रिक्टर या रेक्टर पैमाना भूकंप की तरंगों की तीव्रता मापने का एक गणितीय पैमाना है। रिक्टर पैमाने का विकास 1935 में कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के चाल्र्स रिक्टर और बेनो गुटेनबर्ग ने मिलकर किया था। चाल्र्स रिक्टर के नाम पर इस यंत्र का नाम रखा गया। 30 सितम्बर सन 1985 ईसवी को चाल्र्ज़ रेक्टर का अमरीका में 75 वर्ष की आयु में निधन हुआ। उन्होंने अपने एक साथी शोधकर्ता की सहायता से भूकम्प को उस ऊर्जा के आधार पर जो भूकम्प से निकलती है तथा इसकी लहरों के आधार पर 9 प्रकार में विभाजित किया और रेक्टर स्केल को पेश किया। इससे पहले वैज्ञानिक भूकम्प के विदित प्रभाव को देखते हुए उसकी तीव्रता नापते थे जो स्वीकार्य नहीं होती थी।
रिक्टर पैमाना का पूरा नाम रिक्टर परिमाण परीक्षण पैमाना (रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल) होता है और लघु रूप में स्थानिक परिमाण (लोकल मैग्नीट्यूड) लिखते हैं। इस पैमाने पर भूकंप से निकली हुई भूगर्भीय ऊर्जा की मात्रा के मापन हेतु एक संख्या से दर्शाया जाता है। यह आधार-दस का लघुगणक आधारित पैमाना होता है, जो वुड-एंडर्सन टॉजऱ्न सीज़्मोमीटर आउटपुट के सर्वाधिक विस्थापन का संयुक्त क्षैतिज आयाम (एम्प्लिट्यूड) का लघुगणक निकालने पर मिलता है। उदाहरण के लिए रिक्टर पैमाने पर मापे गये 5.0 तीव्रता के एक भूकम्प का कंपन आयाम उसी पैमाने पर आंके गये 4.0 तीव्रता के भूकंप के आयाम का दस गुणा अधिक होगा। स्थानिक परिमाण यानी लोकल मैग्नीट्यूड की प्रभावी मापन सीमा लगभग 6.8 होती है। भूकंप की तरंगों को रिक्टर स्केल 1 से 9 तक के अपने मापक पैमाने के आधार पर मापता है। भूकंप द्वारा उत्सर्जित ऊर्जा, जो उसके द्वारा किए गए विध्वंस से सीधे संबंधित होती है, कंपन आयाम की 3/2 पावर के अनुपात में होती है।
अभी तक भूकंप की तीव्रता की अधिकतम सीमा तय नहीं की गई है। रिक्टर स्केल पर 7.0 या उससे अधिक की तीव्रता वाले भूकंप को सामान्य से कहीं अधिक खतरनाक माना जाता है। इसी पैमाने पर 2.0 या इससे कम तीव्रता वाला भूकंप सूक्ष्म भूकंप कहलाता हैं, जो सामान्यतय़ा महसूस नहीं होते। 4.5 की तीव्रता वाले भूकंप घरों और अन्य रचना को क्षतिग्रस्त कर सकते हैं।