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चीन से होने वाले साइबर हमलों का दायरा बढ़ता रहा है और इसका ताजा असर भारत के बिजली क्षेत्र पर पड़ने की भारत सरकार ने पुष्टि कर दी है. सवाल उठ रहे हैं कि क्या भारत खुद को इन हमलों से सुरक्षित रखने में सक्षम है.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट-
सोमवार एक मार्च को अमेरिकी अखबार न्यू यॉर्क टाइम्स ने एक रिपोर्ट में दावा किया कि अक्टूबर 2020 में मुंबई में बड़े पैमाने पर बिजली की सप्लाई में जो खराबी आई थी उसके पीछे चीन से हुआ एक साइबर हमला था. अखबार ने यह दावा एक अमेरिकी रिसर्च कंपनी की रिपोर्ट के आधार पर किया था. खबर छपने के बाद महाराष्ट्र सरकार में गृह मंत्री अनिल देशमुख ने एक समाचार वार्ता में बताया कि इसकी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता और मुंबई पुलिस ने इस बारे में जांच शुरू कर दी है.
अब केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने भी एक तरह से इस तरह के हमले की पुष्टि कर दी है. मंत्रालय ने न्यू यॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट पर तो कोई टिप्पणी नहीं की लेकिन इस बात को माना कि चीनी सरकार से समर्थन प्राप्त कुछ हैकरों ने भारत में कई ऊर्जा केंद्रों को निशाना बनाया था. लेकिन मंत्रालय ने अपने बयान में मुंबई की पावर आउटेज का जिक्र नहीं किया और दावा किया कि उन हमलों को कोई असर नहीं हुआ क्योंकि भारतीय एजेंसियों ने उन्हें नाकाम कर दिया था.
मंत्रालय के बयान के मुताबिक नेशनल टेक्निकल रिसर्च आर्गेनाईजेशन (एनटीआरओ) के नेशनल क्रिटिकल इन्फॉर्मेशन इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोटेक्शन सेंटर (एनसीआइआइपीसी) ने मंत्रालय को 12 फरवरी, 2021 को बताया कि चीनी सरकार से समर्थन प्राप्त "रेड एको" नाम के एक चीनी समूह ने "शैडो पैड" नाम के मैलवेयर से भारतीय ऊर्जा क्षेत्र के रीजनल लोड डिस्पैच केंद्रों (आरएलडीसी) और स्टेट लोड डिस्पैच केंद्रों (एसएलडीसी) को निशाना बनाने की कोशिश की थी. मंत्रालय का दावा है कि कई तरह के कदम उठा कर इस खतरे को नाकाम कर दिया गया.
देशमुख ने पत्रकारों को बताया कि इस हमले पर एक प्राथमिक रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी जा चुकी है और उस रिपोर्ट के मुताबिक मुंबई के बिजली सिस्टम में 14 "ट्रोजन हॉर्स" प्रोग्राम पाए गए थे. जिस तारीख की बात की जा रही है उस दिन मुंबई में अचानक बिजली चले जाने से करोड़ों लोगों तक बिजली सप्लाई बंद हो गई थी, लोकल ट्रेनें ठप हो गई थीं, कॉलेजों की ऑनलाइन परीक्षाएं रुक गई थीं और मोबाइल टेलीफोन सेवाएं भी बाधित हुई थीं. ग्रिड फेलियर का असर 12 घंटों तक रहा था.
उस समय स्थानीय अधिकारियों ने कहा था कि ऐसा कुछ तकनीकी कारणों से हुआ था, लेकिन जांच के आदेश दे दिए गए थे. भारत और चीन के बीच सीमा पर सैन्य गतिरोध के बाद अब यह पूरा मामला भी भारत और चीन के बीच कूटनीतिक झगड़े का रूप ले रहा है. आरोपों पर आपत्ति जाहिर करते हुए चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि चीन साइबर सुरक्षा का एक प्रबल समर्थक है और हर तरह के साइबर हमलों का विरोध करता है.
प्रवक्ता ने कहा कि बिना किसी सबूत के किसी पर इस तरह के आरोप लगाना बेहद "गैर-जिम्मेदाराना है." भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस पर अभी तक अपनी प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन जानकार कह रहे हैं कि इस घटना से चीन से होने वाले साइबर हमलों का एक नया मोर्चा खुल गया है और भारत को अब इस मोर्चे पर भी बेहद सजग रहने की जरूरत है. (dw.com)