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आमिर-किरण की बात कुछ अटपटी है, पर सच अटपटा क्यों नहीं हो सकता?
04-Jul-2021 3:47 PM
आमिर-किरण की बात कुछ अटपटी है,   पर सच अटपटा क्यों नहीं हो सकता?

बॉलीवुड अभिनेता आमिर खान और किरण राव ने तलाक लेने का फैसला किया है। दोनों ने एक साझा बयान जारी कर इसकी जानकारी दी- 

‘‘इन 15 खूबसूरत वर्षों में हमने एक साथ जीवन भर के अनुभव, आनंद और हँसी साझा की है और हमारा रिश्ता केवल विश्वास, सम्मान और प्यार में बढ़ा है। अब हम अपने जीवन में एक नया अध्याय शुरू करना चाहेंगे- अब पति-पत्नी के रूप में नहीं बल्कि एक-दूसरे के लिए सह माता-पिता और परिवार के रूप में। 

हमने कुछ समय पहले एक प्लांड सेपरेशन शुरू किया था और अब इस व्यवस्था को औपचारिक रूप देने में सहज महसूस कर रहे हैं। अलग-अलग रहने के बावजूद अपने जीवन को एक विस्तारित परिवार की तरह साझा करेंगे। 

हम अपने बेटे आजाद के प्रति समर्पित माता-पिता हैं, जिनका पालन-पोषण हम मिलकर करेंगे। हम फिल्मों, पानी फाउंडेशन और अन्य परियोजनाओं पर भी सहयोगी के रूप में काम करना जारी रखेंगे, जिनके बारे में हम भावुक महसूस करते हैं। 

हमारे रिश्ते में हुए इस विकास को लेकर मिले निरंतर सहयोग और समझ के लिए हमारे परिवारों और दोस्तों का बहुत-बहुत धन्यवाद जिनके बिना हम यह कदम लेने में इतने सुरक्षित महसूस नहीं करते। 

हम अपने शुभचिंतकों से शुभकामनाएं और आशीर्वाद की उम्मीद करते हैं और आशा करते हैं कि हमारी तरह आप इस तलाक को अंत की तरह नहीं बल्कि एक नए सफऱ की शुरुआत के रूप में देखेंगे। 
धन्यवाद और प्यार,
किरण और आमिर’’

फिल्म अभिनेता आमिर खान और उनकी पत्नी किरण राव ने शादी का यह रिश्ता खत्म करने की घोषणा की तो घोषणा की बातों से लोग हैरान हुए, और कुछ लोगों ने इस बारे में कई गंभीर बातें भी लिखीं। एक अखबारनवीस ने सोशल मीडिया पर सवाल किया कि इस बयान में लिखा गया है कि यह रिश्ता केवल विश्वास, सम्मान, और प्यार में बढा है, तो यह कैसे बढ़ा है जब यह तलाक तक पहुंच गया है? पहली नजर में यह सवाल बड़ा जायज लगता है क्योंकि हम आमतौर पर बहुत कड़वाहट और मुकदमेबाजी के साथ तलाक देखते आए हैं। लोगों के दिल-दिमाग में शादीशुदा जिंदगी को लेकर भी आम प्रचलन में चले आ रहा एक खास किस्म का खाका बैठे रहता है और उससे परे शादीशुदा जिंदगी को देखना मुमकिन नहीं रहता। धारणाएं इतनी मजबूत हो जाती हैं कि वे किसी भी किस्म की नई कल्पना को पास फटकने भी नहीं देतीं, इसलिए कोई शादीशुदा जिंदगी विश्वास, सम्मान, और प्यार बढऩे के बाद भी तलाक तक पहुंच जाए इस पर एकाएक भरोसा नहीं होता।

सच तो यह है कि शादीशुदा जिंदगी अपने आपमें एक बड़ी और कड़ी खींचतान के साथ चलने वाला एक बड़ा ही अस्वाभाविक किस्म का बंधन और सिलसिला है जिसे समाज ने गढ़ा है और जिसे समाज ने लोगों पर थोप दिया है, और समाज तलाक से इसलिए खफा रहता है कि समाज का अपना अस्तित्व शादीशुदा लोगों से ही चलता है। जिस तरह किसी धर्म के मानने वाले धर्मालु लोग या किसी आध्यात्मिक गुरु के अनुयायी न हों तो न वह धर्म बच सकेगा न वह आध्यात्मिक संप्रदाय बच सकेगा। इसी तरह अगर शादीशुदा जोड़े खत्म हो जाएंगे, शादी का चलन खत्म हो जाएगा, तो समाज व्यवस्था भी या तो पूरी तरह खत्म हो जाएगी या वह कुछ ऐसी हो जाएगी जो आज की समाज व्यवस्था से बिल्कुल अलग होगी। नतीजा यह होता है कि समाज अपनी सहूलियत के लिए विवाह नाम की संस्था को लोगों पर थोपते चलता है और जो लोग शादीशुदा जिंदगी में पडऩा नहीं चाहते, उनके लिए खासी दिक्कतें खड़ी करते चलता है।

शादीशुदा जिंदगी जाहिर तौर पर जिस तरह की वफादारी का दावा करती है और जैसी वफादारी की खाल ओढक़र वह जीना चाहती है, हकीकत उससे खासी अलग भी रहती है। और फिर दूसरी बात यह कि जब अपने-अपने दायरे के बहुत कामयाब लोग अपने काम के सिलसिले में ही बहुत से दूसरे बहुत ही आकर्षक और होनहार, हुनरमंद और कामयाब लोगों से मिलते हैं, तो शादीशुदा जिंदगी की बंदिशें कई बार दम घोटने वाली लगती हैं। नतीजा यह होता है कि लोग शादी के भीतर छटपटाने लगते हैं, बाहर कोई विकल्प या रास्ता देखने लगते हैं, या पास मौजूद किसी विकल्प की तरफ उनका ध्यान जाता है और शादी खटाई में पड़ जाती है। कई मामलों में ऐसा भी हो सकता है कि शादीशुदा जोड़े के दोनों भागीदार अपने आपमें बहुत हुनरमंद और कामयाब हों, अपने आपमें दौलतमंद भी हों, और उनकी उम्मीदों के आसमान भी बहुत बड़े हों। ऐसे में दोनों अपने-अपने रास्ते अलग तय कर सकते हैं, और हो सकता है कि दोनों एक साथ ऐसी दिमागी हालत में हों कि उन दोनों को ही अलग होना बेहतर लग रहा हो। दरअसल तलाक के सिलसिले में हम कड़वाहट की बुनियाद देखने के आदी हैं। इसी वजह से होता यह है कि बिना कड़वाहट के अगर तलाक हो रहा है तो वह हमें भरोसेमंद नहीं लगता। 

दरअसल आमिर खान और किरण खान अपने परिवारों और अपने बच्चे के अलावा और किसी के लिए इस तलाक को लेकर जवाबदेह भी नहीं हैं। ऐसे में अगर उन्होंने एक सार्वजनिक बयान दिया है तो उस बयान को गलत मानने के पहले लोगों के पास ऐसी वजह रहना चाहिए कि वे गलत क्यों कहेंगे? क्योंकि इस बयान के बाद इसकी वजह से इन दोनों का करियर कामयाबी की तरफ बढ़ेगा ऐसा भी कुछ नहीं है, और तलाकशुदा लोग नाकामयाब होने लगते हैं ऐसा भी कुछ नहीं है। ऐसे में उनकी कही हुई बात के शब्दों को ही हम उनकी भावना भी मानेंगे और यह बात पूरी तरह नामुमकिन भी नहीं लगती कि लोगों के बीच प्यार, विश्वास, और सम्मान बढऩे के बाद भी हो सकता है कि वे पति-पत्नी की तरह साथ रहने को गैरजरूरी मान रहे हों। ये दोनों बातें एक साथ हो सकती हैं, लोग एक-दूसरे पर अधिक विश्वास भी कर सकते हैं, और अलग रहना बेहतर भी मान सकते हैं। 

दरअसल शादीशुदा जिंदगी को लेकर जो आम जनधारणा चली आ रही है वह इसके मुताबिक कुछ अटपटी साबित होती है और इसलिए लोग सोच पर कोई जोर डालने के बजाय लोगों को ही झूठ बोलता मान लेते हैं। दिलचस्प बात यह है कि आमिर खान की पहली और दूसरी, दोनों पत्नियां हिंदू थीं, और इसे लेकर भी आमिर खान को डबल लव जिहाद का कसूरवार ठहराते हुए लोग गालियां भी दे रहे हैं। जो लोग लगातार सार्वजनिक जीवन में रहते हैं, और जिनका पैसा शोहरत पर भी टिका रहता है, वह ऐसी बहुत सी बातों को सुनने के आदी रहते हैं, और क्योंकि इस जोड़े ने अपने अलग होने की बात को खुद होकर सार्वजनिक किया है, और तमाम बातें लोगों के सामने रखी हैं इसलिए यह स्वाभाविक ही है कि लोग उस पर तरह तरह की प्रतिक्रिया करेंगे। फिल्मी दुनिया या सार्वजनिक जीवन के हर लोग अपने तलाक को लेकर ऐसे बयान जारी नहीं करते हैं, और अलग होना रहता है, तो अलग हो जाते हैं। इसलिए जब इन्होंने अपनी बातें लोगों के सामने रखी हैं तो लोग उन्हें अपने अपने पैमानों पर आंकेंगे ही। (क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक) 

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