विचार / लेख
- आनंद दत्त
झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए मतदान आगामी 13 और 20 नवंबर को होने जा रहे हैं। चुनाव आयोग के मुताबिक दोनों फेज की स्क्रूटनी के बाद कुल 1211 उम्मीदवार मैदान में हैं।
झारखंड की मुख्य राजनीतिक पार्टियां झारखंड मुक्ति मोर्चा, भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस, आजसू, आरजेडी, वाम दल के अलावा भी बड़ी संख्या में लोग हैं, जो विधायक बनने की चाहत रखते हैं।
मसलन, मुकुल नायक रंगाई-पुताई का काम करते हैं। पुरुषोत्तम पांडेय पूजा पाठ कराते हैं। रविंद्र सिंह पान बेचते हैं। बद्री यादव मैकेनिक हैं। सावित्री देवी मजदूर हैं।
जहाँ मुख्यधारा की राजनीतिक पार्टियों के उम्मीदवार चुनाव जीतने के लिए करोड़ रुपए से ज़्यादा खर्च करते हैं, वहीं ये उम्मीदवार महंगे चुनाव में क्या कर पाएंगे?
ऐसे ही कुछ लोगों से मिलिए और उनसे समझिए कि आखिर ये चुनाव क्यों लडऩा चाहते हैं?
मुकुल नायक, कांके विधानसभा क्षेत्र
सातवीं पास 47 साल के मुकुल नायक, रंगाई-पुताई का काम करते हैं। उन्हें लोकहित अधिकार पार्टी ने रांची से सटे कांके विधानसभा क्षेत्र से अपना प्रत्याशी बनाया है। वो सुकुरहुटू गांव के रहने वाले हैं।
बीते 24 अक्टूबर को जब वो नामांकन करने रांची जिलाधिकारी के कार्यालय जा रहे थे तो उनके घर में चावल नहीं था और खाना नहीं बना था क्योंकि उन्हें अभी तक अक्टूबर माह का राशन नहीं मिला है।
मुकुल बताते हैं, ‘नामांकन के लिए जा रहे थे तो गांव वालों ने चंदा दिया। उसमें कुछ पैसा बच गया तो वापस घर आते वक्त चावल खऱीद लिए थे।’
पैसों के अभाव में दोनों बेटे ज्वाला नायक ने दसवीं के बाद और रामवतार नायक ने आठवीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी है। दोनों रंगाई-पुताई का काम करते हैं। वहीं बेटी ज्योती ने लॉकडाउन के वक्त पढ़ाई छोड़ी थी। अब दोबारा से इंटर में दाखिला लिया है। पत्नी सुग्गी देवी भी पति के साथ मजदूरी करती हैं।
ऐसी परिस्थिति में चुनाव क्यों लडऩा चाहते हैं?
मुकुल कहते हैं, ‘’मैंने गाँव के ही अपने पड़ोस की लडक़ी से साल 2002 में प्रेम विवाह किया था। समाज के लोगों ने गांव से निकाल दिया तो रांची शहर में आकर रहने लगे। यहीं मजदूरी करने लगे।’
‘ठीक 12 साल बाद, जब 2014 में गांव वापस आया तो गांव की हालत बहुत खऱाब थी। मैंने पंचायत चुनाव लडऩे का सोचा और वार्ड सदस्य के तौर पर चुना गया। तब से अपने और अपने जैसों के हक़ और अधिकार के लिए लड़ता रहा हूँ।’
वो कहते हैं, ‘चुनाव प्रचार के लिए छह दिन प्रचार गाड़ी चलाएंगे, जिसका खर्चा 24,000 रुपया है। खुद बाइक से गांव-गांव जाकर प्रचार करेंगे। अधिकतम 30,000 खर्च करेंगे। वो भी तब, जब इतना पैसा चंदा में आ जाएगा।’
आखिर में वो कहते हैं, ‘समाज के लिए दर्द बहुत है। तब भी हिम्मत टूटी नहीं है। अगर किसी तरह से जीत गए तो गरीबों को लूटने वाले को छोड़ेंगे नहीं।’’
मनोज करुआ, जुगसलाई विधानसभा क्षेत्र
जमशेदपुर से सटे जुगसलाई विधानसभा क्षेत्र से 27 साल के मनोज करुआ निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं।
वो चेकमेट सिक्योरिटी सर्विस में काम काम करते हैं। फिलहाल टाटा स्टील में बतौर सिक्योरिटी गार्ड पार्किंग एरिया में तैनात हैं। यहां उन्हें प्रतिदिन 430 रुपए दिहाड़ी मिलती है।
मनोज दलित हैं। पॉलिटिकल साइंस से ग्रैजुएट होने के बाद फिलहाल लॉ की पढ़ाई भी कर रहे हैं।
मनोज कहते हैं, ‘मेरे पास 30 हजार रुपए चंदा के तौर पर आ गए हैं। अधिकतम 50,000 रुपया तक खर्च करेंगे। प्रचार के लिए सोशल मीडिया का सहारा लेंगे। मुझे उम्मीद है कि 3000 से अधिक वोट मैं ले आऊंगा। फि़लहाल कंपनी में दस दिन की छुट्टी का आवेदन दे दिया है। नो वर्क, नो पे के आधार पर छुट्टी मिल जाएगी।’
मनोज चुनाव हारने के लिए क्यों चुनाव लड़ रहे हैं?
मनोज कहते हैं, ‘कहीं से तो शुरू करना होगा। मेरे इलाके में युवा नशे के शिकार हो रहे हैं। लोगों के पास काम नहीं हैं। स्थानीय विधायक मंगल कालिंदी के पास समस्या लेकर जाते हैं तो वो मिलते तक नहीं हैं। नौकरी और ढंग का रोजग़ार न होने की वजह से मेरे दो भाइयों की शादी नहीं हो पा रही है।’
पुरुषोत्तम पांडे, बरही विधानसभा क्षेत्र
पुरुषोत्तम कुमार पांडे 27 साल के हैं और पेशे से पुजारी हैं।
पांडे बरही विधानसभा सीट से निर्दलीय मैदान में हैं। उन्हें अखिल भारत हिन्दू महासभा ने उन्हें अपना समर्थन दिया है।
हजारीबाग जि़ले के पद्मा प्रखंड के नवाडीह गांव के रहनेवाले पुरुषोत्तम पांडेय बताते हैं, ‘मैंने चर्च से होने वाले धर्मांतरण को रुकवाया है।’
‘रामनवमी में सरकार ने डीजे बजाने पर प्रतिबंध लगा दिया था, इसके विरोध में हजारीबाग से रांची तक पैदल मार्च किया है। यही नहीं, हिन्दू राष्ट्र और जनसंख्या नियंत्रण के लिए हजारीबाग से नई दिल्ली तक पैदल मार्च भी किया है।’
पुरुषोत्तम को उम्मीद है कि वो 20,000 से अधिक वोट लाएंगे।
बदरी यादव, बरही विधानसभा क्षेत्र
बदरी यादव 46 साल के हैं। वो बरही विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। यादव पेशे से पोकलेन मकैनिक हैं।
वो कहते हैं, ‘मैं साल भर में 300 से 400 मशीन ठीक करता हूँ। ये जो मेरे ग्राहक हैं, वही मेरे मतदाता हैं। अगर मैं जीत कर आता हूँ तो सबसे पहला काम होगा लोगों का सहारा इंडिया में फंसा पैसा वापस दिलाना।’’
बदरी के मुताबिक़ उनके इलाक़े में बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं, जिनका 'सहारा इंडिया' में पैसा फंसा हुआ है। ऐसे परिवारों के 150 से अधिक लोग उनके चुनावी कैंपेन में सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं।’
बदरी कहते हैं, ‘इससे पहले मेरी पत्नी भी जिला परिषद का चुनाव लड़ चुकी हैं। पिता मुखिया का चुनाव लड़ चुके हैं। हालांकि दोनों ही सफल नहीं हो पाए थे। इन दोनों का सपना पूरा करना है और चुनाव जीतना है।’’
रविंद्र सिंह, जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा क्षेत्र
जिस सीट से ओडिशा के राज्यपाल रघुवर दास की बहू पूर्णिमा दास चुनाव लड़ रही हैं, उसी जमशेदपुर पूर्वी से 52 साल के रविंद्र सिंह भी अपना भाग्य आजमा रहे हैं।
रविंद्र सिंह जमशेदपुर बस स्टैंड के पास पान की दुकान चलाते हैं। दो बेटे और दो बेटियां हैं। सबकी शादी हो चुकी है। रविंद्र का कहना है कि बेटों ने उन्हें छोड़ दिया है। फि़लहाल वह अपनी पत्नी और मां के साथ रहते हैं।
रविंद्र सिंह को लोग उनके इलाके में प्रभु जी के नाम से जानते हैं। वो कहते हैं, ‘मेरे पास पैसा तो बिल्कुल भी नहीं है। हमको अगर पाँच वोट भी मिल जाएगा तो हम अपने को सफल समझेंगे। अभी तो पैदल घूमकर प्रचार कर रहे हैं। आखिरी समय में साइकिल से प्रचार करेंगे।’’
वो कहते हैं, ‘कुछ लोग चंदा दे रहे हैं। इसी से काम निकल जाएगा। हम जीत-हार के बारे में नहीं सोच रहे हैं।’
सावित्री देवी, तोरपा विधानसभा क्षेत्र
35 साल की सावित्री देवी पेशे से किसान और खेतिहर मज़दूर हैं।
वो खूंटी जि़ला के तोरपा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रही हैं। उन्हें बहुजन समाज पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया है।
वो इससे पहले खूंटी लोकसभा क्षेत्र से लोकसभा का चुनाव भी लड़ चुकी हैं। जहां उन्हें 12300 वोट मिले थे।
जिस वक्त उनसे बात हुई, वो बच्चों के कपड़े धो रही थीं।
उन्होंने कहा, ‘मैं अपने क्षेत्र में होनेवाली ग्राम सभाओं में लगातार जाती रही हूं। इसी वजह से लोगों के बीच मेरी पहचान और पकड़ है।’
वो कहती हैं, ‘अभी तो मैंने सही से चुनाव प्रचार भी शुरू नहीं किया है। लेकिन लोग आकर चंदा देने लगे हैं। कुल 10 हजार जमा हो चुके हैं। एक लाख तक आने की उम्मीद है। लोकसभा के समय भी और अब विधानसभा के समय भी मैं पति के साथ बाइक से ही चुनाव प्रचार करने जाती हूं।’
पति सुरेंद्र सिंह अपने दोनों बेटे कृष्ण सिंह और अर्जन सिंह के साथ चुनाव प्रचार में लगे हुए हैं। पति का दावा है कि उनकी पत्नी 45,000 वोट ले आएंगी और चुनाव हर हाल में जीतेंगी।
दिवाशंकर पासवान, हटिया विधानसभा क्षेत्र
37 साल के दिवाशंकर पासवान पेशे से एम्बुलेंस ड्राइवर हैं। उन्हें पीपल्स पार्टी ऑफ इंडिया ने रांची से सटे हटिया विधानसभा क्षेत्र से अपना प्रत्याशी बनाया है। वो पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं।
दिवाशंकर बताते हैं, ‘मैं अधिकतम 20 हज़ार रुपए चुनाव प्रचार में खर्च करने जा रहा हूँ। बावजूद इसके, मैं जीत सकता हूं। हटिया इलाक़े के कई गांव के लोगों का मैंने फ्री में इलाज करवाया है। एम्बुलेंस की सेवा दी है।’
इसके अलावा हटिया से बीजेपी के नवीन जायसवाल और कांग्रेस के अजयनाथ शाहदेव करोड़पति हैं। राज परिवार के वंशज हैं।
चुनावी मुद्दों के बारे में वो कहते हैं, ‘रांची में जितनी भी निजी कंपनिया काम कर रही हैं, वहां लोगों से ओवरटाइम कराया जाता है। लेकिन उसके बदले एसआई, पीएफ, इंश्योरेंस तक नहीं मिलते हैं। यहां तक कि उन्हें वीक ऑफ भी नहीं मिलता है। संविधान में मजदूरों को जो अधिकार मिला है, वो हम जैसों को मिलना चाहिए।’
दिवाशंकर को उम्मीद है कि वो अपने वोटरों के बीच इन मुद्दों को अगर सही से पहुंचा दिए, तो जीत जाएंगे। (bbc.com/hindi)