सामान्य ज्ञान
सिकाडा एक प्रकार का कीट है। इसे फसलों को फायदा पहुंचाने वाले कीट के रूप में जाना जाता है। अमरीका के उत्तरी हिस्से में सिकाडा कीट भारी संख्या में पाए जाते हैं। ये कीट अपने जीवन का अधिकांश हिस्सा पेड़ों की जड़ों में बिताते हैं जहां वह जाइलम पर निर्भर होते हैं। जब ये बड़े होते हैं तो एक साथ लाखों की संख्या में प्रजनन के लिए बाहर आते हैं। ये कीट हर 13 से 17 वर्ष में ज़मीन के नीचे से बाहर निकलते हैं और प्रजनन करते हैं। चूंकि इन कीटों की संख्या लाखों में होती है इसलिए कई कीट मरते भी हैं।
सिकाडा प्रजनन के दौरान भारी शोर मचाते हैं। इन कीटों के प्रजनन का समय कुछ हफ्तों का ही होता है। इनकी संख्या प्रति वर्ग मीटर में 350 तक हो सकती है। कुछ जानवर इन कीटों को खाते भी हैं। लेकिन अधिकांश कीट मर कर मिट्टी में मिल जाते हैं। इन कीटों के शरीर के सडऩे से मिट्टी में बैक्टीरिया, फफूंद और नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ती है। यही कारण है कि जिन इलाक़ों में ये कीट मरते हैं, वहां के पेड़ ज्यादा तेजी से बढ़ते हैं।
वैज्ञानिकों के शोध में यह बात सामने आयी कि कीटों के मिट्टी में मिलने से मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ती है। नाइट्रोजन की मात्रा बढऩे से पेड़ों को तेजी से बढऩे में मदद मिलती है। उनके मुताबिक ये कीट वास्तव में वही नाइट्रोजन छोड़ते हैं जो ये अपने पूरे जीवन में पेड़ों की जड़ों से एकत्र करते हैं। सिकाडा झींगुरों की तरह काफी शोर करते हैं, लेकिन ये झींगुर से भिन्न हैं। इसी तरह से ये फतिंगा या टिट्डी से भी भिन्न हैं।