कॉफी आज एक लोकप्रिय पेय है। यह कई प्रकार की होती है-
एस्प्रेसो- जिसे इसे बनाने के लिये, कडक़ ब्लैक कॉफ़ी को एक एस्प्रेसो मशीन में भाप को गहरे-सिंके हुए तेज़ गंध वाले कॉफ़ी के दानों के बीच से निकालकर तैयार किया जाता है। इसकी सतह पर सुनहरे-भूरे क्रीम के (झाग) होते हैं।
कैपेचीनो- गरम दूध और दूध की क्रीम की समान मात्रा से मिलकर बनती है।
कैफ़े लैट्टे-कैफ़ै लैट्टे में एक भाग एस्प्रेसो का एक शॉट और तीन भाग गर्म दूध होता है। इतालवी में लैट्टे का अर्थ दूध होता है। जिसके कारण इसका यह नाम पड़ा है।
फ्रैपी- इस प्रकार की कॉफी ठंडी एस्प्रेसो होती है, जिसे बफऱ् के साथ एक लंबे गिलास में पेश किया जाता है, और इसमें दूध भी मिलाया जा सकती हैं।
फिल्टर कॅाफी- दक्षिण भारतीय फि़ल्टर कॉफ़ी को दरदरी पिसी हुई, हल्की गहरी सिंकी हुई कॉफ़ी अरेबिका से बनाया जाता है। इसके साथ पीबेरी के दानों को सबसे अधिक पसंद किया जाता है। इसे परोसने किए जाने के पहले एक पारंपरिक धातु के कॉफ़ी फि़ल्टर में घंटों तक रिसा कर अथवा टपकाकर तैयार किया जाता है।
इस्टेंट कॉफ़ी (या सॉल्यूबल कॉफ़ी) को कॉफ़ी के द्रव को बहुत कम तापमान पर छिडक़ाव कर सुखाया जाता है। फिर उसे घुलनशील पाउडर या कॉफ़ी के दानों में बदलकर इंस्टेंट कॉफ़ी तैयार की जाती है।
मोचा या मोचाचिनो, कैपेचिनो और कैफ़े लैट्टे का मिश्रण है जिसमें चॉकलेट सिरप या पाउडर मिलाया जाता है। यह कई प्रकार में उपलब्ध होती है।
ब्लैक कॉफ़ी टपकाकर तैयार की गई छनी हुई या फ्रेंच प्रेस शैली की कॉफ़ी है जो बिना दूध मिलाए सीधे सर्व की जाती है।
आइस्ड कॉफ़ी में सामान्य कॉफ़ी को बफऱ् के साथ, और कभी-कभी दूध और शक्कर मिलाकर परोसा जाता है।