्ड वरमुस ने वीडियो लिंक के जरिये बैठक को संबोधित किया.
मानकों पर खरा उतरने की जरूरत
उन्होंने कहा, "हमें असली जीवन के एक बेहद जरूरी तथ्य को मानने की जरूरत है कि पारंपरिक चिकित्सा का बहुत इस्तेमाल किया जाता है. यह समझना जरूरी है कि पारंपरिक चिकित्सा में कौन सी सामग्रियों का इस्तेमाल किया जाता है, वो कुछ मामलों में क्यों काम कर जाती हैं... और महत्वपूर्ण रूप से, हमें यह समझने और पहचानने की जरूरत है कि कौन सी पारंपरिक चिकित्साएं काम नहीं करती हैं."
इस बैठक को अब नियमित रूप से आयोजित करने की योजना है. इसके पहले पिछले साल गुजरात में ही डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिनखोला गया था. पारंपरिक चिकित्सा का दुनिया के कुछ हिस्सों में काफी इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन इनकी कड़ी आलोचना भी की जाती है.
डब्ल्यूएचओ की पारम्परिक चिकित्सा की परिभाषा के मुताबिक यह स्वास्थ्य को बनाये रखने के लिए और शारीरिक और मानसिक बीमारियों को बचने, उनका पता लगाने और उनका इलाज करने के कुछ समय तक इस्तेमाल किया जाने वाला ज्ञान, कौशल और व्यवहार है.
लेकिन कई पारंपरिक इलाजों का कोई सिद्ध किया हुआ वैज्ञानिक मूल्य नहीं है. संरक्षणकर्ताओं का कहना है कि इस उद्योग की वजह से बाघ, गेंडे और पैंगोलिन जैसे लुप्तप्राय जानवरों का भारी व्यापार होता है जिसे इनके लुप्त होने का खतरा बढ़ जाता है.
वैज्ञानिक आधार का महत्व
डब्ल्यूएचओ के शोध प्रमुख जॉन रीडर ने एक बयान में कहा, "पारंपरिक चिकित्सा के विज्ञान कोआगे बढ़ाते समय इस पर भी वही कड़े मानक लागू किये जाने चाहियें जो स्वास्थ्य के दूसरे क्षेत्रों में लागू होते हैं."
संगठन के 194 सदस्य देशों में से 2018 के बाद से 170 देशों ने पारंपरिक और कॉम्प्लिमेंटरी चिकित्सा के इस्तेमाल को स्वीकारा है, लेकिन सिर्फ 124 देशों ने बताया कि उनके पास हर्बल दवाओं के इस्तेमाल को लेकर नियम और कानून हैं.
170 देशों में से सिर्फ आधे देशों के पास इस तरह की प्रक्रियाओं और दवाओं को लेकर कोई राष्ट्रीय नीति है. संगठन ने कहा, "प्राकृतिक का मतलब हमेशा सुरक्षित नहीं होता है और सदियों से किसी चीज का इस्तेमाल उसकी गुणकारिता की गारंटी नहीं होता; इसलिए, जो कड़ा प्रमाण जरूरी है उसे पाने के लिए वैज्ञानिक तरीका और प्रक्रिया का इस्तेमाल होना ही चाहिए."
संगठन के मुताबिक इस समय इस्तेमाल किये जा रहे स्वीकृति प्राप्त फार्मास्यूटिकल उत्पादों में से करीब 40 प्रतिशत एक "प्राकृतिक उत्पाद" पर आधारित हैं. संगठन ने जानी मानी दवाओं के बारे में बताया है जो पारंपरिक दवाओं से बनाई जाती हैं, जैसे एस्पिरिन जो विल्लो वृक्ष की छाल के इस्तेमाल से बने फार्मूलेशन पर आधारित है.
सीके/एए (एएफपी)
सतना, 18 अगस्त । मध्यप्रदेश के सतना जिले में पांच साल की मासूम बालिका से दुष्कर्म करने के आरोपी के घर पर मशीन चलाई जा रही है। आरोपी पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है।
सतना जिले के जीवन ज्योति कॉलोनी के 35 वर्षीय राकेश वर्मा ने अपनी दादी के साथ भीख मांगकर जीवन यापन करने वाली पांच साल की मासूम को अपनी हवस का शिकार बनाया था।
हालत गंभीर होने पर मासूम को रीवा अस्पताल भेजा गया है, जहां हालत स्थिर बनी हुई है।
आरोपी पिछले दिनों ही जेल से छूट कर आया था। यह वारदात बुधवार की है।
मासूम के साथ ज्यादती करने के आरोपी राकेश वर्मा को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है और वह जेल भेजा जा चुका है, वहीं आरोपी के मकान को ढहाए जाने की कार्रवाई जारी है।
शुक्रवार की सुबह मकान गिराने के लिए जेसीबी मशीन भेजी गई मगर रास्ता संकरा होने के कारण वह मकान तक नहीं पहुॅच पाई। इसके चलते दूसरी मशीनों के जरिए आरोपी के मकान गिराए जाने की कार्रवाई चल रही है।
मौके पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया है और राजस्व के अधिकारी भी कार्रवाई पर नजर रखे हुए हैं। (आईएएनएस)।
भारी बारिश से हुए भूस्खलन ने बुरी तरह से जिंदगी प्रभावित की है. हिंसा प्रभावित मणिपुर में जरूरी सामान पहुंचाने में मुश्किल हो रही है. राज्य में ईंधन और आवश्यक सामान ले जाने वाले सैकड़ों ट्रक फंस गए हैं.
भारत में भूस्खलन के चलते ना सिर्फ हिमाचल प्रदेश में जिंदगी बेहाल है बल्कि इसकी वजह से मणिपुर में भी गंभीर दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. लंबी दूरी के यातायात पर भी बहुत बुरा असर हुआ है. हिंसा प्रभावित मणिपुर में जरूरी सामान पहुंचाने में मुश्किल हो रही है. राज्य में ईंधन और आवश्यक सामान ले जाने वाले सैकड़ों ट्रक फंस गए हैं. हाल ही में भारी बारिश से आई तबाही में करीब 84 लोगों की मौत भी हो गयी. पुलिस ने कहा कि बुधवार की बारिश के बाद मणिपुर की राजधानी इंफाल के पास एक राजमार्ग के एक हिस्से में चट्टानों और कीचड़ के चलते 400 ट्रक फंस गए. उन्होंने आगे कहा कि लगातार बारिश के कारण सड़क साफ करने के प्रयासों में परेशानी आ रही है.
मणिपुर मई में शुरू हुई घातक जातीय हिंसा के बाद शांति बहाल करने की कोशिश में है. इस हिंसा में करीब 180 लोग मारे गए और हजारों लोगों को अपने घरों को छोड़कर जाना पड़ा.
जलवायु परिवर्तन की खतरनाक मार
उधर हिमाचल प्रदेश में भी भूस्खल से सैंकड़ों इमारतों को नुकसान पहुंचा है और करीब 70 लोगों के मरने की खबर है जबकि 15 लापता हैं. जिनकी तलाश जारी है. राज्य के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने एक भारतीय अखबार को बताया कि विनाश के कारणों में सिर्फ कुदरत ही नहीं बल्कि अंधाधुंध निर्माण और अनुचित संरचनात्मक डिजाइन जिम्मेदार है.
मौसम विभाग का कहना है कि 1 जून से भारी मॉनसूनी बारिश के चलते हिमाचल प्रदेश में सामान्य से 45 फीसदी और उत्तराखंड में 18 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है, जो पिछले महीने काफी मात्रा में हुई थी.जलवायु परिवर्तन के खतरनाक परिणामों में से एक भारी बारिश है. बीते कुछ सालों में हिमालय क्षेत्र में बढ़ते कंस्ट्रक्शन कार्य ने न सिर्फ भारत बल्कि पड़ोसी देश नेपाल और पाकिस्तान में भी अचानक बाढ़ और भूस्खलन से तबाही मचाई.
सैकड़ों जानें गईं
आपदा प्रबंधन अधिकारी प्रवीण भारद्वाज ने कहा कि इस हफ्ते उत्तर-पश्चिमी राज्य हिमाचल प्रदेश में भूस्खलन के कारण सैकड़ों बिल्डिंग्स ढह गईं.इस दौरान, लगभग 68 लोगों की मौत हो गई और करीब 15 लोग लापता हो गए. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पड़ोसी राज्य उत्तराखंड में इस हफ्ते भूस्खलन में कम से कम 16 लोगों की मौत हो गई और बुधवार तक 15 लोग लापता हैं.
आंकड़ों के अनुसार पिछले महीने हिमाचल प्रदेश में बारिश से संबंधित घटनाओं में करीब 88 लोगों की मौत हुई. जबकि उत्तराखंड में जून से प्राकृतिक आपदाओं के कारण हुई घटनाओं में 74 लोगों की मौत हो गई.
पीवाई/एसबी (रायटर्स)
लखनऊ, 18 अगस्त । उत्तर प्रदेश सरकार ने मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों को अपने क्षेत्रों में दैनिक समाचार पत्रों में प्रकाशित होने वाली "नकारात्मक खबरों" की जांच करने और मॉनिटरिंग के लिए इसका विवरण ऑनलाइन एकीकृत शिकायत निवारण प्रणाली (आईजीआरएस) पर अपलोड करने का निर्देश दिया है।
इस संबंध में मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव संजय प्रसाद ने पत्र जारी किया है।
पत्र में, प्रसाद ने कहा कि "नकारात्मक समाचार" में तथ्यों की तुरंत जांच करना आवश्यक है, क्योंकि ये चीजें सरकार की छवि को खराब करती हैं। पत्र में कहा गया है कि अगर यह जानकारी मिलती है कि सरकार या जिला प्रशासन की छवि को बदनाम करने के लिए किसी विशिष्ट घटना को ''तोड़-मरोड़कर या भ्रामक तथ्यों'' के साथ प्रस्तुत किया गया है, तो संबंधित जिला मजिस्ट्रेट को संबंधित मीडिया समूह के प्रबंधन को लिखना चाहिए, ताकि स्थिति स्पष्ट की जा सके।
यह पहली बार है कि सरकार की ओर से इस तरह के निर्देश जारी किये गये हैं। (आईएएनएस)।
ग्रेटर नोएडा, 18 अगस्त । नोएडा-ग्रेटर नोएडा में लिफ्ट में लोगों के फंसने का एक नया मामला सामने आया है। इस बार यह हादसा सुपरटेक इको विलेज 1 में हुआ है। इसका वीडियो सामने आया है, जिसके मुताबिक गुरुवार रात करीब 8 बजे सुपरटेक इकोविलेज वन में एक लिफ्ट ग्राउंड फ्लोर और बेसमेंट के बीच में अटक गई।
मिली जानकारी के मुताबिक लिफ्ट से लोग ग्राउंड फ्लोर पर जा रहे थे, तभी अचानक लिफ्ट ग्राउंड फ्लोर पर न रुक कर बेसमेंट और ग्राउंड के बीच में जाकर अटक गई। करीब 5 लोग फंस गए।
काफी मशक्कत के बाद मेंटेनेंस टीम और सिक्योरिटी टीम ने लिफ्ट के आगे के दरवाजे को अलग कर लोगों को बाहर निकाला।
लिफ्ट में फंसने का यह कोई पहला मामला नहीं है इससे पहले भी कई मामले सामने आए हैं जिसमें बुजुर्ग और बच्चे समेत कई लोग घंटे लिफ्ट में फंसे हुए दिखाई दिए थे।
बीते 3 अगस्त को भी नोएडा के सेक्टर 137 में बने पारस टियरा सोसाइटी में एक लिफ्ट का तार टूटने से लिफ्ट 22 वें माले पर अटक गई थी, जिसके अंदर मौजूद एक 72 वर्षीय बुजुर्ग महिला की दम घुटने की वजह से मौत हो गई थी।
एक के बाद एक कई घटनाओं के बाद अब लोगों को हाईराइज सोसाइटी में रहने में डर लगने लगा है। ग्रेटर नोएडा वेस्ट में कोई इक्का-दुक्का सोसायटी ही होगी जिसमें लिफ्ट में लोगों के फंसने का मामला न हुआ हो। लगभग हर सोसाइटी में इस तरीके का मामला सामने आ चुका है। अब लिफ्ट एक्ट लागू करने की मांग ने जोर पकड़ लिया है।
यह मुद्दा उत्तर प्रदेश के विधानसभा में भी उठाया जा चुका है। (आईएएनएस)।
बेंगलुरु, 18 अगस्त । कर्नाटक पुलिस ने शुक्रवार को कहा कि 38 वर्षीय महिला के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने कहा कि जब घटना सामने आई तो आरोपियों ने पुलिस के साथ शव ढूंढने में भी मदद की।
एक आरोपी ने तो घटना पर चिंता जताते हुए इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से भी बात की थी।
यह घटना पिछले हफ्ते बेंगलुरु के बाहरी इलाके में जिगनी पुलिस स्टेशन की सीमा में हुई थी।
पुलिस के अनुसार, बयातरयानाडोड्डी निवासी 38 वर्षीय मुनिरत्ना के साथ पिछले हफ्ते बन्नेरघट्टा शहर के पास हक्कीपिक्की कॉलोनी के निकट आरोपियों ने बलात्कार किया और उसकी हत्या कर दी। आरोपी ने पीड़िता को रोका था, जो अपने बच्चे के साथ जा महिला को आरोपी खींचकर एक सुनसान जगह पर ले गए और बच्चे को झाड़ी में फेंक दिया व महिला के साथ सामूहिक बलात्कार कर उसकी हत्या कर दी।
जब वह देर तक घर वापस नहीं लौटी, तो उसके परिवार ने उसकी तलाश की और पुलिस से संपर्क किया।
आरोपी खुद को भला इंसान बताते हुए पुलिस और स्थानीय लोगों के साथ तलाशी अभियान में शामिल हो गए। आरोपियों में से एक ने बच्चे को ढूंढ लिया और उसे झाड़ियों से बाहर लाया। बाद में महिला के शव को ढूंढ लिया गया।
एक आरोपी ने इस संबंध में मीडिया बाइट दी और घटना पर चिंता जताई। उन्होंने दावा किया कि वह अपने दोस्तों के साथ बच्चे को ट्रैक करने के लिए सर्च ऑपरेशन में शामिल हुए थे।
पुलिस ने मामले को सुलझाने के लिए चार टीमें गठित की थीं। पुलिस को हरीश के बयानों पर संदेह हुआ और उससे पूछताछ की गई। हरीश लगातार अपने बयान बदलता रहा और पुलिस ने उसे हिरासत में लिया और पूछताछ की। पूछताछ के दौरान आरोपी ने अपना जुर्म कबूल कर लिया।
उसने खुलासा किया कि उसने अपने दो दोस्तों के साथ मिलकर नशे की हालत में अपराध किया है।
जब पुलिस बाकी दोनों को गिरफ्तार करने गई तो आरोपी सोमा उर्फ सोमशेखर ने भागने की कोशिश की और पुलिसकर्मियों पर खंजर से हमला कर दिया। पुलिस को उसके पैर में गोली मारनी पड़ी और बाद में उसे अस्पताल ले जाया गया। (आईएएनएस)।
बेंगलुरु, 18 अगस्त । कांग्रेस के नेतृत्व वाली कर्नाटक सरकार द्वारा मंदिरों के नवीनीकरण और विकास कार्यों के लिए धन जारी करना बंद करने के फैसले की हिंदू संगठनों और भाजपा ने निंदा की है।
सरकार के फैसले के संबंध में राज्य के हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग द्वारा एक आदेश पारित किया गया है और सभी जिला आयुक्तों को जारी किया जा चुका है।
आदेश में कहा गया है कि अगर मंदिरों में जीर्णोद्धार का काम नहीं किया गया, तो फंड जारी नहीं किया जाएगा, साथ ही अगर 50 फीसदी फंड जारी करने की प्रशासनिक मंजूरी दी गई है, तो उसे भी रोक दिया जाए।
आदेश में कहा गया है कि अगर प्रशासनिक मंजूरी का कोई प्रस्ताव है, तो उसे भी रोका जाना चाहिए।
इसकी आलोचना करते हुए, मुजराई और वक्फ के पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक शाहीकला जोले ने कहा, मैं मंदिरों के लिए धन रोकने के सरकार के कदम की निंदा करता हूं। सरकार को मंदिरों को पूर्वाग्रहपूर्ण मानसिकता से नहीं देखना चाहिए। पिछली भाजपा सरकार के दौरान आवंटित धनराशि जारी करना सरकार और मंत्री का कर्तव्य है।
"सरकार को फैसला वापस लेना चाहिए। राज्य में मंदिरों का जीर्णोद्धार किया जाना चाहिए और उनका विकास किया जाना चाहिए। यदि नहीं, तो सरकार को तीव्र विरोध का सामना करना पड़ेगा।"
उन्होंने कहा, “भारतीय संस्कृति में मंदिरों का बहुत महत्व है। हमारे (भाजपा) कार्यकाल के दौरान मंदिरों और धार्मिक केंद्रों के नवीनीकरण के लिए धन जारी किया गया था। आदर्श आचार संहिता के कारण धनराशि की दूसरी किस्त जारी नहीं की गई। उन्हें जारी किया जाना चाहिए।”
इस आदेश से विवाद खड़ा हो गया है। (आईएएनएस)।
बेंगलुरु, 18 अगस्त । कांग्रेस के नेतृत्व वाली कर्नाटक सरकार द्वारा मंदिरों के नवीनीकरण और विकास कार्यों के लिए धन जारी करना बंद करने के फैसले की हिंदू संगठनों और भाजपा ने निंदा की है।
सरकार के फैसले के संबंध में राज्य के हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग द्वारा एक आदेश पारित किया गया है और सभी जिला आयुक्तों को जारी किया जा चुका है।
आदेश में कहा गया है कि अगर मंदिरों में जीर्णोद्धार का काम नहीं किया गया, तो फंड जारी नहीं किया जाएगा, साथ ही अगर 50 फीसदी फंड जारी करने की प्रशासनिक मंजूरी दी गई है, तो उसे भी रोक दिया जाए।
आदेश में कहा गया है कि अगर प्रशासनिक मंजूरी का कोई प्रस्ताव है, तो उसे भी रोका जाना चाहिए।
इसकी आलोचना करते हुए, मुजराई और वक्फ के पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक शाहीकला जोले ने कहा, मैं मंदिरों के लिए धन रोकने के सरकार के कदम की निंदा करता हूं। सरकार को मंदिरों को पूर्वाग्रहपूर्ण मानसिकता से नहीं देखना चाहिए। पिछली भाजपा सरकार के दौरान आवंटित धनराशि जारी करना सरकार और मंत्री का कर्तव्य है।
"सरकार को फैसला वापस लेना चाहिए। राज्य में मंदिरों का जीर्णोद्धार किया जाना चाहिए और उनका विकास किया जाना चाहिए। यदि नहीं, तो सरकार को तीव्र विरोध का सामना करना पड़ेगा।"
उन्होंने कहा, “भारतीय संस्कृति में मंदिरों का बहुत महत्व है। हमारे (भाजपा) कार्यकाल के दौरान मंदिरों और धार्मिक केंद्रों के नवीनीकरण के लिए धन जारी किया गया था। आदर्श आचार संहिता के कारण धनराशि की दूसरी किस्त जारी नहीं की गई। उन्हें जारी किया जाना चाहिए।”
इस आदेश से विवाद खड़ा हो गया है। (आईएएनएस)।
देहरादून, 18 अगस्त । उत्तराखंड में चकराता के कानासर रेंज में बड़ी संख्या में अवैध तरीके से देवदार के पेड़ों को काटने का मामला सामने आया है। देवदार की लकड़िया भी बरामद हुई हैं। इसके बाद इस मामले में कई विभागीय कर्मचारी सस्पेंड किए गए हैं।
चकराता वन प्रभाग के कनासर रेंज मे अवैध पेड़ के बड़े कटान के बाद देहरादून में हड़कंप मच गया है। मामले में कर्मचारियों को निलंबित कर रेंजर को बागेश्वर अटैच किया गया है।
टीम को सूचना मिली थी कि चकराता वनप्रभाग के कनासर रेंज मे देवदार के पेड़ों का अवैध तरीके से कटान हुआ है। इसके बाद बीते दिनों वन विभाग की टीम ने कनासर रेंज में छापेमारी की जिसके लिए कई टीम बुलाई गई थी। टीम ने जो वहां देखा, वह वाकई चौंकाने वाला था। यहां लंबे समय से संरक्षित प्रजाति के देवदार और केल के पेड़ काटे जा रहे थे।
टीम ने छापेमारी मे तकरीबन 3000 देवदार और केल के स्लीपर बरामद की।
बताया जा रहा है कि चकराता से बीजेपी के विधायक प्रत्याशी रामशरण नौटियाल के वीडियो जारी करने के बाद विभाग हरकत में आया।
इस दौरान टीम ने एक गांव के पास स्टोर और राजकीय विद्यालय से भारी मात्रा में लकड़ी की खेप बरामद की।
उधर प्रमुख वन संरक्षक अनूप मलिक की मानें तो मामले में सख्त कार्यवाही की जा रही है। जांच की प्राइमरी रिपोर्ट के आधार पर अवैध कटान मे संलिप्त 2 कर्मचारियों को ससपेंड कर रेंजर महेंद्र गोसाई को बागेश्वर अटैच किया गया है।
जांच पूरी होने पर जिन जिन के नाम सामने आएंगे उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगा।
जानकारी के अनुसार वन विभाग को पुख्ता इनफार्मेशन मिली कि मामले में वन कर्मियों की मिलीभगत के साथ पूरा माफिया गिरोह भी शामिल हो सकता है। कनासर में देवदार की अच्छी प्रजाति पाई जाती है। और इसकी कीमत मार्किट में अधिक है।
जानकारी के अनुसार यहां लंबे समय से संरक्षित प्रजाति के देवदार और केल के पेड़ काटे जा रहे थे और विभाग इससे अनजान बन रहा। (आईएएनएस)।
नई दिल्ली, 17 अगस्त । भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई) पर अपनी ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा किया कि योजना की मंशा के बावजूद लाभार्थियों को इलाज के लिए पैसे का भुगतान करना पड़ा।
गौरतलब है कि एबी-पीएमजेएवाई के तहत लाभार्थिंयों को प्रति वर्ष पांच लाख रुपये तक का स्वास्थ्य कवर प्रदान किया जाता है।
यह लाभार्थियों को सेवाओं के लिए कैशलेस और पेपरलेस सुविधा प्रदान करता है।
एबी-पीएमजेएवाई पर हाल ही में संसद में पेश सीएजी की ऑडिट रिपोर्ट ने कहा, "एसएचए (राज्य स्वास्थ्य एजेंसी) और निजी ईएचसीपीएस (पैनलबद्ध स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता) द्वारा हस्ताक्षरित समझौते में कहा गया है कि पीएमजेएवाई लाभार्थियों को पूरी तरह से कैशलेस तरीके से सेवा प्रदान किया गया।
"अस्पताल में मरीज के प्रवेश के बाद, सभी नैदानिक परीक्षणों, दवाओं, प्रत्यारोपण आदि का खर्च अस्पताल द्वारा वहन किया जाना चाहिए, लेकिन लेखापरीक्षा में ऐसे उदाहरण सामने आया, जहां रोगियों को इलाज के लिए भुगतान करना पड़ा।
"हिमाचल प्रदेश में, पांच ईएचसीपी के 50 लाभार्थियों को अपने नैदानिक परीक्षणों का प्रबंधन अन्य अस्पताल/नैदानिक केंद्र से करना पड़ा और परीक्षणों की लागत लाभार्थियों द्वारा वहन की गई।"
रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि जम्मू-कश्मीर में 10 सार्वजनिक ईएचसीपी पर, 459 मरीजों ने शुरुआत में अपनी जेब से 43.27 लाख रुपये का भुगतान किया, बाद में मरीजों को प्रतिपूर्ति की गई।
75 मरीजों को 6.70 लाख रुपये की प्रतिपूर्ति अभी बाकी है।
सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है, "झारखंड में, बीमा कंपनी ने पाया कि लाइफ केयर हॉस्पिटल, गोड्डा के 36 मरीजों ने दवाओं, इंजेक्शन, रक्त आदि की खरीद के लिए भुगतान किया। बीमा कंपनी के अवलोकन के आधार पर एसएचए ने 28 अगस्त, 2020 को अस्पताल को पांच दिनों के भीतर स्पष्टीकरण देने के लिए कहा। लेकिन अस्पताल ने न तो कोई स्पष्टीकरण प्रस्तुत किया, न ही उसके खिलाफ कोई कार्रवाई की गई।“
रिपोर्ट में कहा गया है कि मेघालय में, फरवरी 2019 से मार्च 2021 तक पांच निजी ईएचसीपी में इलाज कराने वाले 19,459 लाभार्थियों में से 13,418 (69 प्रतिशत) को छुट्टी के समय 12.34 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि का भुगतान करना पड़ा।
"अगस्त, 2022 में, एनएचए ने जवाब दिया कि जेब से खर्च स्वास्थ्य सुविधाओं की अनुपलब्धता के कारण हो सकता है। ऑडिट की राय है कि अस्पतालों को लाभार्थियों को मुफ्त सुविधाएं प्रदान करने के लिए परस्पर संबंधित सेवा प्रदाताओं के साथ सहयोग करना चाहिए। " (आईएएनएस)।
नई दिल्ली, 17 अगस्त । भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई) पर अपनी ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा किया कि योजना की मंशा के बावजूद लाभार्थियों को इलाज के लिए पैसे का भुगतान करना पड़ा।
गौरतलब है कि एबी-पीएमजेएवाई के तहत लाभार्थिंयों को प्रति वर्ष पांच लाख रुपये तक का स्वास्थ्य कवर प्रदान किया जाता है।
यह लाभार्थियों को सेवाओं के लिए कैशलेस और पेपरलेस सुविधा प्रदान करता है।
एबी-पीएमजेएवाई पर हाल ही में संसद में पेश सीएजी की ऑडिट रिपोर्ट ने कहा, "एसएचए (राज्य स्वास्थ्य एजेंसी) और निजी ईएचसीपीएस (पैनलबद्ध स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता) द्वारा हस्ताक्षरित समझौते में कहा गया है कि पीएमजेएवाई लाभार्थियों को पूरी तरह से कैशलेस तरीके से सेवा प्रदान किया गया।
"अस्पताल में मरीज के प्रवेश के बाद, सभी नैदानिक परीक्षणों, दवाओं, प्रत्यारोपण आदि का खर्च अस्पताल द्वारा वहन किया जाना चाहिए, लेकिन लेखापरीक्षा में ऐसे उदाहरण सामने आया, जहां रोगियों को इलाज के लिए भुगतान करना पड़ा।
"हिमाचल प्रदेश में, पांच ईएचसीपी के 50 लाभार्थियों को अपने नैदानिक परीक्षणों का प्रबंधन अन्य अस्पताल/नैदानिक केंद्र से करना पड़ा और परीक्षणों की लागत लाभार्थियों द्वारा वहन की गई।"
रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि जम्मू-कश्मीर में 10 सार्वजनिक ईएचसीपी पर, 459 मरीजों ने शुरुआत में अपनी जेब से 43.27 लाख रुपये का भुगतान किया, बाद में मरीजों को प्रतिपूर्ति की गई।
75 मरीजों को 6.70 लाख रुपये की प्रतिपूर्ति अभी बाकी है।
सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है, "झारखंड में, बीमा कंपनी ने पाया कि लाइफ केयर हॉस्पिटल, गोड्डा के 36 मरीजों ने दवाओं, इंजेक्शन, रक्त आदि की खरीद के लिए भुगतान किया। बीमा कंपनी के अवलोकन के आधार पर एसएचए ने 28 अगस्त, 2020 को अस्पताल को पांच दिनों के भीतर स्पष्टीकरण देने के लिए कहा। लेकिन अस्पताल ने न तो कोई स्पष्टीकरण प्रस्तुत किया, न ही उसके खिलाफ कोई कार्रवाई की गई।“
रिपोर्ट में कहा गया है कि मेघालय में, फरवरी 2019 से मार्च 2021 तक पांच निजी ईएचसीपी में इलाज कराने वाले 19,459 लाभार्थियों में से 13,418 (69 प्रतिशत) को छुट्टी के समय 12.34 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि का भुगतान करना पड़ा।
"अगस्त, 2022 में, एनएचए ने जवाब दिया कि जेब से खर्च स्वास्थ्य सुविधाओं की अनुपलब्धता के कारण हो सकता है। ऑडिट की राय है कि अस्पतालों को लाभार्थियों को मुफ्त सुविधाएं प्रदान करने के लिए परस्पर संबंधित सेवा प्रदाताओं के साथ सहयोग करना चाहिए। " (आईएएनएस)।
नई दिल्ली, 17 अगस्त । दिल्ली में एक रासायन की फैक्ट्री में आग लगने के कारण हुए विस्फोट में पांच दमकलकर्मी घायल हो गए। एक शीर्ष अधिकारी ने गुरुवार को यह जानकारी दी।
दिल्ली अग्निशमन सेवा (डीएफएस) के निदेशक अतुल गर्ग ने कहा कि बुधवार रात 10.56 बजे फैक्ट्री में आग लगने की सूचना मिली, जिसके बाद 30 दमकल गाड़ियों को बवाना औद्योगिक क्षेत्र भेजा गया।
गर्ग ने कहा, "जब दमकलकर्मी आग बुझाने में लगे थे, तभी एक रासायन टैंक में अचानक विस्फोट हो गया, जिसके कारण दीवार और गेट ढह गए और पांच कर्मचारी घायल हो गए।"
"उन्हें महर्षि बाल्मीकि अस्पताल ले जाया गया और प्राथमिक उपचार दिया गया।"
घायल दमकलकर्मियों की पहचान धर्मवीर, अजीत, नरेंद्र, जयवीर और विकास के रूप में हुई है। (आईएएनएस)।
कटनी, 17 अगस्त । मध्य प्रदेश में कटनी जिले में पुलिस जवानों ने एक महिला के बाल पकड़कर घसीटा। पुलिस की हैवानियत का वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। इस महिला और उसके परिवार के अन्य सदस्यों को पुलिस ने शांति भंग करने के आरोप में जेल भी भेजा था।
यह वीडियो लगभग डेढ़ माह पुराना बताया जा रहा है।
यह मामला कटनी जिले के स्लीमानाबाद थाने के कौड़िया गांव का है जहां छह जुलाई को बिजली की हाई टेंशन लाइन बिछाई जा रही थी और छैना बाई विरोध कर रही थी। ऐसा इसलिए क्योंकि यह बिजली की लाइन उसके घर के ऊपर से गुजर रही थी। साथ ही उसके खेत में टावर लगाने का काम भी चल रहा था।
बताया गया है कि छैना बाई और उसके परिवार वालों ने जब विरोध किया तो वहां मौजूद पुलिस जवानों ने महिला के साथ बर्बरतापूर्ण व्यवहार किया और बाल पकड़कर घसीटा भी। यह सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में नजर आ रहा है।
महिला और उसके परिजनों पर शांति भंग करने का आरोप लगाते हुए 151 के तहत केस दर्ज किया गया और जेल भेज दिया गया।
पुलिस ने वहां मौजूद सभी लोगों के मोबाइल फोन भी जब्त कर लिए।
सूत्रों का कहना है कि पुलिस ने अधिकांश मोबाइल के वीडियो भी डिलीट कर दिए थे मगर एक मोबाइल ऐसा था जो लॉक था और पुलिस वीडियो डिलीट करने में नाकाम रही। अब उसी फोन से यह वीडियो वायरल हुआ है।
कटनी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मनोज केड़िया ने संवाददाताओं से चर्चा करते हुए बताया कि यह तहसील बहोरीबंद क्षेत्र का मामला है, जहां पावर कंपनी को पावर ट्रांसमिशन के टावर लगाना है। भूमि का अधिग्रहण हो रहा था। उसी दौरान महिला ने उत्पात मचाया। महिला से मारपीट नहीं की गई, महिला पुलिस द्वारा विधिसम्मत कार्रवाई की गई। यह वीडियो पुराना है।
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के मीडिया सलाहकार पियूष बबेले ने ट्वीट कर कहा, यह है मध्यप्रदेश के शिवराज मामा की लाडली बहना योजना। जो काम महाभारत में दुशासन किया करता था, वह काम मध्यप्रदेश में मामा का शासन कर रहा है। महिला को चोटी पकड़कर घसीटा जा रहा है। ऐसे ही नहीं महिला अत्याचार में मध्यप्रदेश 18 साल में इतना आगे निकला है। (आईएएनएस)।
बदायूं (उप्र),17 अगस्त उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले में सदर कोतवाली थाना क्षेत्र के व्यस्त लाबेला चौक के पास हथियारबंद बदमाशों ने एक बुजुर्ग डॉक्टर दंपति से उनके घर में लूटपाट की। पुलिस ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
पुलिस सूत्रों के अनुसार घटना सदर कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला जोगीपुरा की है। उन्होंने बताया कि डॉ सुरेंद्रनाथ गोविल और उनकी पत्नी डॉ मृदुला गोविल जाने-माने चिकित्सक हैं और उनका अस्पताल तथा आवास जोगीपुरा में है।
पुलिस के अनुसार बुजुर्ग दंपति अकेले ही रहते हैं। उनके दोनों पुत्र नोएडा व गुड़गांव में रहते हैं।
पुलिस के मुताबिक बुधवार शाम करीब साढ़े सात बजे डॉ सुरेंद्रनाथ गोविल अस्पताल बंद करके घर के बरामदे में बैठे थे तभी कम से कम छह बदमाश खुद को मरीज बताकर वहां पहुंच गए और डॉ गोविल को घसीटते हुए ड्राइंग रूम में ले गए।
उसने बताया कि बदमाशों ने डॉ गोविल की पत्नी को भी बंधक बना लिया और घर में रखी नकदी तथा गहने लूट कर फरार हो गए।
अपर पुलिस अधीक्षक (नगर) अमित किशोर श्रीवास्तव ने कहा कि आवश्यक कार्रवाई की जा रही है, शिकायत मिलने पर मामला दर्ज किया जायेगा। (भाषा)
शिमला, 17 अगस्त । हिमाचल प्रदेश की राजधानी में भूस्खलन के कारण मंदिर ढहने की घटना के चौथे दिन गुरुवार को फिर से खोज अभियान शुरू करते हुए बचावकर्मियों ने एक शव बरामद किया। इसके साथ ही घटना में मरने वालों की संख्या बढ़कर 14 हो गई।
एक अधिकारी ने आईएएनएस को बताया कि शव हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर का है। इसे आपदा स्थल से दो किमी दूर से बरामद किया गया।
अधिकारियों को आशंका है कि मिट्टी के ढेर में अभी कम से कम सात लोग और फंसे हो सकते हैं।
अधिकारियों ने कहा कि एक शव को छोड़कर सभी की पहचान कर ली गई और उन्हें उनके परिवार के सदस्यों को सौंप दिया गया।
लोगों के रिश्तेदारों ने उनके ठिकाने के बारे में जानने के लिए स्थानीय अधिकारियों से संपर्क किया है।
एक बचावकर्ता ने कहा, "अब तक हमें सात लापता लोगों के बारे में जानकारी मिली है और हम उनका पता लगाने के काम में लगे हुए हैं।"
उन्होंने कहा कि मृतकों में एक ही परिवार के सात सदस्य शामिल हैं, इनमें तीन बच्चे भी शामिल हैं, जो आपदा के समय शिव बावड़ी मंदिर के अंदर थे।
समर हिल मार्केट में एक दुकान के मालिक 60 वर्षीय पवन शर्मा, उनकी 57 वर्षीय पत्नी संतोष शर्मा, 32 वर्षीय बेटा अमन शर्मा, 27 वर्षीय बहू अर्चना शर्मा और 12 से 1.5 साल की उम्र की तीन पोतियां एक हवन के लिए मंदिर थीं, जब वह ढह गया।
परिवार के चार सदस्यों के शव मिल गए हैं, तीन अभी भी लापता हैं और बचावकर्ताओं का कहना है कि उनके जीवित रहने की संभावना कम है।
आपदा के तुरंत बाद घटनास्थल का दौरा करने वाले मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने इसे "एक अभूतपूर्व त्रासदी" बताया। उन्होंने कहा कि राज्य 50 साल की सबसे भीषण प्राकृतिक आपदा से जूझ रहा है।
उसी दिन, शिमला में फगली में एक और भूस्खलन हुआ जहां पांच लोग मारे गए। एक दिन बाद शिमला के पुराने बस स्टैंड के पास कृष्णा नगर इलाके में कम से कम पांच घर ढह गए, इसमें दो लोगों की मौत हो गई। (आईएएनएस)।
बलिया (उप्र), 17 अगस्त उत्तर प्रदेश पुलिस के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने जिले के सहतवार थाना क्षेत्र से एक महिला नक्सली सहित पांच नक्सलियों को गिरफ्तार किया है।
उत्तर प्रदेश पुलिस के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) की वाराणसी शाखा ने एक बयान जारी करके बताया कि 15 अगस्त को जिले के सहतवार थाना क्षेत्र के बसंतपुर गांव के समीप से महिला नक्सली तारा देवी उर्फ मंजू उर्फ मनीषा, लल्लू राम उर्फ अरुण,सत्य प्रकाश वर्मा,राम मूरत व विनोद साहनी को गिरफ्तार किया गया है।
बलिया के पुलिस अधीक्षक एस आनंद ने बृहस्पतिवार को नक्सलियों की गिरफ्तारी की पुष्टि की।
बयान में कहा गया कि सूचना मिली थी कि नक्सली बिहार व झारखंड के सीमावर्ती जिलों में नक्सली गतिविधियों के विस्तार के लिए नए सदस्यों की भर्ती तथा नक्सल विचारधारा का प्रचार प्रसार करने के बारे में एक गोपनीय बैठक कर रहे थे, तभी इन्हें गिरफ्तार किया गया।
सभी नक्सली बलिया जिले के विभिन्न थाना क्षेत्र के रहने वाले हैं। एटीएस ने इनके पास से भारी मात्रा में नक्सल साहित्य,पर्चे,हस्तलिखित संदेश,इलेक्ट्रॉनिक उपकरण एवं असलहा बरामद किया है।
बलिया जिले से पांच नक्सलियों की गिरफ्तारी के बाद बलिया पुलिस सतर्क हो गई है।
पुलिस अधीक्षक एस आनंद ने कहा कि पुलिस जिले में नक्सली गतिविधियों को लेकर सतर्क है और जांच एजेंसी से प्राप्त हो रही जानकारी के आधार पर कार्रवाई कर रही है। (भाषा)
रांची, 17 अगस्त । साउथ के सुपर स्टार रजनीकांत अपनी फिल्म जेलर की अपार सफलता के बाद अपने आध्यात्मिक गुरु की धरती को नमन करने रांची पहुंचे। रजनीकांत की गुरु परमहंस योगानंद पर गहरी आस्था है। उन्होंने रांची में योगदा आश्रम की स्थापना की थी। यहां योगदा सत्संग सोसायटी का मुख्यालय भी है।
रजनीकांत ने मंगलवार शाम को रांची में झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन से राजभवन में मुलाकात की। राज्यपाल ने गुरुवार को सोशल मीडिया एक्स पर अपने हैंडल के जरिए उनसे मुलाकात की तस्वीरें शेयर की हैं।
राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने लिखा, "अपने मित्र, भारत के महान अभिनेताओं में से एक तथा एक शानदार इंसान रजनीकांत से मिलकर आह्लादित हूं। राजभवन में उनसे सद्भावना मुलाकात हुई। झारखंड की धरती पर उनका स्वागत है।"
रजनीकांत के रांची आने की जानकारी बेहद गोपनीय रही। राज्यपाल ने जब तस्वीरें ट्वीट कीं, तब लोगों को इसका पता चला।
रजनीकांत का रांची से पुराना रिश्ता रहा है। वे यहां आध्यात्मिक साधना और प्रार्थना के लिए अक्सर गुप्त तरीके से आते रहे हैं। रांची में योगदा सत्संग आश्रम का मुख्यालय है और वे यहां प्रायः आते रहे हैं।
रजनीकांत योगदा सत्संग के स्थायी सदस्य हैं।
बताते हैं कि वर्ष 1990 के बाद जब रजनीकांत की फिल्में फ्लॉप होने लगीं तो वह निराश होने लगे थे। इसी बीच 1998 में रजनीकांत को स्वामी परमहंस योगानंद की किताब ‘ऑटोबायॉग्रफी ऑफ अ योगी’ पढ़ने को मिली।
इस किताब से वह इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने भी योगदा आश्रम में क्रिया योग की दीक्षा लेने की ठान ली। साथ ही परमहंस को अपना गुरु मान लिया।
परमहंस योगानंद ने रांची में योगदा सत्संग का सबसे पहला मठ स्थापित किया था। वर्ष 2000 में रजनीकांत ने अपने गुरु परमहंस योगानंद पर 'बाबा' फिल्म बनाई। इसके बाद 2002 में पहली बार रजनीकांत उत्तराखंड के योगदा आश्रम पहुंचे थे। उन्होंने आश्रम के तत्कालीन संचालक स्वामी नित्यानंद गिरि महाराज से मुलाकात की। वहां उन्हें क्रिया योग की दीक्षा प्रदान की गई। तब से उनका करियर सुधर गया।
इसके बाद से आध्यात्मिक शांति के लिए रजनीकांत अक्सर योगदा सत्संग के आश्रमों में आते रहते हैं। रजनीकांत कई बार कह चुके हैं कि अध्यात्म और क्रिया उनके जीवन की सफलता में बड़ा रोल अदा कर रहे हैं।
इन दिनों रजनीकांत जेलर फिल्म को लेकर फिर चर्चा के केंद्र में हैं। यह फिल्म देश-दुनिया में धूम मचा रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उनकी फिल्म जेलर रिलीज होने के सातवें दिन तक भारत में 200 करोड़ से अधिक और दुनिया में 400 करोड़ की कमाई की है। (आईएएनएस)।