राजनांदगांव

एमएमसी जोन में बुरे दौर से गुजर रहे नक्सली
25-Aug-2024 12:24 PM
एमएमसी जोन में बुरे दौर से गुजर रहे नक्सली

एसजेडसी मीटिंग में नक्सलियों ने माना संगठन में बड़े सुधार की जरूरत

प्रदीप मेश्राम

राजनांदगांव, 25 अगस्त (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ (एमएमसी) जोन के सीमावर्ती इलाकों में  पुलिस के खिलाफ चल रहे संघर्ष में नक्सलियों ने मान लिया है कि उनकी हालत खस्ता है। नक्सलियों के लिए एमएमसी जोन लाल गलियारे को मजबूती देने का एक बड़ा ठिकाना रहा है। 

एमएमसी जोन के एसजेडसी मीटिंग में नक्सलियों ने सांगठनिकीकरण पर सफलता नहीं मिलने पर चिंता जताई है, वहीं मारे गए नक्सलियों के अधूरे सपनों का संकल्प भी लिया है। 
दरअसल, 25 से 28 अगस्त 2023 को हुई मीटिंग में लिए गए निर्णयों का एक दस्तावेज खुफिया एजेंसियों के पास पहुंचा है। बीस पेज वाले इस पत्र में नक्सलियों ने बालाघाट और कवर्धा में हुए मुठभेड़ों में मारे गए नक्सलियों को याद किया है। 

नक्सलियों ने बदलते परिस्थिति के बीच माना है कि लगातार पुलिस के बढ़ते हमले का जवाब देने की ठोस रणनीति बनाने में नाकाम हुए हैं। नक्सलियों ने प्रचार-प्रसार में भी पिछडऩा भी स्वीकार किया है। इसके अलावा पत्र में आम लोगों से ज्यादा से ज्यादा जुडऩे और उनकी निजी जिंदगी से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए भी प्रयास करने का जिक्र है। जन अदालत के विषय को लेकर भी सुधार पर जोर दिया गया है।

नक्सलियों ने बरसों से संगठन में काम कर रहे लीडरों को तय समय पर प्रमोशन देने की आवश्यकता पर भी काम करना जरूरी समझा है। इस तरह एमएमसी जोन में नक्सलियों ने नई भर्ती नहीं होने को लेकर भी चिंता जाहिर की है।  नक्सल संगठन में सदस्यों के बीच मतभेद बढऩे को घातक माना गया है।

पत्र में सीनियर नक्सली ममता को एसी मेम्बरशिप दिया गया था, लेकिन उसने एसी पद से इस्तीफा दे दिया। संगठन में कुछ नक्सलियों के रवैये को लेकर भी सवाल उठाए गए हैं, वहीं कई नक्सली संगठन छोडक़र घर भी लौट रहे हैं। पत्र में सीनियर कैडरों के बीमार होने को लेकर भी फिक्र जताई गई है। उनकी जगह जिम्मेदार नक्सलियों की कमी को दूर करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। 

पत्र में कुछ नक्सलियों के प्राकृतिक आपदा का शिकार होकर जान गंवाने से संगठन को हुए नुकसान का भी उल्लेख है। मसलन 4 नवंबर 2022 को मध्यप्रदेश के बालाघाट के बैहर तहसील में रोड पार करने के दौरान जंगली-जानवरों के शिकार के लिए बिछाए गए बिजली के तार में खटियामोचा दलम की कमांडर ज्योति मारी गई, वहीं बालाघाट में 30 नवंबर 2022, 18 दिसंबर 2022, 12 जनवरी 2023, 21 अप्रैल 2023 को हुए मुठभेड़ में मारे गए नक्सलियों के प्रति संवेदना व्यक्त की गई। 

इस पत्र में 20 फरवरी 2023 को राजनांदगांव जिले के बोरतलाव में पुलिस पर हमला करने का भी जिक्र है। जिसमें 2 पुलिसकर्मी शहीद हुए थे। इस घटना को लेकर नक्सलियों ने जरूरत से ज्यादा फायरिंंग करने पर भी आपत्ति की है। इस तरह नक्सलियों ने अलग-अलग मुठभेड़ों का भी जिक्र किया है। 

नक्सलियों ने आगामी वर्षों में अपनी नीति में अहम बदलाव करने का भी इरादा जताया है। नक्सलियों ने पीएलजीए को  सैनिक प्रशिक्षण देने का प्रस्ताव किया है, लेकिन अब तक यह अमल नहीं हो पाया है। नक्सलियों ने पुलिस पर हमला करने के लिए विदेशी तकनीकी का इस्तेमाल करने की आवश्यकता जताई है। साथ ही सामानों की आपूर्ति और जरूरत के लिए अपने संपर्कों को और सशक्त बनाने पर सहमति जताई है।  

बहरहाल, सालभर पुराने यह पत्र अब सामने आया है। खुफिया एजेंसी इस पत्र की वास्तविकता की जांच कर रही है। एमएमसी जोन में नक्सलियों ने हर हाल में अपने सांगठनिक ताकत को मजबूत बनाने की नीति पर काम करने का इरादा जताया है।

आईजी दीपक झा से पत्र पर कुछ सवाल

0  एमएमसी जोन से जुड़ा एक पत्र सामने आया है, इस पर क्या कहना है?
00  पत्र सालभर पुराना है। हम अपने स्तर पर पत्र की जांच करवा रहे हैं। एमएमसी जोन के एसजेडसी मीटिंग से संबंधित पत्र में अहम जानकारियां है।
0  पूरे पत्र में नक्सली कहीं न कहीं संगठन और घटते जनाधार पर चिंतित हैं?
00  नक्सलियों का एमएमसी जोन में प्रभाव घट रहा है। कभी यह लाल गलियारा बनाने का एक अहम इलाका रहा। आम लोगों की अब नक्सल विचारधारा को लेकर समझ बढ़ी है। जाहिर तौर पर नक्सली हर मोर्चे पर नाकाम हो रहे हैं।
0  इस जोन के नक्सलियों के समर्पण पर आप क्या कहना चाहेंगे?
00  एमएमसी जोन के नक्सलियों से मैं बार-बार कह रहा हूं कि समर्पण कर एक सुखद जीवन जीएं। राज्य सरकार की नक्सल पुनर्वास नीति काफी सशक्त है। नक्सलियों को इससे लाभ होगा। हथियार छोडक़र मुख्यधारा में लौटकर राज्य और देश के विकास में सहभागी बने।
 


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