राजनांदगांव

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 13 सितंबर। राजनांदगांव जिला चिकित्सालय में आधा दर्जन वरिष्ठ स्टॉफ नर्सों की राज्य के अलग-अलग मेडिकल कॉलेज और चिकित्सकीय संस्थानों में स्थानांतरण किए जाने के बाद स्टॉफ की कमी से जूझ रहे प्रबंधन को दबाव में ला दिया है।
जिला चिकित्सालय में पहले से ही वार्डों में स्टॉफ नर्सों की काफी कमी रही है। राज्य सरकार ने स्थानांतरित स्टॉफ नर्सों की जगह नई पोस्टिंग करने में भूल कर दी। लिहाजा जिला अस्पताल में स्टॉफ नर्सों की भारी कमी के बीच मरीजों का समुचित उपचार करना आसान नहीं रह गया है।
अस्पताल में कार्यरत स्टॉफ नर्सों को जगदलपुर, बिलासपुर, रायपुर के मेडिकल कॉलेज में पदस्थ किया गया है। तबादले की खबर के बाद स्टॉफ नर्सों ने सत्तारूढ़ दल के आला नेताओं से जिला चिकित्सालय में यथावत पदस्थापना के लिए मदद की गुहार लगाई। राज्य सरकार ने स्थानीय भाजपा नेताओं के सिफारिश को दरकिनार कर दिया। अब जिला चिकित्सालय में आधा दर्जन पद रिक्त हो जाएंगे।
मिली जानकारी ेके मुताबिक जिला चिकित्सालय में कार्यरत स्टॉफ नर्सों को चिकित्सा शिक्षा विभाग (डीएमई) के मूल स्टॉफ नर्स जीनत वार्डेकर को सिविल अस्पताल खैरागढ़ से भीमराव अम्बेडकर चिकित्सालय रायपुर, शकुन वर्मा को जिला चिकित्सालय राजनांदगांव से जगदलपुर, रीना अनिल को जिला चिकित्सालय राजनांदगांव से जगदलपुर, रत्नशीला भीमटे को जिला चिकित्सालय राजनांदगांव से रायपुर, भुनेश्वरी साहू को जिला चिकित्सालय राजनांदगांव से रायपुर, स्वाति सिमनकर को जिला चिकित्सालय राजनांदगांव से छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान बिलासपुर एवं संगीता दोंदिलकर को जिला चिकित्सालय राजनांदगांव से पं. जवाहर लाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय रायपुर स्थानांतरण किया गया है।
बताया जा रहा है कि उपरोक्त स्टॉफ नर्स डीएमई के कर्मी हैं। बरसों से वे स्वास्थ्य संचालनालय (डीएचएस) के अधीन राजनांदगांव जिला अस्पताल में पदस्थ थे।
15 जुलाई 2010 को स्टॉफ नर्स संगीता दोंदिलकर का स्थानांतरण डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय रायपुर से संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं के अधीन जिला चिकित्सालय राजनांदगांव में स्वयं के व्यय पर पदस्थ कर दिया था, जहां वह 14 वर्षों से पदस्थ रही। इस बीच याचिकाकर्ता दोंदिलकर को चिकित्सा शिक्षा विभाग के द्वारा वरिष्ठता एवं सेवा लाभ से वंचित रखा गया। उन्होंने हाईकोर्ट में डीएमई द्वारा समस्त लाभ प्रदान किए जाने हेतु याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने डीएमई को सभी लाभ दिए जाने का निर्देश दिया। इसके बाद डीएमई ने अपने अधीन कर्मियों का तबादला कर दिया।
यही वजह है कि राजनंादगांव जिला चिकित्सालय के आधा दर्जन स्टॉफ नर्स को डीएमई ने वापस बुलाकर अलग-अलग मेडिकल संस्थानों में पदस्थ कर दिया। उनकी जगह शासन स्तर पर नई पदस्थापना नहीं की गई है। वहीं स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने डीएमई के रवैये को लेकर नाराजगी जाहिर की है।
बताया जा रहा है कि कई स्टॉफ नर्स पारिवारिक और चिकित्सकीय समस्या से जूझ रहे हैं। स्थानीय भाजपा नेताओं से स्टॉफ नर्सोँ ने तबादले पर रोक लगाने की मांग कर मदद की गुहार लगाई।
बताया जा रहा है कि स्टॉफ नर्सों ने स्पीकर डॉ. रमन सिंह, सांसद संतोष पांडे और अन्य प्रमुख नेताओं से इस मामले में दखल देने की गुजारिश की। कोरे आश्वासन से परेशान स्टॉफ नर्सों को अब रवानगी देने के आदेश दिए गए हैं। कुल मिलाकर राजनांदगांव जिला चिकित्सालय के अनुभवी व सीनियर नर्सों को अन्यत्र कार्य पदस्थ करने से अस्पताल की व्यवस्था का बिगडऩा तय है।