राजनांदगांव

भेंट-मुलाकात कार्यक्रम में सीएम के सवाल का जवाब नहीं दे पाए वन अफसर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 17 नवंबर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल खुज्जी विधानसभा के चिल्हाटी में भेंट-मुलाकात कार्यक्रम के दौरान तेन्दूपत्ता संग्राहकों को पारिश्रमिक नहीं मिलने के मामले में बेहद नाराज हुए। उन्होंने भेंट-मुलाकात कार्यक्रम में शिकायत आने के बाद सीधे वन अधिकारियों को मंच पर खड़ा कर दिया। मुख्यमंत्री ने इस बात पर हैरानी जताई कि जमीनी स्तर पर हो रहे गड़बडिय़ों से वन अधिकारी अंजान है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जनप्रतिनिधियों को भी तेन्दूपत्ता मामले में मालूम नहीं था। यही हाल वन अधिकारियों का भी था। उन्होंने कहा कि यह बहुत गलत बात है। इसका आशय यह है कि जमीनी स्तर में वन अधिकारियों का किसी से संपर्क नहीं है। मुख्यमंत्री ने फौरन पूरे मामले की जांच करने की घोषणा की।
उन्होंने डीएफओ से समीक्षा बैठक में सवाल पूछते कहा कि भुगतान की शिकायत क्यों आई? डीएफओ ने बताया कि दो मामलों में पूर्ण भुगतान हुआ है। जिसकी जांच की गई है। शेष दो मामलों में फड मुंशी की गलती पाई गई। मुख्यमंत्री ने कहा कि इसकी जानकारी लें। सीएम ने हाथियों के मूवमेंट के संबंध में भी वन एसडीओ से जानकारी ली। वन एसडीओ ने बताया कि दर्जनभर हाथी महाराष्ट्र की सीमा पर मूवमेंट कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हाथियों के मूवमेंट पर बारीकी से नजर रखकर आवश्यक कदम उठए जाएं। समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री के सामने सीसीएफ ने अपनी बात रखी। उन्होंने बताया कि लापरवाही के मामले में प्रबंधक ने गलत जानकारी दी, उसे निलंबित कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि भेंट-मुलाकात कार्यक्रम में तीन गांवों के ग्रामीणों ने खुलकर शिकायत की। जिसमें संग्राहकों को भुगतान नहीं मिलने की बात शामिल थी। इस बात को लेकर मुख्यमंत्री ने मंच पर डीएफओ सलमा फारूखी और अन्य वन अफसरों को खड़ा कर सवाल-जवाब किया। मुख्यमंत्री के सामने अफसरों के पसीने छूट गए। इस पर मुख्यमंत्री ने नाराजगी जताते सप्ताहभर के भीतर जांच रिपोर्ट देने के निर्देश दिए। उन्होंने राजनांदगांव वन मंडल में व्याप्त लापरवाही को लेकर कड़ी नाराजगी जताई। सीएम ने यहां तक कहा कि पूरे प्रदेश में भेंट-मुलाकात कार्यक्रम के दौरान उन्हें इस तरह की शिकायत कहीं नहीं मिली।
इधर समीक्षा बैठक में भी वन अधिकारियों से मुख्यमंत्री ने शिकायतों के निराकरण को लेकर सवाल किए। बहरहाल सीएम को मिली शिकायतों से वन अधिकारियों के कामकाज के तरीके पर सवाल खड़े हो गए। उधर मुख्यमंत्री ने दूसरे विभाग प्रमुखों से भी जानकारी ली। जिसमें सुपोषण मिशन, नरवा योजना, शिक्षा व्यवस्था और पीएचई के अधिकारियों से योजनाओं के संंबंध में सीधी चर्चा की।