सामान्य ज्ञान
गुग्गुल या गुग्गल एक वृक्ष है। इससे प्राप्त राल जैसे पदार्थ को भी गुग्गल कहा जाता है। भारत में इस जाति के दो प्रकार के वृक्ष पाए जाते हैं। एक को कॉमिफ़ोरा मुकुल तथा दूसरे को कॉ. रॉक्सबर्घाई कहते हैं। अफ्रीका में पाई जानेवाली प्रजाति कॉमिफ़ोरा अफ्रिकाना कहलाती है।
कुछ स्थानों से प्राप्त गुग्गुल का रंग पीलापन लिए श्वेत तथा अन्य का गहरा लाल होता है। इसमें मीठी महक रहती है। इसको अग्नि में डालने पर स्थान सुंगध से भर जाता है। इसलिए इसका धूप के सदृश व्यवहार किया जाता है। आयुर्वेद के मतानुसार यह कटु तिक्त तथा उष्ण है और कफ, बात, कास, कृमि, क्लेद, शोथ और अर्श नाशक है।
गुग्गल एक छोटा पेड़ है जिसके पत्ते छोटे और एकान्तर सरल होते हैं। यह सिर्फ वर्षा ऋतु में ही वृद्धि करता है तथा इसी समय इस पर पत्ते दिखाई देते हैं। शेष समय यानि सर्दी तथा गर्मी के मौसम में इसकी वृद्धि अवरूद्ध हो जाती है तथा पर्णहीन हो जाता है। सामान्यत: गुग्गल का पेड़ 3-4 मीटर ऊंचा होता है। इसके तने से सफेद रंग का दूध निकलता है जो इसका का उपयोगी भाग है। प्राकृतिक रूप से गुग्गल भारत के कर्नाटक, राजस्थान, गुजरात तथा मध्य प्रदेश राज्यों में उगता है। भारत में गुग्गल विलुप्तावस्था के कगार पर आ गया है, इसलिए बड़े क्षेत्रों में इसकी खेती करने की जरूरत है। भारत में गुग्गल की मांग अधिक तथा उत्पादन कम होने के कारण अफगानिस्तान व पाकिस्तान से इसका आयात किया जाता है।