मडिकेरी एक नगर है, जो मधुकेरी भी कहलाता है। पहले यह मरकरा नगर के नाम से भी प्रसिद्ध था। यह नगर दक्षिणी कर्नाटक भूतपूर्व मैसूर राज्य दक्षिण-पश्चिम भारत का हिस्सा है।
यह नगर पश्चिमी घाट में 1,160 मीटर की ऊंचाई पर मैसूर से मंगलोर जाने वाले राष्टï्रीय राजमार्ग पर स्थित है। 1681 में मुड्डïा राजा ने इस मध्यवर्ती लेकिन दुर्गम क्षेत्र को कुर्ग के स्वतंत्र हिंदू वंश की राजधानी के लिए चुना। 1812 में लिंगे राजा द्वारा बनवाया गया दुर्ग और पहाड़ी की चोटी पर ओंकारेश्वर मंदिर इस शांत नगर के निकट स्थित है। एक सुंदर छोटे बगीचे में स्थित राजा का स्थान मनोहारी दृश्य उत्पन्न करता है।
यहां एक विधि महाविद्यालय समेत कई महाविद्यालय हैं, जो मैसूर विश्वविद्यालय से संबद्घ हैं। इसके आसपास के क्षेत्र में कॉफी और चाय के बगान हैं। इसके निकट के क्षेत्रों में कई वन्यजीव अभयारण्य और आरामगाह हैं। जिनमें बांदीपुर राष्टï्रीय उद्यान, एक बाघ संरक्षण क्षेत्र, मछली ,मगरमच्छ,पक्षियों,हिरन व अन्य जानवरों का प्राकृतिक आवास भीमेश्वरी और मछली पकडऩे का कैंप भी है, भद्र वन्यजीव अभयारण्य बिलिगिरि पर्वतीय अभयारण्य काबिनी संरक्षित क्षेत्र, नागरहोल राष्टï्रीय उद्यान ,पक्षियों के लिए विख्यात रंगानाथिट्टïे और बाइसन नदी आश्रयणी के साथ दांडेली वन्यजीव अभयारण्य शामिल हैं। यहीं की जनसंख्या (2001 के अनुसार) 32 हजार 286 है।