रायगढ़
कोल प्रभावित इलाकों के सैकड़ों मजदूर-किसान हुए शामिल
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 22 फरवरी। रायगढ़ जिले में तमनार विकास खंड के ग्राम पंचायत पेलमा से जल-जंगल-जमीन बचाने को लेकर तीन दिवसीय पदयात्रा की शुरूआत हुई। इस पदयात्रा में सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण हिस्सा ले रहे हैं। कोयला सत्याग्रह के नाम पर देशभर में मशहूर हो चुके ग्राम पेलमा में पदयात्रा की शुरुआत के मौके पर ग्रामीणों ने संविधान के उद्देश्य का पठन किया।
रायगढ़ जिले के कोयला प्रभावित इलाकों में शुरू हुई इस पदयात्रा में ग्रामीणों के स्व:स्फूर्त शामिल होने की प्रमुख वजह यहां आदिवासियों के प्रकृतिक संसाधन जल जंगल और जमीन के विदोहन को माना जा रहा है, जिसकी वजह से इलाके के जंगल खत्म होते जा रहे हैं। रायगढ़ जिले के तमनार, घरघोड़ा और धरमजयगढ इलाके में एसईसीएल, हिंडालको, अडानी, जिंदल कंपनी द्वारा बेतहाशा कोयला खनन के साथ ही पावर प्लांटों का संचालन किया जा रहा है। इससे पूरे इलाके में प्रदूषण फैल रहा है और जर्जर सडक़ों के चलते हादसे भी हो रहे हैं।
इस पदयात्रा के संयोजक बताते हैं कि जिले में पेसा कानून का जमकर उल्लंघन हो रहा है। बिना ग्रामसभा के ग्रामीणों की जमीन ली जा रही है। वन संसाधन, जल जंगल जमीन पर कब्जा, रात-दिन नए उद्योगों, बांधो और खदानों के खुलने की वजह से लोग विस्थापन के लिए मजबूर हैं।
लगभग ढाई दशक पूर्व जब यहां पर कोयला खदान और पॉवर प्लांट की शुरुआत की गई तब कंपनियों और सरकार द्वारा वडा किया गया था कि लोगों को रोजगार के अलावा अच्छी सडक़ और तमाम सुवधाएं दी जाएँगी मगर आज यहां की जर्जर सडक़ों के चलते होने वाले हादसों में लोगों की मौत हो रही है, वहीं पर्यावरण बुरी तरह प्रदूषित हो रहा है और जलवायु पर असर के चलते जैव विविधता भी खत्म होती जा रही है। इसके अलावा युवाओं और महिलाओं में बढ़ती बेरोजगारी बढ़ रही है। इसीके खिलाफ ग्राम पंचायत पेलमा से तीन दिवसीय पदयात्रा की शुरुआत आज से हुई है।
शामिल हजारों ग्रामीण सारा रसद अपने साथ लेकर जा रहे हैं। इसमें इलाके के लगभग 3 दर्जन गावों के लोग शामिल हो रहे हैं, जो 23 दिसंबर को रायगढ़ जिला मुख्यालय पहुंचेंगे और राज्यपाल, राष्ट्रपति और मुख्य न्यायाधीश के नाम का ज्ञापन जिला प्रशासन को सौंपेंगे।


