सामान्य ज्ञान

आरवी समुद्र रत्नाकर
15-Oct-2021 10:12 AM
आरवी समुद्र रत्नाकर

आरवी समुद्र रत्नाकर भू- वैज्ञानिक अनुसंधान पोत है जिसे गुजरात के कांडला बंदरगाह पर राष्ट्र को 12 अक्टूबर 2013 को समर्पित किया गया।  यह अनुसंधान जलपोत इस तरह का दक्षिण एशिया का एकमात्र जहाज है।

भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वे (जीएसआई) ने गहरे समुद्र में सर्वेक्षण और गहरे पानी में मौजूद खनिज के उत्खनन के लिए 600 करोड़ रुपए के आरवी समुद्र रत्नाकर नामक जहाज को सितंबर 2013 में खरीदा गया था। पोत आरवी समुद्र रत्नाकर की आपूर्ति दक्षिण कोरिया की कंपनी हुंडई हेवी इंडस्ट्रीज द्वारा सितंबर 2013 में की गई। यह नवीनतम प्रौद्योगिकी उपकरणों से लैस है।

जीएसआई ने गहरे समुद्र से आंकड़ों के संग्रह के लिए 50 वैज्ञानिकों को तैनात करने की योजना बनाई है। पोत आरवी समुद्र रत्नाकर को शामिल करने के साथ जीएसआई द्वारा पहली बार सर्वेक्षण और उत्खनन के लिए गहरे समुद्र जल में प्रवेश किया जाएगा। इस पोत की क्षमता 2700 डीडब्ल्यूटी है। आरवी समुद्र रत्नाकर के रखरखाव, प्रबंधन एवं संचालन के लिए जीएसआई ने शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के साथ एक समझौता किया है। यह पोत गहरे समुद्र में बेशकीमती खनिजों की खोज और उनके अनुसंधान में बेहद सहायक है। आरवी समुद्र रत्नाकर को दक्षिण कोरिया स्थित दुनिया के सबसे बड़े पोत निर्माण केंद्र उल्सान में तैयार किया गया है। यह अनुसंधान जलपोत आर्वी समुद्र रत्नाकर में 26 आधुनिक वैज्ञानिक उपकरण लगे हुए है, जो समुद्र के तल में 6 हजार मीटर की गहराई में  अनुसंधान करने के लिए सक्षम है।

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