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बांग्लादेश और पाकिस्तान के लोग भारत से तनाव पर किस तरह की बातें कर रहे हैं?
05-Dec-2024 3:30 PM
बांग्लादेश और पाकिस्तान के लोग भारत से  तनाव पर किस तरह की बातें कर रहे हैं?

शेख़ हसीना के सत्ता से बेदख़ल होने के बाद बांग्लादेश और पाकिस्तान में करीबी बढ़ाने की वकालत कई स्तरों पर हो रही है।

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने भी ऐसे कई संकेत दिए हैं। मसलन पिछले महीने पाकिस्तान का मालवाहक पोत कराची से बांग्लादेश के चटगांव बंदरगाह पर पहुँचा था। बांग्लादेश बनने के बाद दोनों देशों के बीच यह पहला समुद्री संपर्क था।

तीन दिसंबर को पाकिस्तानी मीडिया में ख़बर छपी कि दशकों बाद बांग्लादेश ने पाकिस्तान से 25,000 टन चीनी आयात की है, जो अगले महीने कराची बंदरगाह से बांग्लादेश चटगाँव बंदरगाह पर पहुँचेगी।

पाकिस्तानी अख़बार द न्यूज ने लिखा है, ‘इससे पहले बांग्लादेश भारत से चीनी आयात करता था।’

बांग्ला अखबार ढाका पोस्ट की खबर को शेयर करते हुए बांग्लादेश के सुमोन कैस नाम के एक सोशल मीडिया यूजर ने लिखा है, ‘चीनी का आयात पहले भारत से होता था। लेकिन अब उसने यह मौका खो दिया है। 2014 के बाद बांग्लादेश के पशु बाजार से भी भारत बाहर हो गया है। मैं इस बात को लेकर भी आश्वस्त हूँ कि आने वाले वक्त में भारत का कॉटन भी बांग्लादेश नहीं आएगा।’

‘एक दिन ऐसा भी आएगा, जब बांग्लादेश और भारत का द्विपक्षीय व्यापार 16 अरब डॉलर से कम होकर एक या दो अरब डॉलर तक सीमित हो जाएगा। दुनिया आगे बढ़ रही है लेकिन भारत? हम खरीददार हैं और हमारे पास पैसे हैं, ऐसे में हमें जहाँ से खरीदने का मन होगा, वहाँ से खरीदेंगे। थर्ड क्लास की नीति दादागिरी अब नहीं चलेगी।’

पिछले महीने के आखिरी हफ्ते में पाकिस्तानी सिंगर आतिफ असलम का ढाका में कार्यक्रम था। इसमें हजारों लोगों की भीड़ जुटी थी। 29 नवंबर को आतिफ असलम का एक वीडियो भी वायरल हुआ, जिसमें दिख रहा है कि वह ढाका की सडक़ पर बैठकर नमाज पढ़ रहे हैं।

‘पाकिस्तान का परमाणु बम आपके लिए’

सोशल मीडिया पर एक वीडियो क्लिप वायरल हो रहा है। वीडियो में दिख रहा है कि भीड़ को एक व्यक्ति मंच से संबोधित कर रहा है। इनमें से दो लोगों के हाथ में पाकिस्तान और बांग्लादेश के राष्ट्रध्वज हैं।

वह व्यक्ति कह रहा है, ‘आज हम अपने बंगाली भाइयों को जवाब देते हैं। उन्हें बताते हैं कि भाई यह पाकिस्तान तुम्हारा है।’

‘इस पाकिस्तान का जो एटम बम है न, वो भी तुम्हारा है। आए ज़ुर्रत करे कोई, बांग्लादेश की तरफ आँख उठाकर देखने की, उसकी आँखें निकाल देंगे। अल्ला के फजल से हम बांग्लादेश पर हाथ उठाने वाले के बाज़ू तोड़ देंगे। मैं उस मुल्क का नाम नहीं लेना चाहता।’

भीड़ इस संबोधन पर उत्साह से लबरेज होकर ताली बजाती है और फिर बांग्लादेश जि़ंदाबाद के नारे लगते हैं। इसी तरह बांग्लादेश में ढाका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर शाहिदुज्ज़मां का वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वह पाकिस्तान के साथ परमाणु समझौते की वकालत कर रहे हैं। यह वीडियो अगस्त में शेख हसीना के सत्ता से बेदखल होने के बाद सितंबर महीने का है।

रिटायर्ड आर्म्ड फ़ोर्सेज ऑफिसर्स वेलफेयर्स असोसिएशन के एक सेमिनार को संबोधित करते हुए प्रोफेसर शाहिदुज्जमां ने कहा था, ‘हमें पाकिस्तान के साथ परमाणु करार करना चाहिए। बिना गठजोड़ और तकनीक के भारत का सामना नहीं किया जा सकता है। भारत को लगता है कि बांग्लादेश पूर्वोतर का उसका कोई आठवां राज्य है। भारत की इस अवधारणा को परमाणु ताकत से ही तोड़ा जा सकता है।’

प्रोफेसर शाहिदुज्जमां ने कहा था, ‘बांग्लादेश में ज़्यादातर लोग सोचते हैं कि यह अवास्तविक है और साथ ही बहुत महंगा है। परमाणु ताक़त केवल इसे बनाने से ही हासिल नहीं होती है बल्कि हम पाकिस्तान से कऱार कर सकते हैं। बांग्लादेश के लिए पाकिस्तान सबसे भरोसेमंद रक्षा साझेदार है। भारत नहीं चाहता है कि पाकिस्तान के साथ संबंध अच्छा रहे। हम पाकिस्तान की मदद से उत्तर बंगाल में मिसाइल तैनात कर सकते हैं।’

पाकिस्तान के लिए मौक़ा?

प्रोफ़ेसर शाहिदुज्ज़मां के इस बयान को पाकिस्तानी मीडिया में भी काफ़ी तवज्जो मिली थी। पाकिस्तान के प्रमुख अंग्रेजी अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने प्रोफेसर शाहिदुज्ज़मां का हवाला देते हुए लिखा था कि अब बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच चीजें तेजी से बदल रही हैं।

प्रोफेसर शाहिदुज्ज़मां की यह बात पाकिस्तान में हाथोंहाथ ली गई। पाकिस्तानी पत्रकार कामरान युसूफ ने लिखा, ‘ढाका यूनिवर्सिटी में अंतरराष्ट्रीय संबंध के प्रोफेसर शाहिदुज्ज़मां ने भारत का सामना करने के लिए पाकिस्तान से परमाणु करार का प्रस्ताव रखा है।’

कामरान ने लिखा है, ‘जब वह प्रस्ताव रख रहे थे तो बांग्लादेश के लोगों ने तालियों की गडग़ड़ाहट के साथ स्वागत किया। यहाँ तक कि प्रोफेसर शाहिदुज्ज़मां ने पाकिस्तान की मध्यम दूरी की गौरी मिसाइल भारत से लगी सीमा पर तैनात करने की वकालत की।’

‘एक दिन बाद एक और प्रोफेसर ने शाहिदुज्ज़मां के आइडिया का समर्थन किया। मैंने प्रोफ़ेसर शाहिदुज्ज़मां के वीडियो के नीचे कॉमेंट को स्क्रॉल कर देखा तो बांग्लादेश के लोग भारी समर्थन दे रहे थे। एक भी कॉमेंट प्रोफ़ेसर शाहिदुज्ज़मां के आइडिया के खिलाफ नहीं था।’

कामरान युसूफ लिखते हैं, ‘सवाल ये नहीं है कि बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच परमाणु करार संभव है या नहीं। अहम बात यह है कि बांग्लादेश के लोग पाकिस्तान को लेकर बदल रहे हैं। बंगालियों के साथ पाकिस्तान ने नाइंसाफी की थी लेकिन वो धूल अब छँट चुकी है। प्रोफेसर शाहिदुज्ज़मां ने भी कहा कि 1971 में जो कुछ हुआ था, उससे पाकिस्तानी भी दुखी थे। कुछ महीने पहले तक बांग्लादेश में ऐसी सोच अकल्पनीय थी। शेख हसीना के प्रधानमंत्री रहते पाकिस्तान के साथ ऐसी गर्मजोशी असंभव थी।’

‘मोहम्मद युनूस से पीएम मोदी नहीं मिले’

अमेरिका में बांग्लादेश के राजदूत रहे एम हुमायूं कबीर का मानना है कि भारत के साथ संबंधों में जटिलता बढ़ती जा रही है।

हुमायूं कबीर ने बांग्लादेश के अख़बार प्रोथोमआलो से कहा, ‘भारत के साथ बांग्लादेश के संबंध बहुआयामी रहे हैं। अभी भारत के साथ बांग्लादेश के आर्थिक संबंध एकतरफा है। हम भारत से बिजली, डीज़ल, चावल, प्याज और आलू आयात करते हैं। लेकिन बांग्लादेश से भारत बहुत कम चीज़ों का निर्यात होता है।’

‘भारत के साथ हमारा सांस्कृतिक संबंध भी रहा है। बांग्लादेश से बड़ी संख्या में लोग दिल्ली पढ़ाई करने जाते थे। पिछले 15 सालों में बांग्लादेश के लोगों को भारत जाने के लिए वीज़ा आसानी से मिल जाता था लेकिन अगस्त के बाद से वीज़ा को लेकर सख्ती बढ़ गई है। भारत अगर संबंधों को ठीक करना चाहता है तो उसे वीज़ा देने की प्रक्रिया को उदार बनाना चाहिए।’

हुमायूं कबीर कहते हैं, ‘दोनों देशों के बीच तनाव इसलिए बढ़ रहा है क्योंकि भारत ने पाँच अगस्त के बाद बांग्लादेश की घरेलू राजनीति की हकीकत को स्वीकार नहीं किया। बांग्लादेश को भी सतर्क रहना चाहिए कि हालात कहीं बेकाबू ना हो जाएं। मुझे लगता है कि दोनों देशों में लोगों को उकसाने वाली गतिविधियां नहीं होनी चाहिए।’   

 हुमायूं कबीर ने कहा, ‘बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद डॉ़ मोहम्मद युनूस ने स्पष्ट कर दिया था कि भारत के साथ संबंध बराबरी के आधार पर आगे बढ़ेगा। भारत के पत्रकारो से बात करते हुए भी मोहम्मद युनूस ने कहा था कि वह द्विपक्षीय संबंध बेहतर करना चाहते हैं।’

‘बांग्लादेश ने सितंबर में कोशिश की थी कि न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र की आमसभा के दौरान मोहम्मद युनूस की पीएम मोदी से मुलाकात हो लेकिन नहीं हो पाई। पाँच अगस्त के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों को सुधारने के लिए बहुत कोशिश नहीं की गई है।’

हुमायूं कबीर कहते हैं, ‘समस्या यह है कि बांग्लादेश में हुए राजनीतिक परिवर्तन को भारत स्वीकार नहीं कर पा रहा है। इन्हें लगता था कि बांग्लादेश की केवल एक पार्टी से संबंध मजबूत रखना काफ़ी है। सभी को पता है कि 2014 में भारत की तत्कालीन विदेश सचिव सुजाता सिंह ने बांग्लादेश में चुनाव को कैसे प्रभावित किया था। इसे हमने 2018 और 2024 में भी देखा। भारत को यह समझना चाहिए कि बांग्लादेश के लोग क्या चाहते हैं।’

भारतीय मीडिया से नाराजग़ी

बांग्लादेश में भारतीय मीडिया को लेकर भी काफी ग़ुस्सा है। बांग्लादेश के अंग्रेजी अखबार द डेली स्टार की पत्रकार नाजिबा बशर ने भारतीय मीडिया की कवरेज को लेकर ही अपने डिजिटल एडिटर एस्तानी अहमद से बात की।

अहमद ने इस बातचीत में कहा, ‘बांग्लादेश में जो राजनीतिक परिवर्तन हुआ, उसे लेकर भारतीय मीडिया में किसी विदेशी साजिश की बात कही जाने लगी। भारतीय मीडिया आउटलेट्स में इसके पीछे अमेरिका, पाकिस्तान और चीन की साजिश की बात कही जाने लगी।’

‘शेख हसीना के जाने के बाद भारतीय मीडिया में कहा जाने लगा कि बांग्लादेश अब पाकिस्तान की तरह इस्लामिक देश बन जाएगा। अगर भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने की बात होती है तो भारतीय मीडिया को दिक्कत नहीं होती है लेकिन बांग्लादेश अगर मान लीजिए कि इस्लामिक देश बन भी जाता है तो इंडियन मीडिया को समस्या होने लगती है। ये मानकर चलते हैं कि इस्लामिक देश होने का मतलब हिंसक होना है।’

अहमद ने कहा, ‘बांग्लादेश की अंतरिम सरकार से पहले यहाँ विदेशी पत्रकारों को वीजा के लिए कम से कम एक हफ्ता लग जाता था लेकिन अब एक रात में ही वीजा मिल जा रहा है। मोहम्मद युनूस चाहते हैं कि विदेशी पत्रकार आएं और सच्चाई देखें। सच्चाई वो नहीं है जो भारतीय मीडिया में दिखाया जा रहा है।’ (bbc.com/hindi)

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