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रूस की ओल्गा और यूक्रेन के साशा की अनोखी प्रेम कहानी जो भारत में चढ़ी परवान
14-Feb-2025 2:25 PM
रूस की ओल्गा और यूक्रेन के साशा की अनोखी प्रेम कहानी जो भारत में चढ़ी परवान

साशा ओस्त्रोविक (बाएं) और ओल्गा उसोवा भारतीय संस्कृति से अभिभूत हैं.-

-इमरान कुरैशी

यूक्रेन के साशा और रूस की ओल्गा, दोनों देशों के बीच जंग के बावजूद भारत में अपनी प्रेम कहानी में नई इबारत लिख रहे हैं।

एक दूसरे के प्रति इनका प्यार इस कदर आध्यात्म में डूबा हुआ है कि जब ये बोलते हैं तो ऐसा लगता है कि ये सिर्फ दो लोगों के बीच का संबंध नहीं बल्कि इससे कहीं ज्यादा है।

अध्यात्म किसी तीसरे साथी की तरह उन्हें अपने अंदर समेटे हुए है।

यूक्रेन के रहने वाले 35 साल के साशा ओस्त्रोविक और रूस की रहने वाली 37 साल की ओल्गा उसोवा इस बात से दुखी हैं कि रूस-यूक्रेन युद्ध में दोनों ओर के इतने अधिक लोग मारे जा रहे हैं।

साशा ने ओल्गा के साथ अपनी बातचीत के बारे में बीबीसी हिंदी को बताया, ‘हमने अपनी बातचीत में युद्ध की चर्चा छेड़ी थी। लेकिन ज्यादा बात इसके कारुणिक पक्ष को लेकर थी। हमने ज्यादातर चर्चा इस बात पर की कि कैसे इस युद्ध ने लोगों का दुख- दर्द बढ़ाया है।’

इस युद्ध की वजह से दोनों अपने-अपने देशों में फंस गए थे। इस दौरान आपस में बात न करने की उनकी लाचारी ने इस जोड़े की दोस्ती पर काफी असर डाला था।

वैसे ये दोस्ती 2018 के अंत में शुरू हुई थी।

ओल्गा ने बीबीसी हिंदी को बताया, ‘बातचीत करना मुश्किल था। हमने एक दूसरे को लंबे समय तक देखा भी नहीं था। वो (साशा) रूस भी नहीं आ सके थे। जमीन पर भले ही इस युद्ध ने हमारे बीच बाधा खड़ी कर दी थी लेकिन जहां तक हमारी आपसी रिश्ते की बात थी तो इसने इसे मजबूत ही किया था। क्योंकि उन दिनों मुझे इनकी और इन्हें मेरे समर्थन की जरूरत थी। ऐसा लग रहा था कि हमें ये दिखाने की जरूरत है कि हम एक दूसरे की मदद कर सकते हैं।’

कैसे हुई मुलाक़ात

इस रूसी-यूक्रेनी जोड़े की पहली मुलाकात भारत के केरल में 2018 के आखऱि में हुई थी। तब साशा अमृता यूनिवर्सिटी में कॉग्निटिव साइंस और साइकोलॉजी में पीएचडी के लिए रिसर्चर के तौर पर आए थे।

साशा एक लॉजिस्टिक कंपनी में अपनी ड्यूटी से दो हफ्ते के ब्रेक पर भारत आए थे।

साशा उन तमाम दूसरे लोगों की तरह थे जो अपने देश के बेहिसाब ठंड से बचने के लिए क्रिसमस के दौरान भारत आ गए थे। वो पहले भी भारत आकर दिल्ली, आगरा और वाराणसी देख चुके थे। हालांकि उस समय उनकी आध्यात्मिकता में बहुत ज्यादा दिलचस्पी नहीं थी। लेकिन इस भारत दौरे में उनका योग और दर्शन से परिचय हुआ।

उनके एक दोस्त ने एक सत्संग के दौरान माता अमृतानंदमयी से हुई चर्चा की किताब भेजी थी।

शुरू में तो उन्होंने इसे पढक़र प्रभावित होने की बात को बचकानेपन की निशानी मानी। लेकिन जल्दी ही उन्हें अपने बचपन की वो बात याद आने लगी जब वो सोचा करते थे कि अस्पताल और स्कूल बनाने वाले लोग कितने महान होते हैं।

साशा कहते हैं, ‘जब मैं बच्चा था तो ऐसे किसी शख़्स से नहीं मिला था। यही वजह है कि मेरी भारत आने की इच्छा बढ़ती गई।’

साशा ने कहा, ‘मेरे माता-पिता तो ये सोचने लगे थे कि रिसर्चर के तौर पर एक बार अमृतपुरी पहुंचने के बाद मैं पारिवारिक जीवन में प्रवेश नहीं करूंगा। उनकी पहली चिंता ये थी कि मैं शादी नहीं करूंगा। उनकी दूसरी चिंता ये थी अगर मेरी शादी भी हो गई तो पत्नी रूसी या यूक्रेनी बोलने वाली नहीं होगी। लेकिन अब उनकी दोनों चिंताएं दूर हो गई हैं।’

आश्रम के पहले ही दौरे में उनकी मुलाक़ात ओल्गा से हो गई थी। आध्यात्मिकता से ओल्गा का लगाव अपने चाचा को ध्यान करते देख कर शुरू हुआ। फिर उन्हें गीता भी पढऩे का मौका मिला।

ओल्गा 14 साल की थीं जब उन्होंने दूसरे धर्मों के बारे में पढऩा शुरू किया और योगा क्लास में जाने लगीं। वो अपने दोस्तों के एक ग्रुप में शामिल हो गईं जो ध्यान करते थे। उसी दौरान उन्होंने माता अमृतानंदमयी के बारे में सुना था।

वो काम भी कर रही थीं और पढ़ाई भी। लेकिन जैसे ही ओल्गा 22 साल की हुईं वो अपने आध्यात्मिक गुरु से मिलने पहली बार भारत आईं। इसके बाद वो जल्दी-जल्दी आश्रम आने लगीं।

लेकिन भारत और रूस में ओल्गा और साशा ‘सिर्फ दोस्त’ ही बने रहे। उनकी मुलाक़ात रूस में तब हुई जब साशा वहां की लॉजिस्टिक कंपनी में काम करने के लिए गए।

दोस्त के तौर पर उनके लिए सबसे बुरा दौर कोविड का था। दोनों अपने-अपने देश में कैद होकर रह गए थे। लेकिन ये अक्टूबर का महीना था जब दोनों के रिश्ते ने रोमांटिक मोड़ ले लिया था।

एक दूसरे के प्रति कैसे आकर्षित हुए

साशा ने बताया, ‘हम दोनों की रुचियां समान थीं। ज्यादा लोग अध्यात्म की तरफ झुकाव वाले नहीं होते। कम से कम वो दर्शन और अध्यात्म पर तो बात नहीं ही करते हैं। लेकिन ओल्गा इन विषयों को समझती हैं। और मैं इन्हीं सब चीजों के लिए उन्हें प्यार करता हूं। मैं इन विषयों के प्रति आकर्षित हूं। तो अध्यात्म और दर्शन जैसी चीजों ने हमें नजदीक लाने में अहम भूमिका निभाई।’

साशा फट से इसमें एक और चीज जोड़ते हैं, ''लेकिन ये भी सच है कि है वो बेहद खूबसूरत हैं। मेरा मानना है कि वो इस दुनिया की सबसे खूबसूरत महिला हैं। फिलहाल बुनियादी तौर पर रोजमर्रा के काम और लॉजिस्टिक वगैरह को मिलाकर हम अच्छी तरह संभाल लेते हैं। कई लेबल पर हम साथ-साथ काफी अच्छे तरीके से रहते हैं। मैं जो भी चाहता हूं सब उनके भीतर है।’

दूसरी ओर ओल्गा की नजर में साशा में बेहतरीन हास्यबोध है। इससे ऐसा लगता है कि वह उन पर बिल्कुल मोहित हैं।

वो कहती हैं, ‘साशा में मैं एक चीज अच्छा पाती हूं, वो है उनका भी आध्यात्मिक होना। मैं इसकी प्रशंसक हूं। मैं भी इस क्षेत्र में आगे बढऩा चाहती हूं और साथ-साथ उनकी राह पर चलना चाहती हूं। उनका हृदय ईश्वर जैसा है। हम दोनों के अंदर ईश्वर के प्रति प्रेम है।’

...और आखिर में शादी के बंधन में बंधे

ओल्गा लंबे समय से एक गैर पारंपरिक शादी के सपने देखती रही हैं। सामान्य शादियों से अलग।

वो कहती हैं, ‘गैर पारंपरिक का मतलब ये कि मैं भारतीय शैली की शादी करना चाहती थी। ऐसी शादी जिसमें मैं साड़ी और माला और दूसरी चीजें पहन सकूं। मैंने ये नहीं सोचा था कि ऐसा ही होगा। सबसे बड़ी बात यह थी कि शादी अम्मा (माता अमृतानंदमयी को अम्मा कहा जाता है) की देखरेख में हो रही थी। विश्वास नहीं हो रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे दिव्य माता इस रिश्ते को पवित्र बना रही हैं।’

ओल्गा ने कहा, ‘ये रूस में होने वाली शादी से अलग थी। वहां ऐसी आध्यात्मिक शादी नहीं हो सकती थी। इसने अम्मा के प्रति मेरे अंदर एक खास भावना भरी।’

साशा भी मानते हैं कि विवाह समारोह एक अविश्वसनीय घटना थी। उन्होंने अपनी इस शादी का श्रेय अम्मा और उनके आश्रम को दिया।

वो कहते हैं, ‘उन्होंने ही हमें एक दूसरे के नजदीक लाने में अहम भूमिका अदा की।’

ओल्गा फिलहाल एक ऐसा कोर्स कर रही हैं जिसके बाद वो एक मनोविज्ञानी के तौर पर काम कर सकती हैं।

भारत से उन दोनों के प्यार को साशा के इन शब्दों में बयां किया जा सकता है।

साशा ने कहा, ‘भारत के पास देने के लिए कुछ ऐसी अनोखी चीज है जो मैं दुनिया के किसी हिस्से में नहीं देख पा रहा हूं। भारत के पास अविश्वसनीय ‘दर्शन’ है। इससे भारत तो समृद्ध हो ही रहा है उसे दुनिया को भी इसका साक्षात्कार कराना है।’ (bbc.com/hindi)

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