आजकल
-सुनील कुमार
जिंदगी के एक दायरे में खूबियां रखने वाले लोग जब किसी दूसरे दायरे को लेकर अपनी राय देते हैं, तो वह कई बार बड़ी अटपटी भी हो सकती है, बड़ी खतरनाक भी हो सकती है, लेकिन कई बार वह बड़ी अनोखी भी हो सकती है। असल जिंदगी में लोग जब अपने ही दायरे में विशेषज्ञता हासिल करते हुए एक तंग नजरिए से चीजों को देखते हैं, तो एक सुरंग के भीतर देखते हुए विकसित होने वाली सोच के शिकार हो जाते हैं। ऐसा ही एक मामला हाल में सामने आया जब चीन की एक विकराल समस्या को लेकर बाहर के एक जानकार ने एक अजीब सा हल सुझाया।
दरअसल चीन लंबे समय से अमल की जा रही एक बच्चे की सीमा को अब भुगत रहा है। अब वहां शादीशुदा जोड़े दूसरा बच्चा पैदा करने के बारे में सोचते भी नहीं हैं, और नतीजा यह हो रहा है कि चीन में कामगारों की कमी होने लगी है क्योंकि एक जोड़े के दो लोग एक जीवन में मिलकर एक ही बच्चा पैदा करते हैं। वहां की सरकार हाल के बरसों में लगातार लोगों का हौसला बढ़ा रही है कि एक से ज्यादा बच्चे होने पर वह रियायती मकान से लेकर रियायती स्कूल फीस तक क्या-क्या फायदे देगी, लेकिन कई पीढिय़ों से एक बच्चों तक सीमित परिवार में पैदा हुईं और बढ़ीं पीढिय़ां दूसरे बच्चे की तरफ जा भी नहीं रही हैं। ऐसे में चीन के शंघाई के एक विश्वविद्यालय में पढ़ा रहे एक मलेशियाई प्रोफेसर ने एक अजीब सा रास्ता सुझाया है। उसका कहना है कि चीन ने हर महिला को दो-दो पति रखने की छूट मिले, तो वहां की आबादी बढ़ सकती है। दरअसल चीन में चूंकि परिवारों पर एक ही बच्चा पैदा करने की सीमा थी, और हिन्दुस्तान की तरह वहां भी बेटों की चाह ज्यादा थी, इसलिए वहां भी मेडिकल जांच से, या किसी और तरह से लोगों ने लड़के ही लड़के अधिक पैदा किए, और लड़कियों का अनुपात आबादी में घटते चले गया। आज वहां पर इस लैंगिक असमानता की वजह से ही बच्चे कम हो रहे हैं। ऐसे में हिन्दुस्तान के कुछ हिस्सों की तरह एक से अधिक पति, या एक से अधिक भाईयों की एक पत्नी किस्म की यह सलाह इस प्रोफेसर ने एक वेबसाईट पर अपने नियमित कॉलम में दी है, और पूछा है कि क्या बहुपति प्रथा एक बेहूदी बात होगी?
प्रोफेसर ने अपने कॉलम में लिखा है- मैं बहुपति प्रथा की वकालत नहीं कर रहा हूं, मैं सिर्फ यह सुझा रहा हूं कि लैंगिक अनुपात की गड़बड़ी से निपटने के लिए हमें इस विकल्प पर भी विचार करना चाहिए।
पिछले 36 बरसों से चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ने एक जोड़े पर एक ही बच्चा पैदा करने की छूट दी थी। इससे रियायत तभी मिलती थी जब वे ग्रामीण इलाके में रहते थे, और उनकी पहली संतान या तो एक लड़की हुई हो, या एक विकलांग लड़का हुआ हो। इस नीति के चलते चीन की आबादी तो काबू में रही लेकिन लड़कियों की भ्रूण हत्या होती रही, और आज चीन में लड़कियों के मुकाबले करीब साढ़े 3 करोड़ लड़के अधिक हैं। इसके अलावा नई सदी की पीढ़ी में युवतियां शादी बहुत देर से करने लगी हैं, और या तो बच्चे पैदा ही नहीं करतीं, या फिर सिर्फ एक बच्चा पैदा करती हैं, और इससे वहां आबादी गड्ढे में जाने के रास्ते पर हैं। चीन को लेकर यह जनसंख्या-भविष्यवाणी है कि वह 2027 में ही अपनी अधिकतम आबादी, 145 करोड़ पा लेगी, और और 2050 में आबादी का एक तिहाई हिस्सा 65 बरस से अधिक उम्र का रहेगा, यानी कामकाजी नहीं रहेगा।
इस प्रोफेसर का दिलचस्प कहें तो दिलचस्प, और बेहूदा कहें तो बेहूदा, मशविरा यह है कि अगर दो आदमी किसी एक औरत से शादी करना चाहते हैं, और वह औरत भी दोनों से शादी करना चाहती है तो समाज को इसे क्यों रोकना चाहिए? उसने गिनाया है कि पुराने वक्त में बहुपत्नी प्रथा प्रचलित थी, और आज भी इस्लाम के कुछ संप्रदायों में बहुपत्नी प्रथा चल ही रही है। उसने लिखा है कि आज चीन में लैंगिक अनुपात जिस बुरी तरह बिगड़ा हुआ है, उसमें यह जरूरी है कि बहुपति प्रथा पर विचार किया जाए।
इसके बाद की बात उसने ऐसी लिखी है जिसे लेकर उसका भयानक विरोध भी हो रहा है। लोग खूब गालियां दे रहे हैं, और उसकी बातों को अपमानजनक भी मान रहे हैं। उसने लिखा है कि एक महिला दो पतियों के साथ शारीरिक संबंध रखने में कोई दिक्कत भी महसूस नहीं करेगी क्योंकि एक-एक वेश्या एक-एक दिन में दस-दस ग्राहकों तक को संतुष्ट कर सकती है। इसके साथ-साथ दो पतियों के लिए खाना बनाने में भी कोई अतिरिक्त समय नहीं लगेगा। इसके जवाब में चीनी महिलाओं ने इंटरनेट पर लिखा कि इसे पढ़कर उन्हें उल्टी आ रही है, और वे हैरान हो रही हैं कि क्या यह सचमुच 2020 में लिखी जा रही बात है? एक ने लिखा कि यह प्रोफेसर सेक्स-गुलामी को कानूनी दर्जा दिलवाने के सिवाय कुछ नहीं सुझा रहा है।
Yew-Kwang Ng, economics professor at Fudan University in Shanghai
लेकिन यह प्रोफेसर विवादों से परहेज करते नहीं दिख रहा है, और उसने अपने अगले कॉलम में लिखा कि चीन के लैंगिक अनुपात की गड़बड़ी से जूझने के लिए चकलाघरों को कानूनी दर्जा देना चाहिए। चूंकि वहां लड़कियां कम रह गई हैं, इसलिए हर लड़के को लड़की नहीं मिल पाती है, और उसका सेक्स-सुख का अधिकार नहीं मिल पाता है।
अब हिन्दुस्तान की बात करें तो यहां भी कई प्रदेशों में जेंडर-अनुपात की भयानक हालत है। शायद हरियाणा में लड़के-लड़कियों के बीच संख्या का फर्क सबसे ही खराब है, और इसी के किसी इलाके में महाभारत काल में पांच पांडवों की एक पत्नी की कहानी भी पैदा हुई। इस प्रदेश में कुछ लोगों के बीच यह भी प्रचलित है कि सिर्फ बड़े भाई की शादी होती है, और उसकी पत्नी बाकी भाईयों की भी पत्नी सरीखी रहती है।
सेक्स अनुपात में भारत 201 देशों में 189वीं जगह पर है। एशिया के देशों में भारत 51 देशों में 43वीं जगह पर है। पिछली जनगणना, 2011, के मुताबिक भारत में हजार पुरूषों पर 943 महिलाएं हैं। जबकि दिलचस्प बात यह है कि 1901 की जनगणना में भारत में सेक्स-अनुपात इससे बेहतर था, और हजार पुरूषों पर 972 महिलाएं थीं। केरल अकेला ऐसा प्रदेश है जहां पर हजार पुरूषों पर 1084 महिलाएं हैं, और सबसे बुरी हालत हरियाणा की है जहां पर हजार पुरूषों में महज 879 महिलाएं हैं। नतीजा यह होता है कि वहां एक से अधिक भाईयों की एक पत्नी की प्रथा भी है, और दूसरे प्रदेशों को दुल्हन लाने का रिवाज भी है। इस नौबत के बावजूद वहां कन्या भ्रूण हत्या भी जारी है। केरल और पुदुचेरी जैसे दक्षिण के राज्य अधिक लड़कियों के अनुपात के साथ यह बताते हैं कि अगर भ्रूण हत्या न हो, आबादी में लड़कियां लड़कों से अधिक रहना स्वाभाविक है क्योंकि कन्या शिशु का जिंदा रहने का संघर्ष लड़के के मुकाबले अधिक होता है।
अब चीन में जो बात सुझाई गई है, और जिसके लिए पुराने वक्त की मिसाल दी गई है, वह बात तो भारत के कुछ राज्यों पर आज भी लागू हो रही है, और इसका यह पारिवारिक-सामाजिक इलाज भी निकाल लिया गया है जिसे समाज विज्ञान की परिभाषा में बहुपति प्रथा कहा जाता है। चूंकि देश के कई उत्तर भारतीय राज्यों में आज भी लड़कियों को हिकारत के साथ देखा और रखा जाता है, इसलिए यहां अनुपात जल्द बदलने की कोई वजह नहीं दिख रही है, और हो सकता है कि चीन का यह प्रोफेसर आने वाले किसी हफ्ते में अपने कॉलम में हरियाणा सहित कुछ और राज्यों की मिसालें देता हुआ दिखे, तब न कहना कि यह अपमानजनक है...!