सामान्य ज्ञान

आईएनएस-सरयू
23-Jan-2021 12:39 PM
आईएनएस-सरयू

आईएनएस-सरयू एक अपतटीय गश्ती जहाज है।  अंडमान निकोबार द्वीपसमूह के आसपास के विशेष आर्थिक क्षेत्रों का समुद्री निरीक्षण करने के लिए इसे तैनात किया गया  है।  इस जहाज का प्राथमिक उद्देश्य भारतीय नौसेना की निगरानी जरूरतों को पूरा करना और सामुद्रिक सम्प्रभुता का उल्लंघन रोकना है।
आईएनएस-सरयू की लंबाई 105 मीटर और चौड़ाई 12.90 मीटर है.। यह 2215 टन वजन ले जाने में सक्षम है। इसकी अधिकतम गति 25 समुद्री मील प्रतिघंटा है।  आईएनएस-सरयू का जलावतरण गोवा के वास्को में 21 जनवरी 2013 को किया गया।  आईएनएस-सरयू का निर्माण गोआ शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा किया गया।  यह जहाज भारतीय नौसेना का सबसे बड़ा और अपने वर्ग का पहला अपतटीय निरीक्षण जहाज है। यह समुद्र तटीय निरीक्षण जहाजों के नए वर्ग के चार जहाजों में से एक है। 
इसी वर्ग का दूसरा जहाज मई 2013 तक और इसके बाद अन्य दो जहाज एक-दूसरे से छह माह के अंतराल पर तैनात करने की योजना है।  अन्य तीन जहाजों को भारतीय नौसेना में वर्ष 2014 तक  में तैनात करने की योजना है। 

नील विद्रोह कहां हुआ था?
आजादी से पहले नील विद्रोह ,बंगाल में हुआ था। बंगाल में नील उगाने वालों ने 1860 मेंं अंग्रेज भूमिपतियों के विरुद्ध यह विद्रोह किया था।  कंपनी के रिटायर्ड अधिकारी बंगाल और बिहार के जमींदारों से भूमि प्राप्त करके कृषकों से अपनी शर्तों पर नील की खेती करवाते थे और उन पर अत्याचार करते थे।  
1860 में बरसात उपविभाग और पाबना तथा नादिया जिलों के सभी किसानों ने भारतीय इतिहास की पहली कृषक हड़ताल की। अंग्रेज सरकार ने विवश होकर 1860 में एक नील आयोग की नियुक्ति की, ताकि नील उगाने वाले किसानों की मांगों का समाधान किया जा सके। 
 

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