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घरेलू बलात्कारियों को बचाने परिवार लेते हैं इज्जत की आड़
23-Mar-2025 3:41 PM
घरेलू बलात्कारियों को बचाने परिवार लेते हैं इज्जत की आड़

राजस्थान के नागौर जिले से आई एक ताजा खबर बताती है कि इस देश में लड़कियों और महिलाओं की क्या हालत है। वहां घर के एक नशेड़ी नौजवान ने अपनी सगी छोटी नाबालिग बहन से बलात्कार किया, और कई दिन तक करते रहा। लडक़ी ने मां को यह बताया तो परिवार के बेटे की बदनामी का हवाला देकर उसे चुप करा दिया गया। बाद में उस लडक़ी को अहसास हुआ कि बदनामी की ऐसी बात सोचकर परिवार उसके कत्ल की साजिश कर रहा है। तब उसने अपने बहन-जीजा को फोन पर पूरी जानकारी दी, और उन्होंने आकर पुलिस में पाक्सो एक्ट के तहत लडक़ी के भाई पर मामला दर्ज करवाया। हिन्दुस्तान में हर परिवार बेटी की हत्या तक चले जाए, यह तो जरूरी नहीं है, लेकिन इतना तो है कि बलात्कारी बेटे से परिवार अपनी इज्जत जोड़ लेता है, और ऐसे बहुत से दूसरे मामलों में परिवार घर की लड़कियों को चुप करने पर पिल पड़ते हैं। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, यूपी जैसे कई प्रदेश हैं जहां समय-समय पर परिवार द्वारा प्रेमविवाह करने वाली लडक़ी का कत्ल करवा दिया जाता है, और कई मामलों में उसके प्रेमी को भी खत्म कर दिया जाता है। जात-बिरादरी का, और मर्दाना अहंकार इतना भयानक और हिंसक रहता है कि वह अपनी जवान बेटी को खत्म करने के लिए बाप-भाई का जेल जाना भी बुरा नहीं समझता। ऐसे हत्यारे परिवार सीना ताने अदालत और जेल चले जाते हैं।

परिवार की इज्जत, ये तीन शब्द जुल्म और जुर्म बनकर आमतौर पर लड़कियों और महिलाओं पर ही टूट पड़ते हैं। लडक़ी या महिला से कोई बलात्कार करे तो इसमें बलात्कारी की इज्जत खराब होना नहीं माना जाता, लडक़ी की इज्जत लुट जाना कहा जाता है, मानो उसने अपने खुद पर कोई जुर्म कर दिया हो। यह सोच भारत में लड़कियों के आगे बढऩे की संभावनाओं को कमजोर करती है, क्योंकि उसकी ‘इज्जत लुट जाने’ की आशंका में उसके आगे बढऩे के मौकों को किनारे कर दिया जाता है, उसे रोक-टोक दिया जाता है। खुद लड़कियां परिवार के भीतर से लेकर पड़ोसियों, और शिक्षक-प्रशिक्षक के हाथों तक नुचती हुईं आत्मविश्वास खोने लगती हैं, और सहमी सी किनारे रह जाती हैं। हर लडक़ी विपरीत परिस्थितियों से इतना जूझकर, घर-बाहर की मर्दाना हिंसा का सामना करते हुए आगे बढऩे का हौसला नहीं जुटा पातीं। अभी हाथरस के एक प्रोफेसर का मामला लगातार खबरों में बना हुआ है कि किस तरह उसने अपने दर्जनों छात्राओं का यौन-शोषण किया, उनके वीडियो बनाए, ब्लैकमेल किया, और उनके मार्फत उनकी सहेलियों तक को बुलवाया। लोगों को याद होना चाहिए कि दशकों पहले अजमेर में भी इसी तरह का एक बहुत बड़ा सेक्स-कांड हुआ था जिसमें सैकड़ों लड़कियों का शोषण अजमेर की विख्यात दरगाह के खादिम परिवार से जुड़े हुए लोगें ने किया था। अब हाथरस में एक अकेला प्रोफेसर अपने दम पर यह करते मिला है। यह बात आसानी से सोची जा सकती है कि ऐसी एक-एक घटना के बाद जाने कितने ऐसे परिवार होंगे जो अपनी लड़कियों के आगे बढऩे की संभावनाओं को खुद ही रोकना बेहतर समझेंगे।

हिन्दुस्तान में लडक़े और लडक़ी के बीच का यह फर्क परिवार से ही शुरू होता है, और बड़ों के बर्ताव देख-देखकर परिवार ने लडक़े मर्द बनने पर जुल्म करना, और लड़कियां महिला बनने पर जुल्म सहना सीख जाते हैं। अपने परिवार के बड़े लोगों का बर्ताव उनके लिए सबसे बड़ी सीख बन जाता है। यह सिलसिला घर से शुरू होता है, तो कामकाज की जगहों पर भी चले जाता है, और वहां पर ऐसे घरों से निकले हुए मर्द सहकर्मी महिलाओं से बदसलूकी, और उनके शोषण को अपना हक मान लेते हैं। और समाज में यह व्यवस्था पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलती रहती है।

राजस्थान के नागौर का यह ताजा मामला खबर में आने की वजह से तो चौंकाता है, लेकिन जो लोग असल जिंदगी में अप्रिय बातों को देखने से परहेज नहीं करते हैं, उन्हें मालूम है कि घर की लडक़ी या बच्चों का यौन-शोषण कोई बहुत अनहोनी या अनोखी बात नहीं है, लोगों की कल्पना से अधिक मामलों में ऐसा होता है, यह एक अलग बात है कि अधिकतर मामले घर के भीतर दबा दिए जाते हैं, और यौन-शोषण के शिकार बच्चों, आमतौर पर लड़कियों, को समझा दिया जाता है कि परिवार की इज्जत का ध्यान रखना है। बिना सजा बच जाने वाले ऐसे यौन-शोषक लोगों का हौसला बढ़ते चलता है, और फिर वे घर-दफ्तर, बाजार-रोजगार, जहां-जहां मौका मिले, वहां-वहां हाथ साफ करने लगते हैं।

एक बात जो कि ऐसे मामलों से अनिवार्य रूप से तो जुड़ी हुई नहीं है, लेकिन ऐसे बहुत से मामलों में उसका जिक्र आता ही है, वह नशे की आदत है। नशे में डूबे हुए लोग अपनी बहन से, बेटी से बलात्कार करते हुए पकड़ाते हैं। घर के भीतर यौन-शोषण बिना नशे के भी हो सकता है, लेकिन नशा लोगों को एक अलग किस्म की नैतिक अराजकता, और हिंसा दे देता है जिसकी वजह से वे वर्जित संबंधों की सीमाओं को आसानी से पार कर जाते हैं।

ऐसे मामलों में पड़ोस के लोग, रिश्तेदार, सहकर्मी, समय रहते लोगों को सावधान कर सकते हैं, या ऐसे मामलों को दबने से भी रोक सकते हैं। यौन-शोषण का एक मामला उजागर होने के बाद ऐसी हिंसक हसरत रखने वाले कई दूसरे लोगों का हौसला पस्त कर सकता है, दूसरी तरफ ऐसे एक हमले के बाद बच गए लोग आगे सिलसिलेवार बलात्कारी बन सकते हैं। इसलिए परिवार की इज्जत वगैरह की ऐसी परवाह नहीं करना चाहिए कि एक बलात्कार को छुपाकर बलात्कारी को बाकी दुनिया में खुला छोड़ दिया जाए। इस बारे में समाज के लोगों को सोचना चाहिए कि वे तमाम लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए इन मुद्दों पर किन मंचों पर चर्चा करें। (क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक)

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