साहित्य/मीडिया
-विष्णु नागर
मुल्ला नसरुद्दीन को पता था कि मोदीजी को दिन में छह ड्रेस बदलने में जो ‘सुख’ मिलता है,वही ‘सुख’ ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ करने में भी मिलता है। वह देश के बाहर तो बाहर बल्कि भीतर भी ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ जब -तब करते-करवाते रहते हैं। बहुमत किसी और का हो,सरकार वह बना लेते हैं। एमएलए तो एमएलए, वह पार्टी तक पर ऐसी ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ कर देते हैं कि पार्टी तो पार्टी खुद मोदी जी भी चित और चकित हो जाते हैं कि अच्छा परिणाम इतने ज्यादा अच्छे निकले! कमाल है! वैसे उनके लिए एक कव्वे को मारना भी ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ है, हालांकि कहते हैं वह विशुद्ध शाकाहारी हैं बल्कि अधिक न्यायसंगत होगा यह कहना कि वह अशुद्ध-विशुद्ध खिचड़ीहारी हैं।
यह खिचड़ीहारी ‘फर्जीकल’ को ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ बनाने की कला में इतना माहिर है कि इतना तो यह देश भी अपने को ‘विश्वगुरु’ बताने की कला में माहिर नहीं है। इस तरह उनकी प्रसिद्धि प्रधानमंत्री से अधिक ‘सर्जिकल स्ट्राइकर’ के रूप में अधिक है।
उधर मुल्ला नसरुद्दीन अपने शब्दबाणों से ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ करनेवालों की ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ करना जानते हैं,हालांकि ‘फर्जीकल स्ट्राइक’ की कला में उनका हाथ बहुत तंग है। सच कहें तो उन्हें संस्कार ही ऐसे ‘खराब’ मिले हैं कि यह कला उन्हें आती ही नहीं मगर लोग उनकी इस कमजोरी को नजरअंदाज कर दिया करते हैं।
उनके मजेदार किस्से सुन- सुनकर एक बार उनसे किसी ने डिमांड कर दी कि मुल्ला नसरुद्दीन आप ‘फर्जिकल स्ट्राइक’ को लेकर इतने मजेदार किस्से सुनाते हो, ‘सर्जिकल’ और ‘फर्जीकल’ के बारीक अंतर को इतना अधिक जानते हो, तो खुद क्यों नहीं प्रधानमंत्री पद के दावेदार बन जाते, चुनाव क्यों नहीं लड़ जाते?अभी तो कथित ही सही, लोकतंत्र है।
मुल्ला नसरुद्दीन यह सुनकर बिगड़ गए। उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि उन जैसे किस्सागो के सामने उनके प्रशंसक इतना बेहूदा प्रस्ताव कर सकते हैं, उन्हें मोदी जी समझने की गलती कर सकते हैं। उन्होंने कडक़ आवाज में जवाब दिया तो फिर तुम्हें किस्से कौन सुनाने आएगा, तुम्हारा बाप?
लोगों को उम्मीद नहीं थी कि मुल्ला नसरुद्दीन इतना बिगड़ जाएँगे और ऐसी जुबान इस्तेमाल करेंगे। उनका यह रूप लोगों ने पहली बार देखा था। उधर मुल्ला नसरुद्दीन को भी लगा कि उन्हें इतना नाराज नहीं होना चाहिए था। लोगों ने प्रेमवश या उनसे मजाक उड़ाने के लिए यह बात कही है। उन्होंने ठंडे दिमाग से कहा कि देखो यह मुल्क अब भारत के लोगों का नहीं, मोदी जी का हो चुका है। फिर भी मान लो-हालांकि मानना मूर्खता है-मैं प्रधानमंत्री बन गया तो मोदी जी ने जो ट्रेंड चला दिया है, उसके कारण मुझे भी ‘फर्जीकल स्ट्राइकें’ करते रहना पड़ेगा, तब मेरा मजाक कौन बनाएगा? तुम सोचते हो कि मैं प्रधानमंत्री होते हुए ऐसा कर सकूँगा, बिल्कुल नहीं। तुम सोचते हो, मैं खुद कहूँगा कि मैं राजा हूँ मगर देख लो, समझ लो कि मैं बिल्कुल ही नंगा हूं? सोचो मैंने ऐसा कह दिया तो मेरे दरबारी और भक्त मुझे बख्श देंगे?कभी नहीं।मार -मारकर मेरा भुर्ता बना देंगे। इसलिए कभी किसी मुल्ला नसरुद्दीन से मत कहना कि वह प्रधानमंत्री बन जाए।
इतना कहकर वह मुस्कुरा दिए तो लोगों की जान में जान आई।