सामान्य ज्ञान
27 फरवरी 2002 वह तारीख है जिसने पूरे गुजरात को बदल दिया। गुजरात के गोधरा रेलवे स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के एस-6 डिब्बे से फैले आग के शोलों ने पूरे गुजरात को झुलसा दिया। साबरमती एक्सप्रेस की वारदात के बाद गुजरात में हुए दंगों में अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक समुदाय के करीब एक हजार लोग मारे गए, लेकिन दंगों को लेकर आज भी राजनीति खत्म नहीं हुई है। बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी पर आरोप लगते रहे हैं कि वे गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए दंगों पर काबू नहीं कर पाए या फिर काबू पाने की कोशिश नहीं की। गोधरा कांड के बाद ही पूरे गुजरात में धार्मिक दंगे भडक़ गए थे। अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को मारा गया, महिलाओं के साथ बलात्कार हुए और बहुत से बच्चों के सिर से पिता का साया छिन गया। दंगाइयों ने तीन दिनों तक क्रूरता की सारी हदें पार कर दीं।
दंगों की जांच को लेकर कई जांच आयोग बनाए गए और फिर लंबी चलने वाली अदालती प्रक्रिया शुरू हुई। ऐसे ही एक केस में गुजरात की पूर्व मंत्री माया कोडनानी उम्रकैद की सजा काट रही हैं। वे मोदी की करीबी मानी जाती हैं। हालांकि पिछले साल कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी की पत्नी की याचिका को खारिज करते हुए गुजरात की एक अदालत ने एसआईटी की क्लोजर रिपोर्ट मंजूर कर ली। एसआईटी ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट में मोदी और 63 अन्य लोगों को गुजरात दंगों में भूमिका को लेकर क्लीन चिट दी थी। गोधरा कांड की जांच दो आयोगों ने की और दोनों ने अलग-अलग रिपोर्टें दीं। गोधरा कांड की सुनवाई कर रही एक अदालत ने 2011 में 11 दोषियों को फांसी और 20 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई।