सामान्य ज्ञान

कागज तराश
18-Nov-2020 9:41 PM
कागज तराश

कागज तराश, चीन की एक पारंपरिक कला है। कागज़ कटिंग का दूसरा नाम है ख जी( कागज तराश), जो चीन की हान जाति की सब से पुरानी लोक कलाओं में से एक है। लाल कागज़ व दूसरे रंग के कागज़ को कैंची व चाकू से भांति भांति के बेलबूटे और तस्वीरें काटी जाती हैं। चीन में इस कला का इतिहास कोई दो हज़ार से अधिक वर्ष पुराना है और चीनी लोक कलाओं में व्यापक लोकप्रिय कला कृति है। कागज कटिंग एक जालीदार कलाकृति है, जो दृष्टि में लोगों को परिप्रेक्ष्य का अनुभव और कलात्मक उपभोग दे सकती है। लोग कागज, सोने व चांदी की पन्नी, पत्ते छिलका, कपड़ा, चमड़ा व मानव निर्मित चमड़ा आदि सपाट सामग्रियों पर कागज कटिंग करते हैं।

कागज़ कटिंग चीन में व्यापक प्रचलित परम्परागत सजावट की लोक कलाओं में से एक है। सुलभ सामग्री, कम खर्च, फौरी प्रभाव और व्यापक इस्तेमाल से इस कला का व्यापक स्वागत किया जाता है। कागज कटिंग की कृति आम तौर पर ग्रामीण महिलाएं फ़ुरसत के समय बनाती हैं, जो व्यवहारिक उपयोग की चीज़ के रूप में इस्तेमाल की जा सकती है और साथ ही जीवन को अलंकृत भी किया जा सकती है। देश के विभिन्न स्थलों में कागज कटिंग देखने को मिलती है, विभिन्न स्थलों की भिन्न भिन्न स्टाइल पर भिन्न भिन्न शाखाएं भी पैदा हुई हैं। कागज कटिंग में सौंदर्य बोध के बारे में लोगों की रुचि-पसंद और राष्ट्र का सामाजिक मनोभाव प्रतिबिंबित होता है। वह सब से स्पष्ट राष्ट्रीय विशेषता रखने वाली कलाओं में से एक है। क्योंकि वह न केवल खूबसूरत और उत्कृष्ट है, साथ ही पूर्व की विशेष मोहन शक्ति भी संजोए रखती है, जिससे लोगों को जीवन में खुशहाली और प्रसन्नता और उल्लास का माहौल भी महसूस होता है। 

शांतिरक्षक
भारतीय सेना वर्ष 1950 से, संयुक्त राष्ट्र के तहत भारतीय सैनिकों की टुकड़ी भेजकर योगदान करती रही है और इसने अब तक 46 मिशनों में भाग लिया है और एक लाख 65 हजार सैनिकों की टुकड़ी भेजी है। इस टुकड़ी को ही शांतिरक्षक कहा जाता है।
 
भारतीय सेना की उत्कृष्ट परम्परा के अनुसार 139 शांति रक्षकों ने अब तक विभिन्न मिशनों में भाग लेते हुए संयुक्त राष्ट्र के झंडे तले सेवा करते हुए अपने जीवन को न्यौछावर किया है। वर्तमान में भारतीय सेना अफ्रीका, मध्यपूर्व तथा पूर्वी तिमोर, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कोंगों में सात शांतिरक्षक मिशनों के तहत 7100 सैनिकों की टुकडिय़ां भेजकर इनमें अपना योगदान दे रहा है।

25 मई 2014 को   संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों में ड्यूटी के दौरान अपनी जान गंवाने वाले 8 भारतीय सैनिकों समेत कुल 106 सैन्य, पुलिस और असैन्य कर्मियों को  संयुक्त राष्र्ट के मेडल से मरणोपरांत सम्मानित किया गया है। 

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