राजनांदगांव

रोजगार विरोधी नीति को लेकर कांग्रेसियों का घेराव
10-Jun-2025 3:06 PM
रोजगार विरोधी नीति को  लेकर कांग्रेसियों का घेराव

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

राजनांदगांव, 10 जून। प्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा युक्तियुक्तकरण के नाम पर किए जा रहे रोजगार विरोधी नीति को लेकर कांग्रेसियों ने मंगलवार को कौरिनभाठा तालाब चौक स्थित विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय का घेराव किया।

शहर कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष कुलबीर छाबड़ा व जिला ग्रामीण कांग्रेस अध्यक्ष भागवत साहू के नेतृत्व में राजनांदगांव ब्लॉक में कौरिनभाठा तालाब चौक स्थित विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय के सामने धरना प्रदर्शन किया। इस दौरान कांग्रेसियों ने प्रदेश सरकार के खिलाफ युक्तियुक्तकरण के खिलाफ जमकर हल्ला बोला। तत्पश्चात कांग्रेसियों ने विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय का घेराव किया। इस दौरान संबंधित अधिकारी को राज्यपाल के नाम ज्ञापन भी सौंपा। इस दौरान वरिष्ठ कांग्रेस नेता गिरीश देवांगन, पूर्व महापौर हेमा देशमुख, धनेश पाटिला, श्रीकिशन खंडेलवाल, जीतू मुदलियार, मेहुल मारू, सूर्यकांत जैन, आसिफ  अली, संतोष पिल्ले, रूपेश दुबे, माया शर्मा, शारदा तिवारी, अमित चंद्रवंशी, नीरज कन्नौज, मनीष गौतम, झम्मन देवांगन, विनय झा, महेश साहू समेत अन्य कांग्रेसी शामिल थे।

 

 शिक्षा स्तर गिरावट रोकने की मांग

कांग्रेसियों ने विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय का घेराव करते राज्यपाल के नाम ज्ञापन भी सौंपा। ज्ञापन में कांग्रेसियों ने राज्यपाल से मांग करते कहा कि  छत्तीसगढ़ शासन द्वारा युक्तियुक्तकरण एवं प्रदेश में 10463 स्कूल बंद होने पर छत्तीसगढ़ के शिक्षा के स्तर गिरावट को रोकते हुए शिक्षा नीति को यथास्थिति बनाए रखे।

कांग्रेसियों ने मांग करते कहा कि प्रदेश के शिक्षा जगत में युक्तियुक्तकरण, रोजगार विरोधी, शिक्ष विरोधी कदम उठाया जा रहा है। जिससे प्रदेश में 45 हजार से अधिक शिक्षकों के पद समाप्त होने के कगार पर है।  साथ ही 10463 स्कूल सीधे तौर पर बंद होने की स्थिति पर है। साथ ही सभी संस्थाओं में कार्यरत रसोईया, स्वीपर, चपरासी, क्लर्क आदि कई लोगों का रोजगार खत्म होने का अंदेशा है। शिक्षा नीति वर्ष 2008 के गाईड लाइन के अनुसार 30 बच्चों पर एक शिक्षक एवं एक प्रधान पाठक की व्यवस्था का प्रावधान है, परन्तु वर्तमान में इसको संशोधन कर 60 बच्चों पर एक शिक्षक एवं एक प्रधान पाठक की व्यवस्था दी जा रही है, जो बेहतर शिक्षा उचित नहीं है। वर्तमान में 35 हजार शिक्षकों का पद वैसे भी रिक्त है। ऐसी परिस्थिति  में बीएड, डीएड शिक्षित बेरोजगारों का भविष्य खतरे में नजर आ रहा है। इस शिक्षा नीति क माध्यम से ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे छत्तीसगढ़ सरकार निजी शिक्षण संस्थाओं को अघोषित रूप से लाभ पहुंचाने के लिए शिक्षा नीति का व्यापारीकरण किया जा रहा है, जो छत्तीसगढ़ की जनता के साथ अन्याय है तथा शिक्षित बेरोजगारेां के भविष्य के साथ खिलवाड़ है।


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