अंतरराष्ट्रीय
-इस्लाम गुल आफ़रीदी
पाकिस्तानी के क़बीलाई ज़िले लोअर औरकज़ई के जहांगीर जानाना (30 साल) और उस इलाक़े के दूसरे किसान बारिश के होने और सरकार से भांग की खेती को क़ानूनी मंज़ूरी मिलने का इंतज़ार कर रहे हैं. किसानों के अनुसार, उन्हें अगले कुछ दिनों में बारिश होने की उम्मीद तो है, पर सरकार के फ़ैसले को लेकर कुछ नहीं पता.
उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बावजूद जहांगीर और उनके परिवार की आय का मुख्य स्रोत भांग की फ़सल से मिलने वाली चरस की ग़ैर क़ानूनी बिक्री है, जिससे वे पांच से छह लाख रुपए सालाना कमा लेते हैं. हालांकि पिछले कई सालों से इस फ़सल से होने वाली उनकी आय अब आधी रह गई है, क्योंकि अफ़ग़ानिस्तान से होने वाली तस्करी के कारण दाम में कमी आई है.
ख़ैबर पख़्तूनख़्वा के तीन ज़िलों यानी ख़ैबर की वादी तीराह, औरकज़ई और कुर्रम के ख़ास इलाक़ों में भांग की खेती की जाती है. इससे बनने वाली चरस की तस्करी न सिर्फ़ देश के अंदर बल्कि विदेशों में भी होती है.
दूसरे देशों में भांग के अवयवों से भोजन, कपड़े, दवाइयां और निर्माण सामग्रियां बनती हैं, जो भांग से बनने वाली चरस की अपेक्षा बहुत अधिक आय देती हैं.
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इस आधार पर ख़ैबर पख़्तूनख़्वा सरकार ने सन 2021 में ज़िला ख़ैबर की वादी तीराह, औरकज़ई और कुर्रम में भांग की क़ानूनी खेती और इससे चरस व अन्य मादक पदार्थ बनाने के बदले उसके लाभकारी इस्तेमाल के उद्देश्य से सर्वे कराने का निर्णय किया था जिसकी ज़िम्मेदारी पेशावर विश्वविद्यालय के फार्मेसी विभाग को दी गयी थी.
फार्मेसी विभाग से संबद्ध प्रोफेसर फ़ज़ल नासिर उस योजना के संरक्षक थे. बीबीसी को उन्होंने बताया कि जून 2021 से तीन ज़िलों में भांग से संबंधित सर्वे शुरू हुआ और आधुनिक प्रणाली और प्रौद्योगिकी को प्रयोग में लाते हुए छह महीने की अल्प अवधि में कुल क्षेत्रफल पर भांग की खेती और चरस की सालाना उपज से संबंधित जानकारी एकत्रित कर दिसंबर 2021 में ख़ैबर पख़्तूनख़्वा इकोनॉमिक ज़ोन के पास जमा किया गया है.
उन्होंने बताया कि इस शोध कार्य पर एक करोड़ 43 लाख रुपये खर्च हुए हैं. जिन क्षेत्रों में सर्वे हुआ था वहां से संबंध रखने वाले किसान आशान्वित थे कि राज्य सरकार चालू साल में भांग की खेती के लिए सभी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए सरकारी कार्रवाई पूरी कर लेगी लेकिन यह योजना विलंब का शिकार हो गयी.
सर्वे रिपोर्ट से क्या पता चला?
सर्वे रिपोर्ट में सरकार को प्रस्ताव दिया गया है कि चरस से 'सीबीडी' तेल निकालने और भांग के तने से विभिन्न सामान तैयार करने के लिए भांग की खेती वाले तीन ज़िलों में छह कारख़ाने लगाये जाएं जिससे छह हज़ार लोगों को सीधे काम के अवसर मिलेंगे.
खुले बाज़ार में 'सीबीडी' तेल का प्रति लीटर मूल्य 1250 से 1500 अमेरिकी डालर है जबकि साढ़े तीन किलो चरस से एक लीटर तेल निकलता है. 'सीबीडी' तेल के अच्छे मूल्य के कारण इसे 'हरा सोना' भी कहा जाता है.
रिपोर्ट में भांग के बीज में आधारभूत परिवर्तन लाने का प्रस्ताव दिया गया है क्योंकि वर्तमान फ़सल में नशे का भाग यानी 'एचटीसी' की मात्रा 43 प्रतिशत है, जो बहुत अधिक है.
राज्य सरकार ने भांग से बनने वाली दवाइयों के इस्तेमाल और इस पर शोध कार्यों की ज़िम्मेदारी पेशावर यूनिवर्सिटी के फार्मेसी विभाग और मार्केटिंग व बिज़नेज प्लान से संबंधित ज़िम्मेदारी मैनेजमेंट स्टडीज़ को दी थी. इसी तरह मशीन लगाये जाने से पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव के लिए पर्यावरण विभाग, भौगोलिक जानकारी के लिए भूगर्भ शास्त्र, वैधानिक स्थिति की समीक्षा की ज़िम्मेदारी लॉ कॉलेज और लोगों में सामाजिक जागरुकता लाने की ज़िम्मेदारी समाज शास्त्र विभाग के हवाले की गयी थी.
इस पूरे शोध कार्यक्रम में पेशावर यूनिवर्सिटी के उन विभागों में अध्ययनरत ख़ैबर, कुर्रम और औरकज़ई के विद्यार्थियों ने भाग लिया.
ख़ैबर पख़्तूनख़्वा इकोनॉमिक ज़ोन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जावेद इक़बाल ख़टक के अनुसार भांग से संबंधित प्रारंभिक रिपोर्ट को स्माॅल इंडस्ट्री डेवलपमेंट बोर्ड और प्लानिंग ऐंड डेवलपमेंट को विचार-विमर्श के लिए भेज दिया गया है.
उन्होंने कहा कि उन संस्थाओं और इकोनॉमिक ज़ोन के प्रस्तावों की अंतिम रिपोर्ट न सिर्फ संस्थान की वेबसाइट पर उपलब्ध होगी बल्कि इस क्षेत्र में निवेश और आर्थिक अवसर उपलब्ध कराने के लिए व्यावहारिक पहल भी की जाएगी.
ख़ैबर, औरकज़ई और कुर्रम में भांग की क़ानूनी खेती में देरी के बारे में राज्य सरकार के प्रवक्ता बैरिस्टर सैफ़ से संपर्क किया गया मगर उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला हालांकि राज्य के उच्च पदस्थ अधिकारी ने बताया कि भांग की क़ानूनी खेती में देरी का एक कारण राष्ट्रीय भांग नीति की स्वीकृति में आने वाली अड़चनें हैं.
उन्होंने कहा कि राज्य स्तर पर शोध का काम संपन्न हो चुका है हालांकि इस बारे में संबंधित संस्थाओं के साथ विचार विमर्श का काम जारी है जिसके जल्द पूरा होने के बाद भांग की खेती क़ानूनी तरीक़े से शुरू हो जाएगी.
भांग की खेती के आंकड़े
ख़ैबर, औरकज़ई और कुर्रम में भांग की वर्तमान खेती से संबंधित किसी भी सरकारी संस्था के पास संपुष्ट आंकड़े उपलब्ध नहीं है लेकिन प्रोफेसर फ़ज़ल नासिर ने दावा किया कि आधुनिक टेक्नोलॉजी और स्थानीय बाज़ार के आंकड़े के अनुसार तीनों ज़िलों में दो सौ वर्ग किलोमीटर यानी 49 हज़ार एकड़ ज़मीन पर भांग की खेती की जाती है जिससे वार्षिक पचास लाख किलोग्राम तक चरस प्राप्त होती है.
क्षेत्रफल के हिसाब से औरकज़ई पहले, तीराह दूसरे जबकि कुर्रम तीसरे नंबर पर है, हालांकि सबसे अच्छी फ़सल तीराह में पैदा होती है। उन्होंने कहा कि आधे एकड़ खेत से तीराह में पांच किलो, औरकज़ई में साढ़े तीन किलोग्राम और कुर्रम में दो से ढाई किलो तक चरस हासिल की जा सकती है.
चरस की कीमत कम क्यों हो गयी
तीराह की घाटी के 70 वर्षीय हाजी करीम ने चालू साल में फ़सल के लिए खेतों को पहले से तैयार कर दिया है लेकिन समय पर वर्षा नहीं होेने के कारण अब तक उन्होंने भांग की फ़सल नहीं लगायी है.
उनका कहना है कि दो एकड़ कृषि भूमि से पंद्रह लाख वार्षिक आय होती थी लेकिन बाज़ार में चरस की क़ीमत साठ हज़ार रुपये प्रति किलो से कम होकर 12 हज़ार तक गिरने के कारण ख़र्च भी मुश्किल से निकल पाता है.
उनके अनुसार स्थानीय लोगों के पास भांग की खेती के अलावा कोई और वैकल्पिक स्रोत नहीं हालांकि सरकार की ओर से कहा गया है कि क्षेत्र में भांग की क़ानूनी खेती की अनुमति मिलने के बाद लोगों की आय बढ़ेगी लेकिन अब तक इस बारे में कुछ भी पता नहीं है.
इस क्षेत्र से संबंध रखने वाले शेर खान- काल्पनिक नाम- चरस की ग़ैर क़ानूनी बिक्री के धंधे से जुड़े हैं. उन्होंने बताया कि मई 2018 में क़बीलाई इलाक़ों के ख़ैबर पख़्तूनख़्वा में विलय के बाद विभिन्न संस्थाओं और क़ानूनों के विस्तार के कारण चरस का कारोबार जारी रखने में काफी कठिनाई उत्पन्न हो गयी है, क्योंकि दूसरे इलाक़ों तक भेजने में परेशानी और ख़र्च बढ़ चुके हैं.
उन्होंने कहा कि पिछले कई सालों से बलूचिस्तान के रास्ते अफ़ग़ानिस्तान से चरस की भारी मात्रा में तस्करी की वजह से चरस की क़ीमत सत्तर हज़ार रुपये प्रति किलो से कम होकर दस से बारह हज़ार रुपये किलो तक गिर चुकी है जिसके कारण पाकिस्तान में भांग की फसल पर आने वाली लागत भी मुश्किल से मिल पा रही है.
'जब भांग की खेती क़ानूनी होगी तो किसान को लाभ होगा'
भविष्य में ख़ैबर, औरकज़ई और कुर्रम में भांग की क़ानूनी खेती के बारे में अगर एक तरफ स्थानीय लोग सरकार के इस क़दम से बेहतर आर्थिक भविष्य की आशा रखते हैं तो दूसरी तरफ लोग इसके बारे में कई सवाल उठा रहे हैं.
आबाद गुल औरकज़ई फ़ीरोज़ख़ेल मेले के निवासी हैं और छह एकड़ खेत में भांग की खेती करते हैं. अपने खेत में भांग की उपज के अलावा वे हर साल 8 से 10 लाख रुपये मूल्य की भांग स्थानीय किसानों से भी ख़रीदते हैं.
उन्होंने कहा कि कारख़ाने लगाने, भांग से प्राप्त सामग्री की मार्केटिंग और अन्य योजनाओं में स्थानीय किसानों और पूंजी लगाने वालों को अवसर उपलब्ध कराया जाए क्योंकि इन इलाक़ों में भांग के अलावा कमाई का कोई दूसरा साधन नहीं.
प्रोफेसर फ़ज़ल नासिर ने कहा कि उन्होंने स्थानीय आबादी की आशंकाओं को ध्यान में रखते हुए अधिक से अधिक लाभ स्थानीय लोगों को देने की पहल पर ज़ोर दिया है और सरकार को प्रस्ताव दिया है कि प्रस्तावित पहलों से होने वाले आर्थिक लाभ में बड़ा भाग स्थानीय आबादी का होना चाहिए.
उन्होंने कहा कि एक कारख़ाने पर लगभग छह से आठ करोड़ की लागत आएगी जबकि निजी क्षेत्र में स्थानीय निवेशक छोटे कारख़ाने एक से डेढ़ करोड़ रुपये में लगा सकते हैं.
जावेद इक़बाल ख़टक ने बताया कि भांग से प्राप्त होने वाली रासायनिक सामग्री के लिए सिर्फ स्थानीय बाज़ार ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय मार्केट तक पहुंच के लिए ज़िला ख़ैबर में एक हज़ार एकड़ ज़मीन पर ख़ैबर इकोनॉमिक कारिडोर स्थापित करने के लिए सभी प्रबंध किये जा चुके हैं.
इनमें पहला काम भांग के छोटे और मध्यम दर्जे के कारख़ाने स्थापित करना, रास्तों में आने वाली बाधाओं की स्थिति में अफ़ग़ानिस्तान जाने वाली गाड़ियों के लिए टर्मिनल और ताज़ा सब्ज़ी और मेवों को ले जाने वाले कोल्ड स्टोरेज कन्टेनर को रिचार्ज करने की सुविधा मिल सकेगी.
उन्होंने कहा कि जब भांग से क़ानून के अनुसार सामग्री प्राप्त करने का सिलसिला शुरू होगा तो किसानों को बेहतर मूल्य मिलेगा जबकि तीराह, औरकज़ई और कुर्रम में भी छोटी यूनिट की स्थापना को बढ़ावा दिया जाएगा.
भांग की क़ानूनी खेती और आमदनी
नेशनल एसेंबली की सायंस एवं टेक्नोलॉजी समिति ने पिछले साल अक्टूबर में निर्णय किया था कि साल के अंत में राष्ट्रीय भांग नीति स्वीकृत हो जाएगी लेकिन अब तक इसमें कोई विशेष प्रगति नहीं हो सकी है.
पाकिस्तान काउन्सिल आफ सायंटिफिक ऐंड इंडस्ट्रियल रिचर्स के सदस्य डॉ. नसीम रउफ ने इस संबंध में बताया कि कैनाबीज या भांग का दुनिया भर में दवाओं के लिए इस्तेमाल होता है और दर्द निवारक तेल 'सीडीबी' इससे बनाया जाता है जिसका एक लीटर 10 हज़ार डाॅलर तक में बिकता है.
इसके अलावा कपड़े की तैयारी में भी इसका बहुत महत्व है. उनका कहना है कि दुनिया में इस पौधे से जुड़ा व्यापार 29 अरब डाॅलर तक पहुंच चुका है और 2025 तक इसके व्यापार का संभावित आकार 95 अरब डॉलर तक होगा.
उनके बक़ौल पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने जून 2020 में भांग की खेती के आर्थिक लाभ को ध्यान में रखते हुए सरकार को क़दम उठाने का निर्देश दिया था जिसपर सितंबर 2020 में कैबिनेट की स्वीकृति के बाद पीसी वन तैयार किया गया.
ख़ैबर पख़्तूनख़्वा के साथ विलय होने वाले ज़िलों में भांग के साथ पोस्त की फ़सल को भी शोध योजना में शामिल किया गया था लेकिन जब योजना पर काम शुरू हुआ तो उस वक्त उस फ़सल का समय बीत चुका था.
इस संबंध में भांग पर शोध के लिए बनी टीम राज्य सरकार के फैसले की प्रतीक्षा कर रही थी लेकिन देर होने के कारण फ़सल का समय इस साल भी समाप्त हो गया है.
पाकिस्तान में भांग की क़ानूनी खेती का इतिहास
पाकिस्तान में भांग की क़ानूनी खेती के लिए पहली नीति 1950 में बनायी गयी थी जिसके तहत पंजाब के ज़िले बहावलपुर में पहली खेती हुई थी हालांकि यह योजना विफल हो गयी क्योंकि उस क्षेत्र की जलवायु गर्म थी.
सरकार ने हज़ारा डिविज़न के ठंडे क्षेत्र में भांग की खेती के सफल प्रयोग किये लेकिन बाद में उन योजनाओं पर कोई विशेष काम नहीं हुआ.
ख़ैबर पख़्तूनख़्वा के विभिन्न पहाड़ी क्षेत्रों में भी भांग की ग़ैर क़ाननी खेती होती थी और अब लंबे अर्से से तीराह, औरकज़ई और कुर्रम में भांग उपजायी जाती है.
भांग से चरस कैसे प्राप्त होती है
मई के शुरू में तीराह, औरकज़ई और कुर्रम में भांग की विधिवत खेती शुरू होकर दो तीन सप्ताहों में यह प्रक्रिया पूरी हो जाती है। पौधों की लंबाई ढाई फीट होने के बाद उसमें गोड़ाई करके जड़ी बूटियां निकाल ली जाती हैं और साथ में पौधों की संख्या भी कम कर ली जाती है.
स्थानीय किसान पिछले साल की फ़सल से प्राप्त बीज बोते हैं. मई और जून के महीने में कृत्रिम खाद के इस्तेमाल से नर पौधे भी निकाल लिये जाते हैं ताकि फ़सल की पैदावार बेहतर हो सके.
फ़सल की कटाई अक्टूबर के अंत में होती है और पौधों को छोटे आकार में बांध लेने के बाद उनको खेत में ही छोड़ दिया जाता है ताकि उन पर बारिश और बर्फ़बारी पड़े क्योंकि इस प्रक्रिया से प्राप्त होने वाली चरस का स्तर बेहतर हो जाता है.
पहली बारिश या बर्फ़बारी के बाद भांग को सुरक्षित स्थान पर रखकर दिसंबर- जनवरी के शुरुआत में फ़सल से चरस प्राप्त करने का काम शुरू हो जाता है जो फरवरी या मार्च तक जारी रहता है.
युवा वैकल्पिक रोज़गार की तलाश में
तीराह घाटी में कुछ युवा ऐसे रोज़गार की तलाश में हैं जो कम लागत और अधिक आमदनी के साथ क़ानूनी हो। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए न्यूक्लियर इंस्टीट्यूट फॉर फूड ऐंड एग्रीकल्चर- एनआईएफए- की तकनीकी मदद से जनवरी 2021 में मशरूम की खेती के बारे में प्रशिक्षण की व्यवस्था की गयी थी जिसमें 30 से अधिक स्थानीय किसानों ने भाग लिया। इनमें तीस साल के फ़ज़ल रब्बी भी शामिल थे जिन्होंने ट्रेनिंग लेने के बाद अपने घर पर मशरूम की खेती की.
इसके साथ उस क्षेत्र में मशरूम की पैदावार बढ़ाने के लिए उन्होंने तीराह में मशरूम क्लब के नाम से एक संगठन बनाया जिसमें घाटी के सत्तर से अधिक किसान सदस्य हैं.
फ़ज़ल रब्बी का कहना है कि पहले की तुलना में कृषि भूमि से प्राप्त होने वाली भांग की फ़सल की क़ीमत कम होने की वहज से इलाक़़े के नौजवान बड़ी संख्या में नये रास्तों की तलाश में थे.
और फिर स्थानीय सैन्य अफसरों की सहायता से मशरूम की खेती की ट्रेनिंग की व्यवस्था की. उनके बक़ौल युवाओं ने इसी आधार पर मशरूम की खेती शुरू की जिसके काफी अच्छे नतीजे सामने आने शुरू हुए जिसके कारण लोगों की इसमें रुचि बढ़ गयी.
मशरूम क्लब की ओर से और किसानों को मशरूम की खेती का प्रशिक्षण दिया गया और यह सिलसिला अब भी जारी है.
कृषि विभाग, ख़ैबर के निदेशक ज़िया इस्लाम दावड़ ने बताया कि जिन इलाक़ो में भांग की खेती होती है वहां पर ज़बर्दस्ती खेती बंद नहीं कर रहे हैं बल्कि संस्थान और सैन्य अफसरों की सहायता से इलाक़े में ऐसी सब्ज़ियां, फ़सलें और बाग़ लगाये जा रहे हैं जिनसे आमदनी भांग की तुलना में अधिक हो.
उन्होंने कहा कि इस सिलसिल में कृषि विभाग की ओर से तीराह में केसर, प्याज़, आलू और टमाटर की खेती पर काम जारी है. (bbc.com)
उद्योगपति इलॉन मस्क ने ट्विटर को खरीदने की पेशकश करने के बाद एक बयान में कहा कि वह पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप से ट्विटर बैन हटाएंगे. मस्क ने बैन करने के कदम को "मूर्खता" बताया है.
अरबपति मस्क ने मंगलवार को कहा कि जब वह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर खरीद लेंगे, तो वह पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप पर ट्विटर के प्रतिबंध को पलट देंगे. मस्क खुद को "फ्री स्पीच का समर्थक" बताते हैं. हाल ही में उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का अधिग्रहण करने के लिए 44 अरब डॉलर की पेशकश की थी.
मस्क ने ट्रंप के ट्विटर बैन को "बेहद मूर्ख" बताया
फाइनेंशियल टाइम्स द्वारा आयोजित फ्यूचर ऑफ द कार शिखर सम्मेलन के दौरान मस्क ने प्रतिबंध को "नैतिक रूप से बुरा फैसला" और "बेवकूफाना" बताया है. मस्क ने कहा, "मुझे लगता है कि यह एक गलती थी क्योंकि इसने देश के एक बड़े हिस्से को अलग-थलग कर दिया और आखिरकार ऐसा करने में नाकामी मिली कि ट्रंप के पास बोलने के लिए मंच ना हो."
उन्होंने कहा, "तो मुझे लगता है कि यह एक एकल मंच होने से स्पष्ट रूप से बदतर हो सकता है जहां हर कोई बहस कर सकता है. मुझे लगता है कि इसका जवाब यह है कि मैं स्थायी प्रतिबंध को उलट दूंगा."
हालांकि ट्विटर ने मस्क के इस बयान पर कोई टिप्पणी नहीं की है और ना ही ट्रंप के प्रवक्ता ने कोई प्रतिक्रिया दी है.
मस्क ने साथ ही कहा कि प्रतिबंध जैसे कदम दुलर्भ परिस्थितियों में होना चाहिए और ऐसे कदम उन अकाउंट के लिए उठाए जाने चाहिए जो "गैरकानूनी" सामग्री पोस्ट करते हैं और जो "दुनिया के लिए विनाशकारी हैं."
मस्क ने संकेत दिया है कि अगर वह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर नियंत्रण हासिल कर लेते हैं तो वह कंटेंट मॉडरेशन नीतियों को ढीला करेंगे. मस्क ट्विटर पर फ्री स्पीच की वकालत करते आए हैं.
ट्विटर ने ट्रंप पर प्रतिबंध क्यों लगाया?
ट्विटर ने 6 जनवरी 2021 को अमेरिका के कैपिटल हिल में हुई हिंसा के बाद ट्रंप को मंच से प्रतिबंधित कर दिया था. चुनावों में राष्ट्रपति ट्रंप की हार को अस्वीकार करने वाले उनके समर्थकों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए कैपिटल बिल्डिंग पर ही धावा बोल दिया था.
ट्रंप ने ट्विटर पर अक्सर चुनाव परिणाम के खिलाफ पोस्ट डाले थे और उन्होंने चुनाव को लेकर झूठे दावे किए थे कि बाइडेन के पक्ष में व्यापक मतदाता धोखाधड़ी हुई थी. आरोप है कि ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट के साथ कैपिटल में हिंसा को उकसाया था जिसके कारण अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने राष्ट्रपति पर दूसरी बार ऐतिहासिक महाभियोग चलाया.
ट्विटर ने कहा था कि उसने दंगा के बाद "हिंसा भड़काने" के लिए ट्रंप पर प्रतिबंध लगाया. उसके बाद से ट्रंप मुख्य रूप से अपने समर्थकों से संवाद करने के लिए रैलियों और बयानों का इस्तेमाल करते आ रहे हैं.
ट्रंप ने फॉक्स न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि अगर उन्हें अनुमति मिलती है तो वे ट्विटर पर वापस नहीं लौटेंगे. उनका अपना सोशल मीडिया ऐप ‘ट्रूथ सोशल' फरवरी के अंत में ऐप्पल ऐप स्टोर पर लॉन्च किया गया था.
लेफ्ट की तरफ झुकाव रखने वाले मीडिया मैटर्स के प्रमुख एंजेलो कारुसोन ने कहा कि ट्रंप को ट्विटर पर बहाल करने की मस्क की योजना मंच पर "नफरत और दुष्प्रचार की बाढ़" खोलने का पहला कदम होगा.
दूसरी ओर अमेरिकन सिविल लिबर्टीज यूनियन के निदेशक एंथोनी रोमेरो ने कहा, "ट्रंप को फिर ट्विटर पर लाने का फैसला सही न्योता है."
ट्रंप का जब ट्विटर अकाउंट बैन हुआ था तब उनके 8.8 करोड़ से अधिक फॉलोअर्स थे.
एए/वीके (रॉयटर्स, एपी, एएफपी)
भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका में छिड़े संघर्ष और उसके बाद प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के इस्तीफ़े को लेकर देश-दुनिया के जाने-माने बैंकर उदय कोटक ने टिप्पणी की है.
उन्होंने कहा है कि "जलता श्रीलंका" हम सबको बताता है कि क्या नहीं करना चाहिए.
कोटक महिंद्रा बैंक के सीईओ उदय कोटक ने ट्वीट किया, "रूस-यूक्रेन युद्ध चल रहा है और ये मुश्किल ही होता जा रहा है. देशों की असल परीक्षा अब है. न्यायपालिका, नियामक, पुलिस, सरकार, संसद जैसी संस्थाओं की ताक़त मायने रखेगी. वो करना जो सही है, लोकलुभावन नहीं, महत्वपूर्ण है. एक 'जलता लंका' हम सबको बताता है कि क्या नहीं करना चाहिए."
हालांकि, इसके स्पष्ट संकेत नहीं हैं लेकिन उदय कोटक की टिप्पणी को मोदी सरकार के लिए सलाह के तौर पर देखा जा रहा है. उदय कोटक मोदी सरकार के समर्थकों में से एक रहे हैं.
मोदी सरकार भी कई मोर्चों पर चुनौती का सामना कर रही है. भारत में महंगाई दर 7.5 फ़ीसदी को पार कर सकती है, जो कि 18 महीनों में सबसे अधिक है. भोजन, पेट्रोल-डीज़ल और रोज़ाना के इस्तेमाल में आने वाले उत्पादों की बढ़ती कीमतें, आपूर्ति में कमी और बिजली की कमी जैसी कई समस्याएं हैं, जो भारत में भी मौजूद हैं.
एक सप्ताह पहले ही उदय कोटक ने महंगाई को लेकर ट्वीट किया था. जिसमें उन्होंने कहा था, "महंगाई की दुश्वारी मज़बूती से आ गई है. भविष्य यहाँ है. भविष्य अब है."
भारतीय रुपए की क़ीमत डॉलर की तुलना में लगातार गिर रही है. सोमवार को ये एक डॉलर के बदले 77.53 रुपए तक गिर गई, जो अब तक का सबसे निचला स्तर था. हालांकि, मंगलवार को रुपये की क़ीमत में सुधार हुआ लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इस साल जून माह के आखिर तक रुपया गिरकर 79 रुपये तक जा सकता है.
इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने भी श्रीलंका की स्थिति को भारत के लिए चेतावनी के तौर पर पेश किया है.
भारत ने ऐन मौक़े पर श्रीलंका को बचाया, श्रीलंकाई अख़बारों में क्या छपा है?
श्रीलंका में चीन के सामने कहां चूक गया भारत?
गुहा ने एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस के दौरान कहा, "श्रीलंका एशिया का सबसे समृद्ध देश हो सकता है. उनके यहाँ साक्षरता, स्वास्थ्य सेवाएं, लिंगानुपात की दरें ऊंची थीं. लेकिन सिंहला और बौद्ध बहुसंख्यकों की वजह ये देश बर्बाद हो गया."
उन्होंने ये भी कहा कि अगर एक धर्म और एक भाषा को महत्व दिया गया तो भारत का हाल भी श्रीलंका जैसा होगा.
उन्होंने ट्वीट किया, "लंबे समय तक श्रीलंका का छात्र रहने के कारण मैं कह सकता हूं कि इस सुंदर देश के संकट की जड़े छोटे समय से मौजूद आर्थिक वजहों से ज़्यादा बीते एक दशक से मौजूद भाषाई, धार्मिक और सांस्कृतिक बहुसंख्यवाद से जुड़ी हैं. इसमें भारत के लिए भी सबक हैं."
वरिष्ठ वकील और ऐक्टिविस्ट प्रशांत भूषण ने भी श्रीलंका के कुछ अख़बारों की क्लिपिंग की तुलना भारतीय ख़बरों से की है.
ये ख़बरें श्रीलंका में हलाल मांस का बहिष्कार करने, बुर्का पर रोक, ईसाइयों और मुसलमानों पर हमले और राष्ट्रपति चुनाव से धार्मिक मतभेद बढ़ने से जुड़ी हैं.
उन्होंने इसके साथ लिखा है, "श्रीलंका के सत्ताधारियों ने बीते कुछ सालों में जो किया और भारत के सत्ताधारी जो आज कर रहे हैं, उनमें आपको कुछ समानता दिख रही है? क्या भारत में इसके परिणाम भी वैसे ही होंगे जैसे आज श्रीलंका के हालात हैं?"
बता दें कि श्रीलंका में आर्थिक स्थिति बद से बदतर होती जा रही है. देश में विदेशी मुद्रा भंडार घटकर केवल 50 अरब डॉलर तक आ गया है. वहीं, श्रीलंका का दूसरे देशों से लिया कर्ज़ भी बढ़कर 51 अरब डॉलर तक जा पहुंचा है. द टेलिग्राफ़ अख़बार की ख़बर के अनुसार भारत के पास फिलहाल 600 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है. (bbc.com)
सिएटल (अमेरिका),11 मई (भाषा)। (एपी) माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक बिल गेट्स ने मंगलवार को कहा कि वह कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए हैं और उनमें संक्रमण के हल्के लक्षण हैं।
बिल गेट्स ने ट्विटर पर यह जानकारी दी और कहा कि वह पूरी तरह से स्वस्थ होने तक पृथक-वास में रहेंगे। गेट्स ने लिखा, ‘‘मैं भाग्यशाली हूं कि मैंने कोविड-19 रोधी टीके की ‘बूस्टर’ खुराक भी ले ली है और बेहतर चिकित्सकीय सेवा का लाभ उठा सकता हूं।’’
सिएटल स्थित ‘बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन’ दुनिया का सबसे प्रभावशाली निजी फाउंडेशन है, जिसके पास लगभग 65 अरब डॉलर की निधि है। मेलिंडा गेट्स, बिल की पूर्व पत्नी हैं।
बिल गेट्स वैश्विक महामारी से निपटने के उपायों, खासकर गरीब देशों तक टीकों और दवाओं की पहुंच के मुखर समर्थक रहे हैं। गेट्स फाउंडेशन ने अक्टूबर में कहा था कि वह दवा कम्पनी ‘मर्क’ की एंटीवायरल कोविड-19 गोली की जेनेरिक दवाओं को कम आय वाले देशों तक पहुंचाने के लिए 12 करोड़ डॉलर खर्च करेंगे।
-रजनी वैद्यनाथन और साइमन फ्रेज़र
श्रीलंका में सत्तारूढ़ राजपक्षे परिवार के एक घर को जला दिए जाने के पूरे देश में कर्फ़्यू लगा दिया गया है. सेना को क़ानून तोड़ने वालों को देखते ही गोली मारने के आदेश दे दिए गए हैं.
आर्थिक संकट की वजह से श्रीलंका की सरकार पर जनता का दबाव बढ़ रहा है. श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने सोमवार को इस्तीफ़ा दे दिया था लेकिन इसके बावजूद लोगों को ग़ुस्सा थमा नहीं और दिन भर अराजकता का माहौल बना रहा.
भीड़ ने जिस वक़्त महिंदा राजपक्षे के घर को घेरा था, वो उस वक़्त वहीं मौजूद थे. सुरक्षा पहरे में तड़के हुई कार्रवाई में उन्हें वहां से निकाला गया. सुरक्षा बलों अश्रु गैस और हवा में गोलियां दागनी पड़ी.
श्रीलंका में कर्फ़्यू के बावजूद विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला जारी है. सोमवार से अब तक सात लोगों की मौत हो चुकी है और 200 लोग घायल हो चुके हैं.
प्रशासन ने हिंसा पर काबू पाने के लिए कर्फ़्यू बुधवार तक बढ़ा दिया है. मंगलवार को राजधानी की सड़कें सूनी थी लेकिन बीती रात हुई हिंसा की निशानी हर जगह महसूस की जा सकती है.
प्रधानमंत्री के घर के बाहर भारी संख्या में सुरक्षाकर्मी तैनात हैं. कुछ घंटे पहले वहां अफरा-तफरी का माहौल था.
समंदर के किनारे बने पार्क गॉल फेस ग्रीन पर प्रदर्शनकारी अभी भी इकट्ठा हो रहे हैं. कुछ लोगों का कहना है कि सरकार समर्थक भीड़ ने उनपर हमला किया है.
प्रदर्शनकारियों के लिए काम कर रहे वकीलों ने बीबीसी को बताया कि वे प्रधानमंत्री के समर्थकों के ख़िलाफ़ केस फ़ाइल कर रहे हैं.
उधर, अधिकारियों ने बताया है कि कोलंबो में दो लोगों ने पुलिस के एक आला अधिकारी पर हमला किया है. उस अफ़सर का अस्पताल में इलाज चल रहा है.
ऐसी अपुष्ट ख़बरें सामने आई हैं कि महिंदा राजपक्षे ने कोलंबो वाले घर पर हुए हमले के बाद परिवारवालों के साथ देश के पूर्वोत्तर हिस्से में मौजूद त्रिनकोमलाई नौसैनिक अड्डे पर पनाह ले रखी है जिसके बाद नैवल बेस के सामने इकट्ठा हो गए.
रिपोर्टों के मुताबिक़, सोमवार रात श्रीलंका में 50 से ज़्यादा राजनेताओं के घर जला दिए गए.
हालात की गंभीरता का अंदाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि महिंदा राजपक्षे के भाई राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के घर के बाहर भी बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी मौजूद हैं.
उनसे भी पद छोड़ने की मांग की जा रही है.
कुछ दिनों पहले तक श्रीलंका के सूचना एवं प्रसारण मंत्री रहे नलाका गोडाहेवा ने बीबीसी से कहा, "ये किसी भी तरह से सुरक्षित नहीं है. ख़ासकर सत्ता पक्ष से जुड़े राजनेताओं के लिए."
उनका घर भी प्रदर्शनकारियों ने जला दिया है.
महिंदा राजपक्षे को कभी सिंहला बहुसंख्यक वॉर हीरो के तौर पर देखते थे. तमिल मुक्ति चीतों को शिकस्त देने का सेहरा उनके सिर बांधा जाता है. लेकिन आज वे अचानक से खलनायक बन गए हैं.
बहुत से लोग श्रीलंका के आज के हालात के लिए महिंदा राजपक्षे के समर्थकों को भी जिम्मेदार ठहराते हैं.
उनका कहना है कि राजपक्षे समर्थकों ने सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों को निशाना बनाया जिसके बाद श्रीलंका में हिंसक झड़पों का सिलसिला शुरू हो गया.
अब तक ये होता आया था कि राजपक्षे परिवार हर मौके पर एक दूसरे के साथ खड़ा दिखता था लेकिन इस बार उनके मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं.
समस्याओं की शुरुआत उस घड़ी शुरू हुई जब गोटाबाया ने परिवार के मुखिया महिंदा से जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफ़ा देने के लिए कहा.
श्रीलंका की राजनीति पर सालों तक वर्चस्व बनाए रखने वाला राजपक्षे परिवार इस संकट से कैसे उबर पाएगा, अब ये सवाल सबके सामने है.
श्रीलंका में बढ़ती क़ीमतों और लगातार बिजली कटौती की वजह से पिछले महीने से विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं.
सोमवार को कोलंबो में महिंदा राजपक्षे के टेंपल ट्रीज़ रेज़ीडेंस के बाहर सरकार समर्थक और सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़प हुई और उसके बाद गॉल फेस ग्रीन पार्क में भी यही हुआ.
पुलिस और दंगा रोधी दस्ते की तैनाती की गई है. सरकार समर्थकों ने जब हद पार की तो पुलिस ने उनके ख़िलाफ़ भी बल प्रयोग किया.
सरकार समर्थकों के हमले के बाद विरोधी प्रदर्शनकारियों ने बदले की कार्रवाई की. उन्होंने हमला बोला और सत्तारूढ़ पार्टी के सांसदों को निशाना बनाया.
इन्हीं सांसदों में वो भी शामिल थे जिन्होंने भीड़ से सामना होने के बाद दो लोगों को गोली मार दी और पुलिस के मुताबिक़, इसके बाद उन्होंने खुदकुशी कर ली.
जैसे-जैसे रात गुज़री प्रदर्शनकारी भीड़ ने राजपक्षे परिवार, मंत्रियों और सासंदों से जुड़े घरों को आग के हवाले करना शुरू कर दिया.
इसमें दक्षिणी श्रीलंका के हंबनटोटा शहर में एक गांव में राजपक्षे परिवार का वो घर भी शामिल था जिसे विवादास्पद म्यूज़ियम में बदल दिया गया था.
सोशल मीडिया पर आ रहे फुटेज में आगे में लिपटे घर और शोर-शराबा करते हुए लोग देख देखे जा सकते हैं.
राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास के आस-पास मौजूद घरों को भी आग के हवाले कर दिया गया है.
नगर निगम के एक जनप्रतिनिधि की अस्पताल में मौत हो गई. उनके घर पर प्रदर्शनकारियों ने हमला किया था.
महिंदा राजपक्षे के इस्तीफ़े के बाद प्रदर्शनकारियों ने उनके आवास में दाखिल होने और आंतरिक सुरक्षा घेरे को तोड़ने की कोशिश की.
उस वक़्त वहां वो अपने कई वफादार सहयोगियों के साथ मौजूद थे.
राजपक्षे के घर के बाहर खड़ी एक बस को प्रदर्शनकारियों ने जला दिया. पुलिस ने भीड़ पर काबू पाने के लिए हवा में गोलियां चलाईं और आँसू गैस का इस्तेमाल किया.
मंगलवार सुबह राजपक्षे ने कोलंबो छोड़ दिया है और वे किसी ऐसी जगह पर चले गए हैं जिसके बारे में जानकारी नहीं दी गई है.
कोलंबो में दूसरी जगहों पर भी तनाव बरकरार है. लोगों के हाथों में डंडे और छड़ें देखी जा सकती हैं.
एयरपोर्ट रूट और उन तक पहुंचने वाले रास्ते को प्रदर्शनकारियों ने ब्लॉक कर रखा है. जिस इलाके में पुलिस और सुरक्षा बलों का दिखना आम बात थी, अब वो कहीं नहीं दिख रहे हैं.
साल 1948 में ब्रिटेन से आज़ादी मिलने के बाद से श्रीलंका अब तक के सबसे बदतरीन आर्थिक संकट से गुजर रहा है.
वहां लोग परेशान हैं क्योंकि रोज़मर्रा की ज़रूरत की चीज़ें बेहिसाब महंगी हो गई हैं.
देश का विदेशी मुद्रा भंडार खाली हो चुका है. दवाएं, ईंधन और खाने-पीने की चीज़ों की किल्लत हो गई है.
सरकार ने आपातकालीन वित्तीय मदद मांगी है. वो कोरोना महामारी को देश की बदहाली के लिए ज़िम्मेदार ठहरा रही है.
विदेशी मेहमानों से मिलने वाली मुद्रा श्रीलंका के लिए आमदनी का बड़ा जरिया था लेकिन अब वो भी ख़त्म हो चुका है.
लेकिन बहुत से विश्लेषक आर्थिक कुप्रबंधन को भी इन हालात के लिए ज़िम्मेदार मानते हैं. (bbc.com)
लंदन, 10 मई। ट्विटर खरीदने की पेशकश करने वाले अरबपति एलन मस्क ने सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं को हानिकारक सामग्री से बचाने के उद्देश्य से एक नए यूरोपीय संघ कानून के लिए अपना समर्थन दिया है।
यूरोपीय संघ के आंतरिक बाजार आयुक्त थियरी ब्रेटन ने मंगलवार को ‘एसोसिएटेड प्रेस’ को बताया कि उन्होंने मस्क को बताया कि कैसे ब्लॉक के ऑनलाइन नियमों का उद्देश्य स्वतंत्र एवं निष्पक्ष भाषण को बनाए रखना है। उन्होंने बताया कि उन्होंने मस्क से कहा कि यह भी सुनिश्चित करना है कि जो कुछ भी अवैध है, उसका बहिष्कार किया जायेगा।
ब्रेटन ने बताया कि मस्क ने उनकी बातों पर सहमति जताई।
एक वीडियो में ब्रेटन ने सोमवार देर रात ट्वीट किया, मस्क ने कहा कि दोनों के बीच ‘‘सार्थक चर्चा’’ हुई और वह डिजिटल सेवा अधिनियम से सहमत हैं, जिसे इस साल के अंत में अंतिम मंजूरी मिलने की उम्मीद है।
मस्क ने लगभग 44 अरब डॉलर में ट्विटर का अधिग्रहण करने की घोषणा की है।
मस्क ने ब्रेटन से कहा, ‘‘मैं आपके द्वारा कही गई हर बात से सहमत हूं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि हमारी राय एक ही है और आप जानते हैं, मुझे लगता है कि मेरी कंपनियां यूरोप के लिए फायदेमंद हो सकती हैं।’’ (एपी)
भारत ने कहा है कि श्रीलंका का क़रीबी पड़ोसी होने और उसके साथ ऐतिहासिक संबंध होने के नाते, भारत उसके लोकतंत्र, स्थिरता और आर्थिक स्थिति में सुधार को लेकर पूरी तरह साथ है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक सवाल के जवाब में कहा कि पड़ोसियों को प्राथमिकता देने की अपनी नीति के मद्देनज़र भारत ने मौजूदा कठिनाइयों से निपटने के लिए श्रीलंका के लोगों को सिर्फ़ इस साल 3.5 अरब डॉलर से ज़्यादा की राशि का सहयोग दिया है.
विदेश मंत्रालय के मुताबिक़ इसके अलावा भारत ने ज़रूरी सामनों जैसे खाद्यान्न और दवाओं की कमी को पूरा करने में भी मदद दी है. इस समय श्रीलंका अब तक की सबसे बुरे आर्थिक दौर से गुज़र रहा है. भारत ने कई मौक़े पर श्रीलंका की मदद की है. एक दिन पहले ही मौजूदा स्थिति को देखते हुए महिंदा राजपक्षे ने प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफ़ा दे दिया था. सोमवार का दिन श्रीलंका में हिंसक प्रदर्शनों का दिन रहा. कई बार सरकार समर्थकों और सरकार विरोधियों में झड़प हुई. कई सांसदों के घरों में आ लगा दी गई. प्रदर्शनकारियों ने महिंदा राजपक्षे के पैतृक घर में भी आग लगा दी.
बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कहा है कि बीपीएससी या इस तरह की राज्य की कोई प्रतियोगी परीक्षा रद्द होती है या रिजल्ट आने में देरी होती है, तो छात्रों के लिए ख़ास प्रावधान किए जाने चाहिए. इन वजहों से किसी परीक्षार्थी का कोई अवसर हाथ से निकलता है, तो उसे एक्सटेंशन मिलना चाहिए.
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक तेजस्वी यादव ने कहा कि बीजेपी बिहार में लोगों को असली मुद्दों से भटकाने की कोशिश कर रही है. बेरोज़गारी, महंगाई, ग़रीबी और जाति जनगणना जैसे मुद्दों पर बात नहीं हो रही है. सिर्फ़ हिंदू-मुस्लिम, लाउडस्पीकर, बुलडोज़र की बात हो रही है.
इससे पहले सोमवार को उन्होंने कहा था बिहार लोक सेवा आयोग का नाम ‘लीक’ आयोग होना चाहिए. उन्होंने नीतीश कुमार सरकार से उन उम्मीदवारों को मुआवज़ा देने की मांग की, जो लंबी दूरी तय कर परीक्षा केंद्रों पर परीक्षा देने पहुँचे थे.
इस रविवार को पेपर लीक होने के कारण बीपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा रद्द कर दी गई थी. (bbc.com)
टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने अपनी ताजमहल यात्रा को याद करते हुए कहा कि ये वाकई में अजूबा है.
हिस्ट्री डिफाइनंड नाम के एक अकाउंट से किए गए एक ट्वीट के जवाब में एलन मस्क ने लिखा- यह बेहद ख़ूबसूरत है. मैं 2007 में यहाँ गया और ताजमहल देखा,ये वास्तव में दुनिया का एक अजूबा है.”
इस ट्वीट पर उनकी मां मय मस्क ने एलन के दादा-दादी की साल 1954 में की गई ताजमहल यात्रा की तस्वीरें शेयर करते हुए एक दिलचस्प किस्सा शेयर किया.
उन्होंने लिखा, “1954 में तुम्हारे दादा-दादी दक्षिण अफ़्रीका से ऑस्ट्रेलिया जाते समय ताजमहल देखने गए थे. वे एक इंजन वाले प्रोपेलर विमान में रेडियो या जीपीएस के बिना इस यात्रा को करने वाले एकमात्र कपल थे. उनकी ज़िंदगी का उद्देश्य था- सावधानी के साथ ख़तरनाक तरीक़े से जियो.”
ताजमहल इन दिनों सुर्खियों में बना हुआ है. इलाहाबाद हाई कोर्ट में दायर याचिका में दावा किया गया है कि ताजमहल एक शिव मंदिर पर बना है.
बीते दिनों इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में एक याचिका दायर कर आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया से ताजमहल के 22 बंद दरवाज़ों की जाँच करवाने की मांग की है ताकि वहाँ हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियों का पता लगाया जा सके.
याचिका में मांग की गई है कि इसके लिए फ़ैक्ट फ़ाइंडिंग कमेटी का गठन किया जाए और एएसआई अपनी जाँच रिपोर्ट अदालत के समक्ष दाख़िल करे.
याचिका में कहा गया है, “कुछ हिंदू समूह और प्रबुद्ध संतों का दावा है कि यह मक़बरा एक पुराना शिव मंदिर है और उनके इस दावे को कई इतिहासकारों का भी समर्थन है. हालाँकि बहुत से इतिहासकार मानते हैं कि यह मुग़ल बादशाह शाहजहाँ का बनवाया ताजमहल ही है .कुछ लोगों का यह भी मानना है कि तेजो महालय उर्फ़ ताज महल एक ज्योर्तिलिंग है.” (bbc.com)
पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ़ अल्वी ने पंजाब के गवर्नर उमर सरफ़राज़ चीमा को हटाने की प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ की सलाह को ठुकरा दिया है. सोमवार रात राष्ट्रपति कार्यालय ने ट्वीट कर विस्तार से इस फ़ैसले की वजह बताई है. राष्ट्रपति कार्यालय ने बताया है कि पंजाब के गवर्नर को राष्ट्रपति की स्वीकृति के बिना हटाया नहीं जा सकता. राष्ट्रपति कार्यालय ने पाकिस्तान के संविधान में अनुच्छेद 101 (3) के मुताबिक़- राष्ट्रपति की सहमति तक गवर्नर अपने पद पर बने रहेंगे.
राष्ट्रपति आरिफ़ अल्वी ने ये भी कहा है कि पंजाब के गवर्नर पर किसी तरह के ग़लत व्यवहार का आरोप नहीं है और न ही किसी अदालत ने उन्हें किसी मामले में दोषी ठहराया है. उन्होंने ये भी कहा कि पंजाब के मौजूदा गवर्नर उमर सरफ़राज़ चीमा ने कोई भी असंवैधानिक काम नहीं किया है, जिससे उन्हें हटाया जा सके.
शहबाज़ शरीफ़ की सरकार ने पिछले सप्ताह राष्ट्रपति के पास चीम को हटाने की सिफ़ारिश भेजी थी. इमरान ख़ान ने अपनी सत्ता के आख़िरी दिनों में चीमा को पंजाब का गवर्नर नियुक्त किया था. पिछले दिनों पंजाब में उस समय संवैधानिक संकट पैदा हो गया था, जब चीमा ने हम्ज़ा शहबाज़ को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने से इनकार कर दिया था. बाद में इस मामले में लाहौर हाई कोर्ट ने हस्तक्षेप किया और फिर नेशनल असेंबली के स्पीकर ने हम्ज़ा को शपथ दिलाई. (bbc.com)
आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में सरकार विरोधी प्रदर्शन हिंसक हो गया है. सत्ताधारी पार्टी के 15 से अधिक सदस्यों के घरों और दफ़्तरों को प्रदर्शनकारियों ने आग के हवाले कर दिया जिसमें राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे का पैतृक घर भी शामिल है.
राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने हिंसा बढ़ती देख बीती रात से दो दिनों के कर्फ़्यू का एलान किया है. वहीं, सेना और पुलिस प्रधानमंत्री के सरकारी आवास को घेरे भीड़ से निपटने में लगी रही. भीड़ को तितर-बितर करने के लिए हवाई फ़ायरिंग भी करनी पड़ी.
देशभर में फैली हिंसा के दौरान हुई गोलीबारी में एक मौजूदा सांसद सहित कुल पाँच लोगों की जान चली गई.
इस बीच श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया है. हिंसक झड़पों में 190 से अधिक लोगों के घायल होने की भी ख़बर है.
श्रीलंका में बीते महीने से ही बढ़ती महंगाई और बिजली कटौती की वजह से प्रदर्शन हो रहे हैं.
कैसे भड़की हिंसा
श्रीलंका की मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, महिंदा राजपक्षे ने अपने सरकारी आवास टेंपल ट्रीज़ में दिए संबोधन में कहा कि वो किसी चुनौती से नहीं डरते.
इसके बाद उनके समर्थक सड़कों पर उतर आए और टेंपल ट्रीज़ को घेरे प्रदर्शनकारियों पर हमले शुरू कर दिए. पुलिस ने भी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कोई ख़ास प्रयास नहीं किया.
इसके बाद ये भीड़ गैले फेस ग्रीन की ओर बढ़ने लगी जहाँ क़रीब एक महीने से शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे हैं.
यहाँ पर प्रदर्शनकारियों और राजपक्षे के समर्थकों के बीच भीषण झड़प हुई. पुलिस ने आँसू गैस के गोले दागे और पानी की बौछारें की ताकि भीड़ को हटाया जा सके.
गैले फेस से शुरू हुई हिंसा कुछ ही समय में देश के अन्य हिस्सों तक फैल गई और अपने घरों की ओर वापसी कर रहे महिंदा राजपक्षे के समर्थकों की बसों पर हमले हुए. सत्ताधारी पार्टी के राजनेताओं से जुड़ी संपत्तियों के साथ तोड़फोड़ की गई और कुछ को आग के हवाले कर दिया गया.
राजपक्षे परिवार के हंबनटोटा स्थित पैतृक घर और कुरुनेगला में महिंदा राजपक्षे के घरों में भी आग लगा दी गई. इसके बाद राष्ट्रपति कार्यालय ने कर्फ्यू की घोषणा की.
76 वर्षीय प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने अपने छोटे भाई और राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को इस्तीफ़ा सौंप दिया है. महिंदा राजपक्षे ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि इससे संकट से निपटने में मदद होगी. हालांकि, इस इस्तीफे से विपक्षी दल शायद ही संतुष्ट होंगे क्योंकि गोटाबाटा राजपक्षे अभी भी सत्ता में बने हुए हैं.
आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में प्रधानमंत्री पद से महिंदा राजपक्षे का इस्तीफ़ा कोई अचानक नहीं आया है. इसके कयास काफ़ी पहले से ही लगाए जा रहे थे. बीबीसी संवाददाता रजनी वैद्यानथन की रिपोर्ट के अनुसार सूत्रों ने ये बताया है कि राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने ही महिंदा राजपक्षे से इस्तीफ़ा देने को कहा था.
समाचार एजेंसी एएफ़पी के अनुसार सोमवार रात प्रधानमंत्री आवास के अंदर प्रदर्शनकारियों को घुसने से रोकने के लिए पुलिस को गोली चलानी पड़ी.
समाचार एजेंसी एएफ़पी के अनुसार, प्रधानमंत्री ने चिट्ठी में कहा है कि उनका इस्तीफ़ा सभी विपक्षी पार्टियों को देश को मौजूदा आर्थिक संकट से निकालने के लिए दिशा देंगी.
हालांकि, विपक्षी पार्टियों ने अभी तक सरकार गठन से इनकार किया है और वे राष्ट्रपति से पद छोड़ने की मांग कर रहे हैं.
प्रधानमंत्री पद से इस्तीफ़ा देने के बाद महिंदा राजपक्षे ने एक ट्वीट में लोगों से शांति और संयम बरतने की अपील की. हालांकि, ये ट्वीट करके वो पूर्व श्रीलंकाई क्रिकेटर कुमार संगकारा के निशाने पर आ गए.
संगकारा ने राजपक्षे के ट्वीट को कोट करते हुए लिखा, "सिर्फ़ आपके समर्थकों, गुंडों और ठगों ने हिंसा को अंजाम दिया था, जो शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर हमला करने से पहले आपके दफ़्तर में आए थे."
जान बचाने के लिए भीड़ पर सांसदों ने चलाई गोली
पुलिस ने बताया कि राजधानी कोलंबो के पास नित्तमबुवा शहर में हज़ारों प्रदर्शनाकियों ने सत्ताधारी पार्टी के एक सांसद की गाड़ी को घेर लिया. इसके बाद सांसद ने गोली चला दी, जिससे एक शख्स की मौत हो गई. हालांकि, बाद में ये सांसद ख़ुद भी मृत पाए गए और उनके बॉडीगार्ड भी.
एक अन्य सांसद ने देश के दक्षिणी हिस्से में स्थित वीराकेतिया शहर में अपने घर में घुसे प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाई. इस घटना में दो लोगों की मौत हो गई और पांच अन्य घायल हो गए.
श्रीलंका में अप्रैल में प्रदर्शन शुरू हुआ था. हालांकि, अभी तक प्रदर्शनकारी गैले फेस ग्रीन स्थिति राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के कार्यालय के बाहर शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे थे और उनके इस्तीफ़े की मांग कर रहे थे.
श्रीलंका में आसमान छूती महंगाई की वजह से जनता परेशान है. श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार खत्म हो गया है और अब वो भोजन, दवाई और ईंधन जैसी ज़रूरी चीज़ें आयात करने में भी अक्षम है.
सरकार ने अपने पड़ोसी देशों और अंतरराष्ट्रीय वित्त संस्थाओं से आपातकालीन मदद मांगी है. सरकार का दावा है कि कोरोना महामारी की वजह से देश की माली हालत खराब हुई क्योंकि कोरोना की वजह से श्रीलंका का पर्यटन क्षेत्र ठप पड़ गया, जहां से उसके विदेशी मुद्रा भंडार का बड़ा हिस्सा आता है. (bbc.com)
पोलैंड में रूस के राजदूत सर्गेई एंद्रीव पर विक्ट्री डे की सालगिरह के मौके प्रदर्शनकारियों ने लाल रंग के पेंट से हमला किया.
एंद्रीव वारसॉ में सोवियत सैनिकों के सैन्य स्मारक पर फूल चढ़ाने पहुंचे थे जब प्रदर्शनकारियों ने उन पर लाल रंग का पेंट फेंका. रूस की सरकारी समाचार एजेंसी तास ने ये जानकारी दी है.
उन पर हुए इस हमले का वीडियो सोशल मीडिया पर ख़ूब वायरल हो रहा है.
वीडियो में दिख रहा है कि वह प्रदर्शनकारियों की भीड़ से घिरे हैं और एक प्रदर्शनकारी बेहद करीब से उन पर लाल रंग फेंकता है. लेकिन एंद्रीव बिना उत्तेजित हुए शांत खड़े रहते हैं, वह अपना चेहरा साफ़ करते हैं लेकिन प्रदर्शनकारियों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देते.
समाचार एजेंसी तास के मुताबिक़, “रूसी संघ के राजदूत, उनकी पत्नी और उनके साथ मौजूद राजनयिकों के एक समूह पर लाल रंग से हमला किया गया और उन्हें सैन्य स्मारक में भी नहीं जाने दिया गया.”
"कार से बाहर निकलते ही एंद्रीव को आक्रामक प्रदर्शनकारियों ने घेर लिया. ये प्रदर्शनकारी सैन्य स्मारक पर यूक्रेनी झंडों के साथ रूस के विरोध नारेबाज़ी कर रहे थे."
इसके बाद पुलिस ने राजनयिकों को सुरक्षित उनकी कार तक पहुंचाने में उनकी मदद की.
द्वितीय विश्व युद्ध में नाज़ी जर्मनी पर जीत की याद में रूस 9 मई को विक्ट्री डे मनाता है.
विक्ट्री डे के मौके पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भाषण में कहा कि रूस यूक्रेन में मातृभूमि की खातिर लड़ रहा है.
इस साल फरवरी में रूस ने यूक्रेन पर हमला किया और दोनों देशों के बीच युद्ध अब तक युद्ध जारी है. पोलैंड की राजधानी में लोग यूक्रेन के समर्थन में और इस जंग के खिलाफ़ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. (bbc.com)
नोबेल पुरस्कार विजेता और जानी-मानी पाकिस्तानी मानवाधिकार कार्यकर्ता मलाला यूसुफ़ज़ई ने तालिबान की ओर से महिलाओं के हिजाब को लेकर लाए गए नए नियम की आलोचना करते हुए कहा है कि ये लड़कियों को सार्वजनिक जीवन से मिटा देने वाला क़दम है.
सात मई को अफ़ग़ानिस्तान की तालिबान सरकार ने महिलाओं के लिए नए हिजाब नियम का एलान करते हुए कहा कि हर सम्मानित महिला को हिजाब पहनना होगा.
सरकारी नोटिस में कहा गया है कि चंदोरी यानी नीले रंग का वो अफ़ग़ान बुर्का जिससे सिर से पैर तक ढक जाता है वो महिलाओं के लिए सबसे ‘बेहतर हिजाब’ है.
मलाला ने इस नए फ़रमान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “लड़कियों को स्कूल जाने से रोक कर, काम पर जाने से रोक कर, बिना पुरुष अकेले सफ़र करने पर पाबंदी लगा कर और अब सिर से पैर तक महिलाओं को ज़बरदस्ती बुर्का पहना कर- तालिबान अफ़ग़ानिस्तानी महिलाओं को सार्वजनिक जीवन से मिटा देना चाहता है.”
“हमें अफ़ग़ान महिलाओं की चिंता अपने बीचकायम रखना चाहिए, क्योंकि तालिबान अपने वादों को तोड़ता जा रहा है. अब भी, महिलाएं अपने मानवाधिकारों और सम्मान के लिए सड़कों पर उतर रही हैं, हम सभी को, और खासकर मुस्लिम देशों के लोगों को उनके साथ खड़ा होना चाहिए.”
तालिबान के नए फ़रमान के तहत अब अफ़ग़ान महिलाओं को अपना पूरा चेहरा ढकना होगा.
कोई भी महिला जो अपने परिवार के पुरुष सदस्यों की चेतावनियों का पालन करने से इनकार करती है या उनकी उपेक्षा करती है तो उस घर के पुरुष को तीन दिनों के जेल की सज़ा होगी.(bbc.com)
श्रीलंका में सरकार के ख़िलाफ़ भारी प्रदर्शन के बीच प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने इस्तीफ़ा दे दिया है. रिपोर्टों के मुताबिक़ उन्होंने राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को अपना इस्तीफा भेज दिया है.
देश में अभूतपूर्व आर्थिक संकट के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे लोगों ने राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे और उनकी कैबिनेट पर इस्तीफ़ा देने का दबाव बनाया हुआ है.
श्रीलंका सरकार ने फ़िलहाल देश में इमरजेंसी लागू की हुई है. स्थानीय मीडिया की रिपोर्टों में कहा गया है कि राष्ट्रपति भवन में गोटाबाया राजपक्षे के नेतृत्व में हुई.बैठक में शामिल महिंदा राजपक्षे से इस्तीफा देने का अनुरोध किया, जिसे उन्होंने मान लिया.
श्रीलंका में कैबिनेट को सूचना दी गई है कि प्रधानमंत्री राजपक्षे ने देश की ख़राब आर्थिक हालात को संभालने में नाकाम रहने का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया है. उनके इस्तीफ़े से कैबिनेट भी भंग हो गई है.
राजपक्षे ने कहा था कि अगर उनके इस्तीफ़े से देश का मौजूदा आर्थिक संकट खत्म होता है तो वो इसके लिए तैयार हैं. श्रीलंका में खाद्यान्न, पेट्रोल और दवाओं की भारी कमी हो गई है. अपनी आज़ादी के बाद श्रीलंका सबसे बड़े आर्थिक संकट से गुज़र रहा है. श्रीलंका के पास डॉलर की भारी कमी हो गई है. लिहाजा वह जरूरी चीज़ों का भी आयात नहीं कर पा रहा है.
देश में सरकार के ख़िलाफ़ भारी प्रदर्शन हो रहे हैं. पिछले एक महीने से कोलंबो में प्रदर्शन कर रहे लोग सरकार और कैबिनेट से इस्तीफ़े की मांग कर रहे हैं. (bbc.com)
फिलीपींस की पत्रकार और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मारिया रेसा का कहना है कि सोशल मीडिया के उदय ने खतरनाक प्रोपेगेंडा को पनपने दिया है और पेशेवर पत्रकारों पर हमले का खतरा लगातार बना रहता है.
फिलीपींस के समाचार संगठन 'रैपलर' की सीईओ मारिया रेसा का कहना है कि जहां सोशल मीडिया ने प्रगति की है, वहीं ऑनलाइन प्लेटफॉर्म ने भी प्रोपेगेंडा को बढ़ावा दिया है. उन्होंने कहा कि फर्जी खबरों और नकारात्मक प्रचार के कारण कई लोग और संस्थान प्रभावित हो रहे हैं. साथ ही पत्रकारों के लिए स्थिति नाटकीय रूप से "निराशाजनक" है.
समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस के साथ एक इंटरव्यू में रेसा ने कहा कि वैश्विक स्तर पर मीडियाकर्मियों के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं. उन्होंने कहा कि इस स्थिति का एक कारण यह भी था कि सूचना प्रसारित करने के साधन नाटकीय रूप से बदल गए हैं.
58 वर्षीय रेसा ने कहा कि सोशल मीडिया ने झूठी खबरें फैलाना आसान बना दिया है. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया ने प्रोपेगेंडा फैलाना आसान कर दिया है, इसके जरिए तथ्यों से इनकार किया जा सकता है और ऐतिहासिक संदर्भों को बिगाड़ा जा सकता है.
मारिया रेसा और उनके मीडिया संगठन को राष्ट्रपति रोड्रिगो दुतर्ते की सरकार के कामों की आलोचनात्मक रिपोर्टिंग के लिए कई बार निशाना बनाया जा चुका है. वह गलत जानकारियों के खिलाफ वैश्विक लड़ाई का भी एक अहम हिस्सा हैं.
रेसा ने कहा कि फिलीपींस का उदाहरण लें, जहां सोमवार को राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोट डाले जा रहे हैं. इस चुनाव में फर्डिनांड मार्कोस जूनियर की जीत निश्चित है.
रेसा कहती हैं फर्डिनांड के पिता एक तानाशाह थे और अपने मानवाधिकारों के हनन और भ्रष्टाचार के लिए जाने जाते थे. उन्होंने कहा कि जिस तरह से सोशल मीडिया पर तथ्यों को गलत तरीके से पेश किया गया और नायकों के रूप में चित्रित किया गया, उससे जनता की राय में बहुत फर्क पड़ा है और अगर वे जीतते हैं तो यह सोशल मीडिया के प्रचार के कारण होगा.
वे कहती हैं ऐसी स्थिति में ऐसी फर्जी खबरों को बेनकाब करने की जिम्मेदारी पत्रकारों की होती है. रेसा के मुताबिक, ''पत्रकारिता का महत्व पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गया है.''
रेसा यूक्रेन युद्ध का भी उदाहरण देती हैं. उन्होंने कहा कि यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद यह प्रोपेगेंडा तेज हो गया कि रूस परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है क्योंकि दुनिया तीसरे विश्व युद्ध की ओर बढ़ रही है.
रेसा जोर देकर कहती हैं कि ऐसी अनिश्चितताओं में प्रामाणिक समाचारों तक पहुंच महत्वपूर्ण है. वे कहती हैं, "मुझे लगता है कि ये ऐसे क्षण हैं जब पत्रकारों की जिम्मेदारी बढ़ जाती है और वे जो कुछ भी करते हैं वह महत्वपूर्ण हो जाता है."
एए/सीके (एपी)
ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ़ वू ने सोमवार को कहा कि इस महीने होने वाली विश्व स्वास्थ्य संगठन की बैठक के लिए निमंत्रण पाना ताइवान के लिए बेहद मुश्किल होगा. लेकिन हम कोशिश कर रहे हैं.
ये जानकारी समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने दी है.
ताइवान को कई वैश्विक संस्थाओं ने अलग-थलग रखा है क्योंकि चीन ताइवान को अपना हिस्सा बताता है और वह अपनी कूटनीति के तहत ताइवान को अलग राष्ट्र के तौर पर मान्यता देने से अन्य देश और संस्थाओं को रोकता है.
ताइवान ने शिकायत की है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से बैठक में शामिल ना किए जाने से कोविड-19 महामारी से लड़ने के देश के प्रयासों में रुकावट पैदा हो रही है.
ताइवान ने साल 2009 से 2016 के दौरान हुई विश्व स्वास्थ्य संगठन में बतौर पर्यवेक्षक के रूप में भाग लिया था.
लेकिन साई इंग-वेन के ताइवान का राष्ट्रपति चुने जाने के बाद चीन ने ताइवान की भागीदारी को रोक दिया. चीन साई इंग-वेन को एक अलगाववादी नेता मानता है.
संसद में सवालों का जवाब देते हुए वू ने कहा, “वो लगातार विश्व स्वास्थ्य संगठन पर आमंत्रण पाने की कोशिश कर रहे हैं. ये बेहद मुश्किल लग रहा है लेकिन ताइवान पूरी सक्रियता के साथ इसके लिए प्रयास कर रहा है.” (bbc.com)
क़तर के अमीर जल्द ही ईरान के दौरे पर आएँगे. ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सईद ख़ातिबज़ादेह ने इसकी पुष्टि की है. सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में ख़ातिबज़ादेह ने कहा- क़तर के अमीर की तेहरान यात्रा एजेंडे पर है. इस एजेंडे में द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दे शामिल हैं. इस यात्रा के बाद ईरान के राष्ट्रपति खाड़ी देश की यात्रा करेंगे.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि क़तर के अमीर जर्मनी, ब्रिटेन और अन्य यूरोपीय देशों की यात्रा से पहले ईरान जाएँगे. उनकी यूरोप यात्रा का मक़सद वर्ष 2015 के ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते को फिर से शुरू लागू कराने की कोशिश के अलावा यूरोप में ऊर्जा मामले पर चर्चा है. क़तर के अमीर ने जनवरी 2020 में आख़िरी बार ईरान की यात्रा की थी. उनकी यात्रा का मक़सद ईरान और अमेरिका के बीच तनाव कम करना था. उस दौरान अमेरिका ने ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड के कमांडर क़ासिम सुलेमानी को मार दिया था.(bbc.com)
9 मई की सुबह उन्होंने एक ट्वीट करते हुए लिखा, " अगर मेरी रहस्यमय परिस्थितियों में मौत होती है तो, मैं कहना चाहता हूं कि आप सभी को जानकर मुझे अच्छा लगा.”
अपने इस ट्वीट से पहले मस्क ने एक पोस्ट शेयर की थी जो एक बयान का स्क्रीनशॉट जैसा लगता है.
रूसी भाषा में लिखे इस स्क्रीनशॉट में लिखा है, “एलन मस्क यूक्रेन की फासिस्ट फोर्स को मिलिट्री कम्यूनिकेशन उपकरण सप्लाई कर रहे हैं. इसके लिए एलन मस्क, आपकी जवाबदेही तय होगी चाहे आप कितना भी चालाकियां कर लें लोगों को बेवकूफ़ बना लें.”
इसमें ये भी दावा किया कि उपकरण यूक्रेन में अमेरिकी रक्षा विभाग के मुख्यालय पेंटागन की ओर से भेजे गए.
मस्क ने इस स्क्रीन शॉट के साथ एक वैरिफ़ाइड टेविटर अकाउंट @Rogozin को टैग कर ट्वीट किया है.
दोनों पोस्ट के बाद अटकलें लगाईं जा रही हैं कि क्या टेस्ला के सीईओ को युद्ध के बीच यूक्रेन की मदद करने के लिए रूस से धमकियों का सामना करना पड़ रहा है.
फरवरी में, मस्क की कंपनी स्पेसएक्स की स्टारलिंक उपग्रह ब्रॉडबैंड सेवा यूक्रेन में युद्ध प्रभावित क्षेत्र में एक्टिव है. मस्क ने ये यूक्रेनी मंत्री की ओर से की गई मदद की अपील के बाद इसे एक्टिवेट किया था.
एक सप्ताह पहले मस्क ने 44 अरब डॉलर का प्रस्ताव ट्विटर को खरीदने के लिए पेश किया था जिस सौदे पर ट्विटर का बोर्ड सहमत हो गया है. हालांकि ये सौदा अभी पूरा नहीं हुआ है और आने ट्विटर ने अपने शेयरहोल्डर्स से इस पर उनकी सहमति मांगी है. लेकिन माना जा रहा है कि ये डील आने वाले दिनो में पूरी हो जाएगी. (bbc.com)
सऊदी अरब के किंग सलमान बिन अब्दुल अज़ीज़ की जेद्दा के किंग फ़ैसल स्पेशियलिस्ट हॉस्पिटल में कॉलोनोस्कोपी की गई और इसकी रिपोर्ट ठीक आई है.
सऊदी के सरकारी समाचार एजेंसी एसपीए ने रविवार को ये जानकारी दी.
कोलोनोस्कोपी बड़ी आंत (कोलन) और रेक्टम (मलाशय) में समस्याओं की जांच करने के लिए किया जाने वाला टेस्ट है. ये टेस्ट कोलन कैंसर की जांच के लिए किया जा जाता है.
इससे पहले, आठ मई कोशाही कोर्ट ने बताया था कि किंग सलमान को मोडिकल टेस्ट के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
86 वर्षीय किंग सलमान ने साल 2020 में पित्ताशय की थैली की सर्जरी करवाई थी और इश साल मार्च में उनके हृदय में लगे पेसमेकर की बैटरी बदली गई थी. (bbc.com)
पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के सदस्य और मशहूर टीवी शख़्सियत आमिर लियाक़त की तीसरी शादी भी ज़्यादा दिनों तक नहीं चल सकी.
49 वर्षीय लियाक़त ने इसी साल फ़रवरी में 18 साल की सैयदा दानिया शाह से निकाह किया था. हालांकि, अब दानिया शाह ने लियाक़त से तलाक़ के लिए कोर्ट में अर्ज़ी दी है.
दानिया शाह ने लियाक़त पर घरेलू हिंसा का आरोप लगाया है और कोर्ट से शादी को रद्द करने की मांग की है. आमिर लियाक़त इमरान ख़ान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ के सदस्य हैं.
दानिया शाह ने अपने इंस्टाग्राम पर आमिर लियाक़त से अलग होने की पुष्टि की और बताया कि वो कोर्ट गई थीं. उन्होंने अपने वीडियो में कहा कि इस बारे में और जानकारी मीडिया को मिलेगी.
दानिया ने स्थानीय मीडिया से बात करते हुए आमिर लियाक़त पर उनके साथ बेहद क्रूर होने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, "उन्होंने मुझे तीन, तीन या चार दिनों तक एक कमरे में बंद रखा. उन्होंने मुझे समय पर खाना भी नहीं दिया."
उन्होंने आरोप लगाया कि आमिर लियाक़त ने न सिर्फ़ उन्हें गोली मारने की धमकी दी बल्कि गला घोंटकर मारपीट भी की.
उन्होंने कहा, "अगर मुझे, मेरे भाई या मेरे परिवार को कुछ होता है तो इसके लिए आमिर लियाक़त ज़िम्मेदार होंगे."
शादी रद्द करने के दावे में क्या है?
दानिया शाह ने शादी रद्द करने में आमिर लियाक़त पर नशा करने, प्रताड़ित करने और जबर्दस्ती अश्लील वीडियो बनाने का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ़ दहेज और भरण-पोषण का दावा भी दर्ज कराया था.
सोशल मीडिया पर शेयर हो रहे एक दस्तावेज़ के अनुसार, दानिया शाह ने आमिर लियाक़त से हर महीने एक लाख रुपये रखरखाव की मांग की है. इसके अलावा उन्होंने 11 करोड़ रुपये की हवेली, गाड़ी की भी मांग की है.
जियो न्यूज़ के अनुसार दानिया शाह ने आरोप लगाया है कि पीटीआई सांसद उन्हें एक छोटे से कमरे में बंद रखा करते थे और नशा करने के बाद उन्हें मारते-पीटते थे. दानिया ने ये भी आरोप लगाया है कि आमिर उन्हें और उनके परिवार को धमकी दे रहे हैं. दानिया शाह ने आमिर लियाक़त को 'शैतान से भी बुरा' बताया है.
दानिया द्वारा लगाए गए आरोपों के जवाब में आमिर लियाकत हुसैन ने ट्विटर पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि शादी को रद्द करने के लिए दर्ज मामले में उनके खिलाफ़ लगाए गए आरोप झूठे हैं.
दोनों के अलगाव के बाद पाकिस्तान में एक बार फिर से बहस छिड़ गई है. सोशल मीडिया पर कुछ यूज़र्स आमिर लियाक़त को गलत ठहरा रहे हैं तो कुछ लोग ये कह रहे हैं कि दानिया शाह ने आमिर लियाक़त की सच्चाई जानते हुए सिर्फ़ पैसों के लिए ये शादी की थी.
इसी साल फ़रवरी में हुई थी शादी
49 वर्षीय नेता और सांसद आमिर लियाक़त हुसैन ने फ़रवरी में ट्विटर के ज़रिए ये बताया था कि उन्होंने 18 साल की सैयदा दानिया से शादी की है और ये उनकी तीसरी शादी है. दोनों की उम्र में क़रीब 31 साल का फ़ासला है.
लियाक़त हुसैन ने बताया था कि उन्होंने दक्षिण पंजाब के लोधरान में रहने वाले सआदत परिवार की सैयदा दानिया शाह से निक़ाह किया है, जिनकी उम्र 18 साल है.
उस समय लियाक़त की दूसरी पत्नी ने सैयदा तूब अनवर ने लोगों को अपने तलाक़ की जानकारी दी थी.
उन्होंने लिखा था, "भारी मन से, मैं लोगों को अपने जीवन में हुए बदलाव की जानकारी देना चाहती हूँ. मेरा परिवार और क़रीबी दोस्त जानते हैं कि 14 महीने अलग रहने के बाद, ये साफ़ था कि अब सुलह की कोई उम्मीद नहीं है और मुझे अदालत से खुला लेने का विकल्प चुनना पड़ा."
तूबा अनवर ने इसी पोस्ट में लिखा है, "मैं बता नहीं सकती कि ये कितना मुश्किल रहा लेकिन मैं अल्लाह पर ऐतबार करती हूँ. मैं सभी से अपील करूंगी कि मुश्किल भरे इस समय में मेरे फ़ैसले का सम्मान किया जाए.
इन दोनों की शादी साल 2018 में हुई थी. लियाक़त की पहली पत्नी ने भी आरोप लगाया था कि उन्हें फ़ोन पर तलाक़ दिया गया. (bbc.com)
-शुमायला ख़ान
भारत के दक्षिणी शहर हैदराबाद में हुई ऑनर किलिंग की तरह ही पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के ओकरा में एक युवा फ़ैशन मॉडल सिदरा खालिद की हत्या भी उनके छोटे भाई हमज़ा खालिद ने कर दी. हमज़ा पर ऑनर किलिंग के नाम पर सिदरा को गोली मारने का आरोप है.
ओकरा के रेनाला सिटी के एसएचओ इंस्पेक्टर जावेद ख़ान ने बताया, "सिदरा खालिद में मॉडलिंग को लेकर जुनून था और वह फ़ैसलाबाद में मॉडलिंग करती थी. रमज़ान के महीने में पिछले दिनों वह अपने घर ओकरा आयी. ईद के बाद वह काम पर लौटने के लिए जा रही थी तब परिवार वालों ने इस पर आपत्ति जतायी."
सिदरा की हत्या की वजह के बारे में इंस्पेक्टर जावेद ने कहा कि उन पर परिवार वालों की तरफ़ से मॉडलिंग छोड़ने का काफ़ी दबाव था और हत्या की वजह भी यही थी. सिदरा खालिद की मां की शिकायत पर इस मामले में एफ़आईआर दर्ज की गई है.
22 साल की सिदरा खालिद ने स्नातक तक की पढ़ाई पूरी कर ली थी. परिवार में उनकी तीन अन्य बहनें और एक भाई है. पुलिस के मुताबिक चार बहनों के इकलौते भाई, 20 साल के हमज़ा ने इस हत्या को अंजाम दिया.
इंस्पेक्टर जावेद ख़ान ने कहा, "सिदरा के परिवार वाले उसे मॉडलिंग छोड़कर घर पर रहने को कह रहे थे, लेकिन वह मॉडलिंग करने के लिए जाना चाहती थी. इसी बात छोटे भाई हमज़ा के साथ उसकी बहस हो गई."
हादसे के वक़्त सिदरा और हमज़ा के पिता भी घर में मौजूद थे और उन्होंने भी सिदरा को रोकने की कोशिश की थी. जब सिदरा ने उनकी बात सुनने से इनकार कर दिया तो पिता की पिस्तौल से भाई ने गोली चला दी, गोली सिदरा के बायीं आँख के ऊपरी हिस्से में लगी और मौके पर ही सिदरा की मौत हो गई.
मामले की जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने मुक़दमा दर्ज करते हुए अभियुक्त को हत्या के लिए इस्तेमाल किए गए हथियार सहित गिरफ़्तार कर लिया. अभियुक्त हमज़ा अभी पुलिस हिरासत में है. पुलिस इस मामले की भी जांच कर रही है कि क्या इस ऑनर किलिंग में परिवार के और भी लोग शामिल थे?
मानवाधिकार संस्था ह्यूमन राइट्स वाच ने 2021 की अपनी रिपोर्ट में अनुमान जताया है कि पाकिस्तान में हर साल एक हज़ार महिलाओं की हत्या ऑनर के नाम पर की जाती है. हालांकि पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने हाल में प्रकाशित अपनी सालाना रिपोर्ट में बताया है कि पिछले साल पाकिस्तान में ऑनर किलिंग के 478 मामले दर्ज हुए थे. महिला अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्थाओं का कहना है कि ऑनर किलिंग के नाम पर होने वाली हत्याएं कहीं ज़्यादा है क्योंकि हर मामले पुलिस में दर्ज नहीं होते हैं.
पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने अपनी रिपोर्ट में इस्लामाबाद की नूर मक़द्दम की हत्या का ज़िक्र करते हुए लिखा है कि महिला अधिकार कार्यकर्ता नूर साल 2021 में पाकिस्तान में महिलाओं की हत्या को देखते हुए आपातकाल लागू करने की मांग कर रही थीं.
पाकिस्तान में ऑनर किलिंग के नाम पर हत्या के मामले लगातार बढ़े हैं और इस पर देश भर में बहस भी देखने को मिल रही है. ऑनर किलिंग के इन मामलों में मृतका के परिवार वाले यानी पति, पिता, बेटा, भाई, कज़िन और अंकल शामिल होते हैं. इन हत्याओं की वजहों में अपनी पसंद मुताबिक विवाह करने से लेकर मोबाइल फ़ोन इस्तेमाल करने और सोशल मीडिया पर अपनी तस्वीर डालने जैसी बात शामिल हैं.
गौरतलब है कि पाकिस्तान में आज भी फ़िल्मों-टीवी में काम करने और मॉडलिंग को लड़कियों के लिए अच्छा पेशा नहीं माना जाता है.
सिदरा खालिद की तरह ही 2016 में मॉडल कंदील बलोच की हत्या उनके भाई वसीम ख़ान ने गला घोंटकर कर दी थी. कंदील बलोच सोशल मीडिया पर मशहूर शख़्सियत और मॉडल थीं. कंदील बलोच की हत्या के बाद पाकिस्तान की संसद ने नया क़ानून पारित किया जिसके तहत ऑनर किलिंग के मामले में मृतका के परिवार की ओर से माफ़ कर दिए जाने के बाद भी अभियुक्त सजा से बच नहीं पाएगा.
हालांकि इस्लामी क़ानूनों का हवाला देते हुए पाकिस्तान प्रभावशाली धर्म गुरुओं ने नए क़ानून को गैर इस्लामिक बताया है, बावजूद इसके पाकिस्तान के दोनों सदनों ने इसे पारित किया था. हालांकि सिविल सोसायटी इस क़ानून की बड़ी प्रशंसा कर रहा है.
कंदील बलोच हत्या के मामले में उनके भाई वसीम ख़ान को तीन साल पहले उम्र क़ैद की सजा सुनाई गई थी लेकिन इसी साल फरवरी महीने में लाहौर हाई कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया.
ऐसा गवाहों के बयान से मुकरने और संबंधित पक्षों के बीच आपसी समझौते के चलते हुआ. लाहौर हाईकोर्ट के फ़ैसले से कंदील बलोच को इंसाफ़ दिलाने के लिए लड़ रहे सामाजिक कार्यकर्ताओं को काफ़ी निराशा हुई थी. (bbc.com)
पूर्वी यूक्रेन के एक स्कूल पर बम गिरने से कम से कम 60 लोगों की मौत की आशंका जताई जा रही है. यूक्रेन पर रूस के हमले को दो महीने से अधिक का समय हो चुका है और हमले लगातार जारी हैं. यूक्रेन भी लगातार रूस के हमलों का जवाब दे रहा है.
लुहांस्क प्रांत के गवर्नर सेरहिय हैदई ने दो लोगों के मौत की पुष्टि की है और आशंका जताई है कि इस हमले में कम से कम 60 लोगों की मौत हो सकती है. यह स्कूल लुहांस्क के बिलोहोरिव्का में है.
स्कूल की इस इमारत मे क़रीब 90 लोगों ने शरण ले रखी थी. हमले के बाद से 30 लोगों को रेस्क्यू करके निकाला गया है. इनमें से सात लोग गंभीर तौर पर घायल हुए हैं. गवर्नर हैदई ने बताया कि रूस ने शनिवार को स्कूल की इमारत पर बम गिराया.
हालांकि हैदई के आरोप की बीबीसी पुष्टि नहीं करता है और इस संबंध में रूस की ओर से भी कोई बयान जारी नहीं किया गया है.
यूक्रेन के एक अख़बार का दावा है कि यह जगह बीते एक सप्ताह से युद्ध का ‘हॉटस्पॉट’ बना हुआ है.
दावे में कहा गया है कि बम गिरने से स्कूल की इमारत पूरी तरह से ध्वस्त हो गई और आग लग गयी. आग बुझाने में फ़ायर-ब्रिगेड को तीन घंटे से अधिक समय लगा. गवर्नर का कहना है कि लगभग पूरे गांव ने स्कूल की बेसमेंट में शरण ले रखी थी.
उन्होंने कहा कि अभी पुष्ट तौर पर मरने वालों की संख्या नहीं बतायी जा सकती है. एकबार मलबा हटने के बाद ही मरने वालों की संख्या सामने आ पाएगी. (bbc.com)
हवाना, 8 मई। क्यूबा की राजधानी हवाना के मध्य में एक आलीशान होटल में हुए शक्तिशाली विस्फोट में कम से कम 26 लोगों की मौत हो गई, जबकि दर्जनों अन्य घायल हो गए। बचावकर्मी मलबे से लोगों को निकालने के अभियान में जुटे हैं।
हादसे में जिन लोगों के परिजन प्रभावित हुए हैं वे अपनों की तलाश में मुर्दाघरों, अस्पतालों में भटक रहे हैं और असफल होने पर निराश होकर होटल साराटोगा के ध्वस्त इमारत के पास लौट आ रहे हैं जहां पर खोजी कुत्तों की मदद से मलबे में दबे लोगों की तलाश की जा रही है।
यह मशहूर लग्जरी होटल है जो बेयोंस और जे-जेड सहित कई हस्तियों की मेजबानी कर चुका है।
हवाना के 96 कमरों वाले होटल साराटोगा में शुक्रवार को हुआ विस्फोट संभवत: प्राकृतिक गैस के रिसाव के कारण हुआ। 19वीं सदी का यह ढांचा ओल्ड हवाना में स्थित है। विस्फोट के समय साराटोगा होटल में कोई पर्यटक नहीं था, क्योंकि वहां मरम्मत का काम चल रहा था। मंगलवार को होटल को खोलने की योजना थी।
क्यूबा की आधिकारिक क्यूबाडिबेट न्यूज वेबसाइट ने हवाना शहर के अधिकारियों के हवाले से बताया कि मृतकों की संख्या बढ़कर 26 हो गई है जिनमें चार बच्चे और एक गर्भवती महिला शामिल हैं।
बचाव कर्मियों ने शुक्रवार पूरी रात और शनिवार को भी तलाशी अभियान जारी रखा। उन्होंने बताया कि बचाव कर्मी संभावित पीड़ितों की तलाश में होटल के बेसमेंट तक पहुंच गए हैं और भारी मशीनों से मलबे को हटाकर रास्ता बनाया जा रहा है।
होटल के मलबे से शनिवार तड़के कम से कम एक व्यक्ति को जिंदा निकाला गया। बचाव कर्मी खोजी कुत्तों की मदद से क्रंक्रीट के बड़े-बड़े टुकड़ों के बीच जिंदा लोगों की तलाश कर रहे हैं।
लापता लोगों के परिजन अपनों की तलाश में शुक्रवार रात से घटनास्थल पर मौजूद हैं तो कुछ लोग अस्पतालों के बाहर जमा हैं जहां घायलों का इलाज हो रहा है। क्रिस्टिना एवलर ने एसोसिएटेड प्रेस (एपी) को कहा, ‘‘मैं यहां से नहीं जाना चाहती।’’
मलबे के पास यतमारा कोबास अपनी बेटी की आवाज सुनने की उम्मीद से मलबे के नजदीक ही खड़ी थीं, जिनकी 27 साल की बेटी शियादिस कोबास होटल में सफाई कर्मी थी।
उन्होंने कहा,‘‘मेरी बेटी शुक्रवार आठ बजे से ही होटल में थी और मैं उसके बारे में कुछ नहीं जानती।’’ कोबास ने कहा, ‘‘न तो वह मुर्दाघर में है और न ही अस्पताल में। मैं सभी जगह जा चुकी हूं लेकिन अधिकारियों के पास कोई जवाब नहीं है।’’
क्यूबा के नेता फिदेल कास्त्रो के सानिध्य में लड़ चुके कमांडेंट रमिरो वालदेस को लेफ्टिनेंट कर्नल एरिक पेना ने बचाव अभियान की जानकारी दी जो शनिवार सुबह हादसे के स्थान पर पहुंचे थे।
पेना ने बताया कि पहले तल और भूमिगत तल में लोगों की मौजूदगी का पता चला है और कुत्तों की मदद से चार टीमें उन्हें निकालने का प्रयास कर रही हैं। उन्होंने कहा कि वे नहीं जानते कि पीड़ित जिंदा हैं या उनकी मौत हो चुकी हैं।
होटल में गत पांच साल से काम कर रहे एवलर वहां ओडालीज बरेरा (57) का इंतजार कर रही हैं, जो होटल में कैशियर थीं और उन्हें अपनी बहन की तरह मानती हैं। इसके अलावा विस्फोट में किसी पर्यटक के हताहत होने की खबर नहीं है। विस्फोट की यह घटना क्यूबा के पर्यटन उद्योग के लिए एक और बड़ा झटका है।
कोरोना वायरस महामारी के चलते पहले से ही क्यूबा पर्यटकों से दूर है। देश, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए सख्त प्रतिबंधों से संघर्ष कर रहा है जिसे अमेरिका के मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी कायम रखा है।
इसकी वजह से अमेरिका से आने वाले सीमित पर्यटकों और अमेरिका में रह रहे क्यूबाई लोगों द्वारा स्वदेश में रह रहे लोगों को धन भेजने पर भी रोक लग गई है।
इस साल की शुरुआत में पर्यटन उद्योग ने थोड़ी रफ्तार पकड़ी थी लेकिन यूक्रेन पर युद्ध के कारण रूसी पर्यटकों की संख्या में काफी कमी आई है। क्यूबा की यात्रा करने वाला हर तीसरा पर्यटक रूसी नागरिक होता है। शुक्रवार को हुए विस्फोट में होटल की पहली मंजिल को काफी नुकसान पहुंचा है।
होटल के निचले तल को शुक्रवार को हुए धमाके से सबसे अधिक नुकसान हुआ है। आगे की दीवार गिर जाने से गद्दे, फर्नीचर, लटकते शीशें, फटे हुए पर्दे और धूल से सने तकिए दिखाई दे रहे हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय में अस्पताल सेवाओं के प्रमुख डॉ. जूलियो गुएरा इजक्विएर्डो ने संवाददाताओं को बताया कि शुक्रवार को हुए इस हादसे में कम से कम 74 लोग घायल हुए हैं।
राष्ट्रपति मिगुएल डिआज-कैनेल के कार्यालय द्वारा किए गए एक ट्वीट के अनुसार, घायलों में 14 बच्चे शामिल हैं।
क्यूबा के स्वास्थ्य मंत्री जोस एंजेल पोर्टल ने एपी को बताया कि घायलों की संख्या बढ़ सकती है, क्योंकि ओल्ड हवाना स्थित 19वीं सदी के इस होटल के मलबे में फंसे लोगों की तलाश जारी है।
दमकल विभाग के लेफ्टिनेंट कर्नल नोएल सिल्वा ने कहा, ‘‘हम अब भी मलबे के नीचे दबे लोगों की तलाश कर रहे हैं।’’
डिआज-कैनेल ने बताया कि विस्फोट से प्रभावित होटल के पास की इमारतों में रह रहे परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया गया है। भारी मशीनों से ध्वस्त दीवार को हटाया जा रहा है और ट्रकों में मलबा भर जा रहे हैं।
होटल के बगल में स्थित 300 छात्रों वाले एक स्कूल को खाली करा लिया गया। गार्सिया ने कहा कि हादसे में पांच छात्रों को मामूली चोटें आई हैं। पुलिस ने इलाके की घेराबंदी कर ली है।
यह होटल क्यूबा की संसद की इमारत से महज 100 मीटर की दूरी पर है विस्फोट के बाद संसद की इमारत की खिड़कियां भी टूट गई।
होटल को पहली बार 2005 में क्यूबा सरकार के ओल्ड हवाना के पुनरुद्धार कार्यक्रम के तहत पुनर्निर्मित किया गया था। इसका स्वामित्व क्यूबा की सेना की पर्यटन व्यवसाय शाखा ‘ग्रुपो डी टूरिज्मो गेविओटा एसए’ के पास है। कंपनी ने कहा कि वह विस्फोट के कारणों की जांच कर रही है हालांकि, उसने इस पुनरुद्धार और वहां चल रहे कार्य के बारे में एसोसिएटेड प्रेस द्वारा ई-मेल से पूछे गए सवाल का जवाब नहीं दिया।
साराटोगा होटल का इस्तेमाल अक्सर अति विशिष्ट लोगों और राजनीतिक हस्तियों द्वारा किया जाता रहा है, जिसमें अमेरिकी सरकार के उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी शामिल हैं। 2013 में क्यूबा की यात्रा के दौरान गायिका बेयोंस और जे-जेड वहां रुके थे।
फोटोग्राफर माइकल फिगुएरोआ के अनुसार, वह होटल के पास से गुजर रहे थे, तभी विस्फोट हुआ। उन्होंने कहा, ‘‘विस्फोट ने मुझे जमीन पर गिरा दिया और मेरे सिर में अब भी दर्द हो रहा है... सब कुछ बहुत त्वरित था।’’ दोपहर में होटल में काम कर रहे लोगों के चिंतित रिश्तेदार उनकी तलाश के लिए एक अस्पताल पहुंचे।
इस बीच, मैक्सिको के राष्ट्रपति एंड्रेस मैनुअल लोपेज ओब्रेडोर शनिवार देर रात हवाना पहुंचने वाले हैं। मैक्सिको के विदेश मंत्री मार्सेलो एब्रार्ड ने स्पष्ट किया कि ओब्रेडोर के यात्रा कार्यक्रम में कोई बदलाव नहीं किया गया है। (एपी)
अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान ने शनिवार को ये हुक्म जारी किया है कि महिलाओं को अपना चेहरा ढंकना ही होगा. तालिबान हुकूमत की ओर से ये फरमान गुट के सुप्रीम लीडर ने सुनाया है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, तालिबान हुकूमत के सत्ता में आने के बाद से अफ़ग़ानिस्तान में सार्वजनिक जगहों पर महिलाओं पर पाबंदियां लगातार बढ़ती जा रही हैं और बहुत से अफ़ग़ान लोगों में और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के बीच ऐसे फ़ैसलों की आलोचना होती रही है.
मुल्क में मजहब को बढ़ावा देने और बुराई को रोकने वाले विभाग के प्रवक्ता ने काबुल में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में तालिबान के सुप्रीम लीडर हिबतुल्लाह अखुंदज़ादा का ये फरमान पढ़कर सुनाया.
इतना ही इस हुक्म में ये भी कहा गया है कि अगर कोई महिला घर से बाहर निकलते वक़्त अपना चेहरा नहीं ढंकती है तो उसके पिता अथवा सबसे करीबी पुरुष रिश्तेदार को सरकारी नौकरी से निकाला जा सकता है और आख़िर में उसे जेल भी भेजा सकता है.
आदेश के मुताबिक़, चेहरा ढंकने वाला सबसे आदर्श लिबास नीले रंग के बुर्क़े को माना गया है.
साल 1996 से साल 2001 के बीच जब अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान की हुकूमत थी तब भी नीले रंग का ये बुर्क़ा चलन में था और यहां तक दुनिया भर में बहुत से लोग उसे तालिबान हुकूमत की वैश्विक पहचान से जोड़कर देखते थे.
अफ़ग़ानिस्तान में बहुत सी महिलाएं धार्मिक वजहों से सिर पर स्कार्फ़ पहनती हैं लेकिन काबुल जैसे शहरी इलाकों में कई महिलाएं अपना चेहरा नहीं ढंकती हैं. (bbc.com)
ईरान ने यरूशलम में अल-अक्सा मस्जिद के कंपाउंड पर हो इसराइली सेना के 'लगातार हमले' की निंदा की है. ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सईद कातिबजादा ने कहा है कि हड़पने वाले लोगों के खिलाफ संघर्ष फलस्तीनियों का कानूनी हक है.
ईरानी विदेश मंत्रालय की वेबसाइट ने प्रवक्ता के हवाले से कहा है, "कब्जा और कब्जा करने वाले लगातार कमजोर हो रहे हैं. कुद्स (यरूशलम) और फलस्तीन पर कब्जा करने वालों के खिलाफ संघर्ष फलस्तीन के लोगों का स्वाभाविक, कानून और वैध अधिकार है."
ईरानी विदेश मंत्रालय ने कहा कि फलस्तीन लोगों को उनकी आत्मरक्षा और यहूदी समर्थक कब्जा करने वाले लोगों के खिलाफ संघर्ष में सभी देशों, सरकारों, इलाकों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लोगों को मदद करनी चाहिए.
यरूशलम में अल-अक्सा मस्जिद में फलस्तीनी श्रद्धालुओं और इसराइली सैनिकों के बीच 15 अप्रैल को झड़प हुई थी.
इसके बाद ईरानी विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान ने कहा था कि ये झड़प कुछ अरब मुस्लिम देशों और इसराइल के बीच संबंध बेहतर करने की कोशिश को नुकसान पहुंचा सकती है.
24 फ़रवरी से ही पोप फ्रांसिस, रूस-यूक्रेन संघर्ष में शांति की मांग कर रहे हैं. उन्होंने अपने एक इंटरव्यू में कहा है कि युद्ध के पहले ही दिन उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की को फ़ोन किया था.
उन्होंने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को फ़ोन तो नहीं किया लेकिन कार्डिनल पेत्रो पारोलीन के ज़रिए मौजूदा संकट के 20वें दिन रूसी राष्ट्रपति को संदेश भिजवाया कि वे रूस आने के लिए तैयार हैं.
उन्होंने यूक्रेन की यात्रा की बात भी की लेकिन इन यात्राओं को लेकर किसी निर्धारित दिन की बात नहीं की है.
यूक्रेन युद्ध के बाद रूसी नागरिक दुबई क्यों जा रहे हैं
मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि उन्होंने रूसी राष्ट्रपति से यूक्रेन के मारियुपोल से आम नागरिकों को निकलने के लिए सुरक्षित रास्ता देने के लिए पुतिन से तीन बार मांग की, जिसमें एक बार तो वेटिकन सिटी का पवित्र झंडा लगाए विमान से भी लोगों को निकालने की बात शामिल थी, लेकिन उन्हें इसका कोई सकारात्मक उत्तर नहीं नहीं मिला.
रूस के ऑर्थोडॉक्स चर्च के प्रमुख धर्मगुरु पैट्रियार्क किरिल की वेबसाइट पर मौजूद 16 मार्च की रिलीज़ में कहा गया है कि यूक्रेन की स्थिति पर विस्तृत बातचीत हुई है और मौजूदा संकट के दौरान मानवीय पहलुओं पर ख़ास ध्यान दिया जाएगा.
राजनीतिक भाषा में बातचीत
पोप फ्रांसिस ने अपने इंटरव्यू में कहा, "उन्होंने रूस के आक्रमण को सही ठहराते हुए अपने हाथों में लिए पेपर को पढ़ना शुरू कर दिया था. मैंने उन्हें सुनने के बाद कहा कि मुझे कुछ समझ नहीं आया भाई, हम लोग कोई सरकारी अधिकारी नहीं हैं. हमें राजनीतिक ज़ुबान में बात नहीं करना चाहिए, हमें प्रभु जीसस की भाषा में बात करनी चाहिए. हमें शांति के रास्ते देखने चाहिए, हमें युद्ध बंद कराना चाहिए. धर्म गुरू को पुतिन के सहयोगी की भूमिका नहीं निभानी चाहिए."
पोप फ्रांसिस ने कहा है कि उन्हें नहीं मालूम कि क्या पुतिन को उकसाया गया लेकिन ये माना कि नेटो ने रूस की सीमाओं पर सैन्यबल को तैनात करने को उकसाना माना जा सकता है.
पोप फ्रांसिस के इस इंटरव्यू के बाद मास्को स्थित धर्म गुरू के विदेशी चर्चों से संबंध रखने वाले विभाग ने चार मई को प्रतिक्रिया दी है.
इसमें पोप के इंटरव्यू को लेकर बहुत लंबा स्पष्टीकरण दिया गया है. विभाग ने पोप फ्रांसिस पर बातचीत के विषय को सही टोन में व्यक्त नहीं किए जाने पर खेद जताया है. इतना ही नहीं, यह भी कहा गया है कि ऐसी बातों से दोनों धर्मगुरुओं के बीच किसी सार्थक बातचीत में कोई मदद नहीं मिलेगी.
बातचीत के पहले 20 मिनट में रूसी आक्रमण को सही ठहराए जाने के आरोप पर स्पष्टीकरण दिया गया है. इस स्पष्टीकरण में कहा गया कि पैट्रियार्क किरिल ने विभिन्न क्षेत्रों से मिलने वाली जानकारी पर बातचीत शुरू की और कहा कि पश्चिमी मीडिया जो बातें नहीं कर रहा है उस पर मैं आपका ध्यान दिलाना चाहता हूं.
बातचीत के दौरान पैट्रियार्क किरिल ने 2014 में कीएव में हुई घटनाओं का हवाला दिया, साथ ही ओडेसा की घटनाओं का जिक्र भी किया और कहा कि "हम लोगों ने टेलीविज़न पर सबकुछ लाइव देखा था, उन डराने वाले अनुभवों के चलते ही दक्षिण पूर्व यूक्रेन के लोग अपने अधिकारों की रक्षा के लिए खड़े हो गए हैं."
इस बयान के मुताबिक़, इसके बाद पैट्रियार्क किरिल ने बातचीत में कहा कि सोवियत संघ के विघटन के बाद नेटो ने भरोसा दिया था कि नेटो, पूर्व की ओर एक इंच भी नहीं बढ़ेगा. लेकिन यह वादा नेटो की तरफ़ से तोड़ा गया और इससे रूस के लिए बहुत ख़तरनाक स्थिति पैदा हुई है.
इसमें यह भी कहा गया कि पैट्रियार्क किरिल ने पोप फ्रांसिस को बताया कि "सेंट पीटसबर्ग से कुछ ही मिनटों की दूरी पर नेटो मिसाइलें तैनात कर रहा है और यूक्रेन ने नेटो को इज़ाज़त दी तो मास्को भी इससे ज्यादा दूरी पर नहीं होगा. ऐसे में रूस यह कभी नहीं होने देगा."
इस स्पष्टीकरण में केवल एक पैराग्राफ़ मानवीय पहलुओं को लेकर है, जिसमें रूसी धर्म गुरु की ओर से स्थिति को दुखद बताया गया है और कहा गया है कि इस संघर्ष में दोनों तरफ़ हमारे लोग हैं इसलिए हमें शांति और न्याय की स्थिति लाने की कोशिश करनी चाहिए.
जैसे कि क्या रूस के परंपरागत ऑर्थोडोक्स चर्च के धर्म गुरु और रोमन कैथोलिक चर्च के धर्मगुरु की मुलाक़ात होगी?
पैट्रियार्क किरिल और पोप फ्रांसिस के बीच पहली बार मुलाक़ात साल 2016 में क्यूबा में हुई थी. इस भेंट से पहले लंबी तैयारियों का सिलसिला जारी रहा था.
तब धर्मगुरु किरिल ने कहा था, "इस बातचीत के बाद मैं केवल इतना कह सकता हूं कि दोनों चर्च आपस में मिलकर दुनिया भर में ईसाई समुदाय की रक्षा के लिए सक्रियता से काम करेंगे. हम अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए एकजुटता से काम करेंगे, ताकि कोई लड़ाई न हो."
दोनों धर्मगुरूओं की अगली मुलाक़ात 14 जून को यरूशलम में प्रस्तावित थी. लेकिन पोप फ्रांसिस ने इस मुलाक़ात के बारे में अपने इंटरव्यू में कहा, "यह हमारी दूसरी मुलाक़ात होती. इसका युद्ध से कोई लेना देना नहीं था, लेकिन हमने इसे रद्द किया क्योंकि हमारे ख़्याल से इससे दुनिया को ग़लत संदेश जाएगा."
रूसी धर्मगुरू के स्पष्टीकरण में अगली मुलाक़ात की किसी संभावना का उल्लेख नहीं है. (bbc.com)