सामान्य ज्ञान
नॉर्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पॉवर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (नीपको) की स्थापना 2 अप्रैल, 1976 को भारत सरकार के पूर्णत: स्वामित्व में विद्युत मंत्रालय के अंतर्गत की गई थी। इसकी स्थापना देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र में विद्युत उत्पादन की सम्भावनाओं के विकास के लिए योजना, प्रोत्साहन, अन्वेषण, सर्वेक्षण, अभिकल्प, निर्माण, उत्पादन, प्रचालन एवं विद्युत केद्रों के रखरखाव के उद्देश्य से की गई थी। नीपको की प्राधिकृत शेयर पूंजी 5 हजार करोड़ है। पूर्वोत्तर क्षेत्र में विद्युत उत्पादन में इस कॉर्पोरेशन का योगदान 56 प्रतिशत है।
नीपको भारत सरकार का शेड्यूल ए, मिनी रत्न श्रेणी-1 उद्यम है। वर्तमान में यह भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में पांच जलविद्युत और दो तापविद्युत बिजली घरों का संचालन करता है। इनकी अधिष्ठापित क्षमता 1130 मेगावॉट है, जिसमें पनबिजली क्षेत्र में 755 मेगावॉट और तापविद्युत (गैस आधारित) में 375 मेगावॉट बिजली का उत्पादन होता है। इसके अलावा नीपको 12वीं येाजना में 922 मेगावाट की अतिरिक्त अधिष्ठापित क्षमता जुटाने की प्रक्रिया में हैं। इस प्रकार इसकी कुल अधिष्ठापित क्षमता बढक़र 2052 मेगावाट हो जाएगी। नीपको ने आने वाले वर्षों में कई जल विद्युत परियोजनाओं को जोडऩे की योजना बनाई है जिनमें अरुणाचल प्रदेश में महत्वाकांक्षी 3750 मेगावाट क्षमता वाली सियांग अपर स्टेज -2 एचईपी शामिल है। दो अन्य परियोजनाएं यथा सियांग अपर स्टेज -1 (6 हजार मेगावाट) और कुरूंग एईपी (330 मेगावाट) की योजना है। इसके अलावा 7 बिजलीघरों (1130 मेगावाट) का संचालन किया जा रहा है। नीपको इस समय पांच परियेाजनाओं (922 मेगावाट) का निर्माण कर रहा है। 10 अतिरिक्त परियोजनाएं (6110 मेगावाट) निर्माण पूर्व की स्थिति में हैं।
नीपको वर्तमान में अपनी जल विद्युत परियोजनाओं से करीब 755 मेगावाट बिजली का उत्पादन कर रहा है इनमें असम की कोपिली जल विद्युत परियोजना (150 मेगावाट), असम में कोपिली बिजलीघर, स्टेज 1 विस्तार (100 मेगावाट), असम में कोपिली बिजलीघर, स्टेज 2 विस्?तार (25 मेगावाट), नागालैंड में दोयांड जल विद्युत संयंत्र (75 मेगावाट) और अरूणाचल प्रदेश में रंगानदी जल विद्युत संयंत्र (405 मेगावाट) शामिल हैं।