12 अक्तूबर वर्ष 1967 में भारत के स्वतंत्रता सेनानी तथा समाजवादी राजनेता डॉ. राममनोहर लोहिया का निधन हुआ। उनका जन्म 23 वर्ष 1910 को उत्तर प्रदेश के अकबरपुर में हुआ था। उनके पिताजी हीरालाल पेशे से अध्यापक और राष्ट्रभक्त थे। लोहिया टंडन पाठशाला में चौथी तक पढ़ाई करने के बाद विश्वेश्वरनाथ हाईस्कूल में दाखिल हुए। उनके पिताजी गांधीजी के अनुयायी थे। जब वे गांधीजी से मिलने जाते तो राम मनोहर को भी अपने साथ ले जाया करते थे। इसके कारण गांधीजी के व्यक्तित्व का उन पर गहरा प्रभाव पड़ा। राममनोहर लोहिया अपने पिताजी के साथ 1918 में अहमदाबाद में कांग्रेस अधिवेशन में पहली बार शामिल हुए।
उन्होंने मुंबई के मारवाड़ी स्कूल में पढ़ाई की। लोकमान्य गंगाधर तिलक की मृत्यु के दिन राममनोहर लोहिया ने विद्यालय के लडक़ों के साथ 1920 में पहली अगस्त को हड़ताल की। वर्ष 1921 में फैजाबाद किसान आंदोलन के दौरान पंडित जवाहर लाल नेहरू से उनकी भेंट हुई। सन 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के समय ऊषा मेहता के साथ मिलकर उन्होंने गुप्त रेडियो स्टेशन चलाया। 18 जून 1946 को गोआ को पुर्तगालियों के आधिपत्य से मुक्ति दिलाने के लिये उन्होंने आन्दोलन आरम्भ किया। अंग्रेजी को भारत से हटाने के लिये राममनोहर लोहिया ने अंग्रेज़ी हटाओ आंदोलन चलाया। डॉ. राममनोहर लोहिया ने अनेक विषयों पर अपने विचार लेख एवं पुस्तकों के रूप में प्रकाशित कीं। उनकी मुख्य रचनाओं में अंग्रेजी हटाओ,इतिहास चक्र,देश, विदेश नीति-कुछ पहलू,धर्म पर एक दृष्टि,भारतीय शिल्प,भारत विभाजन के गुनहगा और माक्र्सवाद और समाजवाद इत्यादि का नाम लिया जा सकता है।