अंतरराष्ट्रीय
अफगानिस्तान युद्ध को शुरू करने वाले पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने पश्चिमी देशों के अफगानिस्तान छोड़ कर जाने को एक गलती बताया है. उन्होंने डॉयचे वेले से कहा कि इससे वहां की महिलाओं को "अकथनीय" नुकसान होगा.
जर्मनी के अंतरराष्ट्रीय प्रसारक डॉयचे वेले ने जब बुश से पूछा की अफगानिस्तान से पश्चिमी ताकतों का निकलना क्या एक गलती है, तो उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि हां ये एक गलती है, क्योंकि मुझे लगता है कि इसके परिणाम अविश्वसनीय रूप से खराब होंगे." अफगानिस्तान में युद्ध बुश के ही कार्यकाल में अमेरिका में 11 सितंबर, 2001 के हमलों के बाद शुरू हुआ था.
अमेरिका ने तालिबान के नेता मुल्ला उमर के सामने अंतिम शर्त रखी थी कि या तो वो अल-कायदा के नेता ओसामा बिन लादेन को सौंप दे और आतंकवादियों के प्रशिक्षण शिविरों को नष्ट कर दे या हमले के लिए तैयार हो जाए. उमर ने शर्त मानने से मना कर दिया था और अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिमी देशों के एक गठबंधन ने अक्टूबर में आक्रमण कर दिया था.
'मैर्केल समझ गई थीं'
इस साल की शुरुआत में नए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अफगानिस्तान से अमेरिका और नाटो की सेनाओं के निकलने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी. अब यह प्रक्रिया पूरी होने ही वाली है. तालिबान के लड़ाके एक एक कर के देश के कई जिलों पर कब्जा जमाते जा रहे हैं और उन्होंने देश के इलाके के एक बड़े हिस्से पर अपना नियंत्रण कायम कर लिया है.
डॉयचे वेले ने बुश का यह साक्षात्कार जल्द सत्ता छोड़ कर जाने वाली जर्मनी की चांसलर अंगेला मैर्केल के आखिरी अमेरिका दौरे के मौके पर किया. बुश ने प्रसारक को बताया कि मैर्केल ने अफगानिस्तान में सेनाओं की तैनाती का आंशिक रूप से समर्थन किया था "क्योंकि वो समझ गई थीं कि इससे अफगानिस्तान में युवा लड़कियों और महिलाओं के लिए काफी तरक्की हासिल की जा सकती थी."
मासूमों की बलि
बुश ने कहा, "तालिबान की क्रूरता की वजह से वो समाज कैसे बदल गया, यह अविश्वसनीय है...और अब अचानक...दुखद रूप से...मुझे डर है कि अफगान महिलाओं और लड़कियों का अकथनीय अनिष्ट होगा." 1990 के बाद के दशकों में तालिबान के शासन के दौरान महिलाओं को मोटे तौर पर उनके घरों के अंदर तक ही सीमित कर दिया गया था और लड़कियां शिक्षा हासिल नहीं कर सकती थीं.
अमेरिका और यूरोप के विरोध के बावजूद तालिबान ने इस्लामिक शरिया कानून एक अपने चरम प्रारूप को लागू किया. हालांकि लड़कियों और महिलाओं के खिलाफ बड़े पैमाने पर हिंसा नहीं हुई. बुश ने कहा, "मैं दुखी हूं...लौरा (बुश) और मैंने अफगान महिलाओं के साथ काफी वक्त बिताया था और अब वो डरी हुई हैं. और मैं उन सब अनुवादकों और अमेरिकी और नाटो सैनिकों की मदद करने वाले उन सभी लोगों के बारे में सोचता हूं, तो मुझे लगता है कि वो सब वहीं छूट जाएंगे और इन अति क्रूर लोगों के हाथों बलि चढ़ा दिए जाएंगे. और इससे मेरा दिल टूट जाता है."(dw.com)
सीके/एए (एपी)
म्यांमार से सटे चीनी शहर में कोरोना के प्रकोप को खत्म करने के लिए व्यक्तिगत स्वास्थ्य कोड से जुड़ी चेहरे की पहचान तकनीक का प्रयोग शुरू किया गया है.
चीन दुनिया के सबसे अधिक सर्वेलांस करने वाले देशों में से एक है, जहां सरकार "सभी सार्वजनिक स्थानों को कवर करने" के लिए 20 करोड़ से अधिक सीसीटीवी कैमरे लगाने की जल्दी में है.
चीन में कोविड-19 का मुकाबला करने के लिए निगरानी का व्यापक रूप से इस्तेमाल किया गया है, चीन पहला देश है जहां क्यूआर कोड की मदद से टेस्ट परिणाम को लॉग किया गया था और इससे ही कॉन्टैक्ट्स को ट्रैक किया जा सकता है.
यह पहली बार है कि सार्वजनिक रूप से इस बारे में रिपोर्ट किया जा रहा है कि फेशियल रिकॉग्निशन तकनीक का इस्तेमाल किसी व्यक्ति की गतिविधि और स्वास्थ्य की स्थिति को ट्रैक करने के लिए किया जा रहा है. जब लोग आवासीय क्षेत्रों, सुपरमार्केट, परिवहन केंद्रों और अन्य सार्वजनिक स्थानों में दाखिल होते हैं और बाहर निकलते हैं.
शहर में एंट्री पर
चीन के युन्नान प्रांत के रुइली में अधिकारियों ने पत्रकारों को बताया, "जो भी रुइली के अंदर आता है और बाहर जाता है, उसे पार होने के लिए अपना (स्वास्थ्य) कोड और चेहरा स्कैन करना होगा है." मंगलवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक रुइली में पिछले एक सप्ताह में 155 मामले पाए गए, हाल के महीनों में सबसे खराब वायरस के प्रकोप वाले देशों में चीन भी है.
स्थानीय अधिकारियों ने एक बयान में कहा, "चेहरे की पहचान करने वाले कैमरे, स्मार्ट डोर लॉक्स और रोड बैरियर (पुलिस या सामुदायिक स्वयंसेवकों द्वारा संचालित) जैसे सुरक्षा उपकरण प्रमुख इलाकों में लगाए गए हैं." चीन के राष्ट्रीय रेडियो ने बताया कि स्कैनर व्यक्तियों के तापमान की भी जांच कर सकते हैं.
गोपनीयता पर सवाल
इस बात की कोई जानकारी नहीं कि डेटाबेस कितने समय तक रिकॉर्ड में रहेगा या फिर कोरोना के मामले काबू हो जाने के बाद अधिकारी सिस्टम को बंद कर देंगे. इस तकनीक की निगरानी शहर के महामारी निवारण कार्यबल द्वारा की जा रही है. रुइली की आबादी दो लाख 10 हजार से थोड़ी अधिक है. यह म्यांमार को जोड़ने वाला मुख्य शहर है. म्यांमार में एक फरवरी को हुए तख्तापलट के बाद चिंता बढ़ गई है कि लोग हिंसा से बचने के लिए इस शहर की ओर न आ जाएं.
युन्नान प्रांतीय स्वास्थ्य आयोग के मुताबिक पिछले सप्ताह दर्ज किए गए नए मामलों में से लगभग आधे म्यांमार के नागरिक थे, हालांकि यह साफ नहीं है कि उन्होंने शहर में प्रवेश कैसे किया. चीन में जब महामारी चरम पर थी, उस समय प्रमुख शहरों में पुलिस ने चेहरे की पहचान और इन्फ्रारेड कैमरों से लैस हेलमेट पहने जो पैदल चलने वाले लोगों के तापमान को मापते थे.
अधिकार समूहों ने चीन द्वारा हर जगह निगरानी की आलोचना की है और कहा है कि इसका इस्तेमाल अंसतोष को शांत करने और अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने के लिए किया जाता है.
एए/वीके (एएफपी, रॉयटर्स)
न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा आर्डर्न ने एपेक देशों की एक ऐतिहासिक बैठक बुलाई है. रूस और अमेरिका भी इस वर्चु्अल बैठक में हिस्सा लेंगे, जो ट्रंप-काल में आई रुकावटों के दूर होने का संकेत है.
न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा आर्डर्न ने एशिया पैसिफिक इकनॉमिक फोरम की एक विशेष बैठक बुलाई है जिसमें अमेरिका और रूस के राष्ट्रपतियों ने भी हिस्सा लेने पर सहमति जताई है. इस ऐतिहासिक बैठक का मकसद एशिया पैसिफिक में कोविड-19 महामारी के आर्थिक प्रभाव से निपटना है.
नवंबर में 21 एपेक देशों की सालाना नियमित बैठक होनी है. वैसे तो यह बैठक ऑनलाइन ही होनी है, लेकिन इसका मेजबान देश न्यूजीलैंड है. पर एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए जेसिंडा आर्डर्न ने एपेक देशों से एक अतिरिक्त बैठक करने का आग्रह किया है.
आने वाले शुक्रवार को यह ऑनलाइन बैठक होगी, जो एपेक के इतिहास में पहली बार होगा. इस बैठक का मकसद महामारी के आर्थिक प्रभावों की समीक्षा और उसके लिए जरूरी साझा कदमों पर चर्चा करना होगा जेसिंडा आर्डर्न ने मीडिया को बताया कि एपेक के ज्यादातर नेताओं के अलावा अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन ने भी इस बैठक में शामिल होने की पुष्टि कर दी है.
ऐतिहासिक बैठक
एक बयान में आर्डर्न ने कहा, "एपेक के इतिहास में यह पहली बार हो रहा है कि सर्वोच्च नेतृत्व के स्तर पर सदस्य देश एक अतिरिक्त बैठक के लिए राजी हुए हैं. इससे पता चलता है कि कोविड-19 महामारी और उसके कारण पैदा हुए आर्थिक संकट को हल करने को लेकर हमारी इच्छा कैसी है.”
शुक्रवार को जेसिंडा आर्डर्न द्वारा बुलाई गई बैठक इस लिहाज से भी अहम है क्योंकि हाल के सालों में एपेक देशों के बीच विभिन्न मुद्दों पर सहमति बनाना एक मुश्किल काम साबित हुआ है. इसकी मुख्य वजह पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की चीन से खींचतान थी. हालांकि जो बाइडेन के सत्ता संभालने के बाद अमेरिका ने हालात को बदलने का वादा किया है.
आर्डर्न ने कहा कि इस महामारी के कारण विश्व युद्ध के बाद एपेक देशों को सबसे बड़ा नुकसान पहुंचा है और आठ करोड़ से ज्यादा लोगों की नौकरियां चली गई हैं. उन्होंने कहा, "विश्व युद्ध के बाद एपेक अर्थव्यस्थाओं में यह सबसे बड़ी सिकुड़न है. 81 मिलियन नौकरियां गई हैं. सारी एपेक अर्थव्यवस्थाओँ का मिलकर क्षेत्र के आर्थिक बहाली के लिए काम करना बहुत महत्वपूर्ण है.”
दुनिया का सबसे बड़ा हिस्सा
एपेक यानी एशिया पैसिफिक इकनॉमिक फोरम में प्रशांत महासागर के किनारों पर बसे 21 देश शामिल हैं. इनमें अमेरिका से लेकर, चीन, जापान और पापुआ न्यू गिनी तक जैसे देश हैं जो दुनिया के कुल जीडीपी का 60 फीसदी उत्पादन करते हैं. 2021 की सालाना बैठक के मेजबान के तौर पर न्यूजीलैंड पहले से ही ऐसे संकेत दे रहा है कि सदस्यों के बीच चिकित्सा सामग्री और कोविड-19 वैक्सीन का व्यापार तेज किया जाना चाहिए.
आर्डर्न का कहा है कि शुक्रवार को होने वाली बैठक में आर्थिक बहाली के जिन उपायों पर चर्चा हो सकती है, उनमें टीकाकरण को और ज्यादा सक्षम बनाने और सरकारों द्वारा ऐसे जरूरी कदम उठाए जाने की जरूरत शामिल है, जो रोजगार और अर्थव्यवस्थाओं की सुरक्षा कर सकें.
आर्डर्न ने कहा, "मैं चाहूंगी कि क्षेत्र में आर्थिक बहाली के लिए फौरी तौर पर उठाए जाने वाले उपायों के साथ-साथ दीर्घकालिक व समावेशी वृद्धि के लिए जरूरी कदमों पर चर्चा हो. एपेक नेता महामारी से लड़ने के लिए मिलकर काम करेंगे क्योंकि जब तक सभी सुरक्षित नहीं हैं, तब तक कोई भी सुरक्षित नहीं है.”
एक दूसरे पर भारी शुल्क
पिछले महीने ही एपेक देशों के व्यापार मंत्रियों की बैठक हुई थी जिसमें एक-दूसरे के साथ व्यापार करने में मौजूद बाधाओं की समीक्षा करने पर सहमति बनी थी. बैठक के बाद तीन बयान जारी किए गए थे जिनमें 21 देशों के मंत्रियों ने कहा था कि कोविड वैक्सीन और संबंधित वस्तुओं के आवागमन को हवा, पानी और जमीन के रास्ते से तेज करने पर काम किया जाएगा.
एक बयान में कहा गया, "हम अपने लोगों को लिए इन चीजों की कीमतों को कम करने के लिए स्वेच्छा से कदम उठाने पर विचार करेंगे, खासकर हर अर्थव्यवस्था को अपनी-अपनी सीमा पर लगने वाले शुल्कों की समीक्षा के लिए उत्साहित करके.” एक अन्य बयान कहा गया कि एपेक देशों को उन गैरजरूरी बाधाओं की पहचान करनी होगी जिनके कारण जरूरी चीजों और सेवाओं के आदान-प्रदान में देरी होती है.
एपेक देशों में वैक्सीन पर शुल्क 0.8 फीसदी के आसपास है लेकिन वैक्सीन से जुड़ी अन्य चीजों जैसे अल्कोहल सॉल्यूशन, फ्रीजिंग इक्विपमेंट, पैकेजिंग और स्टोरेज मटीरियल पर शुल्क 5 से 30 फीसदी तक है.
वीके/एए (एएफपी, रॉयटर्स)
डेल्टा वेरिएंट को सबसे तेजी से फैलने वाले वायरस संस्करण के रूप में बताया गया है. भारत, दक्षिण अफ्रीका और कई अन्य देशों में इसकी पहचान के बाद अब पाकिस्तान में इसके फैलने की पुष्टि हो गई है.
पाकिस्तानी सरकारी अधिकारियों ने आधिकारिक तौर पर कई क्षेत्रों में कोरोना के डेल्टा वेरिएंट के फैलने की पुष्टि की है. डेल्टा के मामले में बढ़ोतरी ने आम जनता में यह आशंका बढ़ा दी है कि संस्करण से प्रभावित क्षेत्रों में एक सख्त तालाबंदी की जा सकती है. डेल्टा वेरिएंट को पहली बार भारत में साल 2020 के आखिर में पाया गया था.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 31 मई 2021 को इसे डेल्टा संस्करण का नाम दिया था. पाकिस्तान में पिछले महीने गिरावट के बाद जुलाई में नए संक्रमण तेजी से बढ़े हैं. पड़ोसी देश भारत में डेल्टा वेरिएंट की तबाही के बाद अब पाकिस्तान में इसके मामले सामने आ रहे हैं.
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार में वरिष्ठ मंत्री असद उमर पहले ही कह चुके हैं कि देश जुलाई में कोरोना की चौथी लहर का सामना कर सकता है. अब उनका डर सच साबित होने लगा है. कई शहरों में, डेल्टा वेरिएंट के डर से जांच के लिए हजारों लोग हर रोज अलग-अलग परीक्षण केंद्रों पर कतार में लग रहे हैं.
इस संदर्भ में पाकिस्तान के स्वास्थ्य विभाग के प्रवक्ता अफजल खान ने समाचार एजेंसी डीपीए से बात करते हुए इस बात की पुष्टि की कि वास्तव में लोग इस वेरिएंट से डरे हुए हैं. खान के मुताबिक, "डेल्टा वेरिएंट के फैल जाने के बाद से हजारों भयभीत लोग जांच केंद्रों में सुबह से ही कतार में लग जाते हैं. वे सभी परेशान लग रहे हैं."
लग रहा है लॉकडाउन
स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद और रावलपिंडी में डेल्टा के मामले सामने आने के बाद लगभग दो दर्जन इलाकों में लॉकडाउन लगाया गया है.
इस्लामाबाद जिला स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख जईम जिया के मुताबिक, "पाकिस्तान में कोरोना के जितने वेरिएंट आए उसके मुकाबले डेल्टा वेरिएंट बहुत तेजी से फैल रहा है. यह चिंता का विषय है."
जिया ने यह भी कहा कि सरकार स्थिति से अवगत है और इसे प्रभावित क्षेत्रों तक सीमित रखने की पूरी कोशिश कर रही है.
पाकिस्तान में चौथी लहर!
घातक वायरस की चौथी लहर का सामना कर रहे पाकिस्तान ने इस सप्ताह रोजाना संक्रमण में 40 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की और 22,500 से अधिक मौतें. देश में अब तक कोरोना के 10 लाख के करीब मामले आ चुके हैं.
पाकिस्तान सरकार के स्वास्थ्य मामलों के विशेष सहायक डॉ. फैसल सुल्तान का कहना है कि अब तक पाकिस्तान कोविड-19 के चंगुल में आने से कुछ हद तक बच गया था लेकिन डेल्टा संस्करण ने चिंता बढ़ा दी है. पड़ोसी देश भारत में तबाही का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अगर पाकिस्तान में ऐसा हुआ तो यह भारी तबाही होगी.
रावलपिंडी में एक बच्चे के पिता 42 वर्षीय मुदस्सर इरशाद कहते हैं, "हमने अपने टेलीविजन स्क्रीन पर देखा है कि इस वेरिएंट ने भारत में क्या किया है. मुझे डर है कि अगर पाकिस्तान में भी ऐसा ही होता है, तो यह बहुत बड़ी त्रासदी होगी."
पाकिस्तान में कोरोना के खिलाफ टीका लगाने की रफ्तार बहुत सुस्त है. वैक्सीन की सप्लाई में कमी के कारण अब तक सिर्फ दो करोड़ लोगों को ही टीका लग पाया है. 22 करोड़ की आबादी वाला देश अपनी जनता को वैक्सीन लगाने के लिए विदेशी टीकों पर निर्भर पर है.
एए/वीके (डीपीए, रॉयटर्स)
चीन में शंघाई के पास के शहर सुज़ू में एक होटल के ढहने से कम-से-कम 17 लोगों की मौत हो गई है. हादसे के 36 घंटे बाद बचावकर्मियों ने मलबे से शवों के साथ छह और लोगों को जीवित निकाला.
ग्लोबल टाइम्स अख़बार के मुताबिक़ शुरूआती जाँच से पता चला है कि होटल के मालिक़ ने इमारत के ढाँचे में बदलाव किया था जिससे ये हादसा हुआ.
बताया जा रहा है कि जियांग्सू प्रांत में स्थित इस होटल में हाल के वर्षों में कई बार बदलाव किए गए.
एक स्थानीय निवासी ने रेड स्टार न्यूज़ को बताया- इस होटल में पहले केवल तीन मंज़िल थी, मगर वो पिछले कुछ सालों में इसमें लगातार और मंज़िलें जोड़ते चले गए.
हादसा सोमवार को स्थानीय समयानुसार दोपहर साढ़े तीन बजे हुआ.
बचाए गए छह लोगों में से पाँच की हालत स्थिर है. छठे व्यक्ति को कोई चोट नहीं लगी.
चीन में इसके पहले भी ऐस हादसे हुए हैं जिनके लिए ख़राब निर्माण कार्य को ज़िम्मेदार समझा जाता है. (bbc.com)
मिस्र की महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने यौन उत्पीड़न अपराधों के लिए कड़े कानून बनने के बाद उसे बेहतर ढंग से लागू करने का आह्वान किया है.
मिस्र की संसद ने 11 जुलाई को यौन अपराधों के खिलाफ एक नए कानून को मंजूरी दे दी. महिलाओं के खिलाफ यौन अपराधों को पुनर्वर्गीकृत कर न्यूनतम सजा को एक साल से बढ़ाकर दो साल कर दिया गया है. वहीं जुर्माना भी कम से कम 6,400 डॉलर कर दिया गया है.
महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने इस कानून का स्वागत तो किया है, लेकिन उन्होंने चेतावनी दी कि यह तभी प्रभावी होगा जब लागू करने वालों में सुधार किया जाएगा. उनका कहना है कि पुलिस, जजों और समाज में कानून के प्रति जागरूकता पैदा करने की जरूरत है.
सामाजिक रूप से रूढ़िवादी मिस्र में महिलाओं की सुरक्षा के लिए उठाए जा रहे कदमों में कानूनी संशोधन नवीनतम है. सालों से मुस्लिम बहुल देश में सैकड़ों लोग सोशल मीडिया का सहारा यौन उत्पीड़न की निंदा करने के लिए करते आ रहे हैं.
सराहनीय कदम
मिस्र में महिलाओं के कानूनी जागरूकता केंद्र और मार्गदर्न के निदेशक रेदा एलदानबुकी कहते हैं कि यह "सराहनीय कदम" है, लेकिन कानून को लेकर जागरूकता बढ़ाने और इसे लागू करना असली चुनौती है.
एलदानबुकी के मुताबिक, "कानून को लागू करना वास्तव में महत्वपूर्ण है. यौन उत्पीड़न के खतरों के बारे में सामाजिक जागरूकता बढ़ाना
और कानून को लागू करने के लिए तंत्र तैयार करना होगा."
महिलाओं और बच्चों के लिए काम करने वाली गैर सरकारी संस्था की रंदा फख्र अल-दीन कहती हैं कानून का पुनर्वर्गीकरण से कानूनी प्रक्रिया और पीड़ितों को न्याय मिलने में देरी का जोखिम है.
अल-दीन के मुताबिक, "वास्तव में अब जो मायने रखता है, वह है आगे क्या होता है. यह महत्वपूर्ण है कि हिंसा करने वालों को जेल में डाला जाए, ना कि उन्हें छोड़ा जाए."
लंबी सजा, ज्यादा जुर्माना
नए कानून में अपराधियों के लिए जेल की पहले से ज्यादा सजा का प्रावधान है जबकि बार-बार अपराध करने वालों के लिए सजा को बढ़ाने के साथ-साथ जुर्माने को भी बढ़ा दिया गया है.
यौन हिंसा पर मिस्र में पिछले साल तब आंदोलन शुरू हुआ जब एक 22 वर्षीय छात्रा ने एक हाई-प्रोफाइल अभियान की शुरुआत की. कई महिलाओं के साथ दुष्कर्म और ब्लैकमेल करने के आरोपी युवक की गिरफ्तारी की मांग को लेकर कई महिलाएं सामने आईं.
कुछ हफ्तों बाद इसमें एक सामूहिक बलात्कार का मामला सामने आया जिसमें शक्तिशाली, धनी परिवारों के नौ संदिग्ध शामिल थे. कई संदिग्ध गिरफ्तार कर लिए गए लेकिन मई महीने में केस को अभियोजकों ने अपर्याप्त सबूत का हवाला देते हुए बंद कर दिया. महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने इस कदम की आलोचना की थी.
इसी साल अप्रैल में संसद ने महिला खतने के खिलाफ जुर्माने को और अधिक बढ़ा दिया था. (dw.com)
एए/वीके (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)
ढाका, 13 जुलाई | बांग्लादेशी सरकार ने ईद-उल-अजहा से पहले गुरुवार से एक सप्ताह के लिए जारी लॉकडाउन में ढील देने का फैसला किया है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश के प्रेस सूचना विभाग (पीआईडी) ने सोमवार रात यह घोषणा करते हुए कहा कि मुस्लिम त्योहार के अवसर पर 22 जुलाई तक लॉकडाउन प्रतिबंधों में ढील दी जाएगी, जो 21 जुलाई को मनाया जाएगा।
घोषणा में कहा गया है कि देश का कैबिनेट डिवीजन मंगलवार को प्रतिबंधों में ढील के बारे में एक अधिसूचना जारी करेगा।
कैबिनेट डिवीजन के एक अधिकारी ने कहा कि लॉकडाउन के उपायों में ढील देने के तहत, सरकार स्वास्थ्य नियमों का पालन करने की शर्त पर सार्वजनिक परिवहन सेवाओं को फिर से शुरू करने की अनुमति दे सकती है।
अधिकारी ने कहा कि दुकानों और शॉपिंग मॉल को भी सख्त स्वास्थ्य दिशानिर्देशों के साथ फिर से शुरू करने की अनुमति दी जाएगी।
इसके अलावा, बांग्लादेश में अधिकारियों ने कोविड -19 महामारी के बीच त्योहार से पहले राजधानी शहर में निर्देश दिये हुए स्थानों पर संचालित करने के लिए कम से कम 21 पशु बाजारों को मंजूरी दी है।
स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस) ने कहा कि बांग्लादेश ने पिछले 24 घंटों में 13,768 नए मामले दर्ज किए, जो कि एक दिन का सर्वाधिक मामला है, जिसके साथ कुल मामले 1,034,957 हो गये हैं।
साथ ही, आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि इस अवधि में 220 और मौतें दर्ज की गईं, जिससे मरने वालों की संख्या बढ़कर 16,639 हो गई है।
वायरस के प्रसार को रोकने के लिए, बांग्लादेश में 1 जुलाई को एक सप्ताह के सख्त लॉकडाउन लगा, जिसे बाद में 14 जुलाई तक बढ़ा दिया गया था।
कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सेना के जवानों को नागरिक बलों के साथ गश्त के लिए तैनात किया गया है। (आईएएनएस)
मेक्सिको सरकार ने कहा है वर्तमान प्रशासन के दौरान 2018 के आखिर से अब तक 68 मानवाधिकार-पर्यावरण कार्यकर्ता मारे गए और 43 पत्रकारों की हत्या कर दी गई है.
आंद्रेस मानुएल लोपेज ओब्राडोर ने 1 दिसंबर 2018 को राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल की थी. उसके बाद से मेक्सिको में 68 मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पर्यावरण कार्यकर्ता मारे गए. चिंता की बात यह है कि 2018 के बाद से देश में 43 पत्रकार मौत के घाट उतार दिए गए हैं.
यह मुद्दा मई के अंत और जून की शुरुआत तब गरमाया जब एक महीने के अंतराल में तीन कार्यकर्ताओं को अलग-अलग घटनाओं में मार दिया गया.
पत्रकारों की हत्या के पीछे कौन?
ओब्राडोर ने राष्ट्रपति बनने के बाद पत्रकारों की सुरक्षा करने का वादा किया था, लेकिन अब आलोचक सवाल कर रहे हैं कि क्या सरकार पर्याप्त कदम उठा रही है.
देश के आंतरिक विभाग ने 12 जुलाई को कहा कि 1,478 कार्यकर्ता और पत्रकारों को वर्तमान में सरकारी सुरक्षा मिली हुई है. लेकिन मारे गए नौ लोग सरकार के सुरक्षा कार्यक्रम में थे.
माना जाता है कि कई हत्याओं का आदेश नशीली दवाओं की तस्करी में लगे गिरोहों, भ्रष्ट अधिकारी या फिर गलत धंधे से जुड़े लोगों द्वारा दिया गया था. लेकिन बहुत कम ही मामलों का समाधान किया गया है और दोषियों को सजा हुई.
मेक्सिको के राष्ट्रपति ओब्राडोर दिसंबर 2018 में अपराधों से ग्रस्त देश को हिंसा और हत्या से छुटकारा दिलाने के वादे के साथ सत्ता में आए थे, लेकिन वे इसमें सफल होते नहीं दिख रहे हैं.
आंकड़ों के मुताबिक 2019 में हत्या के करीब 35 हजार से ज्यादा मामले दर्ज किए गए. यानी हर दिन करीब 95 लोगों ने अपनी जान गंवाई. पिछले 20 सालों से मेक्सिको आपराधिक हत्या के मामलों के रिकॉर्ड रख रहा है. 2019 के आंकड़ों ने नया रिकॉर्ड बनाया है.
सार्वजनिक सुरक्षा कार्यालय की रिपोर्ट के मुताबिक 2018 के मुकाबले 2019 में हत्याओं के एक हजार मामले बढ़े हैं जो हत्या के मामले में 2.5 प्रतिशत की वृद्धि है.
इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स के मुताबिक 2020 में पूरी दुनिया में कम से कम 42 पत्रकार और मीडियाकर्मी मारे गए. संस्था का कहना है कि पिछले तीन दशकों में पूरी दुनिया में 2,658 पत्रकार मारे गए हैं. इसी साल यूरोप से लेकर एशिया तक पत्रकारों पर जानलेवा हमले हुए और कई हमले में पत्रकारों की मौत भी हुई.
एए/वीके (एएफपी)
अपने कई रिकॉर्डों के बीच दुनिया के सबसे ऊंचे टावर के साथ दुबई में अब दुनिया का सबसे गहरा स्विमिंग पूल भी बन गया है. यह स्विमिंग पूल दर्शकों को आकर्षित करने के लिए तैयार है.
संयुक्त अरब अमीरात और खाड़ी राज्यों के सबसे बड़े शहर ने अब धरती पर सबसे गहरा स्विमिंग पूल तैयार किया है. इसका नाम डीप डाइव दुबई रखा गया है. यहां गोताखोरी के शौकीनों के लिए 60 मीटर की गहराई तक जाने का मौका है. यह न केवल एक स्विमिंग पूल है बल्कि गोताखोरी के शौकीनों के लिए स्वर्ग भी है.
डीप डाइव दुबई का उद्घाटन 7 जुलाई को हुआ था, लेकिन शुरुआत में केवल आधिकारिक निमंत्रण वाले लोग ही यात्रा कर सकते हैं.
सबसे गहरा स्विमिंग पूल
एएफपी न्यूज एजेंसी को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स से इस बात की पुष्टि मिली है कि दुबई का यह स्विमिंग पूल 60 मीटर यानी करीब 200 फीट गहरा है. यह किसी भी अन्य पूल से 15 मीटर गहरा है. इसका मतलब है कि गोताखोरी के शौकीन इस पूल में बहुत गहराई तक जा सकते हैं.
दुबई के इस स्विमिंग पूल में 1.46 करोड़ लीटर पानी है. इसका ताजा पानी ओलंपिक आकार के छह स्विमिंग पूल में डाले जाने वाले पानी जितना बराबर है. इसका परिवेश, संगीत और रंग-बिरंगी लाइटें इसे और भी आकर्षक बनाती हैं.
सतह पर गोताखोर टेबल फुटबॉल और इसके अंदर अन्य खेल खेल सकते हैं या फिर इसके रास्तों में वनस्पतियां का आनंद ले सकते हैं. पूल में मनोरंजन के साथ-साथ गोताखोरों और दर्शकों की सुरक्षा के लिए 50 से अधिक कैमरे लगाए गए हैं.
मजे के लिए खर्च करने होंगे कितने पैसे?
एक घंटे के लिए स्विमिंग पूल में गोता लगाने वालों को टिकट के लिए 10 हजार रुपये से थोड़ा अधिक खर्च करना पड़ेगा और अगर वे गहरा गोता लगाना चाहते हैं तो टिकट की कीमत 30 हजार से ज्यादा होगी. इसे जल्द ही जनता के लिए खोल दिया जाएगा.
डीप डाइव दुबई के निदेशक जैरड जब्लोन्सकी बताते हैं कि इस पूल का आकार सीप की तरह है. स्विमिंग पूल यूएई की 'पर्ल डाइविंग परंपरा' को समर्पित है.
इससे पहले दुबई बुर्ज खलीफा बनाकर दुनिया को अंचभित कर चुका है. बुर्ज खलीफा 828 मीटर की ऊंचाई के साथ दुनिया की सबसे ऊंची इमारत है और यह 160 मंजिला इमारत है. अन्य अनूठी विशेषताओं के अलावा, इस इमारत में दुनिया की सबसे लंबी लिफ्ट भी है.
एए/वीके (एएफपी)
संयुक्त राष्ट्र में मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बैचलेट ने विभिन्न देशों से आग्रह किया है कि दासता और साम्राज्यवाद की विरासत और नस्लवादी भेदभाव की प्रतिक्रिया स्वरूप क्षतिपूर्ति के लिए कदम उठाए जाने चाहिए.
डॉयचे वैले पर विवेक कुमार की रिपोर्ट
दुनियाभर में फैले नस्लवाद और अफ्रीकी मूल के लोगों पर इसके असर के बारे में एक रिपोर्ट पेश करते हुए मिशेल बैचलेट ने कहा कि वित्तीय और अन्य माध्यमों से क्षतिपूर्ति की जानी चाहिए. 2020 में एक श्वेत अमेरिकी पुलिस अफसर द्वारा एक अश्वेत व्यक्ति जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या किए जाने के बाद इस अध्ययन की मांग उठी थी.
अध्ययन में एक भी ऐसा मामला नहीं मिला जबकि किसी देश ने अपने बीते वर्षों में किए गए कृत्यों को पूरी तरह से स्वीकार किया हो या अफ्रीकन लोगों पर हुए असर को पूरी तरह से समझा ही हो. ऐसा तब है जबकि कुछ देशों ने माफी मांगी है, कुछ अपील जारी हुई हैं और कुछ स्मारक भी बनाए गए हैं.
अमेरिका ने किया रिपोर्ट का स्वागत
बैचलेट ने सिफारिश की है कि विभिन्न देश एक "विस्तृत प्रक्रिया तैयार करें, उसे लागू करें और उसके लिए धन उपलब्ध करवाएं” जो इतिहास में हुए कृत्यों और उनकी वजह से आज तक हो रहे प्रभावों की पूरी सच्चाई उजागर करे. उन्होंने कहा, "इसमें प्रभावित समुदायों की भागीदारी होनी चाहिए.”
बैचलेट ने कहा कि यह प्रक्रिया हमारे समाजों के घाव भरने में और खौफनाक अपराधों के लिए न्याय करने में बहुत अहम साबित होगी.
जेनेवा में अमेरिका के उप-राजदूत बेन्जामिन मोएलिंग ने इस ‘गहरी और बेबाक' रिपोर्ट का स्वागत किया है. काउंसिल को भेजे एक वीडियो संदेश में मोएलिंग ने कहा, "अमेरिका घर के अंदर और बाहर, दोनों ही जगह इन चुनौतियों को हल कर रहा है. पूरी ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ नस्लवादी भेदभाव और पुलिस द्वारा जरूरत से ज्यादा बल इस्तेमाल किए जाने के पीछे की वजहों को दूर किया जा रहा है.”
दासता और सामाजिक व न्यायिक भेदभाव की क्षतिपूर्ति करने के विचार पर अमेरिका में बहस जारी है.
क्या कहती है रिपोर्ट?
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने यह रिपोर्ट विस्तृत अध्ययन के बाद तैयार की है. बैचलेट ने कहा कि उन्होंने पुलिस द्वारा कत्ल किए गए अफ्रीकी मूल के लोगों के परिवारों से मुलाकात की. 340 से ज्यादा लोगों से बातचीत की गई, जिनमें से ज्यादातर अफ्रीकी मूल के थे. विभिन्न देशों और पक्षों से 110 लिखित प्रतिक्रियाएं भी मिलीं.
बैचलेट ने बताया कि इस रिपोर्ट में जाहिर होता है कि अफ्रीकी मूल के लोगों को जिंदगी के हर पहलू में भेदभाव से गुजरना पड़ता है, जिसकी शुरुआत बचपन में ही हो जाती है. उन्होंने कहा, "अफ्रीकी मूल के बच्चों को अक्सर स्कूलों में भेदभाव सहना पड़ता है. उनकी शिक्षा के नतीजे प्रभावित होते हैं और बहुत बार तो कम उम्र से ही उनसे अपराधियों की तरह सलूक किया जाता है.”
बैचलेट के मुताबिक उनके दफ्तर को कानूनपालकों के हाथों अफ्रीकी मूल के कम से कम 190 लोगों की मौत की सूचना मिली. इनमें से 98 प्रतिशत यूरोप, उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका में हुईं.
उन्होंने कहा, "बहुत से देशों ने बल प्रयोग को लेकर स्पष्ट और प्रभावशाली कानून नहीं बनाए हैं, जिस कारण इनके उल्लंघन के खतरे बढ़ जाते हैं. साथ ही, कानूनपालक अधिकारियों को मानवाधिकार उल्लंघन और अफ्रीकी मूल के लोगों के खिलाफ अपराधों के लिए सजा भी शायद ही कभी होती है. ढीली-ढाली जांच, शिकायत और जवाबदेही की प्रक्रिया और अफ्रीकी मूल के लोगों के दोषी होने की पूर्व-अवधारणा भी अहम कारक हैं” (dw.com)
बगदाद, 13 जुलाई| इराक के एक अस्पताल में कोविड-19 आइसोलेशन वार्ड में आग लगने से 50 लोगों की मौत हो गई है। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिणी शहर नसीरिया के अल-हुसैन अस्पताल में लगी आग पर सोमवार देर रात काबू पा लिया गया।
आग लगने के सही कारणों का अभी पता नहीं चल पाया है, लेकिन प्रारंभिक रिपोटरें से पता चला है कि ऑक्सीजन टैंक में विस्फोट होने के चलते यह आग लगी है।
पत्रकारों ने इमारत से जले हुए शवों को बाहर निकाले जाने की बात कही है। बचावकर्मी अभी भी जीवित बचे लोगों की तलाश में जुटे हुए हैं।
स्वास्थ्य अधिकारी हैदर अल-जमीली ने एक प्रमुख मीडिया आउटलेट को बताया, "आशंका जताई जा रही है कि लोग अभी भी वार्ड के अंदर फंसे हुए हैं, जिसमें कथित तौर पर 60 रोगियों के लिए जगह है।"
आग लगने के बाद प्रदर्शनकारियों ने अस्पताल के बाहर प्रदर्शन किया और लोगों ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर अधिकारियों के इस्तीफे की मांग की।
इराक के संसद अध्यक्ष मोहम्मद अल-हलबौसी ने ट्वीट किया कि इस तरह से आग लगना इराकी लोगों के जीवन की रक्षा करने में विफलता का स्पष्ट प्रमाण है और यह इस विनाशकारी विफलता को समाप्त करने का समय है। (आईएएनएस)
जेनेवा, 13 जुलाई| विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के महानिदेशक ट्रेडोस अदनोम घेबियस ने सोमवार को कोविड-19 के डेल्टा संस्करण के कारण होने वाले विनाशकारी प्रकोप की चेतावनी देते हुए कहा कि वायरस के नए स्ट्रेन का तेजी से प्रसार हो रहा है। ट्रेडोस ने जिनेवा से एक आभासी संवाददाता सम्मेलन में कहा, "पिछले हफ्ते वैश्विक स्तर पर कोविड-19 के बढ़ते मामलों के लगातार चौथे सप्ताह को चिह्न्ति किया गया है। दस सप्ताह की गिरावट के बाद मौतें फिर से बढ़ रही हैं।"
सिन्हुआ समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल अक्टूबर में भारत में सबसे पहले इस वेरिएंट की पहचान की गई है। इसके बाद से इसका प्रसार लगातार जारी है। अब तक 104 देशों में इसके होने का पता लगाया जा चुका है।
वह कहते हैं, "डेल्टा वेरिएंट तेजी से फैल रहा है और इससे मामलों और मौतों की संख्या में पुन: वृद्धि देखी जा सकती है।" (आईएएनएस)
वाशिंगटन, 13 जुलाई| व्हाइट हाउस ने कहा है कि वह राष्ट्रपति जोवेनेल मोइस की हत्या के बाद देश को स्थिर करने के लिए अमेरिकी सैन्य समर्थन के हैती के अनुरोध की अभी भी समीक्षा कर रहा है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने सोमवार को एक दैनिक ब्रीफिंग के दौरान कहा कि हैती की अंतरिम सरकार के देश में अमेरिकी सैनिकों को भेजने के अनुरोध की अभी भी समीक्षा की जा रही है।
यह पूछे जाने पर कि क्या व्हाइट हाउस ने सेना भेजने से इनकार किया है, उन्होंने जवाब दिया 'नहीं'।
उसी दिन राष्ट्रपति जो बाइडन ने संवाददाताओं से कहा कि "हैती के राजनीतिक नेताओं को अपने देश की भलाई के लिए एक साथ आने की जरूरत है" यह कहते हुए कि संयुक्त राज्य अमेरिका सहायता की पेशकश करने के लिए तैयार है।
व्हाइट हाउस ने पहले कहा था कि न्याय विभाग, होमलैंड सिक्योरिटी, और राज्य और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (एनएससी) के अधिकारियों के साथ एक अंतर-एजेंसी प्रतिनिधिमंडल ने रविवार को हैती की यात्रा की थी।
एनएससी के प्रवक्ता एमिली हॉर्न ने एक बयान में कहा, "प्रतिनिधिमंडल ने हाईटियन सरकार के अधिकारियों के साथ महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की सुरक्षा की समीक्षा की और हाईटियन नेशनल पुलिस से मुलाकात की, जो हत्या की जांच कर रहे हैं।"
बयान के अनुसार, प्रतिनिधिमंडल ने हाईटियन राजनीतिक नेताओं से भी मुलाकात की, "एक राजनीतिक समझौते तक पहुंचने के लिए खुले और रचनात्मक संवाद को प्रोत्साहित करने के लिए जो देश को स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने में सक्षम बना सके।"
हैती की अंतरिम सरकार ने संयुक्त राज्य अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र से राष्ट्रपति मोइज की हत्या के बाद महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को सुरक्षित करने के लिए देश में सैनिकों को तैनात करने के लिए कहा।
हाईटियन राष्ट्रपति की हत्या देश के राष्ट्रपति और विधायी चुनावों से दो महीने पहले हुई, जो 26 सितंबर को होने वाले हैं। (आईएएनएस)
नई दिल्ली/वाशिंगटन, 12 जुलाई| अमेरिका ने सोमवार को कोरोना वायरस महामारी से लड़ने के लिए भूटान को मॉडर्ना वैक्सीन की 500,000 खुराक भेंट की। नई दिल्ली में अमेरिकी दूतावास द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका से उपहार में दी गई मॉडर्ना कोविड-19 वैक्सीन की 500,000 खुराक सोमवार को भूटान के पारो अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंची।
बयान में कहा गया है कि वैक्सीन की खुराक अमेरिकी सरकार और अमेरिकी लोगों द्वारा बिडेन-हैरिस प्रशासन के कोविड-19 महामारी को समाप्त करने के वैश्विक प्रयासों के हिस्से के रूप में दान की गई थी।
चार्ज डी अफेयर्स के राजदूत अतुल केशप ने कहा, संयुक्त राज्य अमेरिका को भूटान और उसके लोगों के साथ हमारी पुरानी दोस्ती पर गर्व है। भूटान के अपने लोगों को सुरक्षित और प्रभावी कोविड-19 टीके प्रदान करने के प्रयासों का समर्थन करना भारत-प्रशांत क्षेत्र और दुनिया भर में संयुक्त राज्य के नेतृत्व को प्रदर्शित करता है।
बयान में कहा गया है कि मॉडर्ना टीके का आगमन भूटान का समर्थन करने के संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रयासों का नवीनतम उदाहरण है क्योंकि यह कोविड-19 के प्रसार का मुकाबला करता है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली/लाहौर, 13 जुलाई | पुलिस ने लाहौर में मॉडल नायब नदीम की हत्या की जांच का दायरा बढ़ाने का फैसला किया है। लाहौर की मॉडल नायब रविवार को लाहौर के डिफेंस बी इलाके में अपने आवास पर मृत पाई गईं। पुलिस ने कहा कि 29 वर्षीय मॉडल का गला घोंट दिया गया था और अज्ञात पुरुषों द्वारा उन्हें प्रताड़ित किया गया था। नायब अपने आवास पर अकेली रहती थी।
पुलिस ने कहा कि हत्यारा मृतक मॉडल का फोन अपने साथ ले गया था और घर के पिछले हिस्से से फरार हो गया था।
पुलिस ने कहा, फोन विवरण की जांच के बाद, उसके करीबी दोस्तों को जांच में शामिल किया गया है।
पुलिस ने मामले की पड़ताल की और खुलासा किया कि उसका शव उसके घर के अंदर फर्श पर पड़ा था और मॉडल की गला घोंटकर हत्या की गई थी।
पुलिस ने पुष्टि की, मृतक हाल ही में दुबई से लाहौर लौटी थी,
पुलिस ने कहा कि उसका शव पोस्टमॉर्टम करने के बाद उसके रिश्तेदारों को सौंप दिया गया था।
जियो टीवी के मुताबिक पुलिस ने कहा कि संदिग्ध ने उसकी हत्या करने के बाद इसे दुष्कर्मऔर हत्या के अपराध के रूप में चित्रित करने की कोशिश की।
पुलिस ने कहा कि उन्होंने नायब के सौतेले भाई मोहम्मद अली की शिकायत पर एक मामला दर्ज किया था, जिसमें कहा गया था कि जब वह उससे मिलने आया तो उसने उसका शव फर्श पर पड़ा पाया था।
पुलिस ने कहा कि उसकी गर्दन पर निशान थे, जबकि पंजाब फोरेंसिक साइंस एजेंसी के विशेषज्ञ भी अपराध स्थल से नमूने लेने के लिए हत्या स्थल पर पहुंचे थे।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 13 जुलाई| एक तरफ जहां भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में विवादित सीमा मुद्दे को सुलझाने के लिए बातचीत कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर चीनी सैनिकों ने तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा के जन्मदिन के जश्न के दौरान डेमचोक में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास विरोध के बैनर दिखाए। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, यह हर साल नियमित तौर पर होता है। जब हम दलाई लामा का जन्मदिन मनाते हैं तो चीनी विरोध प्रदर्शन करते हैं।
चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के सैनिक और नागरिक लद्दाख के डेमचोक क्षेत्र में सिंधु नदी के दूसरी ओर आए।
अधिकारी ने कहा, जब भारतीय पक्ष के ग्रामीण जन्मदिन मना रहे थे तब उन्होंने विरोध में अपने झंडे लहराए। वे पांच वाहनों में आए और बैनर और झंडे लहराकर चले गए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दलाई लामा को उनके 86वें जन्मदिन पर बधाई दी।
यह पहली बार था, मोदी ने आधिकारिक तौर पर कहा कि उन्होंने दलाई लामा के साथ बात की।
एक ट्वीट में, मोदी ने कहा, परम पावन दलाई लामा को उनके 86वें जन्मदिन पर बधाई देने के लिए फोन पर बात की। हम उनके लंबे और स्वस्थ जीवन की कामना करते हैं। (आईएएनएस)
इस्राएल में समलैंगिक जोड़ों के लिए कोख किराये पर लेकर बच्चे पैदा करने का रास्ता खुल गया है. देश के सुप्रीम कोर्ट ने सरोगेसी कानून में बदलाव का आदेश दिया है.
इस्राएल के सुप्रीम कोर्ट ने रविवार को एक आदेश दिया जिसके मुताबिक समलैंगिक जोड़े देश के भीतर ही कोख किराये पर लेकर बच्चे पैदा कर सकते हैं. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इसे समानता की दिशा में एक मजबूत कदम बताया है जबकि आलोचकों ने इसे पारिवारिक मूल्यों पर हमला माना है.
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दया कि समलैंगिक जोड़ों और बिना शादी के रह रहे पुरुषों पर सरोगेसी कानून में लगी रोक को छह महीने के भीतर हटाया जाना चाहिए. अध्यक्ष एश्टर हायुत की मौजूदगी में यह फैसला आया है जो देश में एक दशक से भी ज्यादा समय से जारी बहस का नतीजा है.
समलैंगिक और एकल पुरुष बचे थे
मध्य पूर्व में इस्राएल एलजीबीटीक्यू प्लस लोगों के अधिकारों के मामले में सबसे आगे है. वहां समलैंगिक पुरुष संसद तक पहुंच चके हैं. लेकिन अब तक भी गोद किराये पर लेकर बच्चे पैदा करने के अधिकार से न सिर्फ समलैंगिक बल्कि अकेले रह रहे पुरुष भी वंचित थे. जो लोग इस्राएल में सरोगेसी के जरिए बच्चे पैदा नहीं कर पा रहे थे, वे भारत, नेपाल, थाईलैंड और अमेरिका आदि देशों में विकल्प खोज रहे थे.
कोख को किराये पर लेकर बच्चे पैदा करने का चलन पूरी दुनिया में बढ़ा है. इसके तहत कोई महिला किसी अन्य व्यक्ति या जोड़े का बच्चा जन्मती है. इस्राएल में 1996 में ही सरोगेसी को कानूनी वैधता मिल गई थी. पहले पुरुष और महिला के रूप में जोड़ों को और फिर अकेली महिलाओँ को भी सरोगेसी के जरिए बच्चा पैदा करने का अधिकार दे दिया गया था.
बहस तब शुरू हुई जब 2010 में एक समलैंगिक पुरुष जोड़े ईताई और ईओव-पिकांस ने कोर्ट से इस अधिकार की अपील की. लेकिन पहली कोशिश में कोर्ट से उन्हें निराशा हाथ लगी. 2015 में एक नई याचिका दर्ज की गई जिसे देश के अन्य एलजीबीटीक्यू लोगों का भी समर्थन मिला.
पिछले साल हुई शुरुआत
पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने संसद को यह भेदभाव दूर करने का आदेश दिया था. अदालत ने कहा था कि समलैंगिक जोड़ों और अकेले पुरुषों को इस अधिकार से बाहर रखना असंवैधानिक है. लेकिन इस्राएल की संसद कनेसेट में लाए गए प्रस्ताव को कट्टरपंथी सांसदों ने रोक दिया. इस साल मार्च में हुए चुनावों के बाद नई संसद तो बनी लेकिन कानून बनाने में कामयाबी नहीं मिल पाई.
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए अपने फैसले में कहा, "हम मानवाधिकारों को पहुंच रही इस गंभीर हानि को और नहीं देख सकते, जो कि मौजूदा सरोगेसी प्रबंध का परिणाम है.” समलैंगिक अधिकारों के लिए काम करने वाले ओज प्रवीन असोसिएशन ऑफ इस्राएली गे फादर्स के प्रमुख हैं.
इस फैसले पर खुशी जताते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें और उनके पार्टनर को भारत में जाकर सरोगेसी की मदद से बच्चे पैदा करने पड़े थे. उनकी जुड़वां बेटियां हैं. वह कहते हैं कि अब अन्य जोड़े अपने ही देश में ऐसा कर पाएंगे. प्रवीन ने कहा, "यह बहुत आसान है और ज्यादा समझदारी भरा भी.”
घोर विरोध
उधर विपक्षी रिलीजियस जियोनिजम पार्टी के अति दक्षिणपंथी सांसद बेजालेल समोतरिष ने कहा कि यह फैसला ‘यहूदी इस्राएल राज्य के चरमराने का संकेत है.' एक अन्य अति रूढ़िवादी विपक्षी दल युनाइटेड तोरा जूडाइजम के याकोव लिजमान ने कहा कि यहूदी लोगों का भविष्य खतरे में है.
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला देश की नई सरकार में शामिल पार्टियों के बीच भी दरार पैदा कर सकता है. इस गठबंधन में कई वामपंथी और दक्षिणपंथी दल सरकार का हिस्सा हैं. इन दलों में मेरेत्स भी हैं, जिसके अध्यक्ष स्वास्थ्य मंत्री निजान होरोवित्स समलैंगिक हैं. और इसी सरकार का हिस्सा इस्लामिक पार्टी राम भी है, जिसने समलैंगिकों को शैतानी कहा था.
होरोवित्स ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा, "आखिरकार, बराबरी!” ट्विटर पर उन्होंने लिखा कि उनका मंत्रालय पुरुषों से सरोगेसी की अर्जियां मिलने की तैयारी करेगा.
वीके/सीके (रॉयटर्स)
मौसमी वेबसाइट स्पेसवेदर.कॉम के मुताबिक सूर्य के वायुमंडल से उत्पन्न तूफान का पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के प्रभुत्व वाले अंतरिक्ष के क्षेत्र पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट
एक भयंकर सौर तूफान 16 लाख किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है. यह तूफान सूरज की सतह से उठा है. स्पेसवेदर.कॉम के मुताबिक धरती के चुंबकीय क्षेत्र पर तूफान का गहरा असर पड़ सकता है. इससे रात में आसमान रौशनी से जगमगा उठेगा. यह नजारा उत्तर या दक्षिणी ध्रुव पर दिखेगा.
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का अनुमान है कि यह तूफान 16 लाख किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार चल रहा है और आगे इसकी रफ्तार और अधिक बढ़ सकती है.
नासा ने कहा कि सौर तूफान से सैटेलाइट सिग्नल बाधित हो सकते हैं.
पृथ्वी पर सौर तूफान का प्रभाव
स्पेसवेदर.कॉम के मुताबिक सौर तूफान के कारण पृथ्वी के बाहरी वातावरण को गर्म हो सकता है, जिसका सीधा असर उपग्रहों पर पड़ सकता है. यह जीपीएस नेविगेशन, मोबाइल फोन सिग्नल और सैटेलाइट टीवी को प्रभावित कर सकता है. सौर तूफान के कारण बिजली लाइनों में करंट ज्यादा पैदा हो सकता है, जिससे ट्रांसफार्मर भी उड़ सकते हैं.
सबसे पहला सौर तूफान 1859 में रिकॉर्ड किया गया. 1972 में एक बड़े तूफान ने अमेरिका के मध्य पश्चिमी राज्यों में टेलीफोन लाइनों को अस्त व्यस्त कर दिया. 1989 में इसी तरह के तूफान से बिजली की लाइनें खराब हो गईं और कनाडा के क्यूबेक इलाके में परेशानी हुई. लेकिन सूरज के तूफानों के पृथ्वी पर असर के बारे में वैज्ञानिकों को पिछली दशकों में ही पता चला है.
सूरज के केंद्र में हाइड्रोजन कणों के बीच न्यूक्लियर रिएक्शन होता है जिससे वे हीलियम बन जाते हैं और सूरज में रोशनी इसी तरह पैदा होती है.
सोलर मिनिमम में सूरज काफी स्थिर रहता है और उसकी सतह पर तूफान नहीं आते. इसके बिल्कुल उलट मैक्सिमम के दौरान सूरज की सतह पर काले दाग बन जाते हैं जिसकी वजह से उसके चुंबकीय क्षेत्रों में भारी बदलाव आता है. नतीजतन सौर तूफान पैदा होते हैं.
सौर तूफान या फ्लेयर की जानकारी 1859 से ही है. उस वक्त ब्रिटिश खगोलविज्ञानी रिचर्ड कैरिंगटन ने एक सौर तूफान की खोज की. माना जाता है कि उस वक्त सूरज से जो ऊर्जा निकली, वह हिरोशिमा के 10 अरब एटम बमों के फटने के बराबर थी. उस वक्त इससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ा क्योंकि धरती पर इतनी टेलीफोन लाइनें नहीं थीं. लेकिन आज स्थिति अलग हो सकती है क्योंकि लंबे वक्त तक बिजली न होने से काफी दिक्कत आ सकती है. (dw.com)
भारत ने अफगानिस्तान के कंधार से राजनयिक और सुरक्षाकर्मियों को वापस बुला लिया है. दक्षिणी अफगानिस्तान में तालिबान के पूर्व गढ़ में आतंकवादियों और स्थानीय सुरक्षा बलों के बीच भयंकर लड़ाई के मद्देनजर यह निर्णय लिया गया है.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट
समाचार एजेंसी एएफपी ने भारतीय रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से कहा कि नई दिल्ली ने कंधार में वाणिज्य दूतावास से अपने राजनयिक और सुरक्षा कर्मचारियों को अस्थायी रूप से हटा लिया है. रिपोर्टों के मुताबिक दक्षिणी अफगानिस्तान में जारी हिंसा के चलते करीब 50 भारतीय राजनयिकों और सुरक्षा कर्मियों को वापस भारत बुला लिया गया है.
भारत: वाणिज्य दूतावास बंद नहीं
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कंधार में कान्स्युलेट के बंद करने के सवाल पर कहा, "भारत अफगानिस्तान में सुरक्षा स्थिति की करीब से निगरानी कर रहा है. हमारे कर्मियों की सुरक्षा सर्वोपरि है. कंधार में भारत के महावाणिज्य दूतावास को बंद नहीं किया गया है. हालांकि, कंधार शहर के पास भीषण लड़ाई के कारण भारत के सभी कर्मचारियों को कुछ समय के लिए वापस लाया गया है. मैं इस बात पर जोर देना चाहता हूं कि स्थिति स्थिर होने तक यह पूरी तरह से अस्थायी उपाय है. फिलहाल, वाणिज्य दूतावास हमारे स्थानीय कर्मचारी के माध्यम से काम करना जारी रखेगा."
सुरक्षा सूत्रों के अनुसार, भारत ने कंधार वाणिज्य दूतावास में तैनात छह राजनयिकों के साथ 50 भारतीय अधिकारियों को वापस बुला लिया है.
इस बीच तजाकिस्तान की राजधानी दुशांबे में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी इस सप्ताह मुलाकात करने वाले हैं. दोनों नेता अफगानिस्तान के हालात पर चर्चा कर सकते हैं.
जयशंकर ने इससे पहले रूस और ईरान की यात्रा की थी, जहां उन्होंने अपने समकक्षों के साथ अफगानिस्तान के मुद्दे पर बातचीत की थी. भारत ने अफगानिस्तान में करीब तीन अरब डॉलर का निवेश बतौर सहायता और पुननिर्माण कार्यों में किया हुआ है. भारत अफगानिस्तान में राष्ट्रीय शांति प्रक्रिया का समर्थन कर रहा है.
अफगानिस्तान से विदेशी सैनिकों की वापसी से अशांत देश में आतंकवादी अभियान तेज होने के साथ ही अफगान तालिबान ने इस सप्ताह दावा किया कि उनके लड़ाकों ने देश के 85 प्रतिशत हिस्से पर कब्जा कर लिया है.
स्थानीय सूत्रों के मुताबिक अफगान तालिबान ने कंधार प्रांत की राजधानी कंधार में सुरक्षा बलों पर हमला किया, जिसके परिणामस्वरूप दोनों पक्षों के बीच भयंकर झड़पें हुईं. कंधार वह जगह है जहां तालिबान ने अपना आंदोलन शुरू किया था.
तालिबान के हमले तेज
रूस और तुर्की ने भी पिछले सप्ताह सुरक्षा की बिगड़ती स्थिति को देखते हुए मजार-ए-शरीफ से अपने राजनयिक कर्मचारियों को अस्थायी रूप से वापस बुला लिया था. मॉस्को का कहना है कि उसने उत्तरी अफगानिस्तान के मजार-ए-शरीफ में अपने राजनयिक अभियानों को स्थगित कर दिया है.
चीन ने भी 2 जून को अफगानिस्तान से अपने 210 नागरिकों को वापस बुला लिया. तालिबान और अन्य आतंकवादी समूहों द्वारा हिंसा के कारण अफगानिस्तान में विदेशी अपने गृह देश लौट रहे हैं. तालिबान लड़ाकों ने कई सीमा क्रॉसिंग पर कब्जा जमा लिया है और कई प्रांतीय राजधानियों पर आक्रमण करने का प्रयास किया है.
90 प्रतिशत अमेरिकी सैनिक अफगानिस्तान छोड़ चुके हैं और और बाकी सैनिक 31 अगस्त तक वापस अमेरिका चले जाएंगे. इस बीच, ऑस्ट्रेलियाई रक्षा मंत्री पीटर डटन ने पुष्टि की है कि अफगानिस्तान में उनके देश का 20 साल का सैन्य मिशन खत्म हो गया है. (dw.com)
रविवार को क्यूबा के कई शहरों में लोगों ने विरोध प्रदर्शन किए. वे सरकार पर अक्षमता का आरोप लगा रहे थे और आजादी के नारे भी.
रविवार को हजारों लोगों ने क्यूबा की सड़कों पर उतरकर आर्थिक हालात, कोविड-19 के टीकाकरण की गति और सरकार के कथित लापरवाही का विरोध किया.
रविवार को क्यूबा की राजधानी हवाना में बड़ी संख्या लोगों सड़कों पर सरकार का विरोध करने उतर, जो पिछले कई दशकों में पहली बार हुआ. सुरक्षाबलों की भारी मौजूदगी के बीच लोगों ने शहर के कई हिस्सों में प्रदर्शन किए. इस दौरान पुलिस से उनकी झड़पें भी हुईं और कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया गया.
कम्यूनिस्ट पार्टी के प्रमुख और देश के राष्ट्रपति मिगेल डियाज-कैनल ने टीवी पर एक भाषण देकर इस विरोध प्रदर्शनों के लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने अपने समर्थकों से उकसावे का जवाब देने को कहा. इस बीच सड़कों पर मशीनगन सुसज्जित जीपों को चक्कर लगाते भी देखा गया.
आजादी के नारे
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के एक रिपोर्टर ने पुलिस को कुछ प्रदर्शनकारियों पर मिर्ची स्प्रे का छिड़काव करते और कुछ अन्य को लाठियों से पीटते देखा. हालांकि "आजादी-आजादी" चिल्लाते लोगों को सीधे सीधे कहीं नहीं रोका गया. उन्होंने "डियाज कैनल पद छोड़ो" जैसे नारे लगाए, जिनकी आवाज सरकार समर्थकों की "फिदेल फिदेल" की आवाज दब गई.
हवाना के साथ लगते आर्तेमीसा प्रांत में सैन ऐंटोनियो डे लोस बानोस नगरपालिका में भी प्रदर्शन हुए. सोशल मीडिया पर शेयर किए गए वीडियो में वहां सैकड़ों लोगों को सरकार विरोधी नारे लगाते देखा जा सकता था.
एक स्थानीय नागरिक क्लैरिस रमिरेज ने फोन पर रॉयटर्स को बताया, "मैं कुछ खाना खरीदने के लिए शहर से गुजरी और वहां बहुत सारे लोग जमा थे. उनके हाथों में तख्तियां थीं और वे विरोध कर रहे थे. वे ब्लैकआउट और दवाइयां ना मिलने का विरोध कर रहे थे."
"ना खाना, न दवाई"
हाल ही में सैन ऐंटोनियो डे लोस बानोस का दौरा करके लौटे डियाज कैनल ने कहा कि बहुत से प्रदर्शनकारी नेकनीयत थे लेकिन अमेरिका द्वारा रचे गए सोशल मीडिया अभियानों और धरातल पर मौजूद कातिलों के बहकावे में आ गए. उन्होंने चेतावनी दी कि भविष्य में ऐसे "उकसावों को बर्दाश्त" नहीं किया जाएगा.
रविवार को ही राजधानी से सैकड़ों मील दूर पूर्व में पाल्मा सोरियानो में भी विरोध प्रदर्शन हुए, जिनके वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किए गए. एक स्थानीय नागरिक क्लॉडिया पेरेज ने बताया, "वे संकट का विरोध कर रहे हैं. ना खाना है, ना दवाई है और हर चीज विदेशी करंसी लेने वाली दुकानों से खरीदनी पड़ रही है. और सूची बहुत लंबी है."
राष्ट्रपति डियाज कैनल ने अपने संबोधन में कहा, "हम देश के सारे क्रांतिकारियो, सारे कम्यूनिस्टों का आह्वान करते हैं कि जहां भी इस तरह भड़काने वाली गतिविधियां हों, वहीं सड़कों पर उतरें."
आर्थिक संकट
वामपंथी शासन वाला क्यूबा पिछले दो साल से भारी आर्थिक संकट से गुजर रहा है. सरकार इस सकंट का इल्जाम अमेरिका और महामारी पर पर लगाती है, जबकि आलोचक इसके लिए सरकार की अक्षमता और सोवियत अंदाज की एक पार्टी व्यवस्था को जिम्मेदार मानते हैं.
स्थानीय स्तर पर लगाई गईं पाबंदियों, चीजों के अभाव और महामारी ने पर्यटन को ठप्प कर दिया है. विदेशी आय लाने वाली दूसरी कई गतिविधियों भी धीमी पड़ गई हैं. और इन गतिविधियों पर निर्भर देश को खाना, ईंधन, कृषि व निर्माण के लिए साजोसामान की दिक्कत हो रही है.
पिछले साल अर्थव्यवस्था 10.9 फीसदी सिकुड़ गई थी, जबकि जून 2021 में ही इसमें दो प्रतिशत की गिरावट आई. इस साल कोविड के कारण होने वाली मौतों में वृद्धि हुई है. 10 जुलाई को ही 47 लोगों की मौत हुई जबकि 6,900 नए मामले सामने आए.
क्यूबा के पास दो वैक्सीन हैं और टीकाकरण व्यापक अभियान चलाया जा रहा है. देश के एक करोड़ 12 लाख लोगों में से 17 लाख लोगों को तीनों खुराक मिल चुकी हैं जबकि लगभग 34 लाख लोगों को कम से कम एक खुराक मिल चुकी है.
वीके/एए (रॉयटर्स, एएफपी)
ब्रिटिश अरबपति उद्योगपति रिचर्ड ब्रैन्सन ने रविवार को अपने वर्जिन गैलक्टिक रॉकेट विमान में अंतरिक्ष की सैर करके एक मील का पत्थर स्थापित किया जो निकट भविष्य में कई रास्ते खोल सकता है.
रिचर्ड ब्रैन्सन अपनी कंपने के पांच अन्य कर्मचारियों के साथ रॉकेट में बैठकर न्यू मेक्सिको के ऊपर लगभग 80 किलोमीटर ऊंचाई तक अंतरिक्ष की सैर करके आए. लौटने के बाद उन्होंने अपने पोते-पोतियों को गले लगाया और इस तरह एक ऐसा अभियान पूरा हुआ, जिसकी शुरुआत 17 साल पहले हुई थी.
70 वर्षीय ब्रैन्सन ने अपनी इस यात्रा को अंतरिक्ष पर्यटन की दिशा में नए युग की शुरुआत बताया. उन्होंने कहा, "हम सभी के लिए अंतरिक्ष तक पहुंचना आसान बनाना चाहते हैं. नए अंतरिक्ष युग में आपका स्वागत है.” वर्जिन गैलेक्टिक अगले साल से अंतरिक्ष पर्यटन की व्यापारिक शुरुआत करने वाली है.
ब्रैन्सन के अभियान की सफलता पर उनके प्रतिद्वन्द्वी माने जाने वाले अमेरिकी अरबपति जेफ बेजोस ने भी बधाई दी. इंस्टाग्राम पर जेफ ने लिखा, "उड़ान पर बधाई. इस क्लब का हिस्सा बनने को मैं बेसब्र हूं.”
अमेजॉन के मालिक जेफ बेजोस भी अपनी कंपनी के रॉकेट में अंतरिक्ष की यात्रा करने का ऐलान कर चुके हैं और इसकी तैयारी में लगे हैं.
उत्सव जैसा माहौल
वर्जिन गैलक्टिक के रॉकेट के लॉन्च के मौके पर उत्सव जैसा माहौल था. अंतरिक्ष उद्योग से जुड़े लोग और भविष्य में अंतरिक्ष की यात्रा की इच्छा रखने वालों के अलावा बहुत से लोगों ने इस अभियान के जश्न में शिरकत की.
लॉन्च का इंटरनेट पर सीधा प्रसारण किया गया, जिसे कमिडियन स्टीफन कॉलबेर्ट ने प्रस्तुत किया. इस मौके पर अंतरिक्ष उद्योग का एक और बड़ा नाम कार निर्माता टेस्ला के संस्थापक इलॉन मस्क भी मौजूद थे. ग्रैमी-नामित गायक खालिद ने लॉन्च के बाद ‘न्यू नॉर्मल' गीत गाया.
वर्जिन गैलक्टिक के दमकते हुए सफेद अंतरिक्ष यान पर वीएमए ईव लिखा था. ईव ब्रैन्सन की स्वर्गवासी मां का नाम है. यान ने ‘ट्रूथ ऑफ कॉन्सीक्वेन्सीज' नामक शहर के पास स्थित स्पेसपोर्ट अमेरिका से उड़ान भरी. स्पेसपोर्ट अमेरिका एक सरकारी हवाई अड्डा है जिसका बड़े हिस्से को वर्जिन ने किराये पर ले रखा है.
करीब 46 हजार फुट की ऊंचाई पर पहुंच कर वीएसएस यूनिटी यात्री विमान के चालकों ने अपने रॉकेट को चालू किया तो वह अपनी ‘मदरशिप' यानी मुख्य रॉकेट से अलग हो गया और सुपरसोनिक रफ्तार से अंतरिक्ष में लगभग 86 किलोमीटर ऊंचाई तक गया.
कैसा था अनुभव?
अपनी सर्वोच्च ऊंचाई पर पुहंच कर रॉकेट का इंजन बंद कर दिया गया और विमान में मौजूद लोगों ने माइक्रोग्रैविटी की स्थिति का आनंद लिया. कुछ ही मिनटों बाद विमान का इंजन दोबारा चालू किया गया और इसकी वापसी की यात्रा शुरू हुई. कुल मिलाकर करीब एक घंटे बाद विमान स्पेसपोर्ट के रनवे पर उतर गया.
अंतरिक्ष से ही एक वीडियो के जरिए ब्रैन्सन ने कहा, "कभी मैं ऐसा बच्चा था जो सितारों की ओर देखकर सपने देखता था. आज मैं एक वयस्क हूं जो अंतरिक्षयान से सुंदर पृथ्वी को निहार रहा है.”
लौटने के बाद स्पेसपोर्ट के अहाते में बनाए गए एक मंच पर ब्रैन्सन ने अपने सहयात्रियों संग शैंपेन के साथ जश्न मनाया.
वर्जिन गैलक्टिक ने कहा है कि 2022 में कमर्शल यात्राएं शुरू करने से पहले आने वाले कुछ महीनों के भीतर कम से कम दो और परीक्षण उड़ानें होंगी. कंपनी के सीईओ माइकल कोलग्लेजियर के मुताबिक उनमें से एक उड़ान में इटली के चार अंतरिक्ष यात्री सवार होंगे, जिनकी ट्रेनिंग चल रही है.
पर्यटक भी तैयार
कोलग्लेजियर ने कहा कि अंतरिक्ष की सैर के लिए 600 धनी लोगों ने टिकटें बुक कर ली हैं. एक टिकट की कीमत लगभग ढाई लाख डॉलर यानी एक करोड़ 40 लाख रुपये है. हालांकि ब्रैन्सन ने कहा है कि कंपनी की सेवाएं बढ़ने के साथ साथ टिकट की कीमत 40 हजार डॉलर यानी करीब 22 लाख रुपये तक कम हो सकती है.
कोलग्लेजियर का कहना है कि वह रॉकेट विमानों का इतना बड़ा बेड़ा बनाना चाहते हैं कि एक साल में 400 उड़ानें अंतरिक्ष में आ जा सकें. स्विट्जरलैंड के एक बैंक यूबीएस का अनुमान है कि 2030 तक अंतरिक्ष पर्यटन का बाजार तीन अरब डॉलर यानी दो खरब से भी ज्यादा रुपयों का हो जाएगा.
इसके रास्ते में सबसे बड़ी बाधा सुरक्षा है. 2014 में वर्जिन गैलक्टिक का एक विमान उड़ान के बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. उस हादसे में विमान का एक पायलट मारा गया था जबकि एक अन्य गंभीर रूप से घायल हो गया था.
आलोचना भी हुई
ब्रैन्सन की उड़ान का जेफ बेजोस ने भले ही स्वागत किया लेकिन उनकी कंपनी ब्लू ऑरिजन ने वर्जिन गैलक्टिक की अंतरिक्ष यात्रा की यह कहते हुए आलोचना की कि इसने अंतरिक्ष का असली अनुभव नहीं दिया. ब्लू ऑरिजन ने कहा कि उसका विमान न्यू शेपर्ड, जिसमें जेफ बेजोस यात्रा करने वाले हैं, कैरमैन लाइन के पार जाएगा.
कैरमन लाइन 100 किलोमीटर की ऊंचाई पर एक काल्पनिक सीमा है जिसे एक अंतरराष्ट्रीय संस्था ने धरती के वातावरण और अंतरिक्ष के बीच सीमा करार दिया है. ब्लू ऑरिजन ने एक ट्वीट में कहा, "न्यू शेपर्ड को कैरमैन के पार जाने के लिए डिजाइन किया गया है ताकि हमारे किसी अंतरिक्ष यात्री के नाम के आगे सितारा नहीं लगा होगा.”
हालांकि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और अमेरिकी वायु सेना दोनों ही 80 किलोमीटर की ऊंचाई तक जाने वाले किसी भी यांत्री को अंतरिक्ष यात्री मानते हैं.
अंतरिक्ष पर्यटन की दौड़ में तीसरी कंपनी ईलॉन मस्क की स्पेसएक्स है, जो सितंबर में एक नागरिक दल को ऑरबिट में भेजने की योजना बना रही है. स्पेसएक्स नासा के लिए कई बार सामान और यात्रियों को अंतरिक्ष में पहुंचा चुकी है.
वीके/एए (रॉयटर्स, एएफपी)
-बीबीसी मॉनिटरिंग
ईरान के नेशनल ब्रॉडकास्टर की आईआरआईबी न्यूज़ एजेंसी ने 11 जुलाई को एक ईरानी पुलिस प्रवक्ता के हवाला से बताया कि ईरान ने तालिबान के डर से भागकर आए अफ़ग़ान बॉर्डर गार्ड्स और सीमा शुल्क कर्मचारियों को वापस भेज दिया है.
आईआरआईबी ने सेकेंड ब्रिगेडियर जनरल मेहदी हाजियन के हवाले से लिखा है, कि अफ़ग़ान सरकार ने हमारे देश के संबंधित अधिकारियों से इस बारे में अनुरोध किया था. उनके आधिकारिक अनुरोध को स्वीकार कर लिया गया और इन बॉर्डर गार्ड्स और सीमा शुल्क कर्मचारियों को हवाई मार्ग से वापस भेज दिया गया.
ईरान के सीमा शुल्क प्रशासन ने कहा कि तालिबानी चरमपंथियों ने 8 जुलाई को ईरान के साथ लगने वाली अफ़ग़ान की तीन में से दो क्रॉसिंग - डोगरुन और महिरुद सीमा चौकियों को अपने कब्ज़े में कर लिया.
ईरान के सशस्त्र सेना के जनरल स्टाफ़ के एक सूत्र ने 9 जुलाई को कहा था कि ईरान उन अफ़ग़ान सैनिकों को उनके देश वापस भेज देगा जो तालिबानी चरमपंथियों के हमले में चौकियों के नष्ट होने के बाद ईरान भाग आए थे.
हाजियन कहते हैं कि ईरान ने इस्लामी मूल्यों, एक अच्छे पड़ोसी संबंध होने के नाते और अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशनों के कारण ही अफ़ग़ान सुरक्षा बलों को अपनी ज़मीन पर स्वीकार किया और उनके हथियार ले लेने के बाद आश्रय भी दिया. (bbc.com)
बीजिंग, 11 जुलाई | 11 जुलाई को 17 वें चीन नौकायन दिवस मनाने के लिये चीन के मिंग राजवंश के नेविगेटर चंग ह के गृहनगर युन्नान प्रांत के खुनमिंग शहर में 17वां चीन समुद्री दिवस मंच का उद्घघाटन हुआ। इस बार के चीन नौकायन दिवस की थीम 'नौकायन की नई यात्रा का आरंभ और नौपरिवहन के नये भविष्य की संयुक्त स्थापना' है। 11 जुलाई 1905 को चंग ह के नेतृत्व में चीनी जहाजों के बेड़े ने सात नौकायन अभियान आंरभ किये थे। पुराने चीन के इतिहास में इस बेड़े का आकार सबसे बड़ा, साथ ही इस बेड़े के जहाजों और कर्मचारियों की संख्या सबसे अधिक और नौकायन की अवधि सबसे लंबी थी। चंग ह के पहले नौकायन अभियान का गंतव्य पुराना जैमोरिन देश था, जो कि सबसे दूरस्थ स्थान जैमोरिन भी था। पुराना जैमोरिन देश मौजूदा दक्षिण पश्चिमी भारत के केरल प्रदेश के कोझिकोड है। उल्लेखनीय है कि पुर्तगाली नेविगेटर वास्को डि गामा जैमोरिन में पहली बार पहुंचे। वे यूरोप से भारत सीधी यात्रा करने वाले जहाजों के कमांडर थे, जो केप ऑफ गुड होप, अफ्रीका के दक्षिणी कोने से होते हुए भारत पहुंचे।
लोग चंग ह और वास्को डि गामा की तुलना बार-बार करते हैं। दोनों नेविगेटरों से चीन, भारत और पूरी दुनिया महत्वपूर्ण ढंग से प्रभावित हुए। लेकिन दोनों नेविगेटरों के बीच स्पष्ट अंतर है। बेड़े के आकार और नौकायन अभियानों की अवधि विभिन्न के अलावा दोनों पक्षों के बीच मौलिक अंतर नौकायन अभियानों के लक्ष्य अलग-अलग थे। चंग ह और वास्को डि गामा के बीच ये अंतर चीन और पश्चिमी देशों के बीच मौलिक अंतरों का लघुचित्र ही है।
चंग ह के पहले नौकायन अभियान को लेकर भांति-भांति के विचार हैं। लेकिन इतिहासकारों ने आम सहमति की कि चंग ह के अंतिम पांच बार के नौकायन अभियानों का मुख्य लक्ष्य शांतिपूर्ण आदान-प्रदान और व्यापार था।
चंग ह ने बेड़े का जानबूझकर प्रचार नहीं किया। लेकिन वे जहां गए, वहां उन्होंने स्थानीय व्यवसायियों व अधिकारियो से आमने-सामने बातचीत की। उन्होंने समान लेनदेन, तालियां बजाने से मूल्य निर्धारण और अनुबंध का ²ढ पालन किया। स्थानीय लोग चंग ह और उनके कर्मचारियों के चेहरों पर ईमानदार मुस्कान देख सकते थे। उनके मन में चंग ह और उनका बेड़ा मिलनसार दाता और समान सहयोगी था। जब वे जैमोरिन देश पहुंचे तो दोनों पक्षों के बीच दोस्ती मनाने के लिये चंग ह ने एक चीनी शैली वाले मूठ मंडप की स्थापना की। इस मूठ पर लिखा है कि जैमोरिन और चीन के बीच दूरी 1 लाख से अधिक मील है। लेकिन यहां चीन की तरह समृद्धि और सद्भाव है। इसीलिये उन्होंने इस मूठ को खडा किया और दुनिया भर में फैलाया।
इन सात नौकायन अभियानों के दौरान चंग ह ने समुद्री लुटेरे के पाप की जड़ निकाल कर फेंकी, समुद्री यातायात की सुरक्षा की रक्षा की, संबंधित देशों के बीच मतभेद खत्म किए और एशिया व अफ्रीका के विभिन्न देशों के बीच शांतिपूर्ण स्थापना को बढ़ाया। उन्होंने स्थानीय लोगों को सुख और लाभ पहुंचाया था। इसीलिये इन देशों ने चंग ह की बड़ी प्रशंसा की। इसके अलावा इस शांतिपूर्ण परिस्थिति में एशियाई-अफ्रीकी देशों के बीच व्यापार आदान-प्रदान व सांस्कृतिक आदान-प्रदान विशेषकर चीन एवं संबंधित देशों के बीच संपर्क को आगे बढ़ाया था।
दशकों के बाद एक यूरोपीय बेड़े ने जैमोरिन में लैंडिंग की। इस बेड़े का कमांडर वास्को डि गामा था। पुस्तक 'मार्क पोलो की यात्राएं' के कारण पश्चिमी लोगों को विश्वास था कि पुराने चीन और भारत समेत सभी पूर्वी क्षेत्र में लोग हर जगह सोना रखते हैं। क्योंकि अरब लोगों ने पूर्व और पश्चिम के बीच पूर्व व्यापार मार्ग पर कब्जा किया था। सोने के लिये अपनी अभिलाषा पूरी करने के लिये यूरोपीय लोगों ने नये पूर्व-पश्चिम चैनल की खोज करने का काम शुरू किया। इसके आधार पर वास्को डि गामा ने भारत के लिये जलयात्रा की शुरूआत की।
जैमोरिन में पहुंचने के बाद वास्को डि गामा समेत पश्चिमी खोजकतार्ओं ने पता लगाया कि वहां महान धन रखने के साथ-साथ मजबूत सैन्य शक्ति नहीं थी। इन पश्चिमी खोजकतार्ओं ने जैमोरिन पर कब्जा किया और मसाले, सोना व आभूषण आदि भारी धन निर्मम लूट-खसोट की। वास्को डि गामा ने जैमारिन में एक स्तंभ खड़ा किया। उनके शब्दों से यह स्तंभ पुर्तगाल की संप्रभुता का प्रतीक है। यह तर्क क्या है कि उन्होंने दूसरों की भूमि पर अपनी संप्रभुता के प्रतीक को खड़ा किया। लेकिन यह कोई नई बात नहीं है। क्योंकि उनके इस नौकायन अभियान के दौरान जहां वास्को डि गामा गये, वहां उन्होंने उनके जैसे स्तंभ खड़े किए। यह पश्चिमी उपनिवेशवादियों का तर्क है।
नये जलमार्ग की खोज के कारण पश्चिमी व्यवसायियों, मिशनरियों और साहसिक लोगों ने भारत समेत पूर्वी देशों में जाकर मसाले, सोना व आभूषणों की लूट-खसोट की। इस जलमार्ग से पश्चिमी उपनिवेशवादियों को भारी आर्थिक लाभ मिला। उन्होंने पूर्व में धन लूट-खसोट की और अपनी पूंजी का संचय किया। कहा जा सकता है कि जल मार्ग की खोज पूर्वी देशों में पश्चिमी उपनिवेशवादियों के औपनिवेशिक लूट की शुरूआत भी है। इसके बाद कुछ सदियों में हिंद महासागर और पश्चिमी प्रशांत के देश पतित होकर पश्चिमी ताकतों के उपनिवेश बने थे। इस नये जलमार्ग की खोज के कारण भारत और दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के लोगों ने गहरी राष्ट्रीय आपदा का सामना किया।
दक्षिण अफ्रीका के एक प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ ने कहा कि पश्चिमी लोग हमारे सामने आये और उनके हाथों में बाइबिल थी, जबकि हमारे हाथों में सोना था। लेकिन बाद में उनके हाथों में बाइबिल के बजाय सोना आ गया और हमारे हाथों में बाइबिल रह गयी। यह एक बहुत ही प्रासंगिक मूल्यांकन बात है। इन पश्चिमी लोगों के प्रति स्थानीय लोगों के मन में बहुत स्पष्ट है कि ये लोग दुष्ट शिकारी थे। भले ही उन्हें इन पश्चिमी लोगों द्वारा जीता गया था, लेकिन उन्होंने प्रतिरोध कभी नहीं छोड़ा।(आईएएनएस)
फीनिक्स, 11 जुलाई | अमेरिकी राज्य एरिजोना में पिछले सप्ताह बिजली गिरने से लगी आग से जूझ रहे दो दमकलकर्मियों की मौत हो गई। अब तक 300 एकड़ जमीन जल चुकी है। ब्यूरो ऑफ लैंड मैनेजमेंट (बीएलएम) ने एक बयान में कहा कि प्रेस्कॉट नेशनल फॉरेस्ट के पास आग पर हवाई टोह लेने के दौरान शनिवार को एक विमान दुर्घटना में दमकलकर्मियों की मौत हो गई।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने अंतर्राज्यीय घटना सूचना प्रणाली के हवाले से शनिवार को कहा, "दुर्घटना आज दोपहर के आसपास हुई और इसमें हवाई टोही और आग पर नियंत्रण और नियंत्रण करने वाला एक हवाई हमला विमान शामिल था। चालक दल के दो सदस्य सवार थे और हमें यह बताते हुए दुख हो रहा है कि कोई जीवित नहीं बचा।"
यह त्रासदी तब हुई, जब सूखे मौसम और उच्च तापमान के कारण अमेरिका के पश्चिमी क्षेत्रों में जंगल की आग फैल गई।
कैलिफोर्निया में बेकवर्थ कॉम्प्लेक्स फायर, जो ताहो झील से लगभग 70 किमी उत्तर अमेरिका में छुट्टी बिताने का एक प्रसिद्ध स्थल है, वहां शुक्रवार और शनिवार की दम्यानी रात आग दोगुनी रफ्तार से फैली और राज्य की सीमा नेवाडा तक जा पहुंची।
इससे पहले, 3 जुलाई को लगी आग ने कैलिफोर्निया के लासेन काउंटी, प्लुमास काउंटी और नेवाडा के वाशो काउंटी के कई छोटे शहरों से लोगों की निकासी को मजबूर किया।
आग के कारण हाईवे 70 के साथ जंक्शन के उत्तर में हाईवे 395 को भी बंद कर दिया गया और कुछ समय के लिए बिजली काट दी गई, क्योंकि आग से प्लुमास सिएरा रूरल इलेक्ट्रिक ट्रांसमिशन लाइनों को खतरा था।
अधिकारियों ने आग की भविष्यवाणी करते हुए कहा कि गर्म और शुष्क मौसम की स्थिति मंगलवार तक रहेगी, आग का फैलना अगले पांच से छह दिनों तक जारी रहेगा।
कैलिफोर्निया के कुछ हिस्सों में तापमान लगभग रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया। डेथ वैली में तापमान शुक्रवार को 54.4 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, जो 1913 में बने विश्व रिकॉर्ड से सिर्फ चार डिग्री कम है। (आईएएनएस)
बीजिंग, 11 जुलाई | लघु वीडियो बनाने वाले ऐप टिकटॉक ने कहा है कि वह अपनी नीतियों का उल्लंघन करने वाले कई वीडियो का पता लगाने और उन्हें हटाने के लिए ऑटोमेशन का उपयोग करेगा। एनगैजेट रिपोर्ट ने बताया कि पिछले एक साल से, सर्विस इस तरह का कंटेंट खोजने और निकालने के लिए सिस्टम का परीक्षण और बदलाव कर रही है। यह अगले कुछ हफ्तों में अमेरिका और कनाडा में उन प्रणालियों को शुरू कर देगा।
सबसे पहले, एल्गोरिदम उन पोस्टों की तलाश में रहेगा जो नाबालिगों की सुरक्षा, हिंसा, ग्राफिक कंटेंट, नग्नता, सेक्स, अवैध गतिविधि और विनियमित वस्तुओं से संबंधित नीतियों का उल्लंघन करती हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर सिस्टम किसी उल्लंघन का पता लगाता है, तो वे वीडियो को तुरंत हटा देंगे और इसे पोस्ट करने वाला उपयोगकर्ता अपील कर सकता है। उपयोगकर्ता अभी भी मैन्युअल समीक्षा के लिए वीडियो को ़फ्लैग कर सकते हैं।
टिकटॉक ने कहा, 'ऑटोमेटेड रिव्यूज' उन कंटेंट कैटेगरी के लिए आरक्षित होंगे, जहां हमारी तकनीक में उच्चतम स्तर की सटीकता है।
कंपनी के अनुसार, 20 वीडियो में से केवल एक को स्वचालित रूप से हटा दिया गया है जो झूठे सकारात्मक थे और उन्हें मंच पर बने रहना चाहिए था।
कंपनी एल्गोरिदम के सटीकता के स्तर में सुधार की उम्मीद करती है और नोट करती है कि "वीडियो को हटाने के लिए अपील करने के अनुरोध लगातार बने हुए हैं।"
टिकटोक ने कहा कि ऑटोमेशन को अपने सुरक्षा कर्मचारियों को ऐसे कंटेंट पर ध्यान केंद्रित करने के लिए मुक्त करना चाहिए जिसमें अधिक सूक्ष्म ²ष्टिकोण की आवश्यकता होती है, जिसमें बदमाशी, उत्पीड़न, गलत सूचना और अभद्र भाषा वाले वीडियो शामिल हैं।
महत्वपूर्ण रूप से, सिस्टम संभावित रूप से परेशान करने वाले वीडियो की संख्या को कम कर सकते हैं जिन्हें सुरक्षा टीम को देखना होता है, जैसे कि अत्यधिक हिंसा या बाल शोषण वाले वीडियो।
फेसबुक पर कंटेंट मॉडरेटरों की भलाई और मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा के लिए पर्याप्त नहीं करने का आरोप लगाया गया है, जिन्हें अक्सर परेशान करने वाली सामग्री की समीक्षा करने का काम सौंपा जाता है।(आईएएनएस)