राजनांदगांव

छत्तीसगढ़ संवाददाता
राजनांदगांव, 25 अगस्त। हलषष्ठी यानी कमरछठ पर्व पर माताओं ने शनिवार को कठिन व्रत रखते हुए संतानों की लंबी आयु की कामना की। सगरी कुण्ड बनाकर हलषष्ठी देवी की विशेष पूजा-अर्चना की। इस मौके पर पूजा अर्चना कराने वाले पंडितों ने हलषष्ठी पर्व के सम्बन्ध में करीब छ: अध्यायों के कथा का विधि पूर्वक कथा वाचन भी किया।
कमरछठ पर्व को बच्चों की दीर्घायु होने की कामना लेकर माताएं कठिन व्रत रखती हैं। माताओं को इस दिन का बेसब्री से इंतजार रहता है। हलषष्ठी पर्व को उत्साहपूर्वक मनाते हुए महिलाओं ने दोपहर बाद पूजा-अर्चना शुरू की। सामूहिक रूप से शहरभर में अलग-अलग चौराहों और मोहल्लों में महिलाओं ने पूजा की।
माना जाता है कि कमरछठ पर्व भगवान शिव के पूरे परिवार से जुड़ा हुआ है। पूरे परिवार के सदस्यों की कथाओं के जरिये वर्णन किया जाता है। जिसमें मुख्य रूप से भगवान शिव और पार्वती की धार्मिक गाथाएं शामिल हंै। महिलाएं पूजा-अर्चना के दौरान प्रतिकात्मक रूप से गडढ्े खोदकर सगरी (तालाब) का निर्माण करती है। जिसमें पेड़-पौधे लगाकर अलग-अलग पूजन सामग्रियां चढ़ाई जाती है। वहीं भगवान शिव-पार्वती को भोग स्वरूप पसहर चावल, भैंस का दूध, दही, घी, बेल पत्ती, कांशी, खमार, बांटी, भौरा सहित अन्य सामग्रियां अर्पित की गई। दोपहर तक कथा और धार्मिक रूप से शिव-पार्वती का स्तुति गान करते हुए संतानों की लंबी आयु की कामना की।
पूजा के बाद व्रत पारणा में भी हल से उपजे अन्न का उपयोग नहीं किया जाता। इसलिए कमरछठ व्रत रखने वाली माताएं बिना हल चली जमीन पर पैदा होने वाले पसहर चावल का सेवन कर उपवास तोड़ती हैं।
पर्व के लिए पूजन सामग्रियों की बिक्री के लिए बाजार में पूर्व से ही दुकानें सज गई थी। वहीं शनिवार को सुबह से बाजार में दुकानें सजी थी, जहां लोग पूजन सामग्रियां खरीदी करने पहुंचते रहे। पसहर चावल से लेकर अन्य सामग्रियों के दाम बढ़े रहे। पसहर चावल, भैंस का दूध और घी के दाम भी बेतहाशा कीमत पर रहे।