सामान्य ज्ञान
हिन्दू धर्म में सृष्टि के पालनहार माने जाने वाले भगवान विष्णु का वाहन था गरुड़। यह एक विशाल गिद्ध था, जिसकी उस युग में पूरी प्रजाति पाई जाती थी। कहते हैं प्राचीन काल में गरुड़ प्रजाति सबसे बुद्धिमान प्रजाति मानी जाती थी।
इनकी उत्पत्ति कैसे हुई इसके पीछे में एक पौराणिक कहानी है। कहते हैं प्रजापति कश्यप की पत्नी विनता के दो पुत्र हुए - गरूड़ और अरुण। गरूडज़ी विष्णु की शरण में चले गए और अरुणजी सूर्य के सारथी हुए। भगवान गरूड़ के नाम पर एक पुराण भी है जिसे ‘गरूड़ पुराण’ कहते हैं, हिन्दू धार्मिक ग्रंथों में अन्य सभी ग्रंथों की तरह ही गरुड़ पुराण की भी महत्ता है। इस पुराण में ऐसी कई बातें मिलती हैं जो एक सफ्रल जीवन जीने में सहायक सिद्ध होती हैं। हिन्दू मंदिरों में आज भी गरुण को स्थान दिया जाता है और उनकी पूजा की जाती है।
सूर्य भगवान की शरण में चले गए अरुण के के पुत्र थे सम्पाती और जटायु। पुराणों के अनुसार सम्पाती बड़ा था और जटायु छोटा। ये दोनों विंध्याचल पर्वत की तलहटी में रहने वाले निशाकर ऋषि की सेवा करते थे। सम्पाती और जटायु ये दोनों भी दंडकारण्य क्षेत्र में रहते थे, खासकर मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ में इनकी जाति के पक्षियों की संख्या अधिक थी। छत्तीसगढ़ के दंडकारण्य में गिद्धराज जटायु का मंदिर है।