रायगढ़

गरीबों के आशियाने उजड़े, बिजली व्यवस्था चरमराई
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 28 जुलाई। बुधवार की शाम को प्रकृति ने अपना रौद्र रूप दिखाया। पुटकापुरी, बासनपाली, राईतराई और कौवा ताल जैसे शांत ग्रामीण अंचलों में अचानक आंधी-तूफान ने ऐसा कहर बरपाया कि महज 5 मिनट में पूरे इलाके में तबाही का मंजर छा गया।
इस अप्रत्याशित और प्रचंड तूफान ने खेत-खलिहानों से लेकर गांव की गलियों तक तबाही मचा दी। वर्षो पुराने विशाल वृक्ष जड़ से उखड़ गए, तो वहीं हजारों की संख्या में पेड़ धराशायी हो गए। बिजली के खंभे और तार जमीन पर आ गिरे। कहीं छतें उड़ गईं, तो कहीं दीवारें ढह गईं। सबसे अधिक मार गरीबों पर पड़ी है जिनके कच्चे मकान तूफान की पहली मार में ही चकनाचूर हो गए। कुदरत के इस क्रूर प्रहार ने गांवों में त्राहिमाम की स्थिति उत्पन्न कर दी।
घटना की जानकारी मिलते ही स्थानीय सरपंचों ने जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को अवगत कराया। तत्पश्चात, जिला पंचायत सदस्य लक्ष्मी जीवन पटेल, महेश साहू, मंडल अध्यक्ष सनत नायक ने मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया और तत्काल रायगढ़ कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी एवं एसडीएम महेश शर्मा को सूचित किया। कलेक्टर चतुर्वेदी ने तुरंत कार्रवाई करते हुए एसडीएम को गांवों में राहत और क्षति का आंकलन करने का आदेश जारी किया। प्रशासन की टीम अब मौके पर पहुंच चुकी है और प्रभावित परिवारों को प्राथमिक सहायता व पुनर्वास का प्रयास किया जा रहा है।
मगर सवाल यह है कि क्या सिर्फ पंचनामा भर देने से इन टूटे आशियानों की पीड़ा मिट पाएगी? क्या इन गांवों के मासूमों की टूटी नींद और उजड़ी छतों को वक्त भर पाएगा? प्रशासन की तत्परता सराहनीय है, लेकिन जमीनी राहत की सच्चाई पर नजर रखना अब जनता की निगरानी का विषय बन चुका है।