सामान्य ज्ञान
ऑस्ट्रेलिया के खगोल विज्ञानियों ने इस बार ब्रह्मांड का सबसे पुराना तारा ढूंढ निकाला है। उम्मीद की जा रही है कि इस खोज से अरबों साल पहले हुए बिग बैंग से जुड़े अवलोकन और भविष्यवाणियों के बीच के अंतर को समझा जा सकेगा।
करीब 11 साल की खोज के बाद जाकर शोधकर्ता समूह ने इस तारे की खोज की। शोधकर्ता साइडिंग स्प्रिंग वेधशाला में स्काईमैपर नाम की दूरबीन का इस्तेमाल कर रहे थ। यह तारा बिग बैंग के लगभग तुरंत बाद यानि करीब 13.7 अरब साल पहले बना था। बिग बैंग की घटना से ही ब्रह्मांड बना था। केलर कहते हैं कि इसका मतलब यह है कि उससे पहले कुछ भी नहीं था।
यह प्राचीन तारा धरती से करीब 6 हजार प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। खगोल विज्ञान के दायरे में यह दूरी कम ही मानी जाती है। यह बूढ़ा तारा उन 6 करोड़ तारों में से एक है जिसकी तस्वीर स्काईमैपर ने पहले साल में खींची थी। प्रारंभिक तारे हमारे सूरज से करीब 60 गुना भारी होते थे। पहले यह माना जाता था कि शुरुआती तारे अत्यधिक भीषण विस्फोटों में खत्म हो गए थे। इन विस्फोटों से अंतरिक्ष में भारी मात्रा में लोहा फैल गया था, लेकिन इस सबसे पुराने तारे की खोज से पता चलता है कि अंतरिक्ष में फैला हुआ तत्व लोहा नहीं बल्कि कार्बन और मैग्नीशियम जैसा हल्का तत्व था। शोध से पता चलता है कि एक तारे की रचना बिल्कुल किसी प्याज की तरह होती है। उसकी कई परतें होती हैं और लोहे जैसा सबसे भारी पदार्थ इसके केन्द्र में होता है। इसलिए जो चीजें उस सुपरनोवा से टूट कर बाहर निकल सकीं वो कार्बन और मैग्नीशियम थी। इस खोज को नेचर जर्नल में प्रकाशित किया गया है।