विचार / लेख
ट्रंप के समर्थकों द्वारा कैपिटल बिल्डिंग पर हमला किए जाने के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को व्हाइट हाउस में अपने ही समर्थकों की बेरुख़ी का सामना करना पड़ रहा है.
अमेरिका : कई रिपब्लिकन सीनेटर अब उनके समर्थन में खड़े होने को तैयार नहीं हैं और ट्रंप द्वारा नियुक्त किए गए कुछ लोगों ने उस घटना के बाद इस्तीफ़ा दे दिया है.
तय कार्यक्रम के अनुसार, अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को 20 जनवरी के दिन व्हाइट हाउस छोड़ना है और उसी दिन अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन कार्यभार लेंगे.
लेकिन कैपिटल बिल्डिंग में हुई हिंसा के बाद डेमोक्रेट नेता इंतज़ार के लिए तैयार नहीं हैं. वो चाहते हैं कि राष्ट्रपति ट्रंप जल्द से जल्द ऑफ़िस खाली करें. साथ ही उन पर दोबारा राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने से रोक लगाई जाए.
अमेरिकी कांग्रेस की स्पीकर नैंसी पेलोसी ने शुक्रवार को कहा कि वो ट्रंप के ख़िलाफ़ महाभियोग की कार्यवाही शुरू करेंगी, अगर उन्होंने जल्द से जल्द व्हाइट हाउस छोड़ने की घोषणा नहीं की.
पेलोसी का कहना है कि ट्रंप की बयानबाज़ी के कारण ही हिंसा भड़की जिसमें एक पुलिस अफ़सर समेत पाँच लोगों की मौत हुई.
ट्रंप के ख़िलाफ़ इससे पहले हुई महाभियोग की कार्यवाही के समय जो रिपब्लिकन सीनेटर उनके साथ खड़े थे, उनमें से कई अब उनके साथ नहीं हैं.
हालांकि, वो उनके ख़िलाफ़ जाने को भी तैयार नहीं दिखाई देते - यानी डोनाल्ड ट्रंप अपने लाखों समर्थकों की सहानुभूति खो चुके हैं, भले ही वो अब भी उनके वफ़ादार हों.
वहीं ट्रंप ने यह कसम ली है कि वो उन सभी रिपब्लिकन सीनेटरों के समानांतर नए उम्मीदवार उतारेंगे जिन्होंने संसद में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों को चुनौती नहीं दी और बाइडन की जीत को नहीं रोका.
इस्तीफ़े और आशंकाएं
अमेरिकी कैपिटल में ट्रंप समर्थकों द्वारा की गई हिंसा की चौतरफ़ा आलोचना हुई है. कई वफ़ादार रिपब्लिकन नेताओं ने भी इस घटना की खुलकर निंदा की है. आलोचना करने वालों में ट्रंप प्रशासन के कई पूर्व मंत्री और वरिष्ठ अमेरिकी राजनयिक भी शामिल हैं.
कैपिटल हिंसा के बाद, संसद की कार्यवाही में दोनों पार्टियों के नेताओं ने राष्ट्रपति की हरकतों की निंदा की.
डेमोक्रेट नेताओं ने कहा कि ट्रंप को तुरंत दफ़्तर छोड़ देना चाहिए. डेमोक्रेट नेताओं का मानना है कि 'ट्रंप देश के लिए ख़तरा हैं. उनके रुख़ का अंदाज़ा लगाना मुश्किल है, इसलिए व्हाइट हाउस में उन्हें 11 दिन और देने का कोई मतलब नहीं.'
अगर ट्रंप को वक्त से पहले उनके पद से हटाया गया, तो वे अगला चुनाव नहीं लड़ सकेंगे.
इसके लिए अमेरिका के उप-राष्ट्रपति और राष्ट्रपति चुनाव में उनके पार्टनर रहे माइक पेंस और मंत्रियों को राष्ट्रपति ट्रंप को रिटायर करने की कार्यवाही शुरू करनी होगी.
अमेरिकी संविधान के 25वें संशोधन के तहत ऐसा किया जा सकता है और संसद की स्पीकर नैंसी पेलोसी और सीनेट में डेमोक्रेटिक नेता चक शूमर पहले ही माइक पेंस को यह क़दम उठाने के लिए कह चुके हैं.
लेकिन पेंस ने अब तक उनकी अपील पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
कुछ लोगों का मानना है कि वे इस योजना का समर्थन भी कर सकते हैं, क्योंकि ट्रंप प्रशासन के कई वरिष्ठ अधिकारी सांकेतिक रूप से इसका विरोध कर चुके हैं - जैसे कई अधिकारियों ने पिछले दिनों में इस्तीफ़ा दे दिया है.
इससे पहले जब डेमोक्रेटिक पार्टी ने ट्रंप के ख़िलाफ़ महाभियोग की कार्यवाही करनी चाही थी, तो ट्रंप कैबिनेट का समर्थन ना मिलने की वजह से वह सफल नहीं हो पायी थी.
लेकिन इस बार स्पीकर नैंसी पेलोसी उनके सहयोगियों से भी बात कर रही हैं. वे उन्हें समझाने की कोशिश कर रही हैं कि ट्रंप के 'एक्शन' ख़तरनाक हैं. उनका कहना है कि ट्रंप एक बड़ा ख़तरा साबित हो सकते हैं.
परमाणु हमले का डर
पेलोसी ने अपने एक पत्र में लिखा है कि उन्होंने अमेरिकी जनरल ऑफ़ स्टाफ़ जनरल मार्क मिली से बात की है कि अगर अस्थिर राष्ट्रपति ट्रंप किसी युद्ध का आदेश देते हैं या परमाणु हमले का आदेश देते हैं तो क्या होगा?
इस पर जनरल ने क्या जवाब दिया, सार्वजनिक रूप से इसकी कोई जानकारी नहीं है.
नेन्सी पेलोसी की चेतावनी के अनुसार, अगर ट्रंप इस सप्ताह में व्हाइट हाउस नहीं छोड़ते हैं, तो अगले कुछ दिनों में ट्रंप के ख़िलाफ़ महाभियोग की कार्यवाही शुरू हो सकती है.
संसद के निचले सदन में डेमोक्रेटिक पार्टी का बहुमत है जो ट्रंप के ख़िलाफ़ इस कार्यवाही को शुरू कर सकता है, और अगर ऐसा हुआ, तो ट्रंप अकेले अमेरिकी राष्ट्रपति होंगे जिनके ख़िलाफ़ दो बार महाभियोग की कार्यवाही होगी.
लेकिन सीनेट में अब भी डेमोक्रेटिक पार्टी के पास इतने वोट नहीं हैं कि बिना रिपब्लिकन नेताओं के समर्थन के उनके ख़िलाफ़ यह कार्यवाही पूरी की जा सके.
सीनेट में जो नेता ट्रंप के रवैये से नाखुश भी हैं, उन्हें भी ट्रंप के ख़िलाफ़ महाभियोग की कार्यवाही शुरू करने की कोई जल्दी नहीं है.
साल 2019 में जब डेमोक्रेटिक पार्टी द्वारा इसी तरह की कार्यवाही की कोशिश की गई थी, तो रिपब्लिकन सीनेटरों ने इसका खंडन किया था. अब उनमें से अधिकांश सीनेटर शांत हैं और कुछ खुलेतौर पर कह रहे हैं कि कैपिटल बिल्डिंग वाली घटना में ट्रंप की कोई ग़लती नहीं थी.
'ट्रंप को हटाकर फ़ायदा कम, नुक़सान ज़्यादा'
साउथ कैरोलाइन से रिपब्लिकन सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने कहा है कि "कार्यकाल के अंतिम दिनों में अगर ट्रंप के ख़िलाफ़ कार्यवाही की गई, तो उससे फ़ायदा की जगह नुकसान ही होगा. मुझे उम्मीद है कि जो बाइडन इसका आकलन करेंगे कि इससे कितना नुकसान हो सकता है."
कुछ अन्य रिपब्लिकन नेताओं ने भी यही तर्क दिया है.
रिपब्लिकन नेताओं का कहना है कि अंतिम दिनों में ट्रंप के ख़िलाफ़ कार्यवाही शुरू करने से देश और विभाजित होगा.
राष्ट्रपति ट्रंप ख़ुद को राष्ट्रपति चुनाव का विजेता बताते आये हैं और वे बार-बार यह दावा करते हैं कि चुनावों में धांधली हुई. हालांकि, अब तक उनके द्वारा कोई पुख़्ता सबूत पेश नहीं किया गया है.
उनके समर्थक भी उनकी बात पर विश्वास कर रहे हैं. उनके समर्थकों ने लोकतंत्र बचाओ के नारे के साथ अमेरिका के कई राज्यों में प्रदर्शन किये हैं और उनका कहना है कि 'चुनाव में चोरी से उनके नेता को हराया गया.'
अमेरिकी संसद ने नव-निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन को राष्ट्रपति चुनाव में उनकी जीत का सर्टिफ़िकेट तो दे दिया है, लेकिन अगले कुछ दिन यह तय करेंगे कि राष्ट्रपति ट्रंप की विदाई व्हाइट हाउस से कैसे होने वाली है.(bbc.com/hindi)