सामान्य ज्ञान
भारत में हर घर की रसोई में यूज की जाने वाली मीठी नीम या करी पत्ता खाने को और जायकेदार बना देती है। साथ ही यह हमारी सेहत को भी दुरुस्त रखने में मददगार है। इसके पत्तों में कई सारे औषधीय गुण भी पाए जाते हैं। पेट, त्वचा से लेकर करी पत्ते बालों के लिए भी काफी फायदेमंद हैं। करी पत्ता में विटमिन बी1, बी3, बी9, और सी होता है। इसके अलावा इसमें आयरन, कैल्शियम और फॉस्फोरस पाया जाता है।
लंदन के किंग्स कॉलेज के शोधकर्ताओं ने भारत, थाइलैंड, घाना और चीन में पारंपरिक तौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले पौधों पर शोध किया है।भारत में पाया जाने वाला करी पत्ता मधुमेह से ग्रस्त रोगियों के इलाज में मदद कर सकता है। करी पत्ता सीने से कफ को बाहर निकालता है। पेट संबंधी रोगों में करी पत्तों का इस्तेमाल फायदेमंद होता है भोजन में करी पत्ते के प्रयोग से पाचन क्रिया भी दुरूस्त रहती है। करी पत्ता मोटापे की समस्या को भी दूर करता है।
यह उष्णकटिबंधीय तथा उप-उष्णकटिबंधीय प्रदेशों में पाया जाने वाला रुतासी परिवार का एक पेड़ है, जो मूलत: भारत का देशज है। अकसर रसेदार व्यंजनों में इस्तेमाल होने वाले इसके पत्तों को कढ़ी पत्ता कहते हैं। कुछ लोग इसे मीठी नीम की पत्तियां भी कहते हैं। इसके तमिल नाम का अर्थ है, वो पत्तियां जिनका इस्तेमाल रसेदार व्यंजनों में होता है । कन्नड़ भाषा में इसका शब्दार्थ निकलता है - काला नीम , क्योंकि इसकी पत्तियां देखने में कड़वे नीम की पत्तियों से मिलती-जुलती हैं। लेकिन इस कढ़ी पत्ते के पेड़ का नीम के पेड़ से कोई संबंध नहीं है। असल में कढ़ी पत्ता, तेज पत्ता या तुलसी के पत्तों, जो भूमध्यसागर में मिलने वाली ख़ुशबूदार पत्तियां हैं, से बहुत अलग है।
क्या है अरविंद सुब्रमण्यन समिति
दलहन संकट का दीर्घकालिक समाधान करने के लिए केंद्र सरकार ने 12 जुलाई 2016 को मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन की निगरानी के तहत एक उच्च स्तरीय पैनल का गठन किया है ताकि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और बोनस प्रणाली पर पुनर्विचार किया जा सके। इसके अलावा इस साल अच्छी फसल की उम्मीद में बफर स्टॉक की सीमा बढ़ाकर 20 लाख टन करने का फैसला किया गया है। समिति की रिपोर्ट के आधार पर भारत में दलहन की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए उपयुक्त नीति तैयार किया जाएगा।
केंद्र ने पहले 1 लाख टन का बफर स्टॉक बनाने की योजना बनाई थी जिसे बाद में बढ़ाकर 8 लाख टन कर दिया गया था। वर्ष 2016-17 के फसल में दाल का उत्पादन 18 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 2 करोड़ टन रह सकता है। ऐसे में बफर स्टॉक की सीमा में भी बढ़ोतरी की जा रही है।