राजनीति
नोएडा, 13 नवंबर। दिल्ली एनसीआर के मौसम में आज सुबह से ही काफी बदलाव देखने को मिल रहा है। पूरे एनसीआर को धुंध की एक चादर ने ढक रखा है। स्मॉग के चलते पारे में भी गिरावट दर्ज की गई है और सुबह के वक्त लोगों को ठंड का एहसास भी हो रहा है। मौसम विभाग की माने तो आने वाले कुछ दिनों तक मौसम ऐसा ही बना रहेगा और लोगों को स्मॉग और प्रदूषण की दोहरी मार झेलने को मिलेगी।
दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद में सुबह के समय स्मॉग की घनी चादर देखने को मिली। अगर तापमान की बात करे तो पिछले 24 घंटों में न्यूनतम तापमान आज 17.0 डिग्री सेल्सियस और कल सुबह 0.9 डिग्री सेल्सियस की गिरावट के साथ 17.9 डिग्री सेल्सियस रहा। मौसम विभाग का मानना है कि दिन के कुछ समय तक धुंध छाए रहने से और सूर्य की रोशनी बंद होने से अधिकतम तापमान में गिरावट हो सकती है।
वही अब स्मॉग के साथ बढ़ते प्रदूषण की दोहरी मार भी लोगों को झेलनी पड़ सकती है। केंद्रीय प्रदूषण एवं नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार राजधानी दिल्ली में बुधवार सुबह 6 बजे तक औसतन वायु गुणवत्ता सूचकांक 349 अंक बना हुआ है। जबकि गाजियाबाद में 276, ग्रेटर नोएडा में 289 और नोएडा में 269 अंक बना हुआ है। दिल्ली के आया नगर में सबसे अधिक 406 एक्यूआई इस समय बना हुआ है। मौसम विभाग के मुताबिक राजधानी दिल्ली के अधिकतर इलाकों में सुबह 6 बजे तक एक्यूआई लेवल 300 से ऊपर और 400 के बीच में बना हुआ है।
दिल्ली के आया नगर में सबसे अधिक 406 एक्यूआई लेवल इस समय बना हुआ है। मौसम विभाग की मानें तो आने वाले दिनों में धुंध की चादर से एनसीआर के लोगों का सामना होगा। हवा की गति में भी गिरावट आने से सुबह से लेकर काफी देर तक यह स्मॉग वातावरण में बना रहेगा। (आईएएनएस)
जम्मू, 15 सितंबर । दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को ऐलान किया है कि वह दो दिन के बाद सीएम पद से इस्तीफा दे देंगे। उनके इस ऐलान पर भाजपा ने पलटवार किया है। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता आरपी सिंह ने कहा कि कोर्ट का आदेश ही ऐसा है कि उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ सकता है। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता आरपी सिंह ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, "वह पहले मुख्यमंत्री हैं, जो पहले जेल वाले सीएम थे, फिर बेल वाले सीएम हुए और अब राजनीति के खेल वाले सीएम हो गए हैं। केजरीवाल राजनीति कर रहे हैं और लोगों की सहानुभूति लेना चाहते हैं, इसलिए वह ऐसे बयान दे रहे हैं।" उन्होंने कहा, "वह जेल में रहकर सीएम पद पर बने रहे, इसके बाद जब वह बेल पर बाहर आए, तब भी सीएम बनने की बात करते रहे। कोर्ट के आदेश के बाद आज उन्हें लगा कि उन्हें इस्तीफा देना पड़ सकता है। ये उनकी मजबूरी है, क्योंकि कोर्ट ने कहा है कि वे किसी भी कागज पर साइन नहीं कर सकते, कैबिनेट मीटिंग नहीं बुला सकते और मुख्यमंत्री कार्यालय में नहीं जा सकते, इसलिए अब वह यह खेल खेल रहे हैं और लोगों की सहानुभूति चाहते हैं।" भाजपा नेता ने आम आदमी पार्टी पर तंज कसते हुए कहा, "दिल्ली और देश की जनता उनके खेल से बखूबी वाकिफ है। काठ की हांडी एक बार चढ़ती है, बार-बार नहीं।" भाजपा प्रवक्ता आरपी सिंह ने हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल के चुनाव अभियान को लेकर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, "जम्मू-कश्मीर की जनता सबसे पहले अरविंद केजरीवाल से यह पूछेगी कि उनका आर्टिकल 370 और 35ए पर क्या रुख है। नेशनल कॉन्फ्रेंस उनकी सहयोगी पार्टी है और उसे अपने घोषणापत्र में कहा है कि वे राज्य में 1953 की स्थिति को बहाल करेंगे और एक अलग प्रधानमंत्री बनाएंगे। इसके बार में केजरीवाल का क्या कहना है?"
(आईएएनएस)
उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने अपनी न्यू डिजिटल मीडिया पॉलिसी को मंजूरी दे दी है. इस नीति के तहत सरकार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर इन्फ्लुएंसर्स के प्रोत्साहन के कई प्रावधान हैं.
डॉयचे वैले पर समीरात्मज मिश्र की रिपोर्ट-
उत्तर प्रदेश सरकार की नई सोशल मीडिया पॉलिसी कैबिनेट की मंजूरी मिलते ही चर्चा में आ गई. चर्चा में आने के दो कारण हैं. एक तो उन सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स और कंटेंट क्रिएटर्स को खुले तौर पर सरकार की ओर से लाखों रुपये देने का प्रावधान किया गया है जो सरकार के पक्ष में पोस्ट डालेंगे. साथ ही अभद्र, आपत्तिजनक और राष्ट्र-विरोधी कंटेंट पोस्ट करने वालों के लिए दंड का प्रावधान किया गया है. यह दंड छोटा-मोटा नहीं बल्कि उम्र कैद की सजा तक हो सकती है.
यूपी के सूचना विभाग के प्रमुख सचिव संजय प्रसाद की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में लिखा है, "किसी भी स्थिति में सामग्री अभद्र, अश्लील या राष्ट्र–विरोधी नहीं होनी चाहिए.”
इसमें कहा गया है, "प्रदेश में विकास की विभिन्न विकासपरक, जन कल्याणकारी/ लाभकारी योजनाओं/ उपलब्धियों की जानकारी एवं उससे होने वाले लाभ को प्रदेश की जनता तक डिजिटल मीडिया प्लेटफार्म्स एवं इसी प्रकार के अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स के माध्यम से पहुंचाए जाने हेतु उत्तर प्रदेश डिजिटल मीडिया नीति, 2024 तैयार की गई है.”
कंटेंट बनाने वालों को सरकार कैसे देगी प्रोत्साहन
राज्य मंत्रिमंडल ने 27 अगस्त को इस न्यू डिजिटल मीडिया पॉलिसी, 2024 को मंजूरी दे दी है. इसके तहत अब डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म और इन्फ्लुएंसर्स सरकार के विकास कार्यों और योजनाओं की ‘उपलब्धियों' का प्रचार करने वाले वीडियो या अन्य कंटेंट बनाकर हर महीने आठ लाख रुपये तक कमा सकते हैं.
प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक, "डिजिटल माध्यम जैसे एक्स (पूर्व में ट्विटर), फेसबुक, इंस्टाग्राम एवं यूट्यूब पर भी प्रदेश सरकार की योजनाओं/ उपलब्धियों पर आधारित कंटेंट/ वीडियो/ ट्वीट/ पोस्ट/ रील्स को प्रदर्शित किए जाने के लिए इनसे संबंधित एजेंसी/ फर्म को सूचीबद्ध कर विज्ञापन निर्गत किए जाने हेतु प्रोत्साहन दिया जायेगा.”
सरकार का मानना है कि इस नीति से देश के विभिन्न भागों या विदेशों में रहने वाले राज्य के निवासियों को बड़ी संख्या में रोजगार मिलने की संभावना बढ़ेगी. किसे कितने पैसे मिलेंगे, यह तय करने के लिए सरकार ने एक्स (पूर्व में ट्विटर), फेसबुक, इंस्टाग्राम एवं यूट्यूब में से प्रत्येक को सब्सक्राइबर/ फॉलोअर्स के आधार पर चार श्रेणियों में बांटा गया है और उसी के अनुसार भुगतान की राशि तय की गई है.
किसे माना जाएगा 'इंफ्लुएंसर'
डिजिटल इंफ्लुएंसर उन लोगों को कहा जाता है जिनके सोशल मीडिया पर बड़ी संख्या में फॉलोअर होते हैं या जिनके यूट्यूब चैनल के काफी ज्यादा सब्सक्राइबर होते हैं. ये लोग अपनी पहुंच का इस्तेमाल तमाम तरह के उत्पादों, विचारों और राजनीतिक मान्यताओं को समर्थन देने या उनसे पैसा कमाने के लिए करते हैं. इस नीति के जरिए अब यूपी सरकार भी इनकी पहुंच का फायदा लेने और उन्हें उपकृत करने की योजना पर काम करने जा रही है.
लेकिन इस नीति को लेकर जो सवाल उठ रहे हैं वो ये कि सरकार के कामकाज को प्रोत्साहित करने के एवज में सरकार भले ही पैसा दे लेकिन जिस तरह के कंटेंट को लेकर सजा के प्रावधान किए गए हैं, वो क्या उचित हैं?
हालांकि सोशल मीडिया में अनुचित कंटेंट या आपत्तिजनक कंटेंट की स्थिति में अभी भी आईटी एक्ट की धारा 66 (ई) और 66 (एफ) के तहत कार्रवाई की जाती है लेकिन अब राज्य सरकार पहली बार ऐसे मामलों पर नियंत्रण के लिए नीति ला रही है जिसके तहत दोषी पाए जाने पर तीन साल से लेकर उम्र कैद (राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में) तक की सजा का प्रावधान है.
इसके अलावा अभद्र और अश्लील सामग्री पोस्ट करने पर आपराधिक मानहानि के मुकदमे का सामना भी करना पड़ सकता है. केंद्र सरकार ने ऐसी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए तीन साल पहले इंटरमीडियरी गाइडलाइंस एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड जारी किए थे.
विपक्ष को इसमें क्या समस्या दिख रही है
कांग्रेस पार्टी ने इस नई नीति के माध्यम से बीजेपी सरकार पर डिजिटल मीडिया पर ‘कब्जा' करने का आरोप लगाया है. यूपी कांग्रेस ने एक्स (ट्विटर) पर लिखा है, "यूपी सरकार सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स के लिए नई स्कीम लेकर आई है. इसके मुताबिक सरकार के काम का प्रचार–प्रसार करने वाले को महीने के 8 लाख रुपये तक मिल सकते हैं और इनका विरोध करने वालों को सजा भी भुगतना पड़ सकता है. यानी, डिजिटल मीडिया पर सरेआम कब्जा. सरकार अब बिना किसी डर या संकोच के सरेआम मीडिया को गोद लेने पर उतारू हो गई है. यह लोकतंत्र के लिए खतरा नहीं तो और क्या है?”
वहीं पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शायराना अंदाज में ट्वीट करते हुए लिखा है, "हम बांट रहे हैं दाने, गाओ हमारे गाने, जेल तुम्हारा घर है, अगर हुए बेगाने!" अखिलेश यादव इसे "तरफदारी के लिए दी जाने वाली भाजपाई घूस" और "जनता के टैक्स के पैसे से आत्मप्रचार को एक नए तरीके का भ्रष्टाचार" बता रही है.
पहले भी सोशल मीडिया पोस्ट के कारण हुई है कार्रवाई
इस नीति पर सवाल ये भी उठ रहे हैं कि जब सरकारें छोटी-छोटी बातों को ‘आपत्तिजनक', ‘अपमानजनक' मानते हुए पहले ही एफआईआर दर्ज कर रही हैं, लोगों को गिरफ्तार कर ही रही हैं तो फिर यह कानून बनाने की जरूरत क्यों पड़ गई? पिछले कुछ सालों में हजारों ऐसे मामले आए हैं जिनमें सरकारों की आलोचना करने की वजह से लोगों के खिलाफ और यहां तक कि पत्रकारों के खिलाफ भी मामले दर्ज हुए, उन्हें गिरफ्तार किया गया. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अकेले उत्तर प्रदेश में यह संख्या हजार से ऊपर है. ये बात अलग है कि कोर्ट में ऐसे मामलों को अहमियत नहीं मिली.
हालांकि यह स्थिति केवल यूपी में ही या बीजेपी शासित राज्यों में ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों में भी है. पहले भी इस तरह के कई उदाहरण देखने में आए हैं. साल 2012 में मुंबई में एक कार्टून बनाने के कारण असीम त्रिवेदी को गिरफ्तार किया गया था और उनके खिलाफ राष्ट्रद्रोह की धाराएं लगाई गई थीं.
यूपी सरकार की नई सोशल मीडिया पॉलिसी पर वरिष्ठ पत्रकार शीतल पी सिंह कहते हैं, "यह तो एक तरह से लोगों को धमकी देना है कि यदि सरकार के खिलाफ कुछ लिखा तो खैर नहीं. क्योंकि अभद्र, आपत्तिजनक, राष्ट्रविरोधी जैसी बातें कौन तय करेगा, ये अफसर ही तय करेंगे. और ये सरकार या उनके खिलाफ कुछ लिखने पर, वीडियो बनाने पर, कार्टून बनाने पर ऐसे आरोप लगा सकते हैं, एफआईआर कर सकते हैं, जेल में डाल सकते हैं. उम्र कैद जैसी बात तो सीधे तौर पर डराने के लिए ही है. बिल्कुल वही है जो अठारहवीं सदी में ब्रिटिश लाए थे - वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट. लेकिन उस जमाने में उसका विरोध हुआ, एक्ट वापस लेना पड़ा.”
शीतल पी सिंह कुछ साल पहले मिर्जापुर की घटना का जिक्र करते हुए कहते हैं कि स्कूल में मिड डे मील के नाम पर बच्चों को नमक रोटी खिलाने की खबर छापने पर पत्रकार पवन जायसवाल को गिरफ्तार कर लिया गया था. वो कहते हैं, "हाथरस की घटना कवर करने वाले पत्रकार सिद्दीक कप्पन को करीब ढाई साल बात जमानत मिली. किसी घटना को कवर करने आए पत्रकार को किस तरह आतंकवादी बनाने की कोशिश की गई. तो यह नियम सरकार के हाथ में एक और हथियार दे देगा.”
सोशल मीडिया पर कई लोग ऐसे भी हैं जो किसी राजनीतिक विचारधारा से संबंध नहीं रखते लेकिन अकसर सरकारी मशीनरी और प्रशासनिक गड़बड़ियों को उजागर करते हैं. ऐसे लोगों के लिए भी मुसीबत खड़ी हो सकती है. इसके नतीजातन सोशल मीडिया पर सरकार के पक्ष में ही कंटेंट की भरमार हो सकती है. क्योंकि ऐसा करने वालों को फॉलोवर भी मिलेंगे और सरकार से पैसा भी. (dw.com)
नई दिल्ली, 25 अगस्त। हरियाणा में विधानसभा चुनाव के ऐलान के साथ ही राजनीतिक दल सक्रिय हो गए हैं। राज्य में कांग्रेस का मुख्यमंत्री चेहरा कौन होगा यह अभी स्पष्ट नहीं है। वहीं, भाजपा का कहना है कि कांग्रेस में भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी शैलजा के बीच मुख्यमंत्री का चेहरा बनने की खींचतान चल रही है।
भाजपा नेता आर.पी. सिंह ने कहा कि कांग्रेस में अंदरूनी फूट है। मुख्यमंत्री की दौड़ में पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी शैलजा के बीच खींचतान चल रही है। उन्होंने कहा, "हरियाणा में कांग्रेस पार्टी दो खेमों में बंट चुकी है। राहुल गांधी के लिए अब खुली चुनौती है कि क्या वह दलित चेहरा कुमारी शैलजा को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाते हैं या फिर हुड्डा के साथ जाएंगे।"
उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी हमेशा दलितों के हक की बात करते रहते हैं। वह कहते हैं कि कांग्रेस पार्टी दलितों, पिछड़ों और वंचितों को आगे बढ़ाएगी। अब वह एक दलित व्यक्ति को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करेंगे या नहीं यह फैसला उनकी पार्टी को करना है। लेकिन एक बात तो एकदम स्पष्ट है कि कांग्रेस के अंदर फूट है। कांग्रेस चाहे किसी को भी मुख्यमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट करे, जनता एक बार फिर हरियाणा में भाजपा की सरकार बनाएगी।
दरअसल, कांग्रेस नेता कुमारी शैलजा से मीडिया ने पूछा था कि क्या आप हरियाणा के मुख्यमंत्री पद की दौड़ में हैं? इस पर उन्होंने कहा था, "क्यों नहीं?" उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत और सामुदायिक स्तर पर लोगों की महत्वाकांक्षा होती है और वह प्रदेश स्तर पर काम करना चाहती हैं। वहीं, साल 2005 से 2014 तक हरियाणा के मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी संभाल चुके कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा सीएम चेहरे के रूप में सबसे प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं।
हरियाणा में नई सरकार के गठन के लिए 1 अक्टूबर को सभी 90 सीटों पर मतदान होगा। वहीं, 4 अक्टूबर को चुनावी नतीजे घोषित किए जाएंगे। चुनावों के लिए अधिसूचना 5 सितंबर को जारी की जाएगी। नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 12 सितंबर और नामांकन पत्रों की जांच की अंतिम तिथि 13 सितंबर है। नाम वापसी की अंतिम तिथि 16 सितंबर होगी। (आईएएनएस)
पटना, 18 अगस्त। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को आदेश दिया है कि वह अपने राज्य की कानून व्यवस्था की जानकारी हर दो घंटे पर भेंजे। गृह मंत्रालय के इस आदेश पर राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने प्रतिक्रिया दी। राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने रविवार को कहा है कि गृह मंत्रालय को पहले उन राज्यों से रिपोर्ट मंगानी चाहिए, जहां डबल इंजन की सरकार है। जहां-जहां डबल इंजन की सरकार है, वहां की रिपोर्ट गृह मंत्रालय को एक-एक घंटे पर मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि गृह मंत्री को विपक्षी राज्यों में लॉ एंड ऑर्डर की समस्या दिखती है। मणिपुर के समय इनको नहीं दिखा, लेकिन बंगाल में इनको खूब लॉ एंड ऑर्डर की समस्या दिख रही है। यह दोहरी नीति है। उन्होंने कहा कि नया कानून बना देने से समस्या का समाधान नहीं है, इससे अपराध कम नहीं होता। गृह मंत्री को लॉ एंड ऑर्डर से ज्यादा चिंता अपनी सियासत की चिंता है। उनकी प्राथमिकता विपक्ष के नेताओं को फंसाने और बदनाम करने की है, उन्हें लॉ एंड ऑर्डर की समस्या का समाधान करने से मतलब नहीं है। वह विपक्ष की सरकार को गिराना चाहते हैं। उन्होंने बिहार का उदाहरण देते हुए कहा कि डबल इंजन की सरकार होने के बावजूद अपराध और भ्रष्टाचार चरम पर है। शासन-प्रशासन का इकबाल खत्म हो गया। तेजस्वी यादव हर रोज क्राइम बुलेटिन जारी कर रहे हैं। बिहार में अपराध-भ्रष्टाचार चरम पर है। बिहार में अपराधियों की बहार है, डबल इंजन की सरकार है। बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शनिवार रात एक आदेश जारी कर कहा था, "अब से देश के सभी राज्यों को हर 2 घंटे में केंद्रीय गृह मंत्रालय को अपने यहां की कानून-व्यवस्था की जानकारी देनी होगी।" यह आदेश कोलकाता में महिला ट्रेनी डॉक्टर की हत्या मामले को देखते हुए काफी अहम माना जा रहा है। आदेश में कहा गया है कि अब से हर राज्य को अपने यहां की कानून व्यवस्था की रिपोर्ट देनी होगी। यह आदेश राज्यों में बढ़ रहे अपराध को देखते हुए जारी किया गया है।
(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 18 अगस्त । झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और हेमंत सोरेन सरकार में मंत्री चंपई सोरेन के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने की चर्चा तेज है। कयास लगाए जा रहे हैं कि वह जेएमएम के 6 विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हो सकते हैं। इन्हीं चर्चाओं के बीच चंपई सोरेन रविवार को राजधानी दिल्ली पहुंचे। पूर्व सीएम चंपई सोरेन से पत्रकारों ने जब भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने से जुड़ा सवाल किया तो उन्होंने बताया, "मैं अपने निजी काम के लिए दिल्ली आया हूं। मेरे बच्चे यहां रहते हैं, उनसे मिलने आया हूं। इसलिए दिल्ली आना-जाना लगा रहता है। इसी वजह से आज भी दिल्ली आया हूं।" भाजपा में शामिल होने के सवाल पर चंपई सोरेन ने मीडिया के सामने एक बार फिर दोहराया, ''अभी मैं जहां पर हूं, वहीं हूं।'' कोलकाता में भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी से मुलाकात के सवाल पर चंपई सोरेन ने कहा , "मेरी कोलकाता में किसी से मुलाकात नहीं हुई है। मैं निजी काम से दिल्ली आया हूं। बाद में आप लोगों को बताउंगा।" दूसरी ओर चंपई सोरेन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स अपनी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) का नाम हटा दिया है। वहीं, उनके पैतृक गांव स्थित घर से भी पार्टी का झंडा हटाया गया है। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और जेएमएम नेता चंपई सोरेन के भाजपा में शामिल होने की अटकलों पर शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने कहा कि झारखंड सरकार को तोड़ने की कोशिश की जा रही है। संजय राउत ने सवालिया लहजे में पूछा, झारखंड से जो खबरें आ रही है, वहां क्या हो रहा है? हेमंत सोरेन को तकलीफ में लाने के लिए एक बार फिर से वहां पर कोशिश की जा रही है। उनकी एक मजबूत सरकार है, लेकिन, उसमें से कुछ लोगों को तोड़ने की कोशिश की जा रही है। अगर चुनाव घोषित कर देते तो मॉडल कोर्ड ऑफ कंडक्ट लागू हो जाता।” प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद चंपई सोरेन 2 फरवरी 2024 से 3 जुलाई 2024 तक झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य कर चुके हैं। हालांकि, हेमंत सोरेन ने जमानत पर जेल से बाहर निकलने के बाद फिर से सीएम की कुर्सी संभाली थी। उस समय भी चंपई सोरेन की सीएम पद से विदाई के बाद नाराजगी की खबरें सामने आई थी। दावा तो यहां तक किया गया था कि काफी मनाने के बाद चंपई सोरेन ने हेमंत सोरेन के मंत्रिमंडल में शामिल होने का प्रस्ताव स्वीकार किया था।
(आईएएनएस)
जम्मू, 18 अगस्त । नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष और जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला के 370 को हटाने का वादा करते बयान पर भाजपा ने घोर आपत्ति जताई है। पूर्व उप मुख्यमंत्री कविन्दर गुप्ता ने इसे गुमराह करने की कोशिश करार दिया है। उमर अब्दुल्ला ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद आर्टिकल 370 को खत्म करने के संबंध में विधानसभा में प्रस्ताव लाया जाएगा। ये बयान भारतीय चुनाव आयोग के जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद सामने आया था। इस पर ही कविन्दर गुप्ता ने कहा, लोगों को गुमराह करने का एक नया तरीका है। अनुच्छेद 370 हटाने से पहले कई तरह के दावे किए गए। इस प्रकार का प्रावधान विधानसभा में नहीं होगा। वहीं, गुप्ता जम्मू में भारतीय जनता पार्टी की आगामी चुनावों को लेकर बुलाई गई बैठक में पहुंचे थे। इस बैठक में जी. किशन रेड्डी, तरुण चुघ और आशीष सूद शामिल हुए। बैठक में चुनाव को लेकर विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। बता दें कि जम्मू कश्मीर का विधानसभा चुनाव तीन चरणों में होगा। चुनाव का पहला चरण 18 सितंबर, दूसरा चरण 25 सितंबर और तीसरे चरण का मतदान एक अक्टूबर को होगा। मतगणना चार अक्टूबर को होगी। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में उम्मीदवारों व राजनीतिक दलों के पदाधिकारियों को समुचित सुरक्षा प्रदान करने के निर्देश दे दिए गए हैं। "जम्मू-कश्मीर में कुल 90 निर्वाचन क्षेत्र हैं। इसमें से 74 जनरल, 9 एसटी और 7 एससी हैं। मतदाताओं की संख्या 87.09 लाख है। इसमें 44.46 लाख पुरुष और 42.62 लाख महिला मतदाता हैं। जम्मू-कश्मीर में युवा मतदाताओं की संख्या 20 लाख है। चुनाव आयोग ने बताया था कि जम्मू कश्मीर में 87.09 लाख मतदाता हैं। इनमें पहली बार वोट देने वाले युवा मतदाताओं की संख्या 3.71 लाख है। जबकि कुल 20.7 लाख युवा मतदाता हैं, जिनकी आयु 20 से 29 वर्ष के बीच है। मतदाता सूची बनाने का काम जारी है। 19 अगस्त को अमरनाथ यात्रा समाप्त होगी और 20 अगस्त को फाइनल मतदाता सूची तैयार हो जाएगी। सभी राजनीतिक दलों को इसकी कॉपी भिजवाई जाएगी।
(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 17 अगस्त । जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है। इस बीच शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने महाराष्ट्र और झारखंड के लिए तारीखें तय न करने पर केंद्र पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री ने चुनाव टाल दिए हैं। झारखंड और महाराष्ट्र उनके लिए महत्वपूर्ण नहीं हैं। उन्होंने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री 15 अगस्त को लाल किले से एक राष्ट्र एक चुनाव की बात करते हैं और पीएम नरेंद्र मोदी चार राज्यों में एक साथ चुनाव नहीं करा सकते। जब उनसे इसका कारण पूछा गया तो उन्होंने बताया कि इसका कारण बारिश और त्यौहार है। उन्होंने आगे कहा कि शिवसेना ने महाराष्ट्र को तीन मुख्यमंत्री दिए हैं और यहां की राजनीतिक परंपरा बहुत शानदार रही है। देवेंद्र फडणवीस को यह बात समझनी चाहिए। फडणवीस ने सूद (बदले) की राजनीति शुरू की है, लेकिन शिवसेना ऐसी राजनीति में विश्वास नहीं करती। बता दें कि हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों का ऐलान हो चुका है। चुनाव आयोग ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की। जम्मू-कश्मीर में तीन चरणों में मतदान होगा, जबकि हरियाणा में एक ही चरण में मतदान होगा। दोनों के चुनाव नतीजे 4 अक्टूबर को एक साथ घोषित किए जाएंगे। जम्मू-कश्मीर में पहले चरण की अधिसूचना 20 तारीख को जारी होगी और 18 सितंबर को मतदान होगा। दूसरे चरण का मतदान 25 सितंबर और तीसरे चरण का मतदान 1 अक्टूबर को होगा। हरियाणा की बात करें तो यहां एक ही राउंड में 1 अक्टूबर को वोटिंग होगी और 4 तारीख को जम्मू-कश्मीर के साथ नतीजे घोषित किए जाएंगे। हरियाणा में मतदाताओं की अंतिम सूची 27 अगस्त को जारी की जाएगी। राज्य में 2.1 करोड़ मतदाता वोट डालेंगे। राज्य में कुल 20 हजार 629 पोलिंग बूथ होंगे। सीईसी राजीव कुमार ने कहा कि इस बार हम बहुमंजिला इमारतों में भी पोलिंग बूथ बनाएंगे। इसके अलावा झुग्गी-झोपड़ियों वाले इलाकों में भी ऐसा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि गुरुग्राम, फरीदाबाद और सोनीपत में ऐसा करने की जरूरत थी, जिसका ध्यान रखा गया है। सभी बूथों पर पानी, शौचालय, रैंप, व्हीलचेयर जैसी चीजों की व्यवस्था की जाएगी।
(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 17 अगस्त । पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के धरना प्रदर्शन पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि उनका विरोध मार्च अपराधियों के खिलाफ नहीं, बल्कि अपराधियों को बचाने के लिए अधिक लगता है। उन्होंने कहा कि अपराध के गटर में अहंकार का स्वेटर पहनकर यह सफल नहीं होगा। काम करना उनकी जिम्मेदारी है। काम करने की बजाय ममता बनर्जी धरने पर बैठने की कोशिश कर रही हैं। लोगों ने उन्हें जो जनादेश दिया है, वह अपराध के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए है, न कि विरोध करने के लिए। जो कानून पहले से बने हुए हैं, उनका पालन करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। राज्य सरकार अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रही है, इसकी वजह से ऐसे अपराध हो रहे हैं। अगर राज्य सरकार कानून लागू करने की बजाय कानून तोड़ने लगे तो क्या होगा? मुझे लगता है कि ममता बनर्जी चाहे जितने भी कानून बना लें, उसका कोई फायदा नहीं होगा। मुख्तार अब्बास नकवी ने जम्मू-कश्मीर के चुनावों को लेकर कहा है कि जम्मू-कश्मीर के चुनावों में जनता की भागीदारी सिर्फ एक परिवार के जागीरदारों तक सीमित नहीं है। एक दशक के बाद हो रहे चुनाव में जनता की भागीदारी को महत्व दिया जाएगा। इस बार जम्मू-कश्मीर में जनता की सरकार बनेगी। पहलवान विनेश फोगाट की भारत वापसी पर मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा है कि वह देश की बेटी है और देश को उस पर गर्व है। पूरे जोश और जुनून के साथ उसने भारत के लिए पदक जीतने की सफल कोशिश भी की, लेकिन कुछ तकनीकी कारणों से ऐसा नहीं हो सका। उस पर हमें बहुत गर्व है। इस पर किसी भी तरह की राजनीति नहीं होनी चाहिए। बता दें कि पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने शुक्रवार को कोलकाता में महिला डॉक्टर से बलात्कार और हत्या के मामले में न्याय की मांग करते हुए विरोध मार्च निकाला। इस दौरान उन्होंने कहा, "हम दोषियों के लिए मौत की सजा की मांग करते हैं। भाजपा के राज्य में तो कुछ नहीं होता है।" उन्होंने आरोप लगाया कि सीपीएम और भाजपा ने आरजी कर अस्पताल में तोड़फोड़ की है।
(आईएएनएस)
अंबाला, 17 अगस्त । हरियाणा में पिछले 10 साल से भाजपा सत्ता में है। इस दौरान इसने कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा को जेल भेजने की बात कही। इस पर हरियाणा के पूर्व गृहमंत्री अनिल विज से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि भाजपा कभी कानून तोड़कर कार्रवाई नहीं करती, मामला कोर्ट में विचाराधीन है। हरियाणा में आम आदमी पार्टी भी मैदान में उतर रही है। पंजाब व दिल्ली से नेता कमान संभाल रहे हैं। इस पर अनिल विज ने कहा 'आप' का दिया बुझ चुका है। पंजाब और दिल्ली में बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा है। विज ने कहा कि बुझा हुआ दीपक कभी जल नहीं सकता। दूसरे दीपक को जल रहा दीपक ही जला सकता है। ये बुझी हुई शमा है। बता दें कि चुनाव आयोग ने शुक्रवार को हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव का ऐलान कर दिया। हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों के लिए एक चरण में ही एक अक्टूबर को चुनाव होंगे और नतीजों की घोषणा 4 अक्टूबर को होगी। मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा, “90 में 73 सीटें सामान्य और 17 सीटें आरक्षित हैं। हरियाणा में 27 अगस्त को फाइनल वोटर लिस्ट जारी होगी। उन्होंने कहा कि हरियाणा में 2 करोड़ से ज्यादा मतदाता हैं। 20 हजार 629 पोलिंग बूथ हैं। 150 मॉडल पोलिंग बूथ हैं। मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि लोकसभा का चुनाव दुनिया में हमारी लोकतांत्रिक ताकत का प्रमाण है। इससे पहले, 2019 में हरियाणा में एक ही चरण में चुनाव हुआ था। 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में 68.20 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया था।
(आईएएनएस)
लखनऊ, 17 अगस्त । 69 हजार शिक्षकों की भर्ती के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्णय पर विपक्षी दलों ने सरकार को घेरा है। मायावती ने कहा कि सरकार ने अपना काम निष्पक्ष व ईमानदारी से नहीं किया। बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने शनिवार को सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा कि यूपी में सन 2019 में चयनित 69,000 शिक्षक अभ्यर्थियों की चयन सूची को रद्द कर तीन महीने के अन्दर नई सूची बनाने के हाईकोर्ट के फैसले से साबित है कि सरकार ने अपना काम निष्पक्षता व ईमानदारी से नहीं किया है। इस मामले में खासकर आरक्षण वर्ग के पीड़ितों को न्याय मिलना सुनिश्चित हो। उन्होंने कहा, वैसे भी सरकारी नौकरियों की भर्तियों में पेपर लीक आदि के मामले में यूपी सरकार का रिकार्ड भी पाक-साफ नहीं होने पर यह काफी चर्चाओं में रहा है। अब सहायक शिक्षकों की सही बहाली नहीं होने से शिक्षा व्यवस्था पर इसका बुरा असर पड़ना स्वाभाविक है। सरकार इस ओर जरूर ध्यान दे। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि 69000 शिक्षक भर्ती भी आखिरकार भाजपाई घपले, घोटाले और भ्रष्टाचार की शिकार साबित हुई। यही हमारी मांग है कि नये सिरे से न्यायपूर्ण नयी सूची बने, जिससे पारदर्शी और निष्पक्ष नियुक्तियां संभव हो सके और प्रदेश में भाजपा काल में बाधित हुई शिक्षा-व्यवस्था पुनः पटरी पर आ सके। हम नयी सूची पर लगातार निगाह रखेंगे और किसी भी अभ्यर्थी के साथ कोई हकमारी या नाइंसाफ़ी न हो, ये सुनिश्चित करवाने में कंधे-से-कंधा मिलाकर अभ्यर्थियों का साथ निभाएँगे। यह अभ्यर्थियों की संयुक्त शक्ति की जीत है। सभी को इस संघर्ष में मिली जीत की बधाई और नव नियुक्तियों की शुभकामनाएं। ज्ञात हो कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने 2019 में हुई 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती के चयनित अभ्यर्थियों की सूची नए सिरे से जारी करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने 1 जून 2020 और 5 जनवरी 2022 की चयन सूचियां को दरकिनार कर नियमों के तहत तीन माह में नई चयन सूची बनाने के निर्देश दिए। कोर्ट के इस फैसले से राज्य सरकार को बड़ा झटका लगा है। वहीं पिछली सूची के आधार पर नौकरी कर रहे शिक्षकों की सेवा पर भी संकट खड़ा हो गया है।
(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 17 अगस्त । कानपुर में साबरमती एक्सप्रेस के 22 डिब्बे पटरी से उतरने के बाद कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने लगातार हो रहे रेल हादसों को लेकर सवाल उठाए हैं। पवन खेड़ा ने आईएएनएस से बातचीत में रेल हादसों का जिक्र किया। उन्होंने कहा, “रेल हादसे लगातार बढ़ते जा रहे हैं, बार-बार हमें कहा जाता है कि एक कवच लगा रखा है, अगर रेल गाड़ियों पर कवच लगा है तो ये क्या काम करता है, कौन सी कंपनी ने यह कवच दिया है। क्या सभी ट्रेन पर कवच लगा हुआ है।” उन्होंने कहा, “रेल की सुरक्षा और सुविधा लगातार घटती जा रही है और रेल यात्रियों की चिंता बढ़ती जा रही है। इस दिशा में मुझे नहीं लगता कि सरकार गंभीर है। अभी पिछले ही हफ्ते रेलवे पर सीएजी रिपोर्ट आई, जिस तरह से फंड का दुरुपयोग किया गया है, वह उसमें दिखाई दे रहा है। ये देखकर समझ में आता है कि रेलवे की सुरक्षा और सुविधाओं पर कोई ध्यान नहीं है।” पवन खेड़ा ने डॉक्टरों की हड़ताल पर भी बात की। उन्होंने कहा, “अस्पतालों की हड़ताल तोड़फोड़ की वजह से नहीं, बल्कि कोलकाता में हुए रेप और हत्या की वजह से हो रही है। तोड़फोड़ करने वालों को सरकार चिन्हित करेगी और पुलिस उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी। डॉक्टर्स अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता में हैं और हम उनकी चिंता के समय उनके साथ खड़े हैं। अगर हम डॉक्टर्स को सुरक्षा नहीं दे पा रहे हैं तो जाहिर है कि वह अपनी ड्यूटी सही ढंग से नहीं कर पाएंगे।” उन्होंने बांग्लादेश के हालात पर दिए सैम पित्रोदा के बयान पर बात करते हुए कहा, “बांग्लादेश से भारत की तुलना नहीं की जा सकती। भारत के लोकतंत्र की नींव पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल, बाबा साहब भीमराव अंबेडकर और महात्मा गांधी जैसे नेताओं ने रखी है। और इसे कोई हिला नहीं सकता।” पवन खेड़ा ने उदयपुर की घटना का जिक्र करते हुए कहा, “उदयपुर की घटना को लेकर मैंने कलेक्टर से बात की। उदयपुर मेरा शहर है, स्थिति अभी शांत है और पूरी तरह से नियंत्रण में है। हम भी सभी नौजवानों से अपील करना चाहेंगे कि वो इस तरह की घटनाओं से बाहर दूर रहें और शहर में शांति बनाए रखें।” बता दें कि उदयपुर में शुक्रवार को दो छात्रों में हुई चाकूबाजी के बाद शहर में हिंसा फैल गई थी लेकिन शनिवार को यहां शांति है।
(आईएएनएस)
भोपाल, 16 अगस्त । मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने शुक्रवार को कहा कि वीर सावरकर के योगदान का अध्ययन किया जाना चाहिए और भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास को उसके उचित संदर्भ में जनता के सामने पेश किया जाना चाहिए। मंत्री ने यहां एक प्रेस वार्ता में कहा कि देश के लिए जिन लोगों ने कुर्बानी दी है, उनका इतिहास भी पढ़ाना चाहिए। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति, 2020 के तहत भारतीय ज्ञान परंपरा पर काम हो रहा है। खुशी की बात है कि उसमें मध्य प्रदेश अग्रणी राज्य बनने जा रहा है। राज्य ने विचार की प्रक्रिया तेज की है। सभी विश्वविद्यालयों में ज्ञान परंपरा का प्रकोष्ठ बनाया है। परमार ने कहा, "भारतीय ज्ञान परंपरा को लेकर बहुत से लोगों को संशय था। हम सेमिनार के माध्यम से उन संशयों को दूर करने का काम कर रहे हैं। इसलिए, कमेटी के माध्यम से हमने तय किया है कि सभी महाविद्यालयों में किताबों का भंडार बने। हमारे पुस्तकालय समृद्ध बनें, जहां अच्छा लिखने वाले लेखकों की किताबों का भंडार हो।" उन्होंने कहा कि कुछ किताबों में गलत बातें लिखी गई हैं, जैसे कि 'रावण का वध भगवान राम ने नहीं, बल्कि लक्ष्मण ने किया था'। हमारे धर्म को लेकर जो अन्य भ्रांतियां हैं, जो गलत बातें किताबों में लिखी हैं, उन्हें दूर करने का काम कर रहे हैं। मंत्री ने कहा, "भारतीय ज्ञान परंपरा किसी राजनीतिक दल की विचारधारा का एजेंडा नहीं है। क्या संघ का कार्यकर्ता देश की सेना में नहीं जा सकता है? क्या वह प्रोफेसर नहीं बन सकता है? क्या वह किसान नहीं बन सकता है?"
(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 16 अगस्त । पश्चिम बंगाल के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल में जूनियर डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या के बाद से देशभर में आक्रोश का माहौल है। देशभर में जूनियर डॉक्टर, मेडिकल छात्रा और चिकित्सक तक सड़क पर उतरकर रोष व्यक्त कर रहे हैं। इसी बीच केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के फायर ब्रांड नेता गिरिराज सिंह ने बंगाल की घटना को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधा है। शुक्रवार को आईएएनएस से खास बातचीत करते हुए केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कोलकाता रेप और मर्डर केस में कहा कि ममता बनर्जी सत्ता की मद में भूल गई हैं कि मां, माटी और मानुष,आज उनके और उनकी पार्टी की शह पर फलने-फूलने वाली गुंडों की पार्टी है, जिसने वहां की बेटी के साथ दरिंदगी की। जिसने दिल्ली के निर्भया कांड की याद दिला दी और आज ममता बनर्जी चोरी और सीनाजोरी कर रही हैं, भगवान राम को गाली दे रही हैं। रात में डॉक्टर को पीटने के लिए गुंडे को किसने भेजे? बंगाल में बिना ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी के बिना एक पत्ता भी नहीं हिलता है, उनके आदेश के बगैर वहां लोग सांस भी नहीं लेते हैं। हालत यह है कि वो गुंडे हजारों की संख्या बिना पुलिस की जानकारी के पहुंच गए, किसको बुड़बक (मूर्ख) बनाना चाहती हैं। शांति मार्च निकालती हैं, घड़ियाली आंसू बहाती हैं, मैं कहता हूं कि वो गुंडे को पकड़ना चाहती तो 12 घंटा कौन कहता है, 1 घंटे में पकड़ लेती। लेकिन, इन्होंने तो साक्ष्य को मिटाने के लिए गुंडों को भेजा, तोड़फोड़ करवा रही हैं, अब शांति मार्च निकाल रही हैं। उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि 'लड़की हूं लड़ सकती हूं' का स्लोगन दिया था। आज तीन हफ्ते राहुल गांधी को बयान देने में नहीं लगते और वो भी बयान क्या दिया? वहां के कर्मी दोषी हैं, डूब के मर जाएं, हाथरस पहुंच जाते हैं। लेकिन, बंगाल पर जुबान नहीं खुलता है, मुंह में बर्फ जम जाता है, क्योंकि ममता बनर्जी के खिलाफ बोल नहीं सकते हैं। वो (राहुल गांधी) प्रधानमंत्री बनने के ख्वाब में सच बोल नहीं सकते हैं, न्याय के खिलाफ आवाज नहीं उठा सकते। यही है राहुल गांधी का सच। पीएम नरेंद्र मोदी के 'सेकुलर सिविल कोड' के बयान पर गिरिराज सिंह ने कहा कि उन्होंने कौन सा गलत कहा। 'कॉमन सिविल कोड', जहां आजादी के बाद हिंदुओं ने तो अपना मैरिज एक्ट एक कर लिया, लेकिन, शरिया कानून और तीन तलाक चलता ही रहा। पीएम मोदी ने इसे हटाया। यह 'सेकुलर सिविल कोड' जब होगा तभी 'एक देश, एक कानून' होगा।
(आईएएनएस)
जम्मू, 30 जुलाई जम्मू कश्मीर के राजौरी जिले में गैरकानूनी गतिविधियों में कथित रूप से शामिल एक व्यक्ति को सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत हिरासत में लिया गया है। पुलिस ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
पुलिस के एक प्रवक्ता ने बताया कि आरोपी मोहम्मद असलम उर्फ कारी को राजौरी के जिला मजिस्ट्रेट आदेश पर पीएसए के तहत हिरासत में लिया गया और जिला जेल में रखा गया।
असलम मूल रूप से खोरीवाली-दरहाल गांव का निवासी है और इससे पहले 2012 में थानामंडी पुलिस थाने में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम और सीआरपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत एक आपराधिक मामले में उसका नाम दर्ज किया गया था।
उन्होंने कहा, ‘‘अपने शत्रुतापूर्ण कृत्यों के लिए मामला दर्ज होने और उसे जिलाबदर किए जाने के बावजूद वह अपने तौर-तरीकों में सुधार नहीं कर रहा है और लगातार गैरकानूनी कृत्यों में संलिप्त है। इस दौरान वह शांति और व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रहा है।’’
प्रवक्ता ने बताया कि जिला पुलिस कार्यालय, राजौरी द्वारा एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर जिला मजिस्ट्रेट को सौंप दी गई है। उन्होंने पीएसए के तहत उसकी नजरबंदी का आदेश जारी किया है। (भाषा)
नयी दिल्ली, 29 जुलाई समाजवादी पार्टी (सपा) के रामगोपाल यादव ने सोमवार को राज्यसभा में मांग की कि सरकार संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) सहित अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए विषय आधारित प्रश्न पत्र के पारंपरिक प्रारूप पर वापस लौटे।
उच्च सदन में शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाते हुए यादव ने इसे ‘गंभीर’ करार दिया और तर्क दिया कि शिक्षा का उद्देश्य मुख्य रूप से व्यक्ति के संपूर्ण व्यक्तित्व के विकास से जुड़ा होता है।
उन्होंने परीक्षा की पुरानी पद्धति का उल्लेख करते हुए कहा कि इसने देश को शिक्षाविद, अधिवक्ता और वैज्ञानिक दिए हैं।
यादव ने कहा, ‘‘हालांकि, प्रतियोगी परीक्षाओं ने पुरानी पद्धति को छोड़ दिया है।’’
यादव ने सुझाव दिया कि वर्तमान वस्तुनिष्ठ प्रश्न प्रारूप ही परीक्षा में अनियमितताओं और पेपर लीक के मामलों में वृद्धि का ‘सबसे बड़ा कारण’ है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि किसी व्यक्ति की तर्क क्षमताओं का आकलन करने के लिए व्यक्तिपरक प्रश्न महत्वपूर्ण होते हैं।
सपा नेता ने चयनित उम्मीदवारों की गुणवत्ता पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘परिणामस्वरूप, ऐसे उम्मीदवार चयन के बाद एक पत्र का सही मसौदा भी नहीं लिख पाते हैं।’’
उन्होंने अपील की, ‘‘इसलिए मेरा सरकार से अनुरोध है कि इस पद्धति को बदलें और उस पुरानी पद्धति को अपनाएं जिसने डॉक्टर राधाकृष्णन और होमी जहांगीर भाभा जैसे विद्वान और वैज्ञानिक देश को दिए। अब कोई ऐसा विद्वान कहां पैदा हो रहा है देश में। पुरानी व्यवस्था पर आइए, ताकि फिर कुछ विद्वान देश में पैदा हो सकें। देश में वर्तमान पद्धति को बदलने की जरूरत है। पुरानी व्यवस्था को वापस लाइए।’’
सभापति ने यादव को एक अपवाद के तहत इस मुद्दे को उठाने की अनुमति दी थी क्योंकि उन्होंने आवश्यक ऑनलाइन माध्यम के बजाय भौतिक रूप से इस संबंध में नोटिस दिया था।
सभापति ने कहा, ‘‘एक अपवाद के रूप में, मैं उन्हें इस मुद्दे को उठाने की अनुमति दे रहा हूं।’’
उन्होंने सदस्यों से ऑनलाइन प्रक्रिया का लाभ उठाने और तकनीकी रूप से उन्नत होने के आह्वान भी किया। (भाषा)
जयपुर, 16 जुलाई। भजन लाल शर्मा के नेतृत्व वाली बीजेपी शासित राजस्थान में विधानसभा सत्र चल रहा है। इस दौरान सदन के बाहर कांग्रेस विधायक हरिमोहन शर्मा ने कहा कि अगर कोई जनसंख्या नियंत्रण पर कानून लेकर आएगा तो हम उसका स्वागत करेंगे। कांग्रेस विधायक हरिमोहन शर्मा ने कहा, जनसंख्या नियंत्रण करने के लिए सरकार दो या तीन बच्चों का कानून लाए, लेकिन बीजेपी सरकार की मंशा कानून लाने के बजाय, अल्पसंख्यक समुदाय को टारगेट करना है। उन्होंने आगे कहा कि संजय गांधी ने जनसंख्या नियंत्रण को लेकर एक बहुत बड़ा अभियान चलाया था। उस समय भैरों सिंह शेखावत जैसे बड़े नेता ने ये भाषण दिया था कि ये योजना गलत है। लेकिन बाद में वही भैरों सिंह ने अपने कार्यकाल के दौरान विधानसभा में अपने पुराने बयान को लेकर खेद प्रकट किया था। कांग्रेस विधायक ने आगे कहा, भाजपा की वर्तमान सरकार राजनीतिक दृष्टिकोण से किसी वर्ग विशेष को टारगेट करने की बात करती है। आज भी मुख्यमंत्री ने जनसंख्या वृद्धि को लेकर चिंता प्रकट की और अप्रत्यक्ष रूप से किसी एक समुदाय को टारगेट किया। उन्होंने आगे कहा कि आप इसको लेकर कानून लाइए लेकिन जो हिंदू अपने बच्चों को सात-सात हजार में बेच रहे हैं, मेहरबानी करके उनको तो बचा लीजिए। उन्होंने कहा, अगर कोई जनसंख्या नियंत्रण का कानून लाता है, तो हम उसका स्वागत करेंगे। लेकिन इनकी मुख्य भावना जनसंख्या नियंत्रण से किसी समुदाय विशेष को टारगेट करने की है। ये कानून को जातिगत आधार पर मोड़ देना चाहते हैं, जो कि निंदनीय है। मैं मुख्यमंत्री से आग्रह करूंगा कि पहले हिंदू समाज और गरीब तबके के जो लोग हैं, जिनको दो वक्त की रोटी नहीं मिल पाती, उनकी चिंता करें। जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा, "विधायक बालमुकुंद आचार्य नफरत फैला रहे हैं। जनसंख्या नियंत्रण को लेकर भाजपा मंत्रियों के बयान में ही विरोधाभास है। मंत्री खर्रा कह रहे हैं कि दो बच्चों का कानून ला रहे हैं, जबकि कानून मंत्री कह रहे हैं ऐसा कोई कानून नहीं ला रहे हैं।"
(आईएएनएस)
कोलकाता, 16 जुलाई । पश्चिम बंगाल विधानसभा का मानसून सत्र 22 जुलाई से शुरू होने वाला है। इसके काफी हंगामेदार रहने की संभावना है। सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस सत्र के दौरान सदन में दो विशेष प्रस्ताव पेश कर सकती है। पहला प्रस्ताव नीट को खत्म करने और अलग-अलग राज्य सरकारों द्वारा प्रवेश परीक्षा आयोजित करने की पुरानी प्रणाली को बहाल करने की मांग पर होगा। हाल ही में नीट-यूजी पेपर लीक और इसमें कई तरह की अनियमितताओं का मामला सामने आया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 24 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र भेजकर यही मांग उठाई थी। तृणमूल कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, दूसरा प्रस्ताव तीन नए आपराधिक कानूनों के लागू करने को लेकर है। पार्टी का कहना है कि इसे जल्दबाजी में लागू किया गया और इस पर संसद में बहस भी नहीं हुई। मुख्यमंत्री ने पिछले महीने इसी मुद्दे पर प्रधानमंत्री को पत्र भी लिखा था। दूसरी ओर, भाजपा राज्य में चुनाव के बाद हुई हिंसा और कंगारू कोर्ट में सजा देने के मामलों पर चर्चा के लिए प्रस्ताव लाने पर विचार कर रही है। हालांकि सत्र 22 जुलाई से शुरू होगा, लेकिन पहले दिन यह श्रद्धांजलि के बाद दिन भर के लिए स्थगित कर दिया जाएगा। विधानसभा सचिवालय के एक अधिकारी ने बताया कि इस बार मानसून सत्र दस दिनों का होने की उम्मीद है। उपचुनाव में चार नवनिर्वाचित विधायक उत्तर 24 परगना के बागदा से मधुपर्णा ठाकुर, नादिया के राणाघाट-दक्षिण से डॉ. मुकुट मणि अधिकारी, उत्तर दिनाजपुर के रायगंज से कृष्णा कल्याणी और कोलकाता के मानिकतला से सुप्ति पांडे के भी मानसून सत्र के दौरान शपथ लेने की उम्मीद है।
(आईएएनएस)
जम्मू, 16 जुलाई । जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में शहीद अपने चारों जवानों की बहादुरी को भारतीय सेना ने सलाम किया है और उनके परिवारों के साथ होने की बात कही है। सोमवार शाम शुरू हुई इस मुठभेड़ में एक अधिकारी सहित सेना के चार जवान और एक स्थानीय पुलिसकर्मी शहीद हो गया था। सेना ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी और भारतीय सेना के सभी जवान कैप्टन बृजेश थापा, नायक डी. राजेश, सिपाही बिजेंद्र और सिपाही अजय के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं, जिन्होंने क्षेत्र में शांति सुनिश्चित करने के लिए डोडा में आतंकवाद के खिलाफ अभियान में अपने कर्तव्य का पालन करते हुए प्राणों की आहुति दे दी। भारतीय सेना इस दुख की घड़ी में शोक संतप्त परिवारों के साथ खड़ी है।" जानकारी के मुताबिक, जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) से जुड़े 'कश्मीर टाइगर्स' ने इस घटना की जिम्मेदारी ली है। वहीं, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी से बात की और जमीनी हालात तथा चल रहे अभियान के बारे में जानकारी ली। राजनाथ सिंह ने एक्स पर लिखा, "डोडा (जम्मू-कश्मीर) के उरारबागी में आतंकवाद के खिलाफ अभियान में भारतीय सेना के हमारे बहादुर जवानों की शहादत पर काफी शोकाकुल हूं। मेरी संवेदनाएं शोक संतप्त परिवार के साथ हैं। अपने कर्तव्य के निर्वहन में जान न्यौछावर करने वाले सैनिकों के परिवारों के साथ पूरा देश खड़ा है।" उन्होंने कहा कि आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन जारी है। हमारे सैनिक क्षेत्र में आतंकवाद को समाप्त करने और शांति-व्यवस्था कायम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। सोमवार देर शाम यह मुठभेड़ उस समय हुई जब राष्ट्रीय राइफल्स और जम्मू-कश्मीर पुलिस के विशेष अभियान समूह ने डोडा शहर से 55 किलोमीटर दूर देसा वन क्षेत्र के धारी गोटे उरारबागी में संयुक्त घेराबंदी और तलाशी अभियान शुरू किया। कुछ देर तक गोलीबारी के बाद आतंकवादियों ने भागने की कोशिश की लेकिन सैनिकों ने उनका पीछा किया। अधिकारियों ने बताया कि रात करीब 9 बजे जंगल में फिर से गोलीबारी शुरू हो गई। पहले मुठभेड़ में सेना और पुलिस के पांच सुरक्षाकर्मियों के गंभीर रूप से घायल होने की खबर आई थी। बाद में मंगलवार को उन्होंने दम तोड़ दिया।
(आईएएनएस)
महेंद्रगढ़, 16 जुलाई । केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि कांग्रेस ने कर्नाटक में पिछड़े वर्गों से आरक्षण छीनकर मुसलमानों को दे दिया। अगर वो हरियाणा में सत्ता में आती है तो यहां भी ऐसा ही करेगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस हमेशा से ही पिछड़े वर्गों के खिलाफ रही है। "1957 में ओबीसी आरक्षण के लिए काका कालेलकर आयोग का गठन किया गया था, लेकिन कांग्रेस ने इसे सालों तक लागू नहीं किया। 1980 में इंदिरा गांधी ने मंडल आयोग को ठंडे बस्ते में डाल दिया। 1990 में जब इसे पेश किया गया तो राजीव गांधी ने दो घंटे 43 मिनट का भाषण देकर ओबीसी आरक्षण का विरोध किया।" उन्होंने कहा कि 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने ही पूरे देश को बताया कि उनकी सरकार दलितों, गरीबों और पिछड़ों की सरकार है। अमित शाह ने कहा, "भाजपा ने देश को पहला सशक्त पिछड़ा वर्ग का प्रधानमंत्री देने का काम किया है। केंद्र में 71 में से 27 मंत्री पिछड़ा वर्ग से हैं।" गृह मंत्री ने ओबीसी समुदाय के लिए प्रधानमंत्री के कामों को गिनाया और कहा कि उन्होंने विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में उनके लिए आरक्षण सुनिश्चित किया। उन्होंने कहा, "मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि हम हरियाणा में मुस्लिम आरक्षण नहीं होने देंगे।" उन्होंने कांग्रेस नेता और दो बार मुख्यमंत्री रह चुके भूपेंद्र हुड्डा को चुनौती देते हुए कहा, "मैं एक-एक पाई का हिसाब लेकर आया हूं, आंकड़ों के साथ मैदान में आएं।" हरियाणा में अक्टूबर में चुनाव हो सकते हैं। भाजपा यहां अकेले चुनाव लड़ने वाली है। उसकी नजर पिछड़े वर्ग को लुभाने पर है, जिनकी राज्य में 27 फीसदी हिस्सेदारी है। तीन सप्ताह से भी कम समय में अमित शाह का यह दूसरा हरियाणा दौरा है। इससे पहले गृह मंत्री का स्वागत मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और उनके कैबिनेट सहयोगियों ने किया।
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सिरसा, 16 जुलाई । हरियाणा के बिजली मंत्री चौधरी रणजीत सिंह चौटाला ने मंगलवार को पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ मुलाकात की। मुलाकात के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए चौटाला ने कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधा और कहा कि हरियाणा में कांग्रेस का सत्ता में वापसी करना मुश्किल है। सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा की ओर से हरियाणा में कांग्रेस की यात्रा निकाले जाने को लेकर चौधरी ने तंज कसा। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी की यात्रा से कोई फर्क नहीं पड़ा तो दीपेंद्र हुड्डा की यात्रा से क्या फर्क पड़ेगा। हरियाणा में कांग्रेस अपना वजूद खत्म कर चुकी है। जिस भी प्रदेश में कांग्रेस 10 साल लगातार सत्ता से बाहर रही है उस प्रदेश में कांग्रेस वापस नहीं लौट पाई है। रणजीत सिंह चौटाला ने रनिया विधानसभा में चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की। उन्होंने कहा कि यदि भाजपा टिकट देती है तो मैं रनिया से चुनाव लड़ूंगा और जीतूंगा। मंत्री रणजीत सिंह चौटाला ने सैनी सरकार की उपलब्धियों को गिनाते हुए कहा कि पिछले साढ़े 9 साल में भाजपा ने प्रदेश और देश में बेहतरीन काम किया। विधानसभा चुनाव में मैनेजमेंट और कैंडिडेट का अहम रोल होता है। वहीं भाजपा के पास मजबूत संगठन है लेकिन कांग्रेस अभी तक पिछले 10 सालों में अपना संगठन ही नहीं बना पाई। उन्होंने कहा कि हरियाणा प्रदेश में कांग्रेस की गुटबाजी सार्वजनिक होने के चलते कांग्रेस खत्म हो चुकी है। ऐसे सभी बड़े नेता अब कांग्रेस को छोड़कर जा रहे हैं। कांग्रेस अब एक ऐसी पार्टी है जिसमें केवल चापलूस करने वाले लोग बचे हैं। कांग्रेस पार्टी का प्रदेश में जनाधार नहीं बचा है। आगामी विधानसभा चुनाव में हरियाणा में भाजपा बहुमत से सरकार बनाएगी। हरियाणा सरकार ने आम जन के हित में कार्य किए हैं। ऐसे में भाजपा का तीसरी बार सत्ता में आना तय है।
(आईएएनएस)
गोंडा (उप्र) 12 जुलाई श्रावस्ती जिले में एक दलित किशोर को बोतल में भरकर कथित तौर पर पेशाब पिलाने के प्रयास के मामले में पुलिस ने तीन अभियुक्तों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया है।
प्रभारी निरीक्षक महिमा नाथ उपाध्याय ने शुक्रवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि जिले के गिलौला थाने के रामपुर त्रिभौना निवासी एक युवक ने नौ जुलाई 2024 को पुलिस अधीक्षक से मिलकर कथित घटना की शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में कहा गया था कि गांव के निवासी किशन उर्फ भूरे तिवारी ने बीती एक जुलाई को उसके 15 वर्षीय छोटे भाई से एक वाहन पर डीजे रखवाने को कहा था। उसे डीजे रखवाने के बाद जेनरेटर भी लदवाने को कहा गया।
किशोर के मना करने पर गांव के ही निवासी दिलीप मिश्रा व सत्यम तिवारी ने उसे रोक कर कहा कि जनरेटर लदवाने बाद ही उसे वहां से जाने दिया जाएगा।
शिकायत के अनुसार, इसी दौरान दिलीप मिश्रा ने शराब की बोतल में पेशाब कर उसे जबरन पिलाने का प्रयास किया। किशोर के विरोध करने पर उसे मारा पीटा गया और तमंचा दिखाते हुए जान से मारने की धमकी दी गई।
पीड़ित द्वारा मामले की शिकायत श्रावस्ती के पुलिस अधीक्षक से किए जाने पर स्थानीय पुलिस ने तहरीर के आधार पर अभियोग पंजीकृत कर तीनों आरोपियों किशन उर्फ भूरे तिवारी, दिलीप मिश्रा व सत्यम तिवारी को गिरफ्तार किया है।
उन्होंने बताया कि मामले की विवेचना क्षेत्राधिकारी, इकौना द्वारा की जा रही है। (भाषा)
अंग्रेजी के मशहूर कवि और नाटककार विलियम शेक्सपियर ने कहा था कि नाम में क्या रखा है? अगर हम गुलाब को किसी दूसरे नाम से भी बुलाएं तो वह सुगंध ही देगा. लेकिन पूर्वोत्तर के दो ईसाई बहुल राज्यों में नाम पर ही विवाद हो रहा है.
डॉयचे वैले पर प्रभाकर मणि तिवारी का लिखा-
पूर्वोत्तर के इन राज्यों में केंद्र सरकार के भारत आयुष्मान केंद्र का नाम बदलने पर आम लोगों में नाराजगी बढ़ रही है. यही वजह है कि मिजोरम और नागालैंड ने स्थानीय आबादी और चर्च की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए 'आयुष्मान भारत केंद्रों' के नाम बदल कर 'आयुष्मान आरोग्य मंदिर' नहीं करने का अनुरोध किया है. दोनों राज्यों ने केंद्र को इस बारे में पत्र लिखा है.
क्या है मामला?
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बीते साल देश भर में फैले 1.60 लाख आयुष्मान भारत स्वास्थ्य केंद्रों का नाम बदलने का फैसला किया था. इन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को अब 'आयुष्मान आरोग्य मंदिर' कहा जाता है. इसकी टैगलाइन है 'आरोग्यम परमम धनम' यानी स्वास्थ्य ही सबसे बड़ी पूंजी है.
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के निदेशक एल. एस. चांगशान ने बीते साल नवंबर में तमाम राज्यों को पत्र के जरिए इस फैसले की सूचना दी थी. केंद्र ने अपनी वेबसाइट में जरूरी बदलाव भी कर दिए थे. उस समय इस मुद्दे का कहीं ज्यादा प्रचार नहीं किया गया था. उसके बाद इस साल जनवरी में मिजोरम ने राज्य में यह बदलाव नहीं करने की अपील की थी. राज्य के प्रमुख सचिव ई. ए. रू. आतकिमी ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को लिखे पत्र में कहा था कि मौजूदा 'आयुष्मान भारत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर' के नाम बदल कर 'आयुष्मान आरोग्य मंदिर' रखने के निर्देश पर राज्य में कुछ चिंताएं हैं. मिजोरम की 90 फीसदी से ज्यादा आबादी ईसाई समुदाय की है. लेकिन केंद्र का नाम बदल कर उसमें मंदिर जोड़ने से आम लोगों की भावनाएं आहत हो सकती हैं. इसलिए मिजोरम में यह कवायद रोक दी जानी चाहिए.
लेकिन केंद्र की ओर से कोई जवाब नहीं मिलने पर राज्य सरकार ने फरवरी और मार्च में भी पत्र भेज कर यही अनुरोध दोहराया था.
पहले भी उठी है मांग
बीते मार्च में इलाके के एक अन्य ईसाई-बहुल राज्य नागालैंड ने भी केंद्र को पत्र भेज कर यही अनुरोध किया था. राज्य के स्वास्थ्य व परिवार कल्याण सचिव वी. केजो डीडब्ल्यू से कहते हैं, "स्वास्थ्य केंद्रों के नाम में मंदिर जोड़ने से राज्य के ईसाई समुदाय की भावनाएं आहत होने की आशंका है. चर्च और सामाजिक संगठन पहले से ही इस पर आपत्ति जता रहे हैं. ऐसे में राज्य को नाम बदलने से छूट दी जानी चाहिए."
एक सवाल पर केजो बताते हैं, "केंद्र की ओर से अब तक इस मामले में कोई जवाब नहीं मिला है. लेकिन हम राज्य में इन स्वास्थ्य केंद्रों के पुराने नाम का ही इस्तेमाल कर रहे हैं."
मिजोरम स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि केंद्र ने अब तक राज्य सरकार की ओर से भेजे गए पत्रों का कोई जवाब नहीं दिया है.
बीती नौ फरवरी को तत्कालीन स्वास्थ्य व परिवार कल्याण कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती पवार ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में कहा था कि सरकार ने स्वस्थ भारत का सपना साकार करने के लिए 'आरोग्यम परमम धनम' की टैगलाइन के साथ देशभर में फैले आयुष्मान भारत स्वास्थ्य केंद्रों का नाम बदल कर आयुष्मान आरोग्य मंदिर करने का फैसला किया है.
क्या खास परिस्थियां हैं इन दो राज्यों में
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पूर्वोत्तर के इन दोनों राज्यों के ईसाई-बहुल होने के कारण यहां रहन-सहन, खानपान और रीति-रिवाज देश के बाकी राज्यों के मुकाबले काफी अलग हैं. उनके मुताबिक, नाम पर विवाद खड़ा करने की जगह इन स्वास्थ्य केंद्रों में बेहतर सेवाएं मुहैया कराने पर ध्यान दिया जाना चाहिए.
नागालैंड की राजधानी कोहिमा में रहने वाले एक विश्लेषक एल. के. चिशी कहते हैं, "नाम बदलने और खासकर इसमें मंदिर शब्द जोड़ने पर चर्च और ईसाई संगठनों के लोग पहले से ही आपत्ति जताते रहे हैं. इसलिए इस मुद्दे पर बेवजह विवाद बढ़ाने की कोई जरूरत नहीं हैं. इन दोनों राज्यों में पहले से ही कई समस्याएं हैं.केंद्र सरकार को उन पर ध्यान देना चाहिए"
वो कहते हैं कि नागालैंड में उग्रवाद की दशकों पुरानी समस्या हो या फिर मिजोरम में सीमा पार म्यांमार और बांग्लादेश के हजारों शरणार्थियों का मुद्दा, पहले इन ज्वलंत मुद्दों के समाधान की दिशा में ठोस पहल की जानी चाहिए. महज 'मंदिर' शब्द के कारण कोई नई समस्या पैदा करना न तो केंद्र के हित में होगा और न ही राज्य सरकार के. (dw.com/hi)
रजनीश कुमार
बनारस से, 14 जून। बनारस में नरेंद्र मोदी की जीत का अंतर महज़ एक लाख 52 हज़ार पर सिमट जाने की चर्चा थम नहीं रही है.
मोदी की जीत का अंतर इतना कम तब रहा जब दर्जन भर केंद्रीय मंत्रियों ने बनारस में डेरा डाल दिया था.
2019 में मोदी बनारस से लगभग चार लाख 80 हज़ार मतों के अंतर से जीते थे.
कई लोग मानते हैं कि इस बार अगर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी बनारस में और अधिक गंभीरता से चुनाव लड़तीं तो मोदी हार भी सकते थे.
ख़ुद राहुल गांधी ने भी मंगलवार को रायबरेली में कहा कि अगर बनारस में नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ उनकी बहन प्रियंका गांधी होतीं तो वह चुनाव दो से तीन लाख के अंतर से जीत जातीं.
यानी कांग्रेस भी इस बात को मान रही है कि उसने बनारस में मोदी के कद की तुलना में ठीक उम्मीदवार नहीं उतारा था.
बनारस में कांग्रेस ने मोदी के ख़िलाफ़ 2014, 2019 और 2024 में तीनों बार अजय राय को उतारा. ज़ाहिर है तीनों बार हार मिली है.
अजय राय 2019 और 2014 में तो बुरी तरह से हारे थे. इसके अलावा, अजय राय 2009 में भी बनारस से समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े थे और हार मिली थी.
2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में अजय राय पिंडरा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के उम्मीदवार थे और वह तीसरे नंबर पर रहे थे. यानी पिछले कई बार से अजय राय चुनाव हार रहे थे और कांग्रेस ने चौथी बार भी उन्हीं पर दांव लगाया.
अजय राय से पूछा कि राहुल गांधी क्या यह कहना चाह रहे हैं कि कांग्रेस ने बनारस में मोदी के ख़िलाफ़ दमदार उम्मीदवार नहीं उतारा?
राय इस सवाल के जवाब में कहते हैं, ''हमने तो प्रियंका गांधी से अनुरोध किया था कि वह बनारस से चुनाव लड़ें. मैं भी राहुल गांधी से सहमत हूँ कि प्रियंका गांधी बनारस से मोदी को हरा सकती थीं.''
अजय राय की राजनीतिक पृष्ठभूमि बीजेपी वाली भी रही है. समाजवादी पार्टी और कांग्रेस में आने से पहले राय बनारस ज़िले के कोलसला विधानसभा क्षेत्र से 1996, 2002 और 2007 में बीजेपी से विधायक चुने गए थे.
2009 में बनारस लोकसभा क्षेत्र से अजय राय बीजेपी का टिकट चाहते थे लेकिन पार्टी ने मुरली मनोहर जोशी को उतारा था. इसी से नाराज़ होकर वह बीजेपी छोड़ समाजवादी पार्टी में चले गए थे और 2012 में कांग्रेस में शामिल हो गए.
बनारस में मोदी की जीत का अंतर कैसे बिगड़ा?
ढलती दोपहर के साथ निषादराज घाट की सीढ़ियों से चिलचिलाती धूप गंगा नदी की तरफ़ ढल रही है.
बनारस के इस गंगा घाट की सीढ़ियों पर जैसे-जैसे छाया पसर रही है, वैसे-वैसे आसपास के मल्लाह अपने-अपने घरों से निकलकर सीढ़ियों पर बैठ रहे हैं.
इन्हें इंतज़ार है कि लोग आएंगे और नाव से गंगा नदी की सैर कराने के लिए कहेंगे. गौरीशंकर निषाद पिछले दो घंटे से बैठे हैं लेकिन कोई भी नहीं आया.
ढलती शाम के साथ गौरीशंकर निषाद की निराशा और बढ़ने लगती है. सुबह से उनकी कोई कमाई नहीं हुई है. उन्हें चिंता सता रही है कि आज घर का राशन-पानी कहाँ से आएगा.
गौरीशंकर निषाद बताते हैं कि पिछले कुछ सालों में बनारस के मल्लाहों की कमाई पर सुनियोजित तरीक़े से चोट की गई है.
निषाद कहते हैं, ''नरेंद्र मोदी 2014 में गुजरात से बनारस आए तो हमने बहुत उत्साह से उनका साथ दिया था. हमें लगा था कि चीज़ें बेहतर होंगी. लेकिन सच्चाई अब सामने आ रही है कि उनका एजेंडा क्या था. 2019 में भी हमने उम्मीद नहीं छोड़ी और उन्हीं को वोट किया था लेकिन 2024 में कांग्रेस को वोट किया और मोदी से अब कोई उम्मीद नहीं है.''
गौरीशंकर निषाद कहते हैं, ''गंगा नदी में ये क्रूज चलवा रहे हैं. इसकी ऑनलाइन बुकिंग हो रही है. ऑनलाइन बुकिंग से सरकार को टैक्स मिल रहा है. जब से क्रूज आया है, तब से हमारी कमाई न के बराबर रह गई है. भला हम क्रूज से मुक़ाबला कहाँ से कर पाएंगे.''
2018 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बनारस की गंगा नदी में फाइव स्टार लग्ज़री क्रूज़ लॉन्च किया था. इस क्रूज से गंगा की 82 घाटों की सैर होती है और प्रति व्यक्ति 750 रुपए का टिकट लगता है. 30 मीटर लंबे इस डबल डेकर क्रूज़ में एक साथ 110 लोग बैठ सकते हैं.
मल्लाहों की नाराज़गी
गौरी शंकर निषाद कहते हैं, ''बात केवल क्रूज की नहीं है. मणिकर्णिका घाट से इन्होंने बाबा विश्वनाथ मंदिर तक कॉरिडोर बनाया. हमलोग मणिकर्णिका घाट पर अपनी दुकान लगाकर मछली बेचते थे. कॉरिडोर बनने लगा तो इन्होंने कहा कि अपनी दुकानें हटा लो और कॉरोडिर बनने के बाद सबको एक-एक नई दुकान मिलेगी.''
''जब दुकान बन गई तो हमसे कहा कि एक दुकान के लिए 25 लाख रुपए देने होंगे. भला हम ग़रीब 25 लाख रुपए कहाँ से लाते. मणिकर्णिका घाट से ग़रीबों को इस तरह बेदख़ल किया गया. अब आप मणिकर्णिका घाट पर जाइए तो अमूल डेयरी का बूथ है, ब्रैंडेड शोरूम हैं. मोदी जी को बनारस में भी गुजरात का ही भला चाहिए. अमूल गुजरात की डेयरी है. यूपी की पराग डेयरी कहाँ गई? क्रूज भी गुजरात से ही मंगवाए गए हैं.''
बीजेपी के काशी क्षेत्र के अध्यक्ष दिलीप पटेल कहते हैं, ''विकास का काम होगा तो कुछ लोगों को तकलीफ़ हो सकती है लेकिन हम विकास के काम को लंबे समय तक रोक नहीं सकते. जिनकी दुकान वैध थी, उन्हें मुआवजा भी मिला है.''
अमित सहनी भी गंगा नदी में नाव चलाते हैं. गंगा नदी में क्रूज चलाने से वह भी नाराज़ हैं. अमित कहते हैं, ''जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आते हैं तो हमलोग की नाव गंगा नदी में नहीं चलने दी जाती है जबकि क्रूज चलता रहता है. ऐसा इसलिए है कि क्रूज चलवाने वाले गुजराती हैं.''
नरेंद्र मोदी को लेकर निराशा केवल मल्हाओं तक ही सीमित नहीं है. बुनकर भी खुलकर नरेंद्र मोदी की नीतियों की आलोचना करते हैं.
बुनकरों की नाराज़गी
लक्ष्मीशंकर राजभर पहले पावरलूम मशीन से बनारसी साड़ी बनाते थे लेकिन अब वह पिछले पाँच सालों से रिक्शा चला रहे हैं. ग़रीबी और हाड़तोड़ मेहनत के कारण राजभर 55 की उम्र में 85 साल के लगते हैं.
राजभर कहते हैं, ''बनारसी साड़ी अब सूरत में बन रही है और वहीं से बनकर बनारस में आ रही है. यहां के कारीगर बेकार हो गए. हमारा हुनर जंग खा रहा है और बनारसी साड़ी कभी ब्रैंड के रूप में जानी जाती थी, उसे गुजरातियों ने हड़प लिया.''
जलालीपुरा लाल कुआँ बनारस में बुनकरों का इलाक़ा है. इस इलाक़े की गलियों से गुज़रिए तो घरों में पावरलूम मशीन चलने की आवाज़ अब भी सुनाई देती है.
हालांकि यह आवाज़ अब धीमी पड़ गई है. पारवरलूम मशीनें अब धूल खा रही हैं. जिन घरों में पावरलूम मशीनें चलती थीं, वहाँ अब चाय और कॉफी की दुकानें खुल गई हैं. यहाँ के बुनकर कहते हैं कि साड़ी बनाकर हर दिन 200 रुपए कमाना भी मुश्किल है.
लल्लू अंसारी के घर में चार पावरलूम मशीन चलती थी लेकिन अब वहाँ चाय की दुकान खुल गई है. लल्लू कहते हैं, ''मेरे घर के कई मर्द सूरत चले गए और अब वहीं बनारसी साड़ी बना रहे हैं. आमदनी से ज़्यादा जीएसटी लग रही है. जिस घर में पावरलूम मशीन है, उस घर का कॉमर्शियल टैक्स लगता है. आमदनी ही नहीं है तो टैक्स कहाँ से देंगे. बिजली भी आती-जाती रहती है और इस पर सब्सिडी मिलने की कोई गारंटी नहीं है. घाटे के सौदे में फँसने से ज़्यादा अच्छा यही है कि चलकर सूरत में ही कमा लिया जाए.''
नरेंद्र मोदी जब 2014 में बनारस से चुनाव लड़ने आए तो उन्होंने बुनकरों की स्थिति सुधारने का वादा किया था. मोदी ने 27 जून 2014 को पहली बार टेक्स्टाइल सेक्टर पर रिव्यू मीटिंग बुलाई थी.
मोदी ने नौकरशाहों से कहा था कि हैंडलूम को फैशन से जोड़ने का कोई तरीक़ा निकालें. नौकरशाह कोई तरीक़ा आज तक नहीं निकाल पाए. अब हाल यह है कि बुनकर अब अपने इस हुनर से दूर हो रहे हैं और रिक्शा चलाने के लिए मजबूर हैं.
बनारस में नरेंद्र मोदी की जीत का अंतर कम होने का सवाल बनारस के लोगों से पूछिए तो ज़्यादातर लोग कहते हैं कि रोड और कॉरिडोर से पेट नहीं भरेगा.
बढ़ती महंगाई और बेरोज़गारी को लेकर ग़ुस्सा
बीजेपी विरोधी और बीजेपी समर्थक दोनों इस बात को मानते हैं कि बनारस में इन्फ़्रास्ट्रक्चर पर काम हुआ है.
अब शहर से एयरपोर्ट जाने में 40 मिनट का वक़्त लगता है जबकि पहले जाम के कारण 35 किलोमीटर जाने में दो घंटे का समय लग जाता था.
विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर और घाटों की साफ़-सफ़ाई बढ़ गई है. लेकिन इसके साथ ही लोग पूछते हैं, ''रोज़गार कहाँ है? महंगाई आसमान छू रही है. हर महीने पेपर लीक हो रहा है और पुलिस की मनमानी बढ़ गई है.''
बनारस के लोगों का कहना है कि शहर का करोबार और विकास का काम पूरी तरह से गुजरातियों के हाथ में आ गया है. हमने बनारस ज़िला के बीजेपी अध्यक्ष हंसराज विश्वकर्मा से पूछा कि शहर के लोग ऐसा क्यों कह रहे हैं कि कारोबार और कॉन्ट्रैक्ट गुजरातियों के हाथ में आ गया है?
इसके जवाब में विश्वकर्मा कहते हैं, ''गुजरात के कॉन्ट्रैक्टर गौरव सिंह पटेल ने बनारस में केवल टीएफ़सी (ट्रेड फैसिलिटी सेंटर) और बाबतपुर वाली सड़क का निर्माण कराया था. इसके अलावा मुझे किसी और कॉन्ट्रैक्ट के बारे में जानकारी नहीं है, जो गुजरातियों को मिला है. क्रूज के मालिक गुजराती नहीं हैं.''
विश्वकर्मा कहते हैं, ''बनारस के लोगों ने मोदी जी को कम वोट से जिता कर बेवकूफ़ी की है. अगर हरा भी देते तो पीएम वही बनते. लेकिन हमारे लिए यह बहुत शर्मिंदगी भरा रहा. पीएम मोदी को यहाँ से कम से कम पाँच लाख मतों से जीत मिलनी चाहिए थी.''
हंसराज विश्वकर्मा कहते हैं, ''बेवकूफ़ी की हद ये देखिए कि जिस कंचनपुर वॉर्ड में मैं रहता हूँ, वहाँ क़रीब 3500 वोट पड़े और 1100 वोट अजय राय को मिले. यादव, कुशवाहा, पटेल और मुसलमानों ने अजय राय को वोट किया है. जो तोड़फोड़ की शिकायत करते हैं, उन्हें समझना होगा कि विकास के लिए ये सब करना पड़ता है. हम इसका मुआवजा भी तो दे रहे हैं.''
ऐसा नहीं है कि बीजेपी और नरेंद्र मोदी को लेकर निराशा केवल पिछड़े, दलितों और मुसलमानों में ही है.
कॉरिडोर के लिए सैकड़ों घर तोड़ने की तैयारी
जयनाराण मिश्र अस्सी घाट पर रहने वाले उन क़रीब 300 लोगों में शामिल हैं, जिनका घर जगन्नाथ कॉरिडोर में जा सकता है. मिश्र कहते हैं, क़रीब 300 लोगों को ज़िला प्रशासन ने बता दिया है कि उनका घर सरकारी ज़मीन पर है.
जयनारायण मिश्र कहते हैं, ''जिस घर में हम आज़ादी के पहले से रह रहे हैं. जिस घर का हम प्रॉपर्टी टैक्स देते हैं, उसे अब बता दिया कि सरकारी ज़मीन पर है. जगन्नाथ कॉरिडोर बनाने का आइडिया गुजरात के बीजेपी नेता सुनील ओझा का था. जिस जगन्नाथ मंदिर के लिए कॉरिडोर बना रहे हैं, वह कोई प्राचीन मंदिर नहीं है लेकिन जिसको विकास के नाम पर विनाश करना है, उसे कौन रोक सकता है.''
जयनरायण मिश्र कहते हैं, ''मैंने अपने इलाक़े (वाराणसी दक्षिणी) के बीजेपी विधायक सौरभ श्रीवास्तव से कहा कि इस कॉरिडोर को रोकिए और लोगों के घर बचा लीजिए तो उन्होंने कहा कि हमें आपका वोट नहीं चाहिए.''
''उसके बाद मैंने कहा था कि अगर मोदी 2019 की तुलना में एक वोट भी कम पाते हैं तो मेरी जीत होगी. लेकिन महादेव की कृपा से उन्हें इस बार दो लाख 27 हज़ार कम वोट मिले. बीजेपी वालों का घमंड इतना बढ़ गया है कि उसका जवाब देना बहुत ज़रूरी हो गया है. मोदी को बीजेपी वाले ही हराएंगे. जिन 300 घरों को तोड़ा जाएगा, उनमें 99 प्रतिशत घर उनके हैं, जो मोदी-मोदी करते रहते हैं.''
दिलीप पटेल बीजेपी के काशी क्षेत्र के अध्यक्ष हैं. पटेल इस बात को मानते हैं कि शहर में विकास के काम के कारण लोगों में थोड़ा बहुत ग़ुस्सा है लेकिन विकास तो करना होगा. वह कहते हैं, "जिन 300 घरों को तोड़ने की बात है, वे वैध नहीं हैं.''
पटेल बनारस में गुजरातियों के बढ़ते प्रभाव के आरोप पर कहते हैं, ''यह विपक्षियों की चाल है ताकि स्थानीय लोगों को बीजेपी के ख़िलाफ़ भड़काया जा सके.''
दिलीप पटेल कहते हैं कि पेपर लीक के कारण भी बीजेपी को लोगों का ग़ुस्सा झेलना पड़ना है.''
दिलीप पटेल यह बात मानते हैं कि टीएफ़सी और बाबतपुर सड़क का निर्माण गुजरात के कॉन्ट्रैक्टर गौरव सिंह पटेल ने कराया था और विश्वनाथ कॉरिडोर की डिजाइनिंग के लिए भी गुजरात के लोग ही आए थे. पटेल कहते हैं, ''मामला गुजराती और मराठी का नहीं है बल्कि दक्षता का है. जो अच्छा काम करेगा, उसे ज़िम्मेदारी मिलती है.''
बनारस में छोटी जीत के मायने
नरेंद्र मोदी का बनारस से चुनाव लड़ना बीजेपी का एक रणनीतिक फ़ैसला था.
बनारस जहाँ है, वहाँ से मोदी की जीत का असर उत्तर प्रदेश के अलावा बिहार में भी पड़ता है. इन दोनों राज्यों में लोकसभा की कुल 120 सीटें हैं. इन दोनों राज्यों की अधिकतम सीटें जीतने के बाद ही कोई पार्टी केंद्र में सरकार बना पाती है.
इसके साथ ही बनारस की सांस्कृतिक अहमियत भी है. बनारस को भगवान शिव की नगरी के रूप में देखा जाता है. यहाँ ज्ञानवापी मस्जिद का विवाद भी जुड़ा है. अयोध्या और मथुरा की तरह बनारस में भी मंदिर-मस्जिद विवाद है.
ज्ञानवापी का मुद्दा दशकों से ठंडे बस्ते में था लेकिन अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद यह मामला भी अदालत में पहुँच चुका है. लेकिन इस बार बीजेपी को हर तरफ़ से निराशा हाथ लगी.
न तो मोदी की जीत बड़ी रही और पूर्वांचल में भी बीजेपी औंधे मुँह गिरी. पूर्वांचल की 13 में से 10 सीटें बीजेपी हार गई और बनारस के आसपास बिहार में भी बीजेपी को हार मिली.
हालांकि, प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने गढ़ गोरखपुर के आसपास की सीटें बचाने में कामयाब रहे हैं. गोरखपुर, महाराजगंज, देवरिया, कुशीनगर और बाँसगाँव में बीजेपी को जीत मिली है.
क्या नरेंद्र मोदी अपना असर खो रहे हैं?
दिलीप पटेल कहते हैं, ''मैं मानता हूं कि प्रधानमंत्री का डेढ़ लाख वोट से जीतना हमारे लिए शर्मिंदगी की बात है लेकिन ऐसा विपक्ष की उस अफ़वाह के कारण हुआ कि हम सत्ता में आए तो संविधान बदल देंगे. इस अफ़वाह के कारण दलित कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के पाले में चले गए. समाजवादी पार्टी के कारण यादव भी हमारे ख़िलाफ़ गए और मुसलमान तो पहले से ही उनके साथ थे.''
शुरुआती रुझान में तो नरेंद्र मोदी कांग्रेस उम्मीदवार अजय राय से पीछे चल रहे थे. लालचंद्र कुशवाहा बनारस में बीजेपी के पुराने नेता हैं. इस बार नरेंद्र मोदी ने अपने नामांकन में कुशवाहा को प्रस्तावक बनाया था.
जब मोदी मतगणना में चलने लगे पीछे
मोदी के शुरुआती रुझान में पीछे चलने पर लालचंद्र कुशवाहा हँसते हुए कहते हैं, ''मेरी तो तबीयत बिगड़ने लगी थी. फिर मैंने पता किया कि ऐसा क्यों हो रहा है. पार्टी कार्यकर्ताओं ने बताया कि अभी मुस्लिम इलाक़ों की ईवीएम खुली है. तब जाकर राहत की सांस ले पाया. बीजेपी के लोग अतिउत्साह में थे. उन्हें लग रहा था कि मोदी के नाम पर चुनाव जीत जाएंगे. उन्हें इस बात का अंदाज़ा नहीं था कि विपक्ष एकजुट है और वोट भी उसी हिसाब से जाएगा. ये हमारे लिए दुखद है कि मोदी जी की जीत केवल डेढ़ लाख वोट से हुई है.''
यह बात सही है कि पिछले दो चुनावों से बीजेपी विरोधी वोट बँट जाता था. ऐसे में पीएम मोदी की जीत का अंतर बढ़ जाता था. लेकिन इस बार बनारस में मुक़ाबला पूरी तरह से दोतरफ़ा था. इस चुनाव में क़रीब 95 फ़ीसदी वोट नरेंद्र मोदी और अजय राय के बीच बँट गया और बाक़ी पाँच फ़ीसदी में नोटा समेत अन्य पाँच उम्मीदवार थे.
तीसरे नंबर पर रहे बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार अतहर जमाल लारी को केवल 33 हज़ार वोट मिले. यानी मुसलमानों ने भी इन्हें वोट नहीं किया. बनारस में मुसलमानों के क़रीब साढ़े तीन लाख वोट हैं.
2019 में समाजवादी पार्टी की शालिनी यादव को एक लाख 95 हज़ार 159 वोट मिले थे और कांग्रेस के अजय राय को एक लाख 52 हज़ार 548 वोट मिले थे. 2019 में बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी में गठबंधन था. शालिनी यादव का वोट शेयर 18.40 प्रतिशत था और अजय राय का 14.38 प्रतिशत.
बीजेपी के स्टूडेंट विंग अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पतंजलि पांडे कहते हैं कि इस बार मुसलमानों और यादवों ने मोदी जी की जीत का अंतर मिलकर कम किया है. पांडे कहते हैं, ''मोदी जी मुसलमानों को अपना कलेजा भी निकालकर दे दें तब भी वे वोट नहीं करेंगे.''
हाजी वक़ास अंसारी बनारस में जलालीपुरा के काउंसलर हैं. वह पतंजलि पांडे की कलेजे वाली टिप्पणी पर कहते हैं कि मुसलमानों को मोदी जी का कलेजा नहीं बल्कि सम्मान चाहिए. अंसारी कहते हैं, ''मोदी जी मुसलमानों को टिकट देना शुरू कर दें, हमें प्यार भरी नज़रों से देखें और अपनी कैबिनेट में कुछ मुसलमानों को शामिल कर लें. इसके बाद कोई मुसलमान वोट ना करे तब ऐसी शिकायत ज़्यादा ठीक लगेगी.''
क्या कांग्रेस ने ग़लत उम्मीदवार का चयन किया?
सुरेंद्र सिंह पटेल बनारस में समाजवादी पार्टी के पुराने नेता हैं. वह बनारस में सेवापुरी से 2002 से 2017 तक समाजवादी पार्टी के विधायक रहे. मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव सरकार में मंत्री भी रहे.
सुरेंद्र पटेल कहते हैं कि इस बार नरेंद्र मोदी को बनारस से हराने का अच्छा मौक़ा था लेकिन कांग्रेस ने यह मौक़ा गँवा दिया.
पटेल कहते हैं, ''जब राहुल गांधी और अखिलेश यादव बनारस में रैली करने आए थे तब मेरे सामने ही अखिलेश ने राहुल से अजय राय को लेकर कहा था कि आपने ठीक उम्मीदवार नहीं उतारा है. अखिलेश ने कहा कि यहाँ से समाजवादी पार्टी अपना उम्मीदवार उतारती तो नतीजे कुछ और होते. इस पर राहुल गांधी मुस्कुराने लगे थे. अगर कांग्रेस को बनारस से मोदी को हराना था तो अजय राय को उम्मीदवार नहीं बनाती. लेकिन कई स्टार उम्मीदवारों के मामले में आपसी समझ भी होती है. मोदी भी अमेठी और रायबरेली में चुनाव प्रचार करने नहीं गए थे.''
कहा जाता है कि अखिलेश यादव भी अजय राय को पसंद नहीं करते हैं.
पिछले साल मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव और अजय राय के बीच कहासुनी भी हुई थी. अखिलेश यादव मध्य प्रदेश में इंडिया गठबंधन के तहत कुछ विधानसभा सीटों पर लड़ना चाहते थे लेकिन कांग्रेस ने कोई भी सीट देने से इनकार कर दिया था. इसी कहासुनी में अखिलेश के निशाने पर अजय राय भी आ गए थे.
अखिलेश यादव ने अजय राय को चिरकुट कहा था. दरअसल दारा सिंह चौहान के बीजेपी में जाने के बाद पिछले साल यूपी की घोसी विधानसभा सीट पर उपचुनाव था और इसमें समाजवादी पार्टी की जीत हुई थी. इसी पर अजय राय ने कहा था कि अगर घोसी में कांग्रेस उम्मीदवार उतारती तो समाजवादी पार्टी की हार होती.
अखिलेश यादव ने अजय राय की इसी टिप्पणी पर कहा था, ''उनकी कोई हैसियत नहीं है. वह इंडिया गठबंधन की किसी बैठक में शामिल नहीं थे. उन्हें इसके बारे में कुछ भी पता नहीं है. कांग्रेस से मेरा अनुरोध है कि अपने किसी चिरकुट और छोटे नेता को टिप्पणी करने से रोके.''
अखिलेश यादव को अजय राय पसंद नहीं
अखिलेश की इस टिप्पणी के बाद अजय राय ने कहा था कि जो अपने पिता की इज़्ज़त नहीं कर पाया वो मेरे जैसे छोटे कार्यकर्ता की इज़्ज़त क्या करेगा.
उत्तर प्रदेश में जब लोकसभा चुनाव के लिए मतदान हो रहा था तभी अखिलेश से पत्रकारों ने पूछा था कि यूपी में इंडिया गठबंधन कितनी सीटों पर जीत रहा है?
जवाब में अखिलेश यादव ने कहा था- क्योटो छोड़कर यूपी की सभी 79 सीटों पर. अखिलेश यादव तंज़ में बनारस को क्योटो कह रहे थे क्योंकि 2014 में नरेंद्र मोदी ने बनारस को जापान के शहर क्योटो की तरह बनाने का वादा किया था.
यानी अखिलेश यादव भी मानकर चल रहे थे कि बनारस में हारना ही है.
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में लॉ फैकेल्टी के डीन रहे प्रोफ़ेसर महेंद्र प्रताप सिंह पूर्वांचल की राजनीति पर गहरी नज़र रखते हैं.
महेंद्र प्रताप सिंह भी मानते हैं कि अजय राय की उम्मीदवारी को लेकर अखिलेश यादव बहुत ख़ुश नहीं थे.
महेंद्र प्रताप सिंह कहते हैं, ''अगर बनारस से सुरेंद्र सिंह पटेल उम्मीदवार होते तो मोदी हार जाते. यहाँ पटेलों का वोट साढ़े तीन लाख है. इतने ही मुस्लिम वोटर्स हैं. यादव एक लाख के क़रीब हैं और दलित भी डेढ़ लाख हैं. जिस भूमिहार जाति से अजय राय हैं, उनका वोट एक लाख भी नहीं है. ऐसे में दिलीप पटेल मोदी को हराने के लिए सबसे माकूल उम्मीदवार थे.''
नरेंद्र मोदी बनाम अजय राय
बनारस में कुल 19 लाख 97 हज़ार 578 मतदाता हैं. एक जून को हुए मतदान में बनारस में 56.35 फ़ीसदी मतदाताओं ने मतदान किया. यानी कुल 11 लाख 30 हज़ार 143 मतदाताओं ने ही मतदान किया और इनमें से नरेंद्र मोदी को 54.24 प्रतिशत यानी छह लाख 12 हज़ार 970 वोट मिले. दूसरी तरफ़ कांग्रेस के अजय राय को 40.74 फ़ीसदी यानी चार लाख 60 हज़ार 457 वोट मिले. यानी नरेंद्र मोदी की जीत का अंतर महज़ एक लाख 52 हज़ार 513 मतों का रहा.
वहीं 2019 के चुनाव में बनारस में मोदी का वोट शेयर 63.6 फ़ीसदी था और 2014 में 56.4 प्रतिशत था. 2019 में नरेंद्र मोदी को जीत चार लाख 79 हज़ार 505 मतों से मिली थी. मोदी की 2024 की जीत न केवल 2019 से छोटी है बल्कि 2014 से भी छोटी है. 2014 में नरेंद्र मोदी को तीन लाख 71 हज़ार 784 मतों से जीत मिली थी.
बनारस में 2014 की तुलना में नरेंद्र मोदी का वोट शेयर 2019 में 7.25 प्रतिशत बढ़ा था जबकि 2019 की तुलना में पीएम मोदी का वोट शेयर 2024 में 9 प्रतिशत से ज़्यादा कम हो गया है.
2014 से लेकर 2024 तक बनारस में नरेंद्र मोदी का सबसे क़रीबी प्रतिद्वंद्वी हर बार बदलता रहा है.
2014 में बनारस में नरेंद्र मोदी के बाद दूसरे नंबर पर सबसे ज़्यादा वोट हासिल करने वाले आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल थे. 2019 में दूसरे नंबर पर समाजवादी पार्टी की शालिनी यादव थीं और 2024 में कांग्रेस के अजय राय रहे.
2014 में आम आदमी पार्टी अपने दम पर बनारस में चुनावी मैदान में थी. 2019 में समाजवादी पार्टी का बहुजन समाज पार्टी और आरएलडी से गठबंधन था. 2024 में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़े.
आँकड़ों से स्पष्ट है कि 2024 में मोदी के ख़िलाफ़ बनारस में विपक्षी वोट बिल्कुल नहीं बँटा और इसका सीधा असर मोदी की जीत के अंतर पर पड़ा.
2014 में बनारस में मोदी के ख़िलाफ़ नोटा को मिलकार कुल 42 उम्मीदवार थे, 2019 में 26 और इस बार यानी 2024 में महज सात उम्मीदवार थे.
वोट शेयर के हिसाब से देखें तो इस बार दूसरे नंबर पर रहने वाले उम्मीदवार को 2014 और 2019 की तुलना में सबसे ज़्यादा 40.4 प्रतिशत वोट मिला जबकि 2014 में अरविंद केजरीवाल दूसरे नंबर पर थे और उनका वोट शेयर 20.3 फ़ीसदी था. 2019 में शालिनी यादव दूसरे नंबर पर थीं और उनका वोट शेयर 18.4 प्रतिशत था.
बनारस में पाँच विधानसभा क्षेत्र हैं- रोहनिया, वाराणसी उत्तर, वाराणसी दक्षिण, वाराणसी कैंट और सेवापुरी. इन सभी विधानसभा क्षेत्रों में 2019 की तुलना में नरेंद्र मोदी का वोट कम हुआ है और अजय राय का वोट बढ़ा है.
इस बार विपक्षी वोट एकजुट होकर कांग्रेस उम्मीदवार अजय राय के साथ रहा और इसका सीधा असर मोदी की जीत के अंतर पर पड़ा.
कोलकाता, 10 मई । पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में एक स्थानीय भाजपा नेता गंगाधर कयाल ने शुक्रवार को कलकत्ता हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने दावा किया कि उनसे जुड़ा एक फर्जी स्टिंग-ऑपरेशन का वीडियो प्रसारित किया जा रहा है।
गंगाधर कयाल ने कहा, "वीडियो में उन्हें यह दावा करते हुए देखा और सुना गया कि स्थानीय तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेताओं ने कथित यौन उत्पीड़न के खिलाफ महिलाओं द्वारा किया गया विरोध प्रदर्शन भाजपा ने आयोजित किया था।"
न्यायमूर्ति जय सेनगुप्ता की एकल-न्यायाधीश पीठ ने याचिका स्वीकार कर ली है। इस मामले की सुनवाई लोकसभा चुनाव के चौथे चरण के मतदान के अगले दिन 14 मई को होने की संभावना है।
वीडियो 4 मई को सामने आया था। संदेशखाली में भाजपा के मंडल अध्यक्ष कयाल ने सीबीआई से संपर्क किया और दावा किया कि वीडियो में उनकी आवाज का मॉड्यूलेशन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के उपयोग के माध्यम से किया गया था।
पर्यवेक्षकों का मानना है कि अब जब मामला कलकत्ता हाईकोर्ट तक पहुंच गया है, तो वीडियो की प्रामाणिकता पर भ्रम जल्द ही सुलझने की संभावना है।
ज्ञात हो कि कि संदेशखाली में तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के एक वर्ग द्वारा यौन उत्पीड़न, अवैध जमीन पर कब्जा और जबरन वसूली की शिकायतों के मामले की जांच पहले से ही सीबीआई कर रही है।
(आईएएनएस)