30 सितम्बर सन 1938 ईसवी को जर्मनी में म्यूनिख़ का ऐतिहासिक सम्मेलन आयोजित हुआ। इस सम्मेलन में जर्मनी के नेता हिटलर, इटली के नेता मोसोलीनी, फ्रांस के प्रधान मंत्री एडवर्ड डेलाडी और ब्रिटेन के प्रधान मंत्री नेविल चैम्बर्लिन ने भाग लिया।
इस सम्मेलन का उद्देश्य जर्मनी और चेकोसोलोवाकिया के बीच मतभेदों को दूर करने का मार्ग खोजना था। इस सम्मेलन का परिणाम चेकोसोलोवाकिया का कुछ भाग जर्मनी में जुड़ जाने के रुप में निकला। इस संधि का यूरोप की बाद की घटनाओं पर प्रभाव पड़ा। इसी प्रकार इससे पश्चिमी देशों के साम्राज्यवाद का भी पर्दाफ़ाश हुआ। इसके अतिरिक्त इस सम्मेलन से हिटलर को ऐसा लगा कि यूरोप उसके वर्चस्वाद के मुकाबले में बहुत अधिक प्रतिरोध नहीं कर रहा है। दूसरे विश्व युद्ध में जर्मनी की पराजय के बाद सन 1945 ईसवी को चेकोसोलोवाकिया ने अपनी भूमि जर्मनी से वापस ले ली।