सामान्य ज्ञान
नामधारी, जिन्हें कूका भी जाता जाता है। भारत के सिख धर्म में एक अति संयमी संप्रदाय है। नामधारी आंदोलन की स्थापना बालक सिंह(1797-1862) ने की थी जो भगवान के नाम के जाप के अलावा किसी धार्मिक अनुष्ठान में विश्वास नहीं करते थे(इसी कारण इस संप्रदाय के सदस्य नामधारी कहे जाते हैं)। उनके उत्तराधिकारी राम सिंह(1816-85) ने संप्रदाय की पगड़ी बांधने की विशेष शैली , केवल हाथ से बुने सफेद कपड़े के वस्त्र पहनने तथा भजनों के उन्मत उच्चारण की शुरुआत की।
राम सिंह के नेतृत्व में नामधारियों ने पंजाब में सिख राज्य की पुनस्र्थापना का प्रयास किया। जनवरी 1872 में पुलिस के साथ एक मुठभेड़ के बाद उनमें से 66 पकड़े गए तथा उन्हें तोप के मुंह से बांधकर उड़ा दिया गया। राम सिंह को रंगून(यांगून), बर्मा(म्यांमार) निर्वासित कर दिया गया, जहां उनकी मृत्यु हुई। नामधारियों के अपने गुरुद्वारे (पूजाघर) होते हैं और वे अपने संप्रदाय से बाहर विवाह नहीं करते।