राजनांदगांव

आम जनता के साथ आयुक्त का सौतेला व्यवहार - कुलबीर
17-Oct-2024 3:01 PM
आम जनता के साथ आयुक्त का सौतेला व्यवहार - कुलबीर

 आयुक्त कर रहे आर्थिक नुकसान 

राजनांदगांव, 17 अक्टूबर। वरिष्ठ पार्षद कुलबीर सिंह छाबड़ा ने नगर निगम आयुक्त  अभिषेक गुप्ता को पत्र लिखकर आपत्ति जताते कहा कि नियम विरूद्ध पद्मश्री गोविंदराम निर्मलकर आडिटोरियम को 2 से 8 अगस्त तक धार्मिक कथा के लिए दिया गया था। जिसका किराया शुल्क की रसीद कटाए बगैर ही आडिटोरियम को 7 दिन के लिए दे दिया गया था। जिसमें सिर्फ आडिटोरियम हॉल साउंड सिस्टम व अन्य व्यवस्था शुल्क एवं जीएसटी शुल्क का कुल किराया  एक दिन का जोडऩे 23 हजार 275 रुपए विभाग द्वारा इस कार्यक्रम में देने लिखी गई नोटशीट के अभिमत में इस तरह 7 दिन तक कुल एक लाख 62 हजार 925 रुपए निगम कोष में जमा कराया जाना लिखा गया है।  जबकि सिर्फ आडिटोरियम हॉल की ही नहीं पूरे आडिटोरियम की जगह का उपयोग हुआ है, जो वहां के कई वीडिय़ों में दिख रहा है। इसका किराया निगम द्वारा निर्धारित किए गए दरों के अनुसार लगभग 3 से साढ़े 3 लाख रुपए के करीब आएगा, जिसे आयुक्त द्वारा छुपाने का प्रयास किया जा रहा है। इस तरह किराया शुल्क को कम दर्शाकर बिना किराया शुल्क के राशि की रसीद कटवाए निगम कोष में राशि नहीं जमा करवाया जाना अनुमति पत्र तथा संशोधित अनुमति पत्र का दिया जाना प्रमाण है तथा यह घोर आर्थिक अनियमितता है।

पार्षद श्री छाबड़ा ने कहा कि नगर निगम के किसी भी भवन को किराये में लेने शहर के नागरिकों, समितियों के कार्यक्रम, शादी, तेरहवीं, सांस्कृतिक कार्यक्रम, बैठक एवं अन्य कार्यक्रमों के लिए पूरा शुल्क नगर निगम में राशि जमा करवाकर भवन को दिया जाता है। इस तरह कहा जाए तो निगम आयुक्त शहरवासियों के साथ सौतेला व्यवहार कर रहे हैं।  जबकि शहरवासियों को निगम के भवनों को कार्यक्रम में लेने काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है और निगम आयुक्त नियम के विपरीत व्यक्ति विशेष को संरक्षण दिया गया है। साथ ही शासन के समस्त विभागों से अनुमति प्राप्त के दस्तावेज भी निगम द्वारा लिए गए हैं कि  नहीं यह भी स्पष्ट उल्लेख नहीं है।

श्री छाबड़ा ने आयुक्त को चेतावनी देते कहा कि  आर्थिक अनियमितता के हो रहे संरक्षण को बंद करें एवं नियम विरूद्ध किए गए  कार्य के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई कर नगर निगम में पूरे आडिटोरियम की राशि जमा कराएं एवं सभी कार्रवाई  की लिखित छायाप्रति उपलब्ध कराएं। आपत्ति का निराकरण नियमानुसार 30 अक्टूबर तक नहीं होने पर विधिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए विधि प्रक्रियां की ओर अग्रसर होउंगा। 
 


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